Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 12:37 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
दीप्ति फुसफुसाती हुई बोली तुम शादी की टेन्षन मत लो और मुझ पर फोकस करो कहते ही उसने अपने होठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे किस करने लगी और नीचे मेरे लंड को पूरे दम से हिलाए जा रही थी दीप्ति मेरी कज़िन थी और उपर से वो डाइरेक्ट ही मुझ पर पिल पड़ी थी तो मुझे अजीब सा लग रहा था ज़बरदस्ती का सेक्स अब कॉन करना चाहे मैने दीप्ति को अपने से दूर किया और कहा कि ये ठीक नही है




वो वापिस मुझसे चिपकती हुवी बोली क्या ठीक नही है मैं प्यासी हू मेरी प्यास बुझाना तुम्हारा कर्तव्य है और फिर अपने कजिन से चुदने मे कैसी बुराई ये कह कर वो नीचे बैठी और मेरे लंड को अपने मूह मे भर लिया और चूसने लगी अब लंड ठहरा लंड वो कहा इंसानी रिश्तो को समझता है और मैं तो पहले ही रिश्तो को भूल चुका था मैने भी सोचा कि चल अब जो हो रहा है होने दे जब ये ही तैयार है तो तू भी थोड़ा मज़ा ले लेता हू




दीप्ति नीचे बैठ कर मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके बालो को सहलाने लगा 5-7 मिनिट बाद वो खड़ी हुई और मुझे किस करने लगी मैं अपना हाथ नीचे ले गया और उसकी पाजामी को नीचे सरका दिया और उसके कुल्हो पर हाथ फेरने लगा मेरे स्पर्श से दीप्ति उत्तेजित होने लगी कुछ देर की चूमा चाटी के बाद मैने उसकी टी-शर्ट को उपर करके निकाल दिया और उसकी ब्रा के उपर से ही उसके बूब्स प्रेस करने लगा



उसके मूह से सिसकारिया निकलने लगी तो मैने फुसफुसाते हुआ कहा कि ज़्यादा आवाज़ मत करो बाहर किसी ने सुन लिया तो मुश्किल हो जाएगी और उसकी ब्रा को खोल दिया उसके बोबे थोड़े छोटे साइज़ के थे तो मैं उनको चूसने लगा दीप्ति के बदन मे बिजलिया रेंगने लगी वो मेरे चेहरे को अपनी छातियो पर दबाने लगी इतना टाइम नही था कि खुल के सेक्स नही किया जा सकता था मैने कहा जल्दी से कर लेते है वो बोली हम मुझसे भी रुका नही जा रहा है



मैने उसकी कच्छि को नीचे सरकाया और चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा वहाँ पर एक भी बाल नही था और वो पूरी गीली भी थी तो मेरी उंगलियाँ फिसलने लगी मैने एक उंगली धीरे से उसकी चूत मे सरका दी और उसके होंठो को चबाने लगा दीप्ति मुझसे बुरी तरह से चिपक गयी थी और पूरा सहयोग कर रही थी फिर मैने उसको वही पर लिटा दिया और उसकी टाँगो को खोलते हुए लंड को चूत के मूह पर लगा दिया



जैसे ही सुपाडा अंदर जाने लगा दीप्ति का बदन टाइट होने लगा वो बोली दर्द हो रहा है मैने कहा पहले कभी किया नही क्या तो वो बोली किया है पर तुम्हारा बहुत मोटा है थोड़ा आराम से डालो मैने कहा इसकी मर्ज़ी है जैसे जाएगा वैसे ही जाएगा मैने दीप्ति पर अपनी पकड़ मजबूत की और एक तेज धक्का लगाते हुए लंड को उसकी चूत मे घुसाने लगा



दीप्ति मेरे शोल्डर पर काट ते हुए बोली कि आराम से डालो ना मैने कहा दो मिनिट रुक जा फिर सब सही हो गा और एक और शॉट मारते हुवी लंड को और अंदर डालने लगा दीप्ति की आँखे फैल गयी वो दर्द से कराहने लगी तो मैने उसके होंठो को अपने मूह मे भर लिया और उसके बदन को सहलाने लगा बेहद कसी हुई योनि थी उसकी थोड़े समय बाद मेरा लंड उसकी योनि मे सेट हो गया तो मैं उसकी रेल बनाने लगा



वो बोली कितना बड़ा है तुम्हारा मेरी तो आज फट ही गयी लगता है मैने कहा तू थोड़ी देर चुप रह ज़रा वो बोली मेरी पीठ पर फरश चुभ रहा है तो मैने उसको खड़ी किया और खड़े खड़े ही उसकी लेने लगा गुज़रते पलों के साथ हमारी साँसे भारी होने लगी और अंदर गर्मी भी बहुत थी तो पसीना आना शुरू हो गया था पर जब चुदाई का बुखार चढ़ा हो तो और बातों पर ध्यान कहाँ जाता है



हम दोनो एक दूसरे से लगे पड़े थे मैं उसके अंग अंग को चूमते हुवे उसको चोद रहा था फिर मैं उसकी चूची पीने लगा तो दीप्ति के तन बदन मे आग लग गयी वो लंबी लंबी साँसे लेते हुए चुदाई का मज़ा ले रही थी ना वो हर मान रही थी ना मैं अब मैने उसको पंजो के बल झुकाया और उसकी पतली कमर को थामते हुवे फिर से उसकी छोटी सी चूत मे मे लंड को उतार दिया



मैने एक हाथ उसकी गर्दन मे डाला और लगा ताबड तोड़ धक्के लगाने मे दीप्ति भी अपने कुल्हो को हिला हिला कर चुदाई मे सहयोग कर रही थी घपा घप चुदाई चल रही थी पर जिस चीज़ की शुरुआत होती है उसका अंत भी तो होता है ना कोई आधे घंटे तक एक दूसरे मे समाए रहने के बाद दीप्ति का बदन अकड़ गया और वो झड़ने लगी मैं भी बिल्कुल किनारे पर आ गया था मैने कहा अंदर ही डिसचार्ज हो जाउ क्या तो वो बोली नही बिल्कुल नही तो मैने जल्दी से लंड को बाहर निकाला और उसके कुल्हो पर ही अपने पानी की धार गिरानी शुरू कर दी



और फिर दीवार की सहारे खड़ा हो गया कुछ पलों बाद हमारी साँसे दुरुस्त हुई तो दीप्ति ने अपने कपड़े पहने और मुझे किस करके खिसक ली वहाँ से मैने भी अपने कपड़े डाले और बाहर आ गया मैने टाइम देखा तो सुबह के तीन बज रहे थे सभी लोग सोए पड़े थे पर मेरी नींद उचट गयी थी मैने मटके से गिलास भरा और पानी पीने लगा अब नींद तो आनी नही थी तो मैं एक कुर्सी पर बैठ गया और सोचने लगा



थोड़ी देर बाद दीप्ति भी मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली कि नाराज़ हो मुझसे मैने कहा तुमने जो भी किया ग़लत किया वो मेरा हाथ पकड़ की बोली कुछ भी ग़लत नही हुआ है और फिर यंग एज मे ये सब तो होता ही रहता है मैने कहा तुम्हारी बात ठीक है और मैं तो वैसे भी बहुत ब्रॉडमाइंडेड हू पर ना जाने क्यो अच्छा नही लग रहा है
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