Free Sex Kahani काला इश्क़!
10-10-2019, 06:33 PM,
#11
RE: काला इश्क़!
update 7

महीने बीते और उसके बारहवीं के रिजल्ट का समय आ गया| उसके रिजल्ट से एक दिन पहले मैं रात को घर पहुँच गया| वो मुझे देख के बहुत खुश हुई और मुझे गले लगना चाहा पर मैंने उसे इशारे से मन कर दिया और फिर मैं अपने कमरे में सामान रख के नीचे आ गया| आज रात तो उसने जबरदस्त खाना बनाया जिसे खा के आत्मा तृप्त हो गई| अब चूँकि घरवाले सामने थे तो हम दोनों ने ज्यादा बात नहीं की और मैं पिताजी और ताऊ जी के साथ ही बैठा रहा| घर में सब जानते थे की कल रितिका का रिजल्ट है पर कोई भी उत्साहित या चिंतित नहीं था| उन्हें तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था| जब सोने का समय हुआ तो मैं अपने कमरे में आकर लेट गया और दरवाजा बंद कर लिया| रात के दस बजे होंगे की मेरे दरवाजे पर एक बहुत हलकी सी दस्तक हुई! मैं जानता था ये दस्तक किसकी है इसलिए मैंने उठ के दरवाजा खोला और सामने रितिका ही खड़ी थी| मैं वापस आ के अपने पलंग पर बैठ गया और वो उसी दरवाजे पर खड़ी रही| घर में अभी भी सभी जाग रहे थे इसलिए वो अंदर नहीं आई थी| "तो मैडम जी! कल रिजल्ट है?! क्या चल रहा है मन में? डर लग रहा है की नहीं?" मैंने उसे छेड़ते हुए पुछा| "डर? बिलकुल नहीं! मैं तो बस ये सोच रही हूँ की मेरे पास होने पर आप मुझे क्या दोगे?" उसने पूरे आत्मविश्वास से कहा| "क्या चाहिए तुझे?" मैंने उत्सुकता से पुछा| "पहले वादा करो की आप मना नहीं करोगे?" उसका जवाब सुन मैं सोच में पड़ गया, क्योंकि मैं जानता था की वो Kiss की ख्वाइश करेगी जो मैं पूरा नहीं कर सकता| अगर वो मुझसे पैसे मांगती, कपडे मांगती, या कुछ भी मांगती तो मैं उसे मन नहीं करता| मुझे चुप देख के शायद वो समझ गई की मैं क्या सोच रहा हूँ|

रितिका: क्या सोच रहे हो?

मैं: जानता हूँ की तू क्या माँगने वाली है और मैं वो नहीं दे सकता| (मैंने थोड़े रूखेपन से जवाब दिया|)

रितिका: अच्छा? ठीक है! अभी नहीं बाद में दे देना! अब तो ठीक है?

मैं: समय लगेगा|

रितिका: हम इंतज़ार करेंगे... हम इंतज़ार करेंगे...क़यामत तक

खुदा करे कि क़यामत हो, और तू आए

हम इंतज़ार करेंगे ...


न देंगे हम तुझे इलज़ाम बेवफ़ाई का

मगर गिला तो करेंगे तेरी जुदाई का

तेरे खिलाफ़ शिकायत हो और तू आए

खुदा करे के कयामत हो, और तू आए

हम इंतज़ार करेंगे ...


ये ज़िंदगी तेरे कदमों में डाल जाएंगे

तुझी को तेरी अमानत सम्भाल जाएंगे

हमारा आलम-ए-रुखसत हो और तू आए...


बुझी-बुझी सी नज़र में तेरी तलाश लिये

भटकते फिरते हैं हम आज अपनी लाश लिये

यही ज़ुनून यही वहशत हो और तू आए| 
(इतना कह के वो जाने लगी तो मैंने भी उसके गाने को पूरा कर दिया|)


मैं: ये इंतज़ार भी एक इम्तिहां होता है

इसीसे इश्क़ का शोला जवां होता है

ये इंतज़ार सलामत हो

ये इंतज़ार सलामत हो और तू आए

ख़ुदा करे कि क़यामत हो, और तू आए

हम इंतज़ार करेंगे... (ये सुन के वो पलटी और आगे की पंक्तियाँ गाने लगी|)


रितिका: बिछाए शौक़ से, ख़ुद बेवफ़ा की राहों में

खड़े हैं दीप की हसरत लिए निगाहों में

क़बूल-ए-दिल की इबादत हो

क़बूल-ए-दिल की इबादत हो और तू आए

ख़ुदा करे कि क़यामत हो, और तू आए

हम इंतज़ार करेंगे...


मैं: वो ख़ुशनसीब है जिसको तू इंतख़ाब करे

ख़ुदा हमारी.... (इतना कहते हुए मैं रुक गया क्योंकि आगे के शब्द मैं बोलना नहीं चाहता था| पर रितिका ने उन अधूरी पंक्तियों को खुद पूरा किया|)


रितिका: …. ... मोहब्बत को क़ामयाब करे

जवां सितारा-ए-क़िस्मत हो

जवां सितारा-ए-क़िस्मत हो और तू आए


ख़ुदा करे कि क़यामत हो, और तू आए

हम इंतज़ार करेंगे|  

गाना पूरा कर के वो मुस्कुराई और पलट के चली गई| मैं जानता था की रितिका को गाना गुन-गुनाना बहुत अच्छा लगता था| जब हम छोटे थे तब हम दोनों अक्सर अंताक्षरी खेलते थे और वो सभी गानों को पूरा गाय करती थी और मैं कभी उसका साथ देता और कभी=कभी उसका गाना सुनता रहता था| खेर रात में हम दोनों चैन से सोये और जब मैं सुबह उठा तो रितिका पहले से ही तैयार खड़ी थी और नीचे आंगन में मेरा इंतजार कर रही थी| मुझे देखते ही वो इशारे से कहने लगी की आप लेट हो गए हो! मैंने भी ऊपर खड़े-खड़े ही अपने कान पकडे और उसे Sorry कहा और तुरंत नीचे आ कर नाहा-धो के तैयार हो गया और फिर हम दोनों ही नाश्ता कर के बाइक पर बैठ के निकल गए| हम साइबर कैफे पहुंचे तो आज वहाँ और भी ज्यादा भीड़ लगी थी| मैंने रितिका का हाथ पकड़ा और भीड़ के बीचों-बीच से होता हुआ अंदर जा पहुँचा और फ़टाफ़ट रितिका का रोल नंबर डाल के उसके रिजल्ट के लोड होने का वेट करने लगा| जैसे-जैसे पेज लोड हो रहा था दोनों की धड़कनें तेज हो चली थीं| आखिर जब पेज पूरा लोड हुआ तो उसके नंबर देख दोनों की आँखों में खुशियाँ उमड़ चुकी थीं| 98.5%  देख के वो ख़ुशी से चिल्ला पड़ी और मेरे गले लग गई| वहाँ खड़े सब हमें ही देख रहे थे और जब उन्होंने देखा की उसके 98.5% आये हैं तो वहां भी हल्ला मच गया! वहाँ आये की माता-पिता उसे बधाइयाँ देने लगे और वो सब को धन्यवाद करने लगी| आज रितिका के मुख पर बहुत ख़ुशी थी| पहले मैंने उसे अच्छा सा नाश्ता कराया और फिर मिठाई ली और हम घर की तरफ चल दिए| घर आते-आते थोड़ी देर हो गई| करीब बारह बजे होंगे की जैसे ही हम घर के नजदीक पहुंचे तो वहाँ बहुत सी गाड़ियाँ खड़ी थी| दो लाल बत्ती वाली और बाकी डिश एंटेना वाली| मैंने बाइक खड़ी कर के रितिका की तरफ देखा तो वो हैरान थी; "लो भाई ... अब तो तुम सेलिब्रिटी हो गई हो!" मैंने ऐसा कह के उसे छेड़ा और शर्म से रितिका के गाल लाल हो गए और उसने अपना सर झुका लिया| जब हम घर के दरवाजे के पास पहुंचे तो वहाँ गाँव के सभी लोग खड़े अंदर झाँक रहे थे| हम दोनों को देखते ही सब हमें अंदर जाने के लिए जगह देने लगे और हमारे कदम अंदर पड़ते ही ताऊ जी ने हँसते हुए हम दोनों को गले लगने के लिए बुलाया| तब जा के पता चला वहाँ तो मीडिया वालों का जमावड़ा लगा था, आखिर रितिका पूरे प्रदेश में प्रथम आई थी! आज तो ताऊ जी समेत सब ने उसे बहुत प्यार किया और सब उसे मुबारकबाद और आशीर्वाद दे चुके तब मंत्री जी आगे आये| उस ने भी आगे आते हुए रितिका को आशीर्वाद दिया और फिर उसके बाद कैमरे की तरफ देख के लम्बा-चौड़ा भाषण दिया की कैसे हमें लड़कियों को आगे पढ़ाना चाहिए और वो ही इस देश का भविष्य हैं! ये सुन के तो मैं भी दंग था क्योंकि ये वही शक़्स था जिसने रितिका की माँ और उसके प्रेमी को पेड़ से बाँध के जिन्दा जलाने का फरमान सुनाया था| पर रितिका अभी ये बात नहीं जानती थी की उसकी माँ का कातिल ही उसे आशीर्वाद दे रहा है| जैसे ही मंत्री जी का भाषण खत्म हुआ सब ने तालियाँ बजा दी और फिर रिपोर्टर ने हेडमास्टर साहब से भी रितिका की इस उपलब्धि के बारे में पुछा तो वो कहने लगे; "अरे भाई मैं क्या कहूँ! मुझे तो गर्व है की मैं ऐसे स्कूल का हेडमास्टर हूँ जहाँ मानु और रितिका जैसे विद्यार्थी पड़ते हैं! पहले मानु ने प्रदेश में टॉप किया था और अब देखो उसकी भतीजी ने भी पूरे प्रदेश में टॉप किया|" ये सुन के सारे रिपोर्टर और कैमरा मैन मेरी तरफ घूम गए| "तो बताइये मानु जी पहले आपने टॉप मारा और अब आपकी भतीजी ने भी पूरे प्रदेश में टॉप किया है,आपको कैसा लग रहा है?" एक रिपोर्टर ने पुछा| मेरे कुछ कहने से पहले ही ताऊ जी बोल पड़े; "जी हमारे घर के दोनों बच्चे ही बहुत समझदार है और दिल लगा के पढ़ते हैं|"


"तो आगे आप रितिका को कॉलेज पढ़ने भेजेंगे?" एक रिपोर्टर ने उनसे सवाल पुछा| पर उसका जवाब मंत्री जी ने खुद दिया; "इसमें पूछने की क्या बात है? शहर के कॉलेज में बच्ची का दाखिला होगा और आप देखना ये वहाँ भी टॉप ही करेगी!" ये सुन के तो रितिका बहुत खुश हुई और उसके चेहरे से उसकी ख़ुशी साफ झलक रही थी|                                       

       मंत्री की बात सुन सभी चमचे ताली बजाने लगे और उनकी जय-जयकार शुरू हो गई| खेर ये ड्रामा दो घंटों तक चला और शाम होने तक सभी चले गए और घर में जितने भी लोग थे सब आज टी.वी. में आने से बहुत खुश थे| रात के खाने के समय ताऊ जी ने रितिका को सभी मर्दों के सामने बिठा दिया और मेरी तरफ देख के सवाल किया;

ताऊ जी: हाँ भाई मानु तू बता, ये कॉलेज कहाँ है और कितनी दूर है?

मैं: जी शहर में दो ही कॉलेज हैं| एक रेलवे फाटक के पास है और एक वो जिसमें मैंने पढ़ाई की थी| फाटक वाले के पास कोई हॉस्टल नहीं है तो सबसे उत्तम मेरा वाला कॉलेज ही रहेगा| बल्कि मेरी ही कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की की माँ एक लड़कियों का हॉस्टल चलती हैं जो की कॉलेज से करीब १० मिनट की दूरी पर है| हॉस्टल में रहना-खाना और एक पुस्तकालय भी है| (मैंने उन्हें सारी डिटेल बताई|)

ताऊ जी: वो तो ठीक है ... पर ... वहाँ अगर ये इधर-उधर कहीं चली गई तो?

मैं: जी हॉस्टल के कानून सख्त होते हैं| शाम को 7 बजे के बाद वो किसी को भी बहार जाने नहीं देते, खाने का समय भी निर्धारित है और कहीं भी जाने से पहले वार्डन को बताना जर्रूरी होता है और अगर कोई बिना बताये कहीं आये-जाए तो उसकी खबर घरवालों को की जाती है| रहना, खाने, नहाने, कपडे धोने की सब की व्यवस्था हॉस्टल के अंदर में होती है| रितिका को सिर्फ कॉलेज जाना है और वहाँ से हॉस्टल वापस|

ताऊ जी: ठीक है परसों मैं, चन्दर  और तेरे पिताजी तुझे शहर में मिलेंगे| वहाँ जा के देखता हूँ!


उनकी बात से साफ़ था की अगर उन्हें मंत्री का डर ना होता तो वो रितिका को कतई कॉलेज पढ़ने नहीं जाने देते| इसलिए मरते क्या न करते उन्हें उनकी बात का मान तो रखना ही था| खेर खाने के बाद मैं छत पर आ गया और कान में हेडफोन्स लगा के गाना सुनते हुए टहलने लगा| रात को ठंडी-ठंडी हवा चलने के कारन छत पर टहलने में मजा आ रहा था| तभी रितिका दबे पाँव ऊपर गई और पीछे से आके उसने मुझे अपनी बाहों में जकड लिया| उसके स्पर्श से ही मैं हड़बड़ा गया पर रितिका ने अपना सर मेरी पीठ पर रख दिया पर मैं चुप-चाप खड़ा रहा| ठंडी हवा के झोंकें मेरे चेहरे पर आज बहुत अच्छे महसूस हो रहे थे| करीब 5 मिनट बाद मैंने रितिका को खुद से अलग किया और मुंडेर पर जा बैठा| इधर वो भी मुझसे थोड़ा दूर हो कर बैठी, क्योंकि घर पर हम दोनों अकेले तो नहीं थे| 

रितिका: मैं सोच रही हूँ की हम कलकत्ता भाग जाते हैं!


मैं: (उसकी बात सुन के चौंकते हुए) क्या?

रितिका: हाँ! वहाँ हमें कोई नहीं जानता!

मैं: अच्छा? और वहाँ जा के रहेंगे कहाँ? खाएंगे क्या? और करेंगे क्या?

रितिका: रहना और खाना तो मुझे नहीं पता पर करेंगे तो प्यार ही! एक नई जन्दगी की शुरुरात करेंगे| 

मैं: नई जिंदगी शुरू करना इतना आसान नहीं है| उसके लिए पैसे चाहिए! मेरे पास कुछ पैसे हैं पर उसमें हमें सर ढकने की जगह भी नहीं मिलेगी खाने और रहने की तो बात ही छोड़ दो| फिर तेरी पढ़ाई का क्या? अगर भागना ही था तो इतना पढ़ाई क्यों की?

रितिका: मेरे जीवन का लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ आपसे शादी करना है|

मैं: पागल मत बन! इतनी मेहनत की है, इसे मैं बर्बाद नहीं होने दूँगा|

रितिका: (अपना सर पीटते हुए) तो अभी और पढ़ना है? घर में आपकी शादी की बात चलने लगी है|

मैं: जानता हूँ पर तू चिंता मत कर मैं अभी शादी नहीं कर रहा|

रितिका: जबरदस्ती कर देंगे तो क्या करोगे और वैसे भी आपकी कुंडली मैं कौनसे ग्रहों की दशा ख़राब है की आपकी शादी टल जायेगी|

मैं: तो तेरी कुंडली में कौनसा ग्रहों की दशा ख़राब थी| (ये सुनते ही रितिका के पाँव तले जमीन खिसक गई|)

रितिका: तो.....वो..... (रितिका के मुँह से बोल नहीं फुट रहे थे|)

मैं: मैंने  उस लालची पंडित को पैसे खिला के झूठ बुलवाया था| तेरे स्कूल और कॉलेज का टाइम कैलकुलेट कर के ही मैंने उसे पाँच साल बोला था| (रितिका ये सुन के उठ खड़ी हुई और आके मेरे सीने से लग कर रोने लगी|)

रितिका: मैं गलत नहीं थी! आप मुझसे बहुत प्यार करते हो बस कभी जताते नहीं हो! आपने मेरे लिए इतना सब कुछ किया.....

इसके आगे मैंने उसे कुछ कहने नहीं दिया और उसे खुद से अलग किया और घडी देखते हुए ऐसे जताया की बहुत लेट हो गया है और मैं वहाँ से जाने लगा तो रितिका बोल पड़ी;       

रितिका: कहाँ जा रहे हो आप? आप ने कहा था की आप मुझे गिफ्ट दोगे?   

मैं: ऋतू ... मैंने ....

रितिका:  (मेरी बात बीच में काटते हुए) घबराओ मत मैं ऐसा कुछ नहीं माँगूँगी जो आपको देने में दिक्कत हो| ये तो बहुत आसान है आपके लिए!

मैं: अच्छा? क्या चाहिए?

रितिका: आपको याद है जब हम छोटे थे और रात को कभी अगर माँ मुझे डाँट देती तो आप कैसे मुझे अपने सीने से लगा के सुलाते थे? आज भी वैसे ही सोने का मन है मेरा!

मैं: (मुस्कुराते हुए) तब हम छोटे थे और अब.....

रितिका:  (मेरी बात बीच में काटते हुए) सारी रात ना सही तो कुछ घंटों के लिए? प्लीज! आप तो जानते हो की मुझे नींद जल्दी आ जाती है, फिर आप चले जाना! प्लीज.. प्लीज.. प्लीज.. प्लीज!!! 


उसकी बात सुनके मन नहीं हुआ की उसका दिल तोडूं इसलिए मैंने हाँ में सर हिलाया और वो ख़ुशी से उठ खड़ी हुई और भागती हुई अपने कमरे में भाग गई| करीब 10 मिनट बाद में आया तो पाय की वो कुर्सी पर बैठी दरवाजे पर टकटकी बाँधे मेरा इंतजार कर रही है| जैसे ही मैं अंदर आया वो दौड़ के दरवाजे के पास गई और चिटकनी लगाईं फिर मेरे पास आई और मेरे सीने से लग गई| उसकी साँसों की गर्माहट मुझे मेरे सीने पर महसूस हो रही थी और इधर रितिका के हाथ मेरी पूरी पीठ पर चलने लगे थे और मेरे भी हाथ स्वतः ही उसकी पीठ पर आ गए और उसकी  बैकलेस कुर्ती पर आज मुझे पहली बार उसकी नंगी पीठ का एहसास हुआ| ये एहसास इतना ठंडा था की मैं छिटक कर उससे अलग हो गया| उसकी नंगी पीठ के एहसास ने मेरे अंदर वासना की चिंगारी ना जला दे इसलिए मैं उससे छिटक कर दूर हो गया था और उससे नजरें चुराने लगा था| वो फिर भी धीरे-धीरे मेरी तरफ बढ़ी और मेरा हाथ पकड़ के अपने पलंग की तरफ ले जाने लगी और फिर वो लेट गई और मुझे धीरे से अपने पास लेटने को खींचा| मैं लेट गया पर मेरी नजरें छत पर टिकी थी की तभी रितिका ने मेरे दाएं हाथ को खींच के अपनी तरफ करवट लेटने को मजबूर किया और फिर बाएं हाथ को सीधा किया और उसे अपना तकिया बनाया और फिर वो दुबारा मेरी छाती में समां गई| फिर मेरे बाएं हाथ को उठाके उसने अपनी कमर पर रखा और अपना हाथ मेरी कमर पर रख कर खुद को मेरे सीने से समेट लिया| उसकी गर्म-गर्म सांसें मेरे दिल पर महसूस होने लगी थी, जितनी भी सख्ती मेरे दिल में थी जो मुझे उसके करीब नहीं जाने देती थी आज वो पिघलने लगी थी| मेरे मन में आज बहुत जोरों की उथल-पुथल हो रही थी! दिमाग कह रहा था की ये गलत है, तेरे साथ इस लड़की की भी जिंदगी तबह हो जाएगी! पर दिल था की वो बहकने लगा था और कह रहा था की जो होगा वो देखा जायेगा! प्यार के लिए जान भी देनी पड़ी तो कोई गम नहीं| तभी दिमाग बोला की ऋतू का क्या होगा? तेरे साथ तो वो भी मौत के घात उतार दी जाएगी! इसी जद्दोजहत के चलते मन बेचैन होने लगा की तभी रितिका ने मेरी छाती को चूमा! उसके नरम होठों के स्पर्श से ही दिल ने दिमाग पर जीत हासिल कर ली और मैंने रितिका को और कस के अपने सीने से चिपका लिया| और मेरे इस दबाव के चलते उसने भी अपनी गिरफ्त मेरे इर्द-गिर्द सख्त कर ली| कब आँख बंद हुई ये पता ही नहीं चला और जब पता चला तो घडी में पोन तीन हुए थे| मैंने धीरे से खुद को रितिका की गिरफ्त से छुड़ाया और मैं दबे पाँव उठ के उसके कमरे से अपने कमरे में आ गया| पर नींद अब उचाट हो गई थी और मन में फिर से वहीँ जंग छिड़ चुकी थी| मैं खुद को तो किस्मत के हवाले छोड़ सकता था पर ऋतू को नहीं! दिमाग और दिल दोनों ने ही एक मत बना लिया की चाहे कुछ भी हो मैं ऋतू के प्यार को अपना लूँ! मैंने दृढ निश्चय कर लिया था की मैं कैसे न कैसे उसे भगा ले जाऊँगा, कब कहाँ और कैसे इस पर मुझे अब घोर विचार करना था| सुबह पाँच बजे तक सोचते-सोचते एक जबरदस्त प्लान बना के तैयार कर लिया था, ऐसा प्लान जिसमें बाल भर भी कोई गड़बड़ नहीं थी| हर एक बात का ध्यान रखा था मैंने और अपने इस प्लान पर मुझे फक्र था| मैं इस प्लान के बारे में सोच-सोच के मुस्कुरा रहा था की तभी रितिका मेरे दरवाजे को खोल के अंदर आई और मुझे इस तरह बैठ के मुस्कुराते हुए देख कर बोली; "गुड मॉर्निंग!" उसे देखते ही मैं उठ के खड़ा हो गया और उसे गले लगाने को अपनी बाहें खोल दी| वो भी बिना कुछ बोले आके मेरे सीने से लग गई| "I Love You !!!" मैंने आँखें मूंदें हुए कहा तो वो जैसे अपने कानों पर विश्वास कर ही नहीं पाई और मुझसे थोड़ा अलग हुई और मेरे मुख पर देखने लगी की कहीं मैं उसके साथ मजाक तो नहीं कर रहा| पर उसे मेरी आँख में सचाई और उसके लिए वो प्यार नजर आया तो वो फिर से मेरे गले लग गई और बोली; "I Love You Too !!! मैं जानती थी आप मेरा प्यार एक ना एक दिन कबूल कर लोगे|" आज हम दोनों की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था पर घर की बंदिश भी थी इसलिए हम अलग हुए, पर हाथ अभी थामे हुए थे फिर मैंने जब रितिका के चेहरे पर नजर डाली तो आज उसका चेहरा दमक रहा था| 
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RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:24 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:26 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:30 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:31 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 06:46 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-10-2019, 10:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:33 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:36 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-11-2019, 05:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-13-2019, 11:43 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-14-2019, 08:59 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-14-2019, 10:28 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-15-2019, 11:56 AM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 01:14 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-15-2019, 06:12 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 06:56 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-15-2019, 07:45 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 07:51 PM
RE: काला इश्क़! - by sexstories - 10-16-2019, 10:35 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-16-2019, 11:39 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-17-2019, 10:18 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-18-2019, 05:00 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-18-2019, 05:28 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-19-2019, 07:49 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:52 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-19-2019, 07:50 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-20-2019, 07:38 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-21-2019, 06:15 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-22-2019, 09:21 PM
RE: काला इश्क़! - by Game888 - 10-22-2019, 11:29 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 12:19 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-23-2019, 10:13 PM
RE: काला इश्क़! - by kw8890 - 10-24-2019, 10:26 PM

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