Free Sex Kahani काला इश्क़!
10-10-2019, 10:38 PM,
#14
RE: काला इश्क़!
update 10

मैं: क्या हुआ रो क्यों रही हो?

ऋतू: वो....वो....कैंटीन में.... रैगिंग .... उसने... मुझे .... डांस..... करने को.....|

मैं: (बीच में बोलते हुए) क्या नाम है उसका?

ऋतू: तोमर

बस ऋतू का इतना कहना था की मैं बाइक से उतरा और उसका हाथ पकड़ के तेजी से कैंटीन में घुसा और देखा वहाँ कुछ लड़कियां डांस कर रही हैं और सेकंड और थर्ड ईयर के बच्चे खड़े देख कर हँस रहे हैं| मैंने ऋतू का हाथ छोड़ा और भीड़ के बीचों-बीच होता हुआ सामने जा पहुँचा| 5 लड़कों का एक झुण्ड सब की रैगिंग कर रहा था और मुझे देखते ही उनमें से एक बोला; "ये लो एक और बच्चा आ गया|"

"तुम में से तोमर कौन है?" मैंने गरजते हुए कहा| ये सुन कर उनका हीरो लड़का सामने आया और बोला; "मैं हूँ बे!" उसकी आँखें पूरी लाल थी, जिसका मतलब था उसने अभी-अभी गांजा फूंका है| "इस कॉलेज में रैगिंग अलाउड नहीं है, जानता है ना तू?" मैंने उसकी आँखों में आँखें डाल के कहा| "तू कौन है बे? प्रिंसिपल का चमचा!?" ये सुनते ही मैंने एक जोरदार तमाचा उसके बाएं गाल पर रख दिया और वो मिटटी चाट गया| उसके सारे चमचे आ कर उसे उठाने लगे| जिन बच्चों की रैगिंग हो रही थी वो सब डरे-सहमे से एक तरफ खड़े हो गए और पूरी कैंटीन में शान्ति छ गई! "तेरी ये हिम्मत साले!" ये कहते हुए वो तोमर नाम का लड़का अपने होठों पर लगे खून को साफ़ करते हुए बोला और अपना मोबाइल निकाल कर अपने भाई को फ़ोन करने लगा| "भाई....भाई....एक लड़के ने... मुझे बहुत मारा...मेरा खून निकाल दिया... आप जल्दी आओ भाई!"  ये कहके उसने फ़ोन काट दिया और मुझे बोला; "रुक साले ...तू यहीं रुक.... एक बाप की औलाद है तो यहीं रुक|"

"यहीं बैठा हूँ.... बुलाले जिसे बुलाना है|" ये कह कर मैंने पास पड़ी कुर्सी उठाई और उसे उस लड़के की तरफ घुमा कर रख कर बैठ गया| तभी पीछे से ऋतू आ गई और इससे पहले वो कुछ कहे मैंने उसे इशारा कर के वापस भेज दिया|

तोमर: अच्छा ... ये तेरी बंदी है ना?! कौन से क्लास में है तू?

मैं: वो प्रिंसिपल रूम के बाहर जो दिवार है न उस पर सबसे ऊपर वाली तस्वीर मेरी है!

तोमर: वही तस्वीर तेरी कल अखबार में भी छपेगी!

मैं: आने दे तेरे भाई को फिर पता चलेगा किसकी तस्वीर छपेगी कल!

तोमर: हाँ-हाँ देख लेंगे.... और तुम लोग भी सुन लो सालों! जो कोई भी मेरे खिलाफ जाता है उसका क्या हाल होता है!

मैं: चुप-चाप बैठ जा अब! वरना दूसरे झापड़ में यहीं हग देगा!

तोमर: तेरी तो.....


इसके आगे वो कुछ कहता की उसका भाई पीछे से आ गया| मेरी पीठ अभी भी उस शक़्स की तरफ थी की तभी आवाज आई; "हाँ भई किसने पेल दिया तुझे?" ये सुन कर जैसे ही मैं पलटा तो देखा ये तो सोमू भैया हैं| उन्होंने भी देखते ही मुझे पहचान लिया और आगे बढ़ कर सीधे गले लगा लिया| "अरे मानु इतने साल बाद! कैसा है तू?" ये कहते हुए सोमू भइया मुस्कुरा कर मुझसे बात कर रहे थे और वो तोमर को भूल ही गए|

"ओ भैया? इसे क्या गले लगा रहे हो इसी ने तो मारा है मुझे!" तोमर बोला|

"अरे? तू तो पढ़ाकू लड़का था, तूने कैसे हाथ छोड़ दिया?!"

"भैया .... आपका भाई लड़कियों की रैगिंग कर रहा था, उन्हें यहाँ आइटम नंबर वाले गानों पर डांस करवा रहा था|" ये सुनते ही उनका चेहरा तमतमा गया और वो बड़ी तेजी से उसके पास गए और एक जोरदार तमाचा उसके बाएं गाल पर दे मारा| ठीक उसी समय उन्हें गांजे की महक आई तो उन्होंने उसे उठा के एक और तमाचा मारा और वो फिर नीचे जा गिरा| "हरामजादे!!! तेरी हिम्मत कैसे हुई लड़कियों की रैगिंग करने की? ये कॉलेज हमारी माँ के नाम पर है और तू उन्हीं के नाम को गन्दा कर रहा है! समझाया था ना तुझे की कॉलेज की लड़कियों का सम्मान करना, पर तू....कुत्ते! बहुत चर्बी चढ़ी है न तुझे, अभी उतारता हूँ तेरी चर्बी!" ये कहते हुए सोमू भैया ने अपनी बेल्ट निकाल ली और एक जोर दार चाप उसके कंधे पर पड़ी| मैंने भाग कर उनका हाथ पकड़ कर उन्हें रोका; "छोड़ दे मुझे मानु! इस कुत्ते ने हमारे खानदान की इज्जत पर कीचड़ उछाला है!"

"भैया...." मैंने बस इतना ही कहा था की उन्होंने अपना हाथ छुड़ाया और एक बेल्ट और चाप दी! अब मैंने जैसे तैसे उन्हें पीछे से पकड़ लिया और पीछे की तरफ खींचने लगा पर मुझे बहुत ताकत लगानी पढ़ रही थी| भैया थे ही इतने बलिष्ट! उधर तोमर जमीन पर पड़ा दर्द से करहा रहा था और उसके चमचे हाथ बांधे पीछे खड़े सब कुछ देख रहे थे| 

सोमू भैया: तेरी तो मैं जान ले लूँगा कुत्ते!

मैं: भैया.. छोड़ दो ... तमाशा मत खड़ा करो... हम बैठ कर बात करते हैं!"

सोमू भैया: कोई बात-वात नहीं करनी मुझे! छोड़ तू मुझे!

मैं: भैया मैं आपके आगे हथजोड़ के विनती कर रहा हूँ! आप घर चलो ... वहाँ आप जो चाहे इसे सजा दे देना|

तब जा कर भैया का गुस्सा कुछ काबू में आया और उन्होंने बेल्ट छोड़ दी| "तुम सब लोग सुन लो! आज के बाद यहाँ किसी ने भी रैगिंग की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा| रैगिंग करनी है तो उस फाटक वाले कॉलेज में पढ़ो,  इस कॉलेज में प्यार, मोहब्बत, आशिक़ी, नशे के लिए कोई जगह नहीं है| मानु जैसे स्टूडेंट्स ने इस कॉलेज की जो शान बनाई है वो बनी रहनी चाहिए और इस शान पर अगर किसी ने कलंक लगाने की कोशिश की तो वो जान से जायेगा!" सोमू भैया ने गरज के साथ अपना फरमान सुनाया| "....और मानु, इस कुत्ते की गलती के लिए मैं तुझसे हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगता हूँ|" ये कहते हुए भैया ने हाथ जोड़े तो मैंने उनके हाथ पकड़ लिए; "ये क्या कर रहे हो भैया? लड़का भटक गया है, आप इस समझाओगे तो समझ जायेगा|"

"सुना तूने कुत्ते! चल माफ़ी माँग मानु से|" भैया ने गरजते हुए तोमर से कहा| वो बेचारा रोता हुआ खड़ा हुआ और हाथ जोड़ के माफ़ी मांगने लगा तो मैंने भी उसे माफ़ कर दिया| "आज के बाद तूने किसी को भी परेशान किया ना तो देख फिर! और आप सभी को भी बता दूँ, इसका नाम राकेश है और आज के बाद आप में से किसी भी स्टूडेंट को इससे डरने की जर्रूरत नहीं है, कोई भी इसे तोमर नहीं कहेगा| साले कुत्ते! हमारी जात का नाम ले कर ऐसे डरा रखा है जैसे की कोई तोप हो! घर चल तू अब, जरा पिताजी को भी पता चले तेरे खौफ के बारे में|" ये कहते हुए भैया ने उसके पिछवाड़े पर लात मारी और वो बेचारा शर्म के मारे सर झुका कर निकल लिया| भैया से कुछ बातें हुई और फिर हम दोनों गेट पर पहुँचे, पीछे पीछे ऋतू भी आ रही थी तो भैया ने उससे पूछा: "हाँ भई तुम क्यों हमारे पीछे आ रही हो? कुछ काम है क्या मुझसे?"

"जी....वो....." इतना कहते हुए ऋतू ने मेरी तरफ इशारा कर दिया और ये सुनके भैया हँसते हुए बोले; "अच्छा जी... तो यही हैं जिनकी वजह से तुम ने राकेश को पेल दिया|"

"भैया वो...."

"अरे छोडो भाई! हम सब समझ गए!" ये कहते हुए वो मुझे छेड़ने लगे| "चलो बढ़िया है! खुश रहो!" इतना कह कर भैया अपनी गाडी में बैठ के निकल गए|     


उनके जाते ही डरी-सहमी सी ऋतू मेरे सीने से लग गई और रोने लगी| उस ने आज पहली बार ऐसा कुछ देखा था जो उसके लिए पूरी तरह नया अनुभव था| मैंने उसे पुचकार के चुप कराया और उसके माथे को चूमा तो वो कुछ शांत हुई| फिर उसे बाइक पर बिठा कर हॉस्टल छोड़ा और कल की मुलाक़ात का समय भी तय हुआ और इसी तरह रोज़ कॉलेज के बाद एक घंटे के लिए मिलना, घूमना-फिरना, प्यार भरी बातें करना... ऐसे करते हुए दिन बीते.. बस मेरे लिए ऑफिस और पर्सनल लाइफ को बैलेंस करना मुश्किल हो रहा था जिसका पता मैंने ऋतू को कभी चलने नहीं दिया.... और फिर वो दिन आया जब ऋतू का जन्मदिन था|

मैंने आज पूरे दिन की छुट्टी ले रखी थी, ऋतू को भी मैंने बता दिया था की वो आज आधे दिन के बाद बंक मार के मेरे साथ चले| सबसे पहले तो मैं उसे एक अच्छी सी रोमांटिक मूवी दिखाने ले गया और फिर उसके बाद उसे आज पहली बार अपने घर पर लाया| कमरे में दाखिल होते ही वो कमरे की सजावट देख कर दंग रह गई| फ्रिज से केक निकाल के जब मैंने रखा तो उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसूं छलक आये| केक पर लगी मोमबत्ती बुझा कर सबसे पहला टुकड़ा उसने मुझे खिलाया और फिर वही आधे टुकड़ा मैंने ऋतू को खिला दिया| मैंने उसे कस के अपने सीने से लगा लिया पर अगले ही पल वो मुझसे थोड़ा दूर हुई और नीचे जमीन की तरफ देखने लगी| फिर मेरी आँखों में देखा और अपने पंजों पर खड़ी हो कर मेरे होठों को चूम लिया| मैं उसके इस अचानक हुए हमले से थोड़ा हैरान था, जो उसने साफ़ पढ़ ली और शर्म से सर झुका लिया| पर आज मैं अपनी जान को कैसे नाराज करता सो मैं आगे बढ़ा और ऋतू के चेहरे को अपने दोनों हाथों में थामा और उसे गुलाबी होठों को चूमा| मेरे स्पर्श से ऋतू के जिस्म में हलचल शुरू हो चुकी थी और उसने अपने दोनों होठों को मेरे हाथों पर रख दिया| इधर मैंने अपने होठों को थोड़ा खोला और ऋतू के निचले होंठ को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा| ५ सेकंड के बाद मैंने ऐसा ही उसके ऊपर वाले होंठ के साथ भी किया| ऋतू ने कभी ऐसा चुम्बन महसूस नहीं किया था इसलिए वो मदहोश होने लगी थी, उसका जिस्म हल्का होने लगा था और उसके जिस्म का वजन मुझ पर आने लगा था| इधर मैं बारी-बारी उसके दोनों होठों को चूसने में लगा था की तभी मेरे लंड में तनाव आने लगा और दिमाग ने जैसे बहुत तेज करंट मुझे मारा और मैंने ऋतू को खुद से अलग किया| हम दोनों की सांसें भारी हो चली थी और मेरे तन और दिमाग में जंग छिड़ चुकी थी| तन सम्भोग चाहता था और दिमाग उसके परिणाम से डरता था| ऋतू को आ रहे आनंद में जैसे ही विघ्न पड़ा उसने अपनी आँखें खोली और फिर मेरी तरफ हैरानी से देखने लगी की भला क्यों मैंने ये चुंबन तोडा?! पर उसके ऊपर जैसे कुछ फर्क पड़ा ही नहीं| इसलिए वो धीरे-धीरे कदमों से मेरे पास आई और मैं धीरे-धीरे पीछे हटने लगा और पलंग पर जा बैठा| वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई और फिर घुटने मोड़ के नीचे बैठ गई और मेरे चेहरे को अपने हाथ में थामा और फिर से अपने गुलाबी होंठ मेरे होठों पर रखे और मेरे नीचले होंठ को अपने मुँह में भर के चूस ने लगी| ऋतू मेरे कश्मक़श को समझ नहीं रही थी और बस मेरे होठों को बारी-बारी से चूस रही थी| इधर मेरा काबू भी खुद के ऊपर से छूटने लगा था और हाथ अपने आप ही उठ के उसके दोनों गालों पर आ चुके थे, मेरी जीभ भी अब कोतुहल करने को तैयार थी| जैसे ही ऋतू ने मेरे ऊपर के होंठ को छोड़ के नीचले होंठ को पकड़ने के लिए अपना मुँह खोला मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में सरका दी और मैं ये महसूस कर के हैरान था की उसने तुरंत ही मेरी जीभ को मुँह में भर के चूसना शुरू कर दिया| अब तो मेरी हालत ख़राब हो चुकी थी, लंड कस के खड़ा हो चूका था और पैंट में तम्बू बना चूका था| हाथ नीचे आ कर ऋतू के वक्ष को छूना चाहते थे पर अभी भी दिमाग में थोड़ी ताक़त थी इसलिए उसने हाथों को नीचे सरकने नहीं दिया|

इधर ऋतू को तो जैसे मेरी जीभ इतनी पसंद आ रही थी की वो उसे छोड़ ही नहीं रही थी और सांसें रोक कर उसे चूस-चूस के निचोड़ना चाहती थी| ऋतू के हाथ भी हरकत करने लगे थे और उस ने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए थे| बस तीन ही बटन खुले थे की मैंने उसके हाथों को रोक दिया, तभी ऋतू ने मेरी जीभ की चुसाई छोड़ी और अपनी जीभ मेरे मुँह में सरका दी तो मैंने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया| इधर ऋतू के हाथों ने फिर से मेरी कमीज के बटन खोलना शुरू कर दिया था और मेरे हाथों ने उसके चेहरे को थामा हुआ था| अब लंड की हालत यूँ थी की वो पैंट फाड़ के बाहर आने को मचल रहा था और दिमाग में फिर से घंटी बजने लगी थी की कहीं कुछ हो ना जाए! मैंने ऋतू की जीभ को चूसना बंद किया और इससे पहले की मैं कुछ कहूं उसने पुनः अपने होठों से मेरे निचले होंठ को अपने मुँह की गिरफ्त में ले लिया| जैसे-तैसे कर के मैंने इस चुंबन को तोडा और ऋतू के होठों पर ऊँगली रखते हुए कहा; "बस! बाकी...शादी के बाद!" ये सुन के वो ऐसे मुँह बनाने लगी जैसे किसी छोटे बच्चे के हाथ से लॉलीपॉप छीन ली हो! "awwww मेरा छोटा बच्चा|" ये कह के मैंने उसे गले लगा लिया और फिर खाने ले लिए कुछ आर्डर किया| मैं बाथरूम में घुसा ताकि अपने लंड मियां को शांत कर लूँ, कहीं ऋतू देख लेती तो पता नहीं क्या सोचती?!
दस मिनट में मैं उसे शांत कर के और मुँह धो कर बहार लौटा तो देखा ऋतू पलंग पर बैठी है| उसकी पीठ दिवार से लगी थी और दोनों पाँव पलंग पर सीधे थे| उसने अपनी दोनों बाहें खोल के मुझे पलंग पर बुलाया| मैं उसके गले लगने के बजाये उसकी गोद में सर रख कर लेट गया| ऋतू के उँगलियाँ मेरे बालों में चलने लगी;

ऋतू: ये बर्थडे अब तक का Best बर्थडे था| थैंक यू जानू!

मैं: हम्म...

ऋतू: एक और थैंक यू आपको!

मैं: एक और? किस लिए?

ऋतू: Kiss करना सिखाने के लिए| (ये कह के ऋतू हँसने लगी|) वैसे आप तो काफी expert निकले? और कितनी बार कर चुके हो?

मैं: पागल फर्स्ट टाइम था!

ऋतू: अच्छा? इतना परफेक्ट कैसे?     

मैं: वीडियो देख-देख के सीख गया|

ऋतू: अच्छा? मुझे भी दिखाओ!

मैं: नहीं... उसमें 'और' भी कुछ है! 'वो सब' अभी नहीं!

ऋतू: स्कूल और कॉलेज में बहुत सी लड़कियां हैं जिन्होंने 'वो सब' कर रखा है और वो सब मज़े ले कर सुनाती हैं|  इसलिए theory तो मुझे अच्छे से पता है|

मैं: अच्छा? चलो प्रैक्टिकल शादी के बाद कर लेना?

ऋतू: इतना इंतजार करना पड़ेगा? आप भी ना?! आप की उम्र के लड़के तो लड़कियों के पीछे पड़े रहते हैं इन सब के लिए और एक आप हो की.....

मैं: अब कुछ तो फर्क होगा न मुझ में और बाकियों में, वरना तुम मुझिसे प्यार क्यों करती?

ऋतू: आपका मन नहीं करता?

मैं: करता है.... पर जिम्मेदारियां भी हैं! घर से भागना आसान काम नहीं है!

ऋतू: हम प्रोटेक्शन इस्तेमाल करते हैं|

मैं: तुम सच में चाहती हो की पहली बार में मैं कॉन्डम इस्तेमाल करूँ?

ऋतू: नहीं....(कुछ सोचते हुए) मैं गर्भनिरोधक गोली ले लूँगी|

मैं: ऐसा कुछ नहीं करना ... थोड़ा सब्र करो! (मैंने थोड़ा डाँटते हुए कहा|)

ऋतू: सॉरी! पर आप वीडियो तो दिखा दो ना प्लीज? देखने से तो कुछ नहीं होगा|

मैं: तुम बहुत जिद्दी हो! ये लो...

ये कहते हुए मैंने उसे अपने फ़ोन में राखी एक ब्लू-फिल्म लगा के दे दी और तभी दरवाजे पर दस्तक हुई| खाना आ चूका था तो मैंने खाना लिया और ऋतू के हाथ से फ़ोन छीन लिया और कहा; "पहले खाना ... बाद में देख ना|" ये कहते हुए मैंने उसे पहली बार पिज़्ज़ा दिखाया और बताया की ये है क्या| ऋतू को पिज़्ज़ा बहुत पसंद आया और हम दोनों ने खाना खाया और वापस पलंग पर बैठ गए पर इस बार ऋतू ने अपना सर मेरी गोद में रखा था और वो वही ब्लू-फिल्म देखने लगी| ब्लू-फिल्म से उसके जिस्म का तो पता नहीं पर मेरे लंड में हरकत होने लगी थी| वो तन के खड़ा होना चाहता था पर ऋतू का सर ठीक उसी के ऊपर था, मैंने थोड़ा हिलना चाहा की मैं उसका सर हटा दूँ पर वो ये सब समझ चुकी थी और उसने कुछ इस कदर करवट ले ली अब उसका बायां गाल  ठीक मेरे लंड के ऊपर थे| वो मुझ से कुछ नहीं बोली बस बड़ी गौर से ब्लू-फिल्म देखती रही| इधर लंड मियां बगावत पर उत्तर आये और अपने आप ही पैंट के ऊपर से ऋतू के गाल पर थाप देने लगे जिसे ऋतू ने शायद महसूस भी किया| अब मैंने उठ के खड़े होने की कोशिश की तो ऋतू ने वीडियो रोक दी और हँसते हुए कहा; "अच्छा बाबा! अब तंग नहीं करुँगी!" मतलब वो मेरे लंड को साफ़ महसूस कर रही थी और जान बुझ कर मेरे साथ ऐसा कर रही थी| "तू बदमाश हो गई है|" ये कहते हुए मैंने उसके गाल पर हलकी सी थपकी लगाईं| मैं वापस दिवार से पीठ लगा कर बैठ गया और उसने भी अपना सर अब मेरे सीने से टिका लिया और वीडियो देखने लगी| चुदाई का सीन शुरू हुआ ही था की ऋतू का हाथ मेरे लंड पर आगया और ऐसा लगा जैसे वो नाप के देख रही हो के मेरा लंड उस आदमी के लंड के मुकाबले कितना बड़ा है| मैंने धीरे से उसका हाथ अपने लंड से हटा दिया और वापस उसका हाथ अपनी छाती पर रख दिया| 30 मिनट की वीडियो को उसने बिना काटे देखा और उसका जिस्म पूरा गर्म हो चूका था" उसने वीडियो पूरी होते ही फ़ोन रखा और खड़ी हो गई और मेरा हाथ पकड़ के मुझे खींच के लेटने को कहा और फिर खुद मेरी बगल में लेट गई| अपने दाएं हाथ को मेरे गाल पर रखा और मुझे Kiss करने लगी| शुरू-शुरू में मैंने भी उसकी Kiss का जवाब बहुत अच्छे से दिया पर जब लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने उसे रोक दिया; "बस जान!" और फिर घडी देखि तो सवा पांच बजे थे| "कुछ देर और रुक जाते हैं ना?" ऋतू ने मेरा हाथ पकड़ के मुझे उठने से रोकते हुए कहा| "आने-जाने में 1 घंटा लगेगा, फिर हॉस्टल में क्या बोलोगी?" मैंने तुरंत अपने कपड़े ठीक किये पर ऋतू का तो जैसे जाने का मन ही नहीं था| "कल भी बंक मारूँ?" उसने खुश होते हुए कहा|


"दिमाग ख़राब है? यही सब करने के लिए यहाँ आई थी? फर्स्ट सेमेस्टर में फ़ैल हो गई तो घर वाले फिर घर पर बिठा देंगे| समझी? कॉलेज पढ़ने के लिए होता है समय बर्बाद करने के लिए नहीं और आज के बाद कभी मुझे बिना बताये बंक मारा ना तो सोच लेना!" मैंने ऋतू को थोड़ा झाड़ते हुए कहा| डाँट सुन के उसका सर झुक गया; "पढ़ाई के मामले में कोई मस्ती नहीं! समझी?" उसने हाँ में सर हिलाया और फिर मैंने उसकी ठुड्डी पकड़ के ऊँची की और उसके होठों को चूमा| तब जा के वो फिर से खुश हो गई और अपने कपडे ठीक किये और मुँह हाथ धो के हम घर से निकले और मैंने ऋतू को हॉस्टल छोड़ा| ऋतू को मैं कभी भी कॉलेज के गेट से पिकअप  नहीं करता था बल्कि चौक पर बत्ती के पास मेरी बाइक हमेशा खड़ी होती थी और हॉस्टल भी मैं उसे कुछ दूरी पर छोड़ता था ताकि कोई भी हमें एक साथ न देखे|  खेर ऋतू बाइक से तो उत्तर गई पर उस का हॉस्टल जाने का मन कतई नहीं था इसलिए उसे खुश करने के लिए मैंने अपने बैकपैक से उसके लिए एक गिफ्ट निकाला और उसे दे दिया| गिफ्ट देख कर वो खुश हो गई, गिफ्ट में एक फ़ोन था और एक सिम-कार्ड भी| वो ख़ुशी से उछलने लगी और अचानक से मेरे गले लग गई और थैंक यू कहते हुए उसकी जुबान नहीं तक रही थी| "इसका पता किसी को भी नहीं चलना चाहिए? न कॉलेज में न हॉस्टल में?" मैंने उसे थोड़ा सख्त लहजे में कहा और जवाब में उसने हाँ में सार हिलाया पर उसके चेहरे की ख़ुशी अब भी कायम थी| जाने से पहले उसने अचानक से मेरे होठों को चूमा और फिर हॉस्टल की तरफ भगति हुई घुस गई, मैंने भी बाइक घुमाई और ऑफिस आ गया और काम करने लगा| ये मेरा रोज का काम था की शाम को जल्दी ऋतू को मिलने पहुँचो और ऋतू को हॉस्टल छोड़ के ऑफिस देर तक बैठो और फिर देर रात घर पहुँचो और बिना खाये-पीये सो जाओ! बॉस इसलिए कुछ नहीं कहता था की उसे काम कम्पलीट मिलता था पर मेरी कई बार रेल लग जाती थी!
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:46 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:36 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-13-2019, 11:43 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:28 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 06:56 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 07:51 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-16-2019, 10:35 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 11:39 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-17-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-18-2019, 05:00 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-19-2019, 07:49 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:52 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:50 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-20-2019, 07:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-21-2019, 06:15 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-22-2019, 09:21 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-22-2019, 11:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 12:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 10:13 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-24-2019, 10:26 PM

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