Free Sex Kahani काला इश्क़!
10-11-2019, 05:19 PM,
#15
RE: काला इश्क़!
update 11

जो बदलाव अब मैं ऋतू में देख रहा था वो ये था की वो अब उसका प्यार मेरे लिए अब कई गुना बढ़ चूका था| जब भी उसे टाइम मिलता तो वो कहीं छुप कर मुझे फ़ोन करती, व्हाट्स ऍप पर मैसेज करती रहती| रोज सुबह-सुबह उसका प्यार भरा मैसेज देख कर मैं उठता| तरह-तरह के हेयर स्टाइल बना कर उसका सेल्फी भेजना और मेरे पीछे पड़ जाना की मैं उसे सेल्फी भेजूँ! जब भी हम मिलते तो वो मेरा हाथ थाम लेती, और तरह-तरह की फोटो खींचती| कभी मुझे kiss करते हुए तो कभी पॉउट करते हुएऔर बहाने से मुझे Kiss करती| कभी इस पार्क में, कभी उस पार्क में, कभी किसी कैफ़े में और यहाँ तक की एक दिन उसने एक पुराने खंडर जाने की भी फरमाइश कर दी| ये खंडर प्रेमी जोड़ों के लिए जन्नत था क्योंकि यहाँ कोई आता-जाता नहीं था| जब हम वहाँ पहुँचे तो वहाँ कोई जगह खाली नहीं थी पर ऋतू मेरा हाथ थामे मुझे खींच के अंदर और अंदर ले जा रही थी| उसे तो जैसे भूत-प्रेत का कोई डर ही नहीं था| अंदर पहुँच कर वो मेरी तरफ मुड़ी और अपनी बाहें मेरे इर्द-गिर्द लपेट ली| फिर वो अपने पंजो पर खड़ी हो गई और मेरे होठों पर Kiss कर दी| मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ पर घूमने लगे थे और इधर ऋतू ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल ली| हम अपने Kiss में इतना मग्न थे की आस-पास की कोई खबर ही नहीं थी| जब जेब में फ़ोन बजा तब जा के होश आया, फोन ऋतू के हॉस्टल से था जिसे देखते ही हम तुरंत बाहर आये और फटाफट हॉस्टल पहुँचे| 

इस शनिवार हमें घर जाना था तो मैं सुबह-सुबह ऋतू को लेने हॉस्टल पहुँचा| रास्ते भर ऋतू मेरी पीठ से चिपकी रही और हमारा एक मात्र हॉल्ट वो ढाबा ही था जहाँ रुक कर हम चाय पीने लगे|


ऋतू: तो अब हम अपने रिश्ते को आगे कब ले कर जा रहे हैं?

मैं: आगे? मतलब?

ऋतू: 'वो'

मैं: वो सब शादी के बाद|

ऋतू: पर क्यों?

मैं: तुम प्रेग्नेंट हो गई तो?

ऋतू: ऐसा कुछ नहीं होगा|

मैं: ऋतू! मैं इस बारे में अब कोई बात नहीं करूँगा! नहीं मतलब नहीं! (मैंने गुस्से से कहा)

ऋतू: अच्छा ठीक है! पर आप आज रात को मेरे कमरे में तो आओगे आज? कितने दिनों बाद आज मौका मिला है|

मैं: पागल हो गई हो क्या? किसी ने देख लिया तो क्या होगा जानती हो ना?

ऋतू: कोई नहीं देखेगा| आप सब के सोने के बाद आ जाना|

मैं: नहीं!

ऋतू: मैं इंतजार करुँगी!

इतना कह कर वो टेबल से उठ गई और बाइक के पास जा कर खड़ी हो गई| मैं बिल भर के बाहर आया और बिना उससे कुछ बोले बाइक स्टार्ट की और हम फिर से हवा से बातें करते हुए घर की ओर चल दिए| रास्ते में ऋतू उसी तरह मुझसे चिपकी रही पर मैंने उससे और कोई बात नहीं की| हम घर पहुँचे और ऋतू ने सब के पैर छू के आशीर्वाद लिया और मैं सीधा अपने कमरे में घुस गया और बिस्तर पर पड़ गया| कुछ देर बाद ऋतू ऊपर आई और मेरे कमरे में झांकते हुए निकल गई| वो समझ गई थी की मैं उससे नाराज हूँ| उसी ने घर पर आज खाना बनाया और फिर सब के साथ बैठ के यहाँ-वहाँ की बातें चल ने लगी| हमेशा की तरह ऋतू भी कोने में बैठी बातें सुनती रही पर मेरा सर भन्ना रहा था सो मैं उठ के बाहर चला गया| कुछ ही दूर गया हूँगा की पीछे से संकेत की आवाज आई और फिर उस के साथ खेत पर बैठ कर माल फूँका| रात साढ़े आठ बजे घर घुसा तो घरवालों ने ताने मारने शुरू कर दिए की इतने दिन बाद आया है, ये नहीं की कुछ देर सब के साथ बैठ जाये| मैं बिना कुछ कहे ऊपर गया और तौलिया ले कर नीचे आ कर नहाया और ऊपर कमरे में टी-शर्ट डालने ही वाला था की मेरे नंगे जिस्म पर मुझे ऋतू ने पीछे से जकड लिया| उसकी उँगलियाँ मेरी छाती पर घूमने लगी थी, मैंने तुरंत ही उसे खुद से दूर किया; "दिमाग ख़राब है तेरा?" गुस्से से लाल मैंने टी-शर्ट पहनी और नीचे जा कर सब के साथ बैठ गया और बातों में ध्यान लगाने लगा|               
 

रात के खाने के बाद मैं छत पर टहल रहा था और ऋतू में आये बदलावों के बारे में सोच रहा था| उसके जिस्म में भूख की ललक मुझे साफ़ नजर आ रही थी|तभी वहाँ ऋतू चुप-चाप आ कर खड़ी हो गई| नजरें झुकी हुई, हाथ बाँधे वो जैसे अपने जुर्म का इकरार कर रही हो| बचपन में जब भी उससे कोई गलती हो जाती थी तो वो इसी तरह खड़ी हो जाती थी और उस समय जब तक मैं उसे गले लगा कर माफ़ न कर दूँ उसके दिल को चैन नहीं आता था| 'ऋतू.... तू ये सब क्यों कर रही है? खुद पर काबू रखना सीख प्लीज! वरना सब कुछ खत्म हो जायेगा!" ये कहते हुए मैंने उसके सामने हाथ जोड़ दिए| जिसे देख उसकी आँख से आँसूं गिरने लगे| इस बात की परवाह किये बिना की हम घर पर हैं और कोई हमें देख लेगा मैंने ऋतू को कस कर अपने गले लगा लिया| मेरी बाहों में आते ही वो टूट के सुबकने लगी और बोली; "जानू.... मैं क्या करूँ? मुझसे ये दूरी बर्दाश्त नहीं होती| हम एक शहर में हो कर भी कभी दिल भर के मिल नहीं पाते| हमेशा हॉस्टल की घंटी या कोई साथ न देख ले वाला डर हमें एक दूसरे के करीब नहीं आने देता| आप जी तोड़ कोशिश करते हो की हम ज्यादा से ज्यादा साथ रहे पर आपको अपनी नौकरी भी  देखनी है| आप जब भी मिलते हो तो वो पल मैं आपके साथ जी भर के जीना चाहती हूँ इसलिए उन कुछ पलों में मैं सारी हदें तोड़ देती हूँ| जन्मदिन वाले दिन के बाद से तो आपके बिना एक पल को भी चैन नहीं आता! रात-रात भर तकिये को खुद से चिपकाए सोती हूँ, ये सोच कर की वो तकिया आपका जिस्म है जिसकी गर्मी से शायद मेरा जिस्म थोड़ा ठंडा पद जाए पर ऐसे कभी नहीं होता| पढ़ाई में भी मन नहीं लगता, किताब खोल कर बस आप ही के ख्यालों में गुम रहती हूँ| आपके जिस्म की गर्माहट को महसूस करने को हरपल बेताब रहती हूँ| प्लीज-प्लीज हम अभी क्यों नहीं भाग जाते? मैं आप के साथ एक पेड़ के नीचे रह लूँगी पर अब और आप से दूर नहीं रहा जाता|" उसकी बातें सुन कर उसके दिल का हाल मैं जान चूका था पर इस कोई इलाज नहीं था| अगर मेरा खुद के शरीर पर काबू है इसका मतलब ये तो नहीं तो की दूसरे का भी उसके शरीर पर काबू हो? 

"जान! मैं समझ सकता हूँ तुम कैसा महसूस करती हो, और यक़ीन मनो मेरा भी वही हाल है पर हम दोनों को एक दूसरे पर काबू रखना होगा! हम अभी नहीं भाग सकते, बिना पैसों के हम बनारस तो क्या इस जिले के बहार नहीं जा सकते| हमें बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी है और उसके लिए खुद पर काबू रखना होगा| मैं ये नहीं कहता की हम मिलना बंद कर दें, पर हमें जिस्मानी रिश्ते को रोकना होगा| ये Kissing, ये Hugging ..... इन सब पर काबू रखना होगा| जब मौका मिलेगा तब हम ये सब करेंगे और प्लीज Sex अभी नहीं! वो शादी के बाद!" इसके आगे मेरे कुछ कहने से पहले ही ऋतू मुझसे अलग हो गई और सर झुकाये हुए बोली; "इससे तो अच्छा है की मैं जान ही दे दूँ!" ऋतू की आँखें से आँसूं थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे, मैंने आगे बढ़ कर उसके आँसू पोछने चाहे पर वो एकदम से मुड़ी और नीचे अपने कमरे में चली गई| मैं कुछ देर तक और छत पर टहलता रहा और सोचता रहा| घडी पर नजर डाली तो बारह बज रहे थे, मैं अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो ऋतू के कमरे का दरवाजा खुला था| अंदर झाँका तो पाया ऋतू अब भी रो रही थी और अपने तकिये को अपनी छाती से चिपकाये हुए थी| पता नहीं क्यों पर बार-बार वो तकिये को चुम रही थी| शायद ये सोच रही होगी की वो तकिया मैं हूँ| तभी उसने करवट बदली पर इससे पहले वो मुझे देख पाती मैं दिवार की आड़ में छुप गया और वो करवट बदल के फिर से उसी तकिये को खुद से चिपकाये हुए प्यार करती रही| 15 मिनट तक मैं छुप कर उसे यूँ तकिये से लिपटे रोता देखता रहा पर मजबूर था क्योंकि अगर कोई घरवाला देख लेता तो?!!! मन मार के जैसे ही अपने कमरे में जाने को मुड़ा की नीचे से ताऊ जी की आवाज आई; "इतनी रात गए क्या कर रहा है?" ये सुनते ही मैं हड़बड़ा गया, शुक्र है की मैं ऋतू के कमरे में नहीं घुसा वरना आज सब कुछ खत्म हो जाता| "जी वो.... नींद नहीं आ रही थी इसलिए छत पर टहल रहा था|" मेरी आवाज सुनते ही ऋतू उठ के बहार आ गई और बिना कुछ बोले ही मेरे मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया| मैं भी उसके इस बर्ताव से चौंक गया और समझ गया की उसे बहुत बुरा लगा है|  मैं अपना इतना सा मुँह ले कर अपने कमरे में आ गया और बिस्तर पर लेट गया पर नींद तनिक भी नहीं आई| घड़ियाँ गिन-गिन कर रात गुजारी और सुबह जब चलने का समय हुआ तो ऋतू अब भी खामोश थी| गाँव से कुछ दूर आने के बाद मैंने बाइक रोक दी और ऋतू को दोनों तरफ पैर कर के बैठने को कहा तो उसने मेरी ये बात भी अनसुनी कर दी| मजबूरन मुझे ऐसे ही बाइक चलानी पड़ी, ढाबे पर पहुँच कर मैंने बाइक रोकी और ऋतू को चाय पीने चलने को कहा तो उसने फिर से मना कर दिया| अब मैंने जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ के खींचा और उसे ढाबे में ले गाय और जबरदस्ती चाय पिलाई| "जान! I'm Sorry!!! प्लीज मुझे माफ़ कर दो! मैं तुम्हें दुःख नहीं पहुँचाना चाहता था| तुम जो सजा दोगी वो मंजूर है पर प्लीज मुझसे बात करो!" मैंने ऋतू से की मिन्नतें की पर वो कुछ नहीं बोली| हमने चुप-चाप चाय पी और फिर हम वापस हाईवे पर आ गए, पर मैंने बाइक बजाये हॉस्टल की तरफ ले जाने के अपने घर की तरफ मोड़ दी| घर पहुँचने से पहले मैंने बाइक एक मेडिकल स्टोर के पास रोकी और कुछ दवाइयाँ ले कर वापस आया| "आपकी तबियत ख़राब है?" ऋतू ने चिंता जताते हुए पूछा| तो मैंने मुस्कुरा कर नहीं कहा और बाइक घर की तरफ घुमा दी| जैसे ही घर पहुँच कर मैंने बाइक रोकी तो ऋतू बड़ी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी| मैंने उसे ऊपर कमरे की तरफ चलने को कहा और कमरे की चाभी भी उसे दे दी| मैंने बाइक नीचे पार्क की और घर फ़ोन कर दिया की हम घर पहुँच गए हैं, और साथ ही ऋतू के हॉस्टल में फ़ोन कर दिया की गाँव में कुछ काम है इसलिए मैं उसे कल हॉस्टल छोड़ दूँगा| फिर खाने के मैगी ली और सारा सामान ले कर मैं कमरे में आया| ऋतू खड़ी हो कर पीछे वाली खिड़की से बाहर कुछ देख रही थी| मुझे देखते ही वो बोली; "मुझे हॉस्टल कब छोड़ोगे?" मैंने ऋतू का हाथ पकड़ा और उसे खींच के पलंग के पास ले आया और बोला: "आज की रात और कल की दोपहर आप मेरे साथ गुजारोगे!" ये सुन के ऋतू बोली: "क्यों?"


"आपने कहा था ना आप का मन मेरे बिना नहीं लगता तो मैंने सोचा की क्यों न आपको इतना प्यार करूँ की आपको मेरी कमी कभी महसूस न हो|"   ये सुन कर ऋतू ने मेरी तरफ पीठ कर दी और बोली; "मैं जानती हूँ ये आप सिर्फ मुझे खुश करने के लिए कर रहे हो| आपको ऐसा कुछ भी करने की जर्रूरत नहीं जिसके लिए आपका मन गवाही ना देता हो|" मैं ने ऋतू को पीछे से अपनी बाँहों में जकड़ा और उसके कान में फुसफुसाता हुआ बोला; "दिल से कह रहा हूँ|" इतना कह कर मैंने उसे गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ला कर लिटा दिया और झुक कर ऋतू के होठों को चूम लिया| मेरे होंठ के स्पर्श से उसकी सारी कठोरता खत्म हो गई और उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द डाल दी और मेरे Kiss का जवाब देने लगी| मैंने अपने होंठ खोले के अपनी जीभ से उसके होठों को रगड़ा और फिर अपने दोनों होठों के भीतर उसके नीचे होंठ को भर के चूसने लगा| तभी ऋतू ने धीरे से मुझे खुद से दूर किया और बोली; "आप .... मुझे धोका तो नहीं दोगे ना?" मैंने ना में सर हिलाया| "पर एक शर्त है! वादा करो की पढ़ाई में ध्यान लगाओगे|"

"वादा करती हूँ जानू! पढ़ाई को ले कर आपके पास कोई शिकायत नहीं आएगी|" इतना कह के ऋतू ने अपनी बाहें फिर से मेरी गर्दन पर जकड़ दी और मुझे खींच के अपने ऊपर झुका लिया और अपनी जीभ से मेरी जीभ को छूने व चूसने लगी| उसके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे पर मेरे हाथ अभी भी मेरे वजन को संभाले हुए थे| मैं उठा और ऋतू की आँखों में देखते हुए अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा और वो भी उठ बैठी पर पलंग पर घुटनों के बल बैठ के मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से थामा और फिर से मेरे होठों को बारी-बारी से चूसने लगी| मैंने अपनी कमीज उतारी पर ऋतू ने एक पल के लिए भी मेरे होठों को अपने मुँह से आजाद नहीं किया| मैंने ही अपने होठों को उससे छुड़ाया और कहा; "जान कपडे तो उतारो|" ये सुनते ही उसके गाल शर्म से लाल हो गए| मैं समझ गया की वो क्यों शर्मा रही है| मैंने खुद उसके सूट को उतारने के लिए हाथ आगे बढाए तो उसकी नजरें झुक गईं| मैंने धीरे से उसका सूट उतरा और ऋतू ने इसमें मेरा पूरा सहयोग दिया| अब वो मेरे सामने सिर्फ एक ब्रा में थी और शर्म से अब भी उसकी नजरें झुकी हुई थीं| मैंने उसकी ठुड्डी पकड़ के ऊपर की और उसके गुलाबी होठों को चूमा और धीरे-धीरे उसे फिर से लिटा दिया और उसके ऊपर आ कर उसके होठों को चूसने लगा| उसका निचला होंठ बहुत फूला हुआ था, और हो भी क्यों ना पिछले कुछ महीनों से मैं जो उसका रसपान कर रहा था|लंड मियाँ पूरे जोश में आ कर बहार आने को बेताब थे पर ऋतू को तो जैसे Kiss करने से फुरसत ही नहीं थी| मैं भी कोई जल्दी नहीं दिखाना चाहता था इसलिए हम दोनों पिछले १५ मिनट से बस एक दूसरे को होठों को चूस और चाट ही रह थे| शायद ऋतू को भी मेरे लंड का एहसास होने लगा तो उसके हाथ अपने पा ही मेरे लंड महराज पर आ गए और वो धीर-धीरे से उसे सहलाने लगी| ऐसा लगा जैसे वो ये अनुमान लगा रही हो की मेरा लंड कितना बड़ा है| लंड को मिल रहे स्पर्श से उसमें तनाव बढ़ता ही जा रहा था और अब पैंट में कैद होने से दर्द हो रहा था| मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ को सरका कर ऋतू की पिजामि के नाड़े पर रख दिया और अपनी उँगलियों से नाड़े का छोर ढूंढने लगा| ऋतू भी मेरी उँगलियों को अपनी नाभि के आस पास महसूस करने लगी थी और उसका जो हाथ अभी तक लंड को सहला रहा था वो अब मेरी बनियान के अंदर जा घुसा था और जैसे कुछ ढूंढ रहा था| आखिर मुझे नाड़े का छोर मिल ही गया और मैंने उसे धीरे-धीरे खींचना शुरू कर दिया| आखिर कर वो खुल गया और ऋतू की पजामी अब ढीली हो चुकी थी| मैंने अपना हाथ धीरे-धीरे अंदर सरकना शुरू कर दिया और इधर ऋतू के जिस्म में सिहरन शुरू हो गई थी| फिर मैं एक पल के लिए रुक गया और ऋतू के होठों को अपने होठों की पकड़ से आजाद करते हुए कहा; "जान! पहली बार बहुत दर्द होगा! मुझे कम पर तुम्हें बहुत ज्यादा होगा, खून भी निकलेगा!" ये सुन कर ऋतू थोड़ा डर गई|        

 "आपसे दूर रहने के दर्द से तो कम होगा ना?" ये कह कर उसने मुझे अपनी सहमति दी और मैंने मुस्कुरा कर उसके माथे को चूमा| मेरा हाथ उसकी पैंटी पर आ चूका था और मुझे उसके ऊपर से ही उस की बुर की गर्मी महसूस होने लगी थी| मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली को ऋतू की पैंटी के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया जिसके परिणाम स्वरुप ऋतू की सीत्कार निकल गई| आनंद से उसकी आँखें बंद हो चली थीं| मैंने अब अपना हाथ उसकी पैंटी से बहार निकाला और उसकी पजामी को पकड़ कर नीचे सरकाने लगा पर अब भी ऋतू ने अपनी आँख नहीं खोली थी| पजामी तो निकाल दी मैंने पर ऋतू की गुलाबी रंग की पैंटी ने मेरा मन मोह लिया| उसे देखते ही मन ही नहीं कर रहा था की उसे निकालूँ, ऊपर से ऋतू की माँसल जांघें मेरे लंड में कोहराम मचाने लगी थी| मैंने नीचे झुक कर ऋतू की नाभि के नीचे चूम लिया और अपने दोनों हाथों की उँगलियों को उसकी पैंटी में फँसा कर के उसे नीयकाल दिया और अब जो मेरे सामने थी उसे देख तो मेरा कलेजा धक कर के रह गया| एक दम गुलाबी और चिकनी बुर! उसके गुलाबी पट बंद थे और बुर की रक्षा कर रहे थे, उन्हें देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया! मैं उनपर झुक कर उन्हें चूमना चाहता था पर जैसे ही मेरी गर्म साँस ऋतू को अपने बुर पर महसूस हुई उसने ने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को थामा और अपने ऊपर आने को कहा| "जानू वो सब बाद में! पहले आप….." उसने बात अधूरी छोड़ दी पर मैं समझ गया की उसे सेक्स करना है ना की फोरप्ले! "जान… फोरप्ले अगर नहीं किया तो बहुत दर्द होगा| तुम बस रिलैक्स करो और इतने बरसों से जो मैं वीडियो देख कर जो ज्ञान अर्जित किया है उसे इस्तेमाल करने दो|" मेरी बात सुन कर हम दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई| तभी मैंने गौर किया की ऋतू की ब्रा तो मैंने निकाली ही नहीं| अब ये ऐसा काम था जो मैंने कभी किया नहीं था और ना ही इसके बारे में कोई ज्ञान मुझे वीडियो देखने से मिला था| मैंने ऋतू का हाथ पकड़ के उसे उठा के बिठाया और उसके होठों को चूसने लगा और अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर ब्रा के हुक ढूंढने लगा| जब उँगलियों ने उन्हें ढूंढा तो ये दिक्का थी की उन्हें खोलने के लिए उसका सिरा कहाँ है? ऋतू मेरी ये नादानी समझ गई और उसने मेरे होठों से अपने होंठ छुड़ाए और अपने दोनों हाथ पीछे ले जा कर ब्रा के हुक खोल दिए| ब्रा ढीली हो गई बार अभी भी ऋतू के जिस्म से चिपकी हुई थी| मैंने धीरे से ऋतू की ब्रा को उसके सुनहरे जिस्म से अलग किया और पलंग से नीचे गिरा दिया| अपनी ब्रा को नीचे गिरते देख ऋतू कसमसाने लगी थी, मेरी नजर जब उसकी छाती पर पड़ी तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई| ऋतू के कोमल चुचुक मुझे उसे छूने को कह रहे थे, वो गुलाबी अरेओला ....सससस.....हाय! मैंने थोड़ा सा झुक कर ऋतू के बाएं चुचुक को अपने होठों से छुआ और अपनी जीभ से उसके छोटे से प्यार से निप्पल को छेड़ा तो ऋतू के मुँह सिसकारी निकल पड़ी| मैंने ऋतू के चेहरे पर देखा तो उसकी गर्दन पीछे की ओर झुकी हुई थी और आँखें बंद थी| 

मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपनी बेल्ट खोली और फिर पैंट के हुक खोलते ही वो नीचे जा गिरी, मेरे कच्छे पर बने उभार को ऋतू टकटकी बांधे देखती रही| मैं पलंग से उतरा और अपनी पैंट कुर्सी पर फेंकी और बैग से कुछ निकाल कर वापस ऋतू के पास आ गया| जब मैं लौटा तो ऋतू मुझे थोड़ी डरी सी दिखी; "क्या हुआ जान?!" मैंने उसके दाएं गाल को छूते हुए कहा| "आप उठ कर गए तो मुझे लगा आप मुझे छोड़के जा रहे हो!|" ये कहते हुए उसकी आँखें नम हो गई|


"जान मैं तो बस ये लेने गया था|" ये कहते हुए मैंने उसे कंडोम दिखाया| पहले तो ऋतू को समझ ही नहीं आया की मेरे हाथ में आखिर है क्या फिर जब उसने डिब्बे पे लिखा पढ़ा तो  वो नाराज होते हुए बोली; "नहीं! आप इसे यूज़ नहीं करोगे! ये हमारा.... पहलीबार है.... और मुझे फील करना है....सब कुछ! मैं बाद में गर्भनिरोधक गोली ले लूँगी|" ये कहते हुए उसने मेरे हाथ से कंडोम का डिब्बा छीन लिया और दूर फेंक दिया| मैंने आगे उससे बहस करना ठीक नहीं समझा उल्टा मैं फिर से ऋतू के ऊपर आ गया और ऋतू की नाभि पर अपने होंठ रखे और ऋतू के मुँह से फिर से "सससस...'' आवाज निकली| अगला चुम्बन मैंने ऋतू की गुलाबी बुर की फाँकों पर किया तो उसके पूरे जिस्म में करंट दौड़ गया और उसके मुँह से फिर से सीत्कार फूट पड़ी| मैंने अपनी जीभ से ऋतू की बुर की फाँकों को कुरेदना शुरू कर दिया| ऐसा लगा मानो जीभ की नोक अपने लिए अंदर जाने का रास्ता बना रही हो| पर बुर के गुलाबी होंठ खुल ही नहीं रहे थे, तो मैंने जितना हो सके उतना मुँह खोला और ऋतू की बुर के ऊपर रख दिया| अपनी जीभ से मैंने फाँकों को जोर से कुरेदना शुरू कर दिया| आखिर फाँकों को मुझ पर तरस आ गया और अंगड़ाई लेते हुए मुझे बुर का छेद दिखाई दिया| बस फिर क्या था मैंने उस अध्खुली फाँक को अपने मुँह में भर के मैं यूज़ चूसने लगा| इधर ऋतू पर इसका बहुत मादक असर हुआ और उसके मुँह से बस सिसकारियाँ ही सिसकारियाँ फूटने लगी....."स्स्सस्स्स्स...स्स्सस्स्स्स.... ससससस आए ससससस हहहह स्स्सस्स्स्स!!!" ऋतू की सिसकारियाँ मेरे लिए प्रोत्साहन का काम कर रही थी और मैंने अपनी पूरी जीभ से बुर के द्वार को चाटना...चूसना...कुरेदना...शुरू कर दिया| ऋतू के दोनों हाथ मेरे सर के ऊपर थे और वो मेरे बालों में अपने हाथ फिराने लगी| अब मैंने अपने दोनों हाथ की उँगलियों से ऋतू के बुर के द्वार को खोला और अपनी जीभ जितनी हो सके उतनी अंदर डाल दी| जैसे ही जीभ अंदर घुसी ऋतू चिहुँक पड़ी; "सीईई ...!!!!" मैंने अपनी जीभ से ऋतू की बुर चुदाई शुरू कर दी और मेरे इस प्रहार से उसकी हालत ख़राब होने लगी थी| वो बार-बार मेरे सर का दबाव अपनी बुर पर बढ़ाती जा रही थी| "सससससस...ीसीसीसीसीसिस..... सीईई..... सीईई.... ईईई .... आआह्ह्हह्ह्ह्ह!!!" करते हुए वो झाड़ गई और हाँफते हुए निढाल हो कर रह गई| उसका सारा रस मैंने अपनी जीभ से चाट-चाट कर पी लिया था! आखिर मैं भी उसके ऊपर से उठ कर उसकी बगल में लेट गया| पिछले पाँच मिनट से मुँह खोल कर ऋतू की बुर चाटने से मुँह दर्द करने लगा था| 

दो मिनट बाद जब ऋतू की सांसें नार्मल हुई तो वो करवट ले कर मेरी छाती पर अपना सर रख कर लेट गई| "जानू! आज मुझे पता चला की चरम सुख क्या होता है! थैंक यू!!!!" मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि उसे तो तृप्ति मिल गई थी पर मैं तो अभी भी प्यासा था| ऋतू शायद समझ गई तो उसका डायन हाथ मेरे लंड पर आ गया और वो उसे सहलाने लगी| अपने मुँह को खोल ऋतू ने मेरे दाएं निप्पल को मुँह में भर लिया जैसे शिकायत कर रही हो की क्यों मैंने अभी तक उसके स्तनों को प्यार नहीं किया? मैंने ऋतू के दाएं गाल को अपनी उँगलियों से सहलाया और उसके मुँह से अपने निप्पल को छुड़ाया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा; "जान......." मेरा बस इतना कहना था की वो मेरी बात समझ गई और मुझे उसके चेहरे पर डर की रेखा दिखने लगी| "डर लग रहा है?!" मैंने पूछा तो जवाब में ऋतू ने बस हाँ में सर हिला दिया| "मैं पूरी कोशिश करूँगा की मेरी जान को कम से कम दर्द हो|" सबसे पहले मैंने अपना कच्छा उतारा और ऋतू की टांगों को खोल कर उनके बीच घुटने मोड़ कर बैठ गया| मेरे  फनफनाते हुए लंड को ऋतू एक टक बांधे घूर रही थी, जैसे की सोच रही हो की ये दानव मेरी छोटी सी बुर में कैसे घुसेगा?! मैंने बहुत सारा थूक अपने लंड पर चुपेड़ा और उसे धीरे से ऋतू की बुर के होठों पर छुआया| इतने भर से ही उसने अपनी आँखें कस के भीँचलि जैसे की उसे बहुत दर्द हुआ हो! इसलिए मैं बिना लंड अंदर डाले उसके ऊपर छा गया और उसके होठों को एक बार चूमा, तब जाके उसकी आँखें खुलीं| मैं समझ गया की लंड अंदर डालने से पहले मुझे ऋतू को थोड़ा उत्तेजित करना होगा| इसलिए मैं उसके जिस्म को चूमता हुआ उसके स्तनों पर आ गया और गप्प से उसके दाएं स्तन को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ से उसके निप्पल से छडने लगा| अपने दाएं हाथ से मैंने ऋतू के बाएं स्तन को धीरे दबाना शुरू कर दिया| अपनी उँगलियों से मैं ऋतू के बाएं निप्पल को दबाने लगा और उसके दाएं निप्पल को तो मैं ऐसे चूसने लगा था जैसे उस में से दूध निकल रहा हो| पाँच मिनट की चुसाई के बाद मैंने ऋतू के बाएं स्तन को भी ऐसे ही चूसा उसके छोटे से निप्पल को मैं दांतों से खींच रहा था और बीच-बीच में काट भी रहा था| ऋतू बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और अपना हाथ नीचे ले जा कर मेरा लंड पकड़ के अपनी बुर की तरफ खींचने में लगी थी| मैंने जब उसके बाएं चुचुक को छोड़ा तो देखा उसके दोनों स्तन लाल हो चुके थे और उनपर मेरे दांतों के निशाँ साफ़ नजर आ रहे थे| मैंने और समय गँवाय बिना अपना लंड उसकी बुर के द्वार पर रखा और धीरे से अंदर धकेला| मेरे लंड की चमड़ी चूँकि अभी भी बंद थी तो लंड अंदर नहीं गया पर इससे ऋतू को दर्द बहुत हुआ और उसने अपनी सर को बायीं तरफ झटक दिया| मैंने सोचा की बिना दम लगाए तो लंड अंदर जायेगा नहीं इसलिए मैंने अपनी कमर को पीछे किया और एक झटका मार के लंड अंदर डाला| मेरी इस हकात से मेरी और ऋतू दोनों की जान पर बन आई! मेरे लंड की चमड़ी एकदम से खुली और जलन से मेरी गांड फ़ट गई और उधर ऋतू के मुँह से जोरदार चींख निकली! "आआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.....मममममअअअअअ.....!!!" दर्द से दोनों का बुरा हाल था, मन तो कर रहा था की लंड बहार निकाल के लेट जाऊँ पर ये जानता था की ागलीबार और दर्द होगा| इसलिए मैंने ऋतू के होठों को अपने मुँह में भर लिया और उसकी पीड़ा उसके गले में ही रोक दी| ऋतू ने दर्द के मारे अपने नाखून मेरी नंगी पीठ में धंसा दिए और उनमें से खून भी निकल आया| नीचे लंड में दर्द और पीठ में जलन से मैं तड़प उठा| मैं इसी तरह से ऋतू के ऊपर अपना वजन दाल आकर लेटा रहा और उसके होठों को चुस्त रहा और उसके मुँह में अपनी जीभ घूमता रहा| करीब पाँच मिनट हुए और ऋतू ने अपने नाखून मेरी पीठ से निकाल दिए और अपने हाथ वापस पलंग पर रख दिए| उसी वक़्त मुझे मेरे लंड पर गर्म पानी का एहसास हुआ, मतलब की ऋतू झाड़ चुकी थी और वो निढाल होकर बिना कुछ बोले ही बिस्तर पर लाश की तरह पड़ी थी| मैंने ऋतू के होठों को छोड़ा और ऋतू के चेहरे की तरफ देखने लगा, ऋतू की आँखें बंद थी और उसके मस्तक पर पसीने की बूँदें थी| मैंने ऋतू के गाल को चूमा और उसे पुकारा; "जान!" तो जवाब में बस उसके मुँह से "हम्म..." निकला|                                     


"बहुत दर्द हो रहा है?" मैंने उसके माथे को चूमते हुए पूछा तो जवाब में बस उसके मुँह से "हम्म" निकला और दर्द की एक लकीर चेहरे पर आ गई| मेरा दिल भी उसके दर्द को महसूस कर रहा था इसलिए मैं ऋतू के ऊपर से हटने लगा, की तभी उसने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन में डाल के हटने नहीं दिया| "जान... आपको दर्द हो रहा है! रूक जाते हैं!" मैंने चिंता जताते हुए कहा| "नहीं...." वो बस इतना ही बोल पाई और मुझे अपने ऊपर से हटने नहीं दिया| मैंने ऋतू के माथे फिर से चूम लिया और उसने अपनी गर्दन ऊँची कर के अपने होंठ मेरे सामने कर दिए जैसे कह रही हो की आप गलत जगह को चूम रहे हो| मैंने ऋतू के होठों को चूसना शरू कर दिया, इसका असर अब ऋतू पर दिखने लगा था और जिस्म में अब हरकत होने लगी थी| उसका दर्द कुछ कम होने लगा था और उसकी उँगलियाँ अब मेरे सर के बालों में घूमने लगी थी| मैंने उसके होठों को छोड़ा और ऋतू के चेहरे पर देखा तो उसने अपनी आँख खोली और उसकी आँखें मुझे नम दिखाई दे रही थी| उसकी मूक सहमति से मैंने अपने लंड को धीरे से बाहर निकाला और फिर धीरे से अंदर किया तो ऋतू की कमर कांपने लगी और उसने कस के मुझे अपने आलिंगन में जकड लिया| उसकी दोनों टांगें मेरी कमर के इर्द-गिर्द लिपट चुकी थी और उनके दबाव से ये साफ़ था की ऋतू अब भी पूरी तरह तैयार नहीं है| पर मेरा सब्र अब जवाब देने लगा था,  मेरे लंड में अब तनाव बहुत बढ़ चूका था ऊपर से चमड़ी खींचने की वजह से लंड में दर्द अभी था| मैंने फिर से ऋतू की तरफ देखा तो उसकी आँखें अब भी दर्द के मारे मीच राखी थी| "जान! प्लीज!!!!" मेरा इतना कहाँ था की उसने आँखें बंद किये हुए ही हाँ में गर्दन हिला दी| मैंने धीरे से अपनी कमर को पीछे खींचा और धीरे उसे अंदर-बहार करने लगा| ऋतू की बुर की गर्माहट बढ़ रही थी और उस गर्माहट से मेरे लंड को काफी आराम मिल रहा था| इसी तरह धीरे-धीरे करते हुए करीब दस मिनट हुए होंगे की मेरा ज्वालामुखी फूटने को तैयार था और मैं उसे बहार खींचने वाला था की ऋतू ने कस के अपने जिस्म को मेरे जिस्म से चिपका लिया और मुझे ऐसा करने नहीं दिया और हम दोनों ही साथ-साथ झड़े! झड़ते ही मैं पस्त हो कर ऋतू के ऊपर गिरा और उसका भी हाल ख़राब ही था| 
Reply


Messages In This Thread
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:46 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:36 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-13-2019, 11:43 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:28 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 06:56 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 07:51 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-16-2019, 10:35 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 11:39 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-17-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-18-2019, 05:00 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-19-2019, 07:49 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:52 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:50 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-20-2019, 07:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-21-2019, 06:15 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-22-2019, 09:21 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-22-2019, 11:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 12:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 10:13 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-24-2019, 10:26 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,451,448 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,786 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,212,055 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 916,301 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,624,286 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,057,254 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,911,213 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,925,218 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,980,522 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,226 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)