Free Sex Kahani काला इश्क़!
10-20-2019, 07:38 PM, (This post was last modified: 10-21-2019, 11:32 AM by kw8890.)
#39
RE: काला इश्क़!
update 18

वहाँ पहुँच कर मैं एक्सपेक्ट कर रहा था की बिलकुल खाली जगह होगी पर ये तो भीड़-भाड़ वाली जगह निकली| मैडम तो जा कर रेत में लगे पाँव बैठ गईं और मैं इधर-उधर टहलता रहा और फोटो क्लिक करता रहा, कुछ सेल्फी भी ली और सब फोटो ऋतू को भेज दी| उसने सब फोटो देख ली पर जवाब कुछ नहीं दिया| मैं वापस मैडम के पास आया तो वो ढलते हुए सूरज को देख रही थीं और मंद-मंद मुस्कुरा रही थी| मैंने दो नारियल लिए और मैडम की तरफ बढ़ाया, मैडम एक डीएम से चौंक गईं पर बोली कुछ नहीं| एक सिप नारियल पानी पीने के बाद मुझे इशारे से वहीँ रेट में बैठने को कहा| मैं भी उन्हीं के साथ बैठ गया पर थोड़ी दूर और ढलते हुए सूरज को देखने लगा| फिर बैठे-बैठे कुछ फोटो खींची और उन्हें एडिट करने लगा| मैडम ने ये देख लिया पर कुछ बोली नहीं, फिर वो कुछ सोचने लगी और अपना मुँह झुका लिया| “Manu… I….I’m sorry for whatever happened last night? I misbehaved…” उन्होंने सर झुकाये हुए कहा, पर इससे पहले वो कुछ आगे कहती मैंने उनकी बात काट दी| "But nothing happened mam! I mean we had a lil chat and then you were kindaa drunked and said a lot of things about sir and then I said good night. That’s it…. Well you did almost fell down.” ये सुन कर मैडम के मन से गिलटी वाली फीलिंग खत्म हुई और वो गिरने वाली बात से तो वो थोड़ा हँस भी दी| 

“Thank God! I’ve been living in guilt since morning. I thought I may have done something which was…..” वो आगे कहते-कहते रुक गईं| उन्हें डर था की नशे की हालत में शायद हम दोनों ने सेक्स किया होगा|

“I’ve another confession to make, I kindaa took advantage of your chivalry in the past 48 hours! I mean that train incident, writing our names as Mr. and Mrs. Maurya… I’m really sorry! I was so scared in train… I’ve never travelled alone in my entire life and ….” उन्होंने सर झुकाये हुए कहा|

“Its okay mam… I can understand… I know it wasn’t intentional or anything.”

“मेरा इरादा तुम्हें छूने का कतई नहीं था, उस समय तुम मेरे लिए सहारा थे और मुझे तुम पर भरोसा था की तुम मेरा कोई गलत फायदा नहीं उठाओगे| वैसे ही भरोसा जो एक दोस्त को दूसरे दोस्त पर होता है|" ये सुनने के बाद मुझे मेरे रात वाले सवालों का जवाब मिल गया था| मैडम मुझे अपना दोस्त समझती थीं पर ये सब शुरू कैसे हुआ ये जानने को मन बेचैन था| “umm… mam if you don’t mind me asking, in office we barely spoke! I mean we only had conversation regarding work. So h..h.. how did we become friends?”   मैंने थोड़ा झिझकते हुए पूछा| 
“Well I don’t think a conversation is required to start a friendship.” मैडम का ये जवाब मुझे बहुत ही अटपटा लगा क्योंकि बिना बात किये कोई दोस्त कैसे बन सकता है? पर मैंने आगे उनसे इस बारे में कोई बात नहीं की और चुप-चाप सूरज को ढलते हुए देखने लगा| अचानक ही मैडम कड़ी हुईं और मुझे अभी अपने साथ चलने को कहा| मुझे लगा की उनका मन भर गया होगा इसलिए वो अब जाना चाहती हैं पर फिर मेरी नजर उनके पैरों पर पड़ी| मैडम अब भी नंगे पाँव थीं मतलब वो चाहती थी की मैं उनके साथ वॉक करूँ| मैंने भी अपने जूते उतारे और नंगे पाँव हम दोनों रेत पर चलने लगे| “The general traits of a friendship include similar interests, mutual respect and an attachment to each other….” ये कहते हुए मैडम एकदम से रुक गईं, ऐसा लगा जैसे वो कुछ ऐसा बोल गईं जो उन्हें नहीं बोलना चाहिए था| मैं अब कुछ-कुछ समझने लगा था की आखिर मैडम के मन में क्या चल रहा है पर कुछ भी कहने से डर रहा था| डर इसलिए रहा था की कहीं मैं गलत निकला तो मैडम के नजर में जो मेरी इज्जत है वो चली जाएगी और एक डर ये भी था की कहीं मेरे कुछ कहने से उनका दिल न टूट जाए| मैंने सोचा की मैं अपनी बात कुछ इस तरह से रखूँगा की उन्हें ये समझ आ जाये की मैं प्यार क्यों नहीं कर सकता|



“You’re even giving me company in walking!” इतना कह कर वो हँसने लगीं| “So now we’re friends right?” अब मैं इसका जवाब ना तो नहीं दे सकता था, इसलिए मैंने हाँ में सर हिलाया और मैडम ने हाथ मिलाने के लिए अपना दायाँ हाथ आगे बढ़ाया| मैंने अभी उनसे हाथ मिलाया और मुस्कुरा दिया, हम वॉक करते-करते करीबन एक किलोमीटर दूर आ गए तो मैडम ने चाय पीने के लिए कहा| टापरी वाली मस्त चाय पी कर मैडम में शॉपिंग के लिए बोला और हम जुहू मार्किट आ गए वहाँ मैडम ने कुछ बालियाँ खरीदी और खरीदते वक़्त वो बार-बार मुझसे पूछती की ये कैसी है| मैंने भी पूरा इंटरेस्ट लेते हुए उन्हें एक बालियाँ उठा के दीं जो उन पर बहुत जच रही थी| उन्हें पहन के तो मैडम खुश हो गईं और मेरी पसंद की तारीफ करने लगीं| मेरा मन किया की मैं ऋतू के लिए भी एक बाली खरीदूं पर मैडम से क्या कहूँगा ये सोच कर रह गया| कुछ दूर आ कर मैडम ने मॉल जाने के लिए कहा और हम एक मॉल में घुसे| वहाँ एक शोरूम में मैडम ने मुझे एक बिज़नेस सूट दिया और try करने को कहा| अब ये देख कर तो मेरी आँख फटी की फटी रह गई| "I’m sorry mam! I can’t take this.” 


"क्यों?" मैडम ने सवाल पूछा| “Mam its way too costly! I …I can’t afford it!” मैंने दबी हुई आवाज में कहा| “Oh come on! It’s a gift… from a friend to another.” 
“No…No…No… Mam… I can’t… please” मैंने उन्हें मना करते हुए कह| पर उन्होंने कबरदस्ती करते हुए कहा; "इसका मतलब की हम दोस्त नहीं हैं?" "जी मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा| दोस्ती में जर्रूरी तो नहीं की इतना महँगा गिफ्ट दिया जाए?" मैंने उन्हीं की बात उन पर डालते हुए कहा| "पर मैं अपनी ख़ुशी से दे रही हूँ!"


"जानता हूँ mam पर मैं इतना महँगा गिफ्ट अभी deserve नहीं करता!" मैंने बात खत्म करना चाहा पर मैडम तो जैसे अड़ ही चुकी थी की वो मुझे गिफ्ट दे कर रहेंगी| "क्या deserve नहीं करता?" उन्होंने गुस्से में मेरा हाथ पकड़ के मुझे एक तरफ खड़ा किया और गुस्से में बोली; "एक लड़का जो पिछले दो दिन से मेरा इतना ख्याल रख रहा है, ट्रैन में मुझे उन लफंगों की गन्दी नजरों से बचाता है! होटल के एक कमरे में मैं नशे में थी फिर भी जिसने मेरा कोई गलत फायदा नहीं उठाया वो ये सूट deserve नहीं करता तो फिर इस दुनिया में chivalry की कोई कीमत ही नहीं है|"

"Mam तो आप मुझे ये सब करने की कीमत दे रहे हो? अभी तो आप ने कहा की हम दोस्त हैं और अभी आप कीमत की बात कर रहे हैं?"

"मेरा वो मतलब नहीं था..... उस टाइम आपने राखी से कहा था ना की आज पता चला की इंसान की जिंदगी में कपड़ों की क्या वैल्यू होती है, मुझे बहुत बुरा लगा|"

"Mam वो...." आगे बोलने के लिए मेरे पास शब्द नहीं थे| मैं बहुत ही गैरतमंद इंसान हूँ और उनसे ऐसा कोई भी तोहफा नहीं लेना चाहता था| शायद वो ये समझ गईं थीं इसलिए वो बोलीं; "अच्छा एक शर्ट तो ले लो?" अब मुझे बुरा लग रहा था की मैं भला कब तक उन्हें ऐसे मना करूँ| "ठीक है पर पैसे मैं दूँगा|"

"अरे ये क्या बात हुई? ठीक है! पसंद मैं करुँगी|" उन्होंने हँसते हुए कहा और मैंने भी और मना नहीं किया| फिर मैडम ने एक नेवी ब्लू कलर की एक शर्ट पसंद की जिसे मैंने उन्हें try करके दिखाया और पैसे मैंने दिए|


शाम के 6 बजने लगे थे तो मैडम ने पावभाजी खाने के लिए कहा| मैं इधर सोच रहा था की ऋतू के लिए क्या खरीदूँ, आखिर मुझे याद आया की उसने एक बार मुझसे डायरी माँगी थी| तो पावभाजी खाने के बाद मैंने एक डायरी ली और मैडम ने मुझे वो डायरी लेते देखा तो खुद को पूछने से खुद को रोक पाईं; "आप शायरी करते हो क्या?" अब मुझे कुछ तो जवाब देना ही था सो मैंने हाँ में सर हिला दिया और ये सुन करते वो मुझसे और भी ज्यादा इम्प्रेस हो गईं| तो एक शेर हमें भी सुनाइए! मैडम की फरमाइश पर मुझे ऋतू की याद आ गई और फिर मुझे घुलम अली जी का एक शेर याद आ गया;

"फासले ऐसे भी होंगे,

ये कभी सोचा ना था.

सामने बैठा था मेरे,

और वो मेरा ना था|"

ये सुनते ही मैडम एक दम से चुप हो गईं और एक पल के लिए मेरे सामने ऋतू का चेहरा आ कर ठहर गया| "आप शायरी इस डायरी में जर्रूर लिखना|" इतना कह कर मैडम ने अपनी चुप्पी तोड़ दी और मैंने भी सोचा की इसे पढ़ कर ऋतू भी खुश हो जाएगी| शायद उसे उसकी बेरुखी भी याद आ जाये! खेर हम थोड़े दूर वहीँ घूमें, मैंने मैडम की कुछ तसवीरें लीं उन्हींके फ़ोन से और फिर खाना खा कर होटल 8 बजे पहुँचे| वहाँ से चेक-आउट किया और स्टेशन पहुँच गए और वहाँ एक बेंच पर बैठ गए| ट्रैन आई और हम अपनी-अपनी बर्थ पर लेट गए| इस बार हमारी टिकट्स कन्फर्म हो गई थीं, नाम वाली दिक्कत अब भी हुई तो फिर मैंने कैसे ना कैसे कर के बात संभाल ली| 

आज रात मैं चैन से सोया इस ख़ुशी में की सैटरडे मुझे देख कर ऋतू खुश हो जाएगी| हालाँकि मैडम ने दो बार मुझे उठाया था क्योंकि उन्हें वाशरूम जाना था और मैंने इसका कोई माइंड नहीं किया| अगले दिन आठ बजे मैडम ने मुझे उठाया, फ्रेश हो कर हम ने चाय-नाश्ता किया| सर का फ़ोन आया और मुझे नहीं पता की उनकी क्या बात हुई क्योंकि मैं डायरी में वही शेर लिख रहा था| सर से बात कर के मैडम ने बात शुरू की; "Isn’t it strange, a handsome guy filled with so much of chivalry is single?” उन्होंने chivalry शब्द पर बहुत जोर दे कर कहा| ये सुन कर मेरे मन में जो पहले विचार आया था की शायद मैडम मुझसे प्यार करती हैं, क्यों ना उस विचार का गाला घोट दूँ| मैंने बहुत गंभीर होते हुए कहा; "Mam my village is famous for honor killing! My cousin’s wife was burned alive because of this!” ये सुनते ही मैडम के हालत देखने लायक थी, उनका मुँह खुला का खुला रह गया| उनका हँसता-खेलता हुआ चेहरा मायूस हो गया और तभी उनको याद आय की वो ट्रैन वाला हादसा और जो होटल में हुआ वो; "I….I’m really sorry! That TTE saw us…and…h…how….what are you going to tell them?” उनकी घबराहट उनके चेहरे से झलक रही थी और मैं भी अंदर ही अंदर जानता था की जब ये बात सामने आएगी तो काण्ड होना तय है| क्योंकि कोई भी मेरी बात पर ऐतबार नहीं करता की जो कुछ हुआ उसमें मेरी कोई गलती नहीं थी| मैंने नकली मुस्कराहट अपने चेहरे पर लाते हुए कहा; “Haven’t thought about it! But don’t worry I won’t drag you in that mess!” मैंने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा पर बिलकुल मायूस हो गईं और फिर से गिलटी महसूस करने लगी| अब उस समय मैं अगर ज्यादा कुछ बोलता तो शायद उसका कुछ गलत मतलब निकलता, उन्हें कहीं ये ना लगे की मेरे मन में भी उनके लिए कोई प्यार-व्यार है इसलिए मैं चुप-चाप फिर से लेट गया| पर मैडम बहुत उदास थीं!

अब एक हँसता-खेलता इंसान मेरे कारन गुम-शूम हो गया था और रह-रह कर मैं गिलटी महसूस करने लगा था| "Mam you don’t have to worry, the least punishment I’ll get is either marriage or kicked from home. And trust me I’m really happy for the later punishment!” मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा ताकि उनका कुछ मन हल्का हो पर वो अब भी गुम-सुम थीं| "Mam आपके इस तरह गुम-सुम होने से इसका कोई हल तो निकलेगा नहीं| जब ये बात सामने आएगी तब मैं इसका कोई ना कोई हल निकाल लूँगा|" पर मैडम अब भी चुपचाप थीं, इससे ज्यादा मैं उन्हें कुछ कह नहीं सकता था| पूरा सफर वो इसी तरह गुम-सुम रहीं और मुझसे कोई भी बात नहीं की| रात दो बजे हम स्टेशन पहुँचे और अब वहाँ से घर जाना था| सर कार ले कर हम दोनों को लेने आये और मुझे घर छोड़ा| जब मैं जाने लगा तो मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा; "कल की छुट्टी ले लेना, See you on Monday!" ये सुन कर मेरी लाटरी निकल गई और मैंने उन्हें 'Thank you mam' कहा और ऊपर चला गया| सर की उस टाइम जली जर्रूर होगी पर वो कुछ बोले नहीं| बिस्तर पर ऐसे ही पड़ गया और सो गया, अगली सुबह 7 बजे उठ कर तैयार हुआ और ऋतू के कॉलेज के लिए निकल गया| उसके कॉलेज के गेट पर बाइक रोक कर उसका इंतजार करने लगा, जैसे ही उस की नजर मुझ पर पड़ी वो भाग कर आई और मेरे गले लग गई और उसकी आँखों से गंगा-जमुना बहने लगी| "ये तीन मैंने कैसे काटे मैं ही जानती हूँ!" उसने रोते-रोते कहा|

"तीन दिन से मेरे कॉल 'काट' ही तो रही थी|" मैंने उसे छेड़ते हुए कहा| ये सुन कर ऋतू फिर से गुस्सा हो गई पर उसे मानाने के लिए मैंने उसे उसका तौहफा दिया| डायरी देख कर तो वो खुश हो गई और उस पर छापे गेटवे ऑफ़ इंडिया की तस्वीर देख कर वो और भी खुश हो गई| अंदर खोल कर देखा तो दूसरे पैन पर मैंने वही शेर लिखा था जिसे पढ़ कर उसे मेरे दिल के दर्द के बारे में एहसास हुआ पर वो कान पकड़ के माफ़ी माँगने लगी| इतने में उसकी एक सहेली भी आ गई और मुझे देखते ही वो समझ गई की मैं उसका बॉयफ्रेंड हूँ| हालाँकि मैं ये नहीं चाहता था और उम्मीद कर रहा था की ऋतू बोलेगी की मैं उसका चाचा हूँ| पर ऋतू के कुछ कहने से पहले ही वो बोल पड़ी; "ओह! तो ये ही हैं वो जिनकी वजह से तू इतने दिन गुम-सुम थी?" ये सुन कर वो शर्मा गई और मेरी बाजू पर अपना सर रख दिया| "Hi" मैंने इतना कहा और उसने होना हाथ आगे करते हुए कहा; "Myself काम्य|| मैंने उसका हाथ मिलाया और "मानु" कहा| काम्य ने मेरा हाथ बहुत जोर से दबा रखा था और वो हाथ छोड़ ही नहीं रही थी इसे देख ऋतू जल गई और उसने दोनों का हाथ छुड़वा दिया| "हेल्लो मैडम आप जा कर अपने वाले से हाथ मिलाओ|" ये सुन कर हम दोनों हँस पड़े|                      

   "तो चलें?" मैंने ऋतू से कहा तो हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी| "क्या कोई जर्रूरी लेक्चर है?" वो खुश हो गई और ना में सर हिलाया और फ़ौरन बाइक पर पीछे बैठ गई| काम्य और जोर से हँसने लगी और फिर बाय बोल कर चली गई| ऋतू हमेशा की तरह मेरी पीठ से चिपक कर बैठ गई, जैसे की तीन दिन से उसका जिस्म बर्फ बन गया था और मेरे बदन की तपिश से वो सारी बर्फ पिघलना चाहती थी| "तो जान! बताओ की जाना कहाँ है?" मैंने उससे पूछा|

"घर और कहाँ?" ऋतू तपाक से बोली| मैं समझ गया था की उसे घर क्यों जाना था तो मैंने रास्ते से खाने के लिए कुछ पैक करवाया और फिर हम दोनों घर आ गए|
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
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