RE: Hindi Porn Kahani पडोसन की मोहब्बत
दिव्या को देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए थे. मैंने गेस्ट हाउस लौट कर सोचा की बेटा मनीष, इतने सही माल के घर के बगल में रहने का मौका मिल रहा है. ज्यादा कुछ नहीं तो रोज दर्शन ही हो जायेंगे. जो किराये के पैसे बचेंगे उसमे नौकर रख लेना घर की देख भाल के लिए तो मैंने अगले दिन दीदी को फ़ोन किया और उनसे कह दिया की मैं उनके घर में ही रहूँगा.
अगले दिन ही मैं अपने कपडे लेकर दीदी के यहाँ पहुच गया. मुझे लगा की वो मुझे भी अपने साथ पड़ोसियों के यहाँ ले जायेंगे और मेरा उनके यहाँ आना जाना शुरू हो जायेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. २ दिन बाद दीदी और जीजा जी अमेरिका के लिए रवाना हो गए. मैं चाहता था की वो मेरी पड़ोसियों से जान पहचान करवा देते पर ज्यादातर वो मुझे घर के बारे में ही समझाते रहे बस दीदी से केवल इतना पता चला की उनके पडोसी का नाम राजेश छाबड़ा है और वो एक चार्टेड एकाउंटेंट है और उसकी बीवी जिसके चक्कर में मैं यहाँ रहने आया हूँ उसका नाम दिव्या है और वो पास ही के एक मशहूर पब्लिक स्कूल में इंग्लिश टीचर है. उनके एक ही बेटी है जो राजस्थान में कहीं हॉस्टल में रहकर पढ़ रही है.
धीरे धीरे मुझे पता चला की दिव्या सुबह ७.५० पर हमारे घर के सामने से ही स्कूल बस पकडती है तो मैं उसी वक़्त छत पर पहुच जाता था और दिव्या को बस का वेट करते देखता रहता. बस सोमवार से शुक्रवार दिन में वही ५ मिनट ही दिव्या के दर्शन होते थे क्योंकि जब वो लौट कर आती थी तब मैं बैंक में होता था और उसके अलावा वो मुझे कभी दिखाई नहीं देती थी.
न तो वो छत पर आती न ही मोर्निंग या इवनिंग वाक पर जाती पर तभी स्कूल की गर्मी की छुट्टियाँ हो गयी और वो ५ मिनट के दर्शन भी बंद हो गए. मैंने अपनी शादी से पहले अपने मोहल्ले में दो आंटिया पटा रखी थी तो मैं ये तो यही सोच कर आया था की १५ दिन के अन्दर ही दिव्या से दोस्ती कर लूँगा और एक महीने के अंदर ही कम से कम उसे एक बार तो चोद ही लूँगा पर अब ३ महीने बीत चुके थे और मेरी कभी दिव्या से बात भी नहीं हुई.
पहले तो मैं किसी भी तरह दिव्या को हासिल करना चाहता था पर अब मेरे दिल में एक अजीब सी तड़प उठने लगी थी की बस दिव्या की एक झलक भर दिख जाए, बस एक बार बात हो जाये. मेरा हाल कुछ अजीब सा हो गया था जैसे किसी टीनएजर लड़के का किसी लड़की के प्यार में पड़ कर होता है.
|