RE: Hindi Porn Kahani पडोसन की मोहब्बत
बाथरूम से निकला ही था की बीवी का फ़ोन आ गया.
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रेणुका ने बताया गर्मी की छुट्टियों में गुड्डू मामा मामी के पास चला गया है तो वो अगले सन्डे को एक हफ्ते के लिए मेरे पास आ रही है. मैंने उससे कहा की मैं उसे लेने स्टेशन आ जाऊँगा. फिर मैं आकर टीवी पर एक इरोटिक थ्रिलर देखने लगा और विस्की पीने लगा. थोड़ी देर बाद मेरे घर की बेल बजी. मैंने दरवाजा खोला तो देखा की सामने राजेश खड़ा था.
उसने मेरी तरफ हाथ बढाया और कहा "हाय, मैं राजेश छाबड़ा आपके पड़ोस में रहता हूँ. मेरी बीवी बता रही थी की तुम मुझसे मिलने आये थे."
मैंने राजेश से हाथ मिलाते हुए कहा. "जी जी पर आपने क्यों तकलीफ की. मैं फिर से आ जाता."
राजेश बोला "भाई तुम्हारे जीजा जी मेरे अच्छे दोस्तों में से है तो तकलीफ की तो कोई बात नहीं."
मैंने सोचा की क्यों न राजेश से दोस्ती कर ली जाए तो इनके घर आना जाना शुरू हो जाएगा तो दिव्या को सेट किया जा सकता है. मैंने कहा आइये अन्दर आ जाइये राजेश जी. और राजेश को लेकर अंदर आ गया.
अंदर आकर राजेश ने देखा की विस्की की बोतल खुली हुई है तो वो बोला "डिस्टर्ब कर दिया तुमको."
"नहीं नहीं. बल्कि कंपनी मिल गयी मुझे." मैं बोला और एक गिलास और उठा लिया.
राजेश ने कहा "नहीं नहीं रहने दो."
"क्यों? क्या आप पीते नहीं है." मैंने पुछा.
"भाई पीते तो है मगर बीवी से डरते भी है तो आज रहने दो ये बताओ की क्या काम था." राजेश हँसते हुए बोला.
मैंने कहा "काम तो कुछ ख़ास नहीं था राजेश भाई बस टैक्स रिटर्न भरवाना था."
राजेश बोला "तो अपना फॉर्म १६ और बैंक स्टेटमेंट दे दो. अगर कोई एक्स्ट्रा इनकम है तो वो भी बता दो."
डाक्यूमेंट्स तो मेरे पास पड़े ही थे. मैंने उठा कर राजेश को दे दिए.
राजेश ने फॉर्म १६ देखते हुए राजेश ने मुझसे मेरे ऑफिस के बारे में पुछा और जब मैंने बताया तो वो कहने लगा की "अरे भाई तुम तो बैंक में काम करते हो. यार एक लाकर दिलवा दो."
इत्तेफाक और मेरी किस्मत देखिये की उसी हफ्ते बैंक में ३ लाकर खाली हुए थे. मैंने बोला "क्या बात कर दी आपने. कल ब्रांच आ जाइये. दिलवा दूंगा लाकर."
"सच. मैंने तो कई बार पुछा तुम्हारी ब्रांच में पर वो तो कहते है की लाकर खाली नहीं है." राजेश बोला.
"खाली नहीं होगा तो करवा देंगे. आप टेंशन मत लीजिये. बस कल ३ बजे बैंक आ जाइये." मैंने शेखी मारते हुए कहा.
राजेश काफी खुश हो गया और बोला "ठीक है. मैं कल दिव्या को लेकर आ जाऊँगा. लाकर में उसका नाम भी चाहिए. थैंक्यू."
"अरे इसमें थैंक्यू की क्या बात है. पडोसी पडोसी के कामं नहीं आयेगा तो कौन आयेगा." मैंने बोला.
राजेश ने मेरे पेपर लिए और मुझसे हाथ मिला कर वापस चला गया और मैं अगले दिन बैंक पहुच कर दिव्या का इंतज़ार करने लगा. करीब ३ बजे दिव्या और राजेश दोनों बैंक पहुचे और गार्ड से पूछ कर मेरे केबिन में आ गए.
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