Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 01:19 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
निशा शॉक्ड हो गयी ये सुनकर वो बोली मनीष मज़ाक ना करो मारूँगी बहुत मैने कहा सच मे कर रहे है आख़िर तू कब तक अपने दिल मे छुपे प्यार को दबाए रखेगी मेरी जिंदगी खराब हुई तो क्या तू भी अपनी जिंदगी खराब कर लेगी आख़िर तुझे भी हक़ है खुशियाँ पाने का निशा एमोशनल हो गई और मेरे सीने से लग गयी मैने कहा पंडित जी कर्वाओ ना शादी क्यो देर करते हो तो दोस्तो निशा की खुशियो के लिए मैने उस से शादी कर ली



बस ये थी अपनी कहानी, बाकी दिल तो आज भी बस मिता के लिए ही धड़कता है निशा भी ये बात जानती है तो बस जी रही है अपनी अपनी उलझनों को सुलझाने की क़ोस्शिस मे और भी कई छोटी-मोटी बाते थी पर लगता है कि उनका जिकर करना बेमानी ही होगा

एक तुम थी और एक मैं हूँ. तुम तो चली गयी हो इस जहाँ के पार पर मैं रह गया इधर तन्हा अकेला जानती हो मैं कितना तन्हा सा महसूस करता हूँ दिल नही लगता है कही भी वो छोटे छोटे लम्हे जो तेरे पहलू मे बिताए थे जब तेरे आँचल की छाँव मे सो जाया करता था जब तुम अपने हाथों से खाना खिलाती थी जब तुम्हारी बाहों मे मुझे पनाह मिला करती थी वो पल जब मैं अपनी सारी टेन्षन भूल कर सुकून महसूस करता था



अब मैं बैठा हूँ अकेला अपने कमरे मे थोड़ी देर पहले ही भाभी खाने की थाली रख कर गयी है पर पता नही क्यो आजकल भूख नही लगती है मैं कहूँ भी तो क्या तुमसे वैसे तोसोचा था कि इस बार जब आउन्गा तो ढेरो बाते करूँगा तुमसे अपने छोटू को गोदी मे उठा कर खिलाउन्गा पर ये ज़िंदगी भी , तुम्हे तो सब पता ही है मैं बस अब इन खाली दीवारों को देखता रहता हूँ तुम्हारी याद आती है



कभी सोचा ही नही था कि तकदीर ऐसा खेल खेलेगी मेरे साथ पहले मिता चली गयी और फिर तुम , तुम दोनो ही मेरे लिए सबसे बढ़कर थी वो मेरा प्यार थी तुम मेरी दोस्त थी और फिर अब तो मैं जी ही रहा था बस तुम्हारे सहारे , एक बार किसी ने कहा था कि इतने घर उजड़े है तूने तुझे भी कभी सुख नही मिलेगा शायद ये उसी की बद्दुआ है पर तुम तो जानती ही हो कि मैं तो बस अपना काम करता हूँ और फिर ये भगवान तो सदा ही रूठा है मुझसे



तुम्हारी मुस्कुराती हुई जो तस्वीर लगी है हाल मे, जब जब निगाह उस पर पड़ती है तो लगता है कि जैसे अभी बोल पड़ोगी तुम मेरी जान बस एक लाश की तरह होकर रह गया हूँ मैं जिसमे अभी कुछ साँसे बाकी है बस मैं तड़प रहा हूँ अंदर ही अंदर खूब कोशिश करता हूँ अपने आँसुओ को रोकने की पर आख़िर मैं भी तो एक इंसान ही तो हूँ दिल साला आज भी धड़कता है



सबकुछ मिला ज़िंदगी मे पर सबसे प्यारी चीज़ो को तो खो दिया मैने लोग कहते है कि होसला रख, कैसे रखू मैं आख़िर अब वापिस तो नही आ जाओगी तुम दिल मान ने को तैयार ही नही है कि तुम भी मुझसे बहुत दूर चली गयी हो सोचा नही था कि ऐसा होगा मेरे साथ मिता के जाने का गम तो आज तक सता रहा है और अब तुम भी साथ छोड़कर चली गयी हो अब बताओ मैं क्या करूँ दिल मे जो भावनाओ का सैलाब है कैसे रोकू उसे , तुम ही बताओ



पूरी पूरी रात आँखो मे कट जाती है, आँखे सूज गयी है कल भाभी ने डाट-दपट कर थोड़ा सा खाना खिला दिया था पर वो भी जानती है कि क्या गुजर रही है मेरे अंदर जी तो पहले ही नही लगता था इस घर मे और अब ये मनहूसियत जैसे खाने लगी है मुझे बड़ा परेशान हूँ मैं कुछ दिन पहले दिल मे खुशी थी एक चलो मैं भी पापा बन जाउन्गा , हमारा भी एक छोटा सा बच्चा हो जाएगा



जब कभी घर आया करूँगा तो उसे अपनी गोदी मे झूलाया करूँगा अपने कंधे पर उसी तरह से बिठाया करूँगा जैसे कि मेरे पापा बचपन मे मुझे बिठाते थे सोचा करता था कि जब वो अपनी तॉतली आवाज़ मे हमे बुलाया करेगा तो दिल को वो खुशी मिलेगी जो बस माता-पिता ही समझ सकते है पर शायद उस बेरहम उपरवाले को मेरी खुशी मंजूर नही थी और वैसे भी हरदम बस मेरे मज़े ही तो लेते आया है वो



टेन्षन तो मुझे उसी टाइम थी जब तुम्हारे 5वे महीने मे डॉक्टर ने तुम्हे अड्मिट कर लिया था, हर पल मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता था पर मेरी ये मजबूरिया पाँवो मे जो देश के फर्ज़ की बेड़िया पड़ी है काट ही नही पाया उन्हे काम पर भी हर पल हर लम्हा तुम्हारा ही ख़याल मेरे दिल मे रहता पिछले 4 महीने डर डर के जिए मैने डेली डॉक्टर से तुम्हारी रिपोर्ट पूछी



पर तुम तो तुम ही थी बीमार होते हुए भी मुझसे झूठ बोल देती कि नही मैं तो ठीक हूँ, पर मैं जनता था कि किस तकलीफ़ के दौर से गुजर रही हो तुम और मैं इतना मजबूर कि टाइम पर आ भी ना सका क्या कहूँ जब बच्चे को मिट्टी देने गये तो पहली बार उसको देखा छोटा सा नाज़ुक सा लगा कि जैसे अभी कुवा कुवा करता हुवा बोल पड़ेगा उसको अपने सीने से लगा कर पता नही कितनी देर तक रोया मैं पर , रोने से ना वो वापिस आ सकता था ना तुम



एक साइड मे बच्चे को मिट्टी दी और फिर तुम्हे अग्नि लकड़ियो के ढेर पर लेटी हुई तुम उतनी ही मासूम लग रही थी पर मैं जानता था कि अब तुम भी मुझसे बहुत दूर चली गयी हो , तुम भी मुझे अकेला, तन्हा छोड़ गयी सोचा था कि तुम साथ रहोगी तो तुम्हारे साथ ये बाकी बची ज़िंदगी काट लूँगा पर भगवान को ये भी नही सुहाया पर मैं उस निरदयी से पूछता हूँ कि उस मासूम बच्चे का क्या कसूर था जिसे उसे पेट मे ही मार दिया

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