Free Sex Kahani काला इश्क़!
11-17-2019, 09:19 PM,
#82
RE: Free Sex Kahani काला इश्क़!
update 39 

बिल पे हो चूका था पर हम चारों पर दारु की खुमारी चढ़ चुकी थी| उठने को जैसे जी ही नहीं चाह रहा था, कोई घर छोड़ दे बस यही दुहाई कर रहे थे सारे और ठहाके मार के हँस रहे थे| पाँच मिनट बैठे रहने के बाद मेरे दिल की धड़कन अचानक से तेज हो गई| अंदर एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी| माथे पर पसीना आ गया और मैं हैरानी से ऋतू की तरफ देखने लगा| उसने वेटर से अपने लिए पानी मंगाया, प्यास से उसका गला सूख रहा था| इधर मेरे जिस्म में तूफ़ान खड़ा हो चूका था| लंड अचानक से अकड़ चूका था और मैं अपने आप ही ऋतू की तरफ झुक रहा था| मेरा मन अब उसे कस कर kiss करने को कह रहा था| इससे पहले की मैं उसे kiss करता काम्या ने मेरा हाथ पकड़ के मुझे डांस फ्लोर पर खींच लिया| उस समय गाना चल रहा था; "तेरे लक दा हुलारा" और काम्या मेरे से चिपक गई और मुझे बहकाने के लिए अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन में डाल कर कस लिया| वो मुझे किश करने ही वाली थी की मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसे खुद से दूर कर दिया और मुड़ कर जाने लगा| पर उसने मेरा हाथ थाम लिया और अपने दाहिने हाथ से अपने कान को पकड़ के सॉरी कहने लगी| मेंरूक गया और तभी ऋतू आ गई और उसने मेरे करीब आ कर नाचना शुरू कर दिया| मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ लिया और खुद से चिपका लिया| गर्दन झुका कर उसके निचले होंठ को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा| ऋतू ने अभी अपनी दोनों बाहें मेरी पीठ पर चलानी शुरू कर दी| हम दोनों ही बेकाबू होने लगे थे और उधर हमारे आस-पास जो भी लोग थे सब चीख रहे थे; "Guys get a room!" पर हम दोनों पर इसका कोई असर ही नहीं पड़ रहा था| काम्या ने हम दोनों का हाथ पकड़ा और बाहर की तरफ खींचने लगी| अब एक तो शराब का नशा और ऊपर से जिस्म की आग! किसी तरह हम चारों लड़खड़ाते हुए बाहर आये और रोहित बुरी तरह चीखने लगा; "ओये!! ऑटो!!! बहनचोद!" अब उसकी इस हालत को देख कोई भी रूक नहीं रहा था| इधर काम्या की उलटी शुरू हो गई और वो एक नाली के पास झुकी उलटी करने लगी| ऋतू से भी खड़ा हो पाना मुश्किल हो चूका था, मैं लड़खड़ाते हुए रोहित के पास आया और उसके इस तरह गाली देने से कोई ऑटो रूक नहीं रहा था तो मुझे उस पर गुस्से आ गया|| मैंने उसकी गुद्दी पर एक चमाट मारी; "भोसड़ी के! ऐसे गाली देगा तो कौन रुकेगा?" मैंने जेब से फ़ोन निकाला पर उसमें साला कुछ ठीक से दिखे ही ना! फिर भी जैसे-तैसे उबर अप्प खोला अब ये ऍप बहनचोद अपडेट मांग रही थी और मेरा गुस्सा और बढ़ता जा रहा था| मेरा मन था की हम जल्दी से होटल पहुँचे और मैं ऋतू को बिस्तर पर पटक कर उस पर चढ़ जाऊँ! जब तक ऍप अपडेट हुआ मैं जी भर के गाली बकता रहा; "मादरचोद चल जा! अभी गांड मरानी है तुझे अपनी?" दो मिनट लिए उस ऍप ने अपडेट होने में और फिर बड़ी मुश्किल से राइड बुक हुई| मैंने फ़ोन जेब में डाला और वापस ऋतू के पास जाने को मुड़ा, मैंने रोहित का कॉलर पकड़ा और खींच कर उसे दोनों के पास ले आया| काम्या की उलटी अब बंद हो चुकी थी और वो और ऋतू एक खम्बे का सहारा ले कर खड़े थे| ऋतू तो मुझे देखते ही बेकाबू हो गई और लड़खड़ाते हुए मेरे पास आई और फिर से मेरे सीने से लग गई| इधर मेरा लंड बेकाबू होने लगा था, मैंने ऋतू को अपनी गोद में उठाया| ऋतू ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट ली और मेरे ऊपर वाले होंठ को अपने मुँह में भर के चूसने लगी| मैं भी बेतहाशा उसके होंठों को चूस रहा था और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी| हमारी देखा-देखि काम्या को भी जोश आ गया और वो रोहित से चिपक गई और दोनों बुरी तरह Kiss करने लगे| इधर हमारी कैब आ गई और ड्राइवर ने कॉल किया| "सर मैं लोकेशन पर हूँ, आप कहाँ हैं?" ड्राइवर ने पूछा|

"एक मिनट!" इतना बोलते हुए मैं ऋतू को इसी तरह गोद में लिए बाहर आया और पीछे ही काम्या और रोहित भी आये| मैंने पीछे का दरवाजा खोला और सब से पहले काम्या घुसी और फिर मैं जैसे-तैसे ऋतू को गोद में लिए बैठ गया| रोहित आगे बैठा था पर ड्राइवर की नजर मेरे पर थी| "चलो भैया" मैंने उसे कहा तो वो आगे चला| इधर काम्या मेरे नजदीक आ कर बैठ गई और अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया| ऋतू पर तो सेक्स सवार हो चूका था और वो मेरी गर्दन के बायीं तरफ चूम रही थी| काम्या भी बहकने लगी थी और वो मेरी गर्दन के दाएं तरफ चूमना चाहती थी पर मैंने उसे ऊँगली से इशारा कर के मना कर दिया| मेरे दोनों हाथ ऋतू की पीठ पर चल रहे थे और लंड नीचे से ऋतू की गांड पर दस्तक दे रहा था| मैंने भी ऋतू की गर्दन की बायीं तरफ धीरे से काट लिया और ऋतू बस सिसक रह गई| होटल पहुँचने तक मैं बस उसकी गर्दन को चूमता रहा और ऋतू भी मेरी गर्दन को चूम रही थी| मुझे तो फिर भी थोड़ी शर्म थी की मेरे अलावा वहाँ तीन और लोग हैं पर ऋतू पूरी तरह बेकाबू थी और वो धीरे-धीरे मेरी गर्दन को चूमे जा रही थी| ट्रैफिक नहीं था तो हम जल्दी ही होटल पहुँच गए, ड्राइवर ने रोहित को हिला कर जगाया| काम्या दूसरी तरफ से उतरी और ऋतू भी मेरी गोद से उत्तरी और मैंने ड्राइवर को पैसे दिए और थोड़े एक्स्ट्रा भी दे दिए! लॉबी से कमरे तक हम चारों लड़खड़ाते हुए चल के पहुँचे|

   रोहित और काम्या का कमरा पहले था और मेरा और रितिका कमरा आखिर में था| अंदर घुसते ही मैंने दरवाजे की चिटकनी लगाईं और ऋतू मुझ पर टूट पड़ी| वो फिर से मेरी गोद में चढ़ गई और सीधा अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी| ऋतू को अपने दोनों हाथों से थामे मैंने उसे बिस्तर पर ला कर पटक दिया| उसकी आँखों में देखते हुए मैंने अपनी कमीज के बटन जल्दी-जल्दी खोलने शुरू किये, फिर पैंट भी निकाल के फेंक दी और पूरा नंगा हो कर ऋतू के कपडे उतारने का वेट करने लगा| ऋतू ने भी फटाफट अपना ओप उतार फेंका, फिर अपनी ब्रा भी निकाल फेंकी| उसने अपनी जीन्स के बटन खोले और मैंने उसकी जीन्स खींच के निकाल दी और उस पर कूद पड़ा| ऋतू का जिस मेरी दोनों टांगों के बीच था और मैं उसके चेहरे को थामे उसके होंठ चूसने लगा| मेरे पास सब्र करने का बिलकुल समय नहीं था, इसलिए मेंने अगला हमला ऋतू की गर्दन पर किया| अपने दाँतों को ऋतू की गर्दन पर गाड़ के मैंने उसे जोर से काट लिया| "आअह!" कहते हुए ऋतू ने अभी अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए| दर्द से ऋतू सीसिया रही थी पर मुझे तो जैसे उसके दर्द की कोई परवाह ही नहीं थी| मैं नीचे को आया और उसके बाएँ स्तन को अपने मुंह में भर कर अपने दाँत गड़ा दिए| अपने बाएं हाथ से मैंने ऋतू के दाएँ स्तन को मुट्ठी में भर कर उसे निचोड़ने लगा और उसके बाएँ स्तन को दाँतों से काट और चूसने लगा| मेरी उँगलियाँ ऋतू के दाएँ स्तन पर छप चुकीं थीं और मेरे दाँतों ने ऋतू के बाएँ स्तन को लाल कर दिया था| मैं नीचे आया तो पाया की उसकी पैंटी अब भी उसकी बुर को ढके हुए है| मैंने अपने दाएँ हाथ से उसकी कच्ची को पकड़ के खींचा पर वो फटी नहीं, मुझे गुस्सा आया और मैं ने जोर से उसकी पैंटी खींच कर निकाल फेंकी| ऋतू की पहले से गीली बुर मेरे आँखों के सामने थी, मैं जितना मुंह खोल सकता था उतना खोला और जीभ निकाल कर ऋतू की बुर को अपनी जीभ से ढक दिया| गर्म जीभ का स्पर्श मिलते ही ऋतू कसमसाने लगी| उसने अपने दोनों हाथों की उँगलियों से मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुंह को अपनी बुर पर दबाने लगी| मैंने भी जीभ से पहले ऋतू के क्लीट को छेड़ा और फिर उसके बुर के कपालों को चूसने लगा| पर नीचे मेरे लंड की हालत बहुत खराब थी| खून का बहाव मेरे लंड पर बहुत तेज था और मेरे लंड में जलन होने लगी थी| लघभग १ मिनट की बुर चुसाई और फिर मैं ऋतू के ऊपर आ गया और अपने दाहिने हाथ से अपने लंड को पकड़ के ऋतू की बुर पर दबाने लगा| अभी सिर्फ लंड का सुपाड़ा ही अंदर गया था की ऋतू अपनी गर्दन को दाएँ-बाएँ पटकने लगी| पर मैं इस बार उसके दर्द की परवाह नहीं कर रहा था और धीरे-धीरे अपना लंड दबाते हुए उसकी बुर में पेल दिया| लंड धीरे-धीरे पूरा अंदर चला गया और ऋतू की बच्चेदानी से टकराया| अब मेरे लंड को आराम मिल रहा था और मैं कुछ देर ऐसे ही ऋतू पर पड़ा रहा| इसी टाइम में ऋतू की बुर ने भी खुद को मेरे लंड के अनुसार एडजस्ट कर लिया| दो मिनट बाद ही मेरे लंड में ताक़त आ गई और मैंने धक्के मारने शुरू कर दिए| आज मेरे धक्कों में पहले के मुक़ाबले बहुत तीव्रता थी और हार ढ़ाके के साथ ऋतू के स्तन हिल रहे थे| ऋतू ने अपने दोनों हाथों के नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए थे जिससे मेरी गति और तेज हो चली थी| दस मिनट तक मैंने कस कर ऋतू को निचोड़ डाला था और हम दोनों ही पसीने से तर थे पर दोनों में से कोई भी अभी तक झडा नहीं था| मैं बिना अपना लंड ऋतू की बुर से निकाले ऋतू के बगल में लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया| ऋतू ने अपने हाथों से अपने बाल बांधे और तेजी से मेरे लंड पर उछलने लगी| पाँच मिनट में वो तक गई और मेरे सीने पर सर रख कर साँस लेने लग गई, पर उसके रूकते ही जैसे मेरे लंड ने उसकी बुर में फड़कना शुरू कर दिया था| मैंने अपने दोनों कूल्हे हवा में उठाये और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए| ऋतू के स्तन थोड़े लटक गए थे और वो मेरे हर धक्के के साथ हिल रहे थे| पाँच मिनट से ज्यादा मैं भी इस पोजीशन पर नहीं टिक पाया और तक कर अपने कूल्हे नीचे टिका दिए| हैरानी की बात ये थी की ऋतू और मैं दोनों अब भी टिके थे!


अब माने ऋतू को अपने ऊपर से धकेल के दूसरी तरफ फेंक दिया और मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ| जिस तरफ ऋतू के पाँव थे मैं उस तरफ पहुँचा और उसके पाँव पकड़ के उसे नीचे की तरफ खींचा| ऋतू उठ के बैठ गई और उसकी नजरों के सामने मेरा लंड लहरा रहा था| लंड थोड़ा चमक रहा था क्योंकि उस पर ऋतू के बुर का रस लगा हुआ था, मुझे आगे ऋतू को कुछ कहना नहीं पड़ा और उसने गप्प से मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया| कुछ ही सेकंड में उसने अपने मुँह में थूक इकठ्ठा कर लिया और मेरा पूरा लंड उसके गर्म थूक से नहा गया| ऋतू ने धीरे-धीरे मेरे लंड को निगलना शुरू कर दिया| उसके मुँह की गर्माहट मेरे लंड में हो रहे दर्द को आराम दे रही थी और मेरे हाथ अपने हाथ उसके सर पर आ चुके थे| धीरे-धीरे ऋतू मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले गई और ये देख कर मेरी आँखों के आगे सुकून से भरा अँधेरा छा गया| अब ऋतू ने धीरे-धीरे अपने मुँह को मेरे लंड पर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया| मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं आँखें बंद किये इस मजे का आनंद ले रहा था| मुझे तो अपनी कमर भी नहीं हिलानी पद रही थी क्योंकि ऋतू इतनी शिद्दत से मेरे लंड को चूस रही थी| पाँच मिनट तक मैं उसके मुँह का आनंद अपने लंड पर लेता रहा| फिर मैंने खुद ही लंड बाहर निकाला और ऋतू को ऊँगली के इशारे से पलटने को कहा| ऋतू पलंग के ऊपर अपने घुटने मोड़ कर घोड़ी बन गई! मैंने अपने दाहिने हाथ की चार उँगलियों पर खूब सारा थूक निकाला और ऋतू की बुर में सारी उँगलियाँ एक साथ घुसा दि| ऋतू की बुर अंदर से गीली हो चुकी थी और मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू के दोनों चूतड़ों को पकड़ के एक दूसरे से दूर किया और उसकी बुर के छेद पर अपना लंड टिका दिया| मैंने एक जोरदसार शॉट मारा और पूरा लंड अंदर तक चीरता हुआ चला गया; "आह...हहहह…ममम...आअअ अ अ अ अ अ अ अ अह्ह्म्म मम ममममम" कर के ऋतू करहाने लगी| उसकी करहाने की आवाज सुन के मुझे थोड़ा होश आया और मैंने दायीं तरफ टेढ़ा हो कर उसके चेहरे की तरफ देखा तो वो गर्दन नीचे झुका कर सिस्क रही थी| मेरा लंड तो पहले ही पूरा का पूरा उसकी बुर में समां चूका था तो मैंने उसकी पीठ पर झुक कर उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और अपने दोनों हाथ से मींजने लगा| मेरा ऐसा करने से दस सेकंड में ही ऋतू का दर्द कम हो गया और उसने अपने कूल्हों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया| मैं उसका सिग्नल समझ गया और अपना लंड धीरे से बाहर निकाला और फिर धीरे से अंदर पेल दिया| 2-3 मिनट तक मैं ऐसे ही धीरे-धीरे धक्के मारता रहा पर ऋतू ने खुद कहा; "जानू!....स.स.स.स.स.स.स... तेज...और तेज!" उसकी बात मानते हुए मैंने अपनी रेल गाडी तेज कर दी और लंड तेजी से अंदर पेलना शुरू कर दिया| मेरे धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज हो गई थी; "अ.स.स.स.स.स्सा..अ.अ.अ.अ.हहह...नं.म.म.." की आवाज पूरे कमरे में गूँजने लगी थी| 10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई और अब ऋतू की हालत खराब होने लगी थी| उसकी टांगें कांपने लगी थी और मेरे अगले धक्के के साथ ही वो बिस्तर पर पस्त हो कर गिर पड़ी| मेरा लंड उसकी बुर से फिसल कर बाहर आ गया था पर लंड की कसावट कम नहीं हुई थी| मैं बिस्तर वापस चढ़ा और ऋतू को पलट कर सीधा किया, वो बुरी तरह हाँफ रही थी पर झड़ी वो भी नहीं थी| पर मेरा लंड इतना अकड़ चूका था की उसका दर्द कम ही नहीं हो रहा था| मैं ऋतू की टांगें चौड़ी की और अपना लंड फिर से उसकी बुर में पेल दिया| अपनी कमर को फुल स्पीड से आगे-पीछे कर रहा था| मेरा लंड तो जैसे ऋतू की बुर में अपनी जगह बना चूका था और बड़ी आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था| अगले 20 मिनट मैंने ऋतू की फुल स्पीड चुदाई की, ऋतू के मुँह से तो जैसे शब्द निकलने ही बंद हो गए थे| वो मेरे हर झटके के साथ बस हिल भर रही थी| 20 मिनट बाद ऋतू के अंदर का ज्वालमुखी फटा; "आह..हहह...ननन...मममम..." करहाते हुए वो उठ के मेरे सीने से चिपक गई ताकि मैं और झटके ना मारु| पूरे एक मिनट तक वो चिपकी रही मुझसे और उसकी बुर से सारा रस बिस्तर पर टपक रहा था| पसीने से तरबतर हम दोनों एक दूसरे से चिपटे रहे, झड़ने के एक मिनट बाद ऋतू धड़ाम से वापस गिर गई| पर मेरे लंड को चैन नहीं मिला था, मैंने इतनी तेजी से झटके मारने शुरू किये की पूरा पलंग हिलने लगा था और 10 मिनट बाद मैं भी उस की बुर में झाड़ गया और पस्त हो कर बगल में गिर गया| साँस इतनी तेज चल रही थी की पूछो मत, पसीने से हाल बुरा था और बेचारी ऋतू में तो जान ही नहीं बची थी वो तो बेसुध हो चुकी थी|


घडी में 3:30 बजे थे, मतलब हम करीबन 1 घंटे भर से ताबड़तोड़ सेक्स कर रहे थे! अब तो इतनी भी जान नहीं थी की उठ के अपना लंड साफ़ कर सकूँ| आँखें कब बंद हुईं और कब सुबह हुई कुछ पता नहीं चला| सुबह 11 बजे नींद खुली जब भूख से पेट में 'गुर्रर' होने लगी| मैं उठा पर सर बहुत भारी था और आँखें तो जैसे खुल ही नहीं रही थी| मैंने उठ के ऋतू को देखा तो वो अब भी दोनों टांगें चौड़ी कर के पड़ी थी जैसे रात को मैंने उसे आखरी बार देखा था| मैंने उसका साँस चेक किया तो पाया की वो जिन्दा है!
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-13-2019, 11:43 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:29 PM
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RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
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