RE: Hindi Porn Kahani पडोसन की मोहब्बत
वो एक फ्राक पहने थी जो शायद उसकी बेटी की साइज़ की थी.
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मुझे लगा की घर पर तो ये बहुत बिंदास रहती है पर बाहर साडी या सलवार सूट ही पहनती है. मैंने पहली बार दिव्या की चुन्चियों के साइज़ का अंदाजा लगाने के कोशिश करने लगा. मैं चोरी छुपे दिव्या के मम्मे ताड़ने में लगा था और सोच रहा था की लगते तो रेणुका के बराबर ही है. शायद ३४ DD के होंगे तभी राजेश ने दिव्या से पुछा "वाइन पियोगी डार्लिंग?".
दिव्या बोली "नहीं यार कुछ मन नहीं है. गर्मी से परेशान हो गयी किचन में."
राजेश उठा और फ्रिज से एक बियर कैन लेकर आया और दिव्या को बोला " पियों. अच्छा लगेगा." दिव्या ने कैन लिया और खोल कर पीने लगी.
मैं छोटे शहर का आदमी था. घरेलु औरतो को शराब पीते मैंने कभी देखा नहीं था, मुझे लगा की दिव्या काफी मॉडर्न है तो पूछ बैठा "तो भाभी जी भी पीती है?"
दिव्या बोली "बस कभी कभी वाइन या बियर पी लेती हूँ. हार्ड ड्रिंक तो नहीं लेती और ये भी इन्होने आदत दाल दी है. कहते थे की अकेले पीने में मजा नहीं आता तो इनका साथ देने के लिए बैठ जाती थी."
राजेश बोला "यार मनीष ये बाहर पीने से मना करती है तो मैं कभी कभी घर में ही पीता हूँ और अकेले पीने से अच्छा की दोस्त के साथ पियो और बीवी से अच्छी दोस्त कौन है, बोलो."
मैंने कहा "सही है." मुझे लगा की जब रेणुका यहाँ आयेगी तो मैं भी उसके साथ पी कर देखूँगा.
"आप खाने का क्या करते है मनीष जी, बनाते है या बाहर खाते है?" दिव्या ने पुछा.
"जी मुझे तो बनाना आता नहीं तो बाहर ही खाता हूँ पर आप मुझे आप मत कहिये और सिर्फ मनीष बुलाइए. ६ साल छोटा हूँ आपसे." मैंने दिव्या से कहा.
"ये तुम्हे कैसे पता?" राजेश ने पुछा.
"भाई लाकर के डाक्यूमेंट्स में भाभी की डेट ऑफ़ बर्थ लिखी थी उसी से पता चला की भाभी मुझसे ६ साल बड़ी है और आप १० साल." मैंने जवाब दिया.
"लो दिव्या. ये तो गड़बड़ हो गयी. मनीष को तुम्हारी सही उम्र पता चल गयी." राजेश हँसते हुए बोला.
हम काफी देर ऐसे ही हँसी मजाक करते रहे. राजेश ने मुझसे कहा की कभी कभी हमारे यहाँ भी खाना खा लिया करो. मैंने कहा की फिलहाल तो कल आप मेरे यहाँ खाना खाइएगा.
दिव्या बोली "पर तुमको तो खाना बनाना ही नहीं आता."
"मैं नहीं मेरी पत्नी रेणुका बनाएगी. वो कल आ रही है." मैंने दिव्या को बताया.
"तो आते ही उसे काम में लगा दोगे क्या भाई. एक काम करो कल तुम दोनों का डिनर हमारे साथ. फिर जब वो सेटल हो जाएगी तब उसके हाथ का खाना भी खायेंगे. क्यों दिव्या." राजेश बोला.
"बिलकुल ठीक." दिव्या बोली.
"जैसा आप कहे. कोई आपकी जान पहचान में टैक्सी वाला है क्या कल स्टेशन जाने के लिए." मैंने राजेश से पुछा.
"मैं फोन कर दूंगा. कल सुबह टैक्सी आ जाएगी. परेशान मत हो. चलो खाना खाते है." राजेश बोला.
फिर मैं खाना खाकर अपने घर आ गया. दिव्या की नजदीकी में शाम बहुत अच्छी बीती थी और राजेश से थोड़ी दोस्ती भी हो गयी. रात को मैंने सपने में देखा की मैं दिव्या को पूरा नंगा करके चोद रहा हूँ.
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