Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
09-14-2019, 02:59 PM,
#68
RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
बाबा की बात सुनकर तो मुझे लगा कि जैसे कोई मेरा लगा दबा कर मार डालता वो बेहतर होता यह सब सुनने से पहले जिस इंसान को मैं अपना पिता मानती आई थी वो मेरा पिता था ही नहीं वो नपुंसक था पर फिर भी माँ उसके साथ इतने सालों से रह रही थी सब निभा रही थी जैसे सब ठीक हो ।
मां-बाबा जी वो तो एक यज्ञ का हिस्सा था न ? अब मुझसे यह सब नहीं होगा ।
पर बाबा ने मां की बात को अनसुना करते हुए उसकी साड़ी उतारना शुरू कर दिया था।माँ रोते हुए बोल रही थी "बाबा जी भगवान के लिए ऐसा मत करिए मेरी घर पर ही है कम से कम उसके सामने तो छोड़ दीजिए "
पर उस बाबा ने मां की एक मिन्नत न सुनी और मां की अपनी मजबूत बाहों में जकड़ लिया मैं रोती जा रही थी और सब देख रही थी । बाबा माँ का रेप करते रहे वो मिन्नते करती रही पर उस बाबा पर तो जैसे कोई भूत सवार था वो माँ को तब तक रेप करता रहा जबतक की वो बेहोश न हो गयी ।
मां के बेहोश हो जाने के बाद बाबा ने अपने चेलों को बुलाया और नींद का इंजेक्शन लगाने को कहा और फिर वो नंगा मेरे कमरे की और बढ़ने लगा ....मेरा सगा बाप....बाप नहीं राक्षस था ....मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था मैं बस उसे अपना बदन छूने नहीं देना चाहती थी....पहले मैंने सोचा पंखे से लटक कर खुदकुशी कर लूँ ...पर उसका समय नहीं था वो दरवाजे के बिल्कुल पास था ...अचानक मेरी नज़र खुली हुई खिड़की पर गई और मैं उससे बाहर कूद गई और पागलों सी भागने लगी बाबा के कई चेले मेरे पीछे थे और एक सुनसान जगह में उन्होंने मुझे घेर लिया ,एक ने पास आकर मेरी बाजू से मुझे पकड़ लिया मैंने छूटने की कोशिश की पर उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी ।
"आह मेरी बच्ची अपने बाप से कँहा भागकर जाएगी" मुझे बाबा की आवाज़ सुनाई दी वो अपने दो चेलों के साथ आराम से आ रहा था ।
लेकिन रात के उस अँधरे में न जाने कँहा से एक तेज़ रोशनी मुझपर पड़ी और उसके साथ एक बड़ी सी ट्रक नुमा कार हमारी और बढ़ती आ रही थी ....उसके इंजन की आवाज़ किसी जेट जहाज सी उस शांत रात के सन्नाटे को भेद रही थी । वो इतनी तेजी से आ रही थी कि ऐसा लगा मानो हमें कुचल ही देगी इससे पहले मैं कुछ सोच पाती वो कार मेरे बिल्कुल पास थी ....उसके ड्राइवर ने इतने ज़ोर की ब्रेक्स लगाई थीं कि गाड़ी के पिछले पहिये हवा में उछल गए और धड़ाम की आवाज़ से फिर ज़मीन पर आ गिरे ....एक सेकंड से भी कम समय में ड्राइवर बाहर निकला ...इतनी देर में मैं "कर्ण तुम" बोल पाती वो मेरे पास था और उसने उस आदमी के दूसरे हाथ को पकड़ लिया जिसने मुझे पकड़ा हुआ था .....कडक... कडक....हड्डियों के टूटने की आवाज़ हुई और उस आदमी ने मुझे छोड़ दिया ....कडक...कडक....हड्डियों के टूटने की आवाज़ सुनकर मैं डर के मारे जम ही गयी थीं ।
"गरिमा गाड़ी में बैठो" मुझे कर्ण की आवाज़ सुनाई दी पर डर के मारे मैं हिल भी नहीं पा रही थी । बाबा के गुंडे हमें घेरते जा रहे थे ।
" गरिमा गाड़ी में बैठो.." कर्ण की आवाज़ फिर आई ..मैंने हिलने की कोशिश की पर अपना पैर भी उठा नहीं पाई चलना तो दूर की बात थी ।
"वैदेही... वैदेही.." कर्ण ने कहा और वो गाड़ी से लगभग कूदते हुए बाहर आ गई ।
"इसे लेकर जाओ" कर्ण ने वैदेही से कहा ।
"तुम लेकर जाओ... और इन सबसे मैं खेल लूँगी ...काफी दिनों से मौका नहीं मिला है"
"वैदेही इस समय नाटक नहीं मुझे वापिस आने में टाइम लगेगा"
वैदेही(हाथों की उंगलियों को कड़काते हुए)-यह बेचारे तो वैसे ही डर गए हैं ।
कर्ण-इनकी ही चिंता है ...पता है ना पिछली बार क्या किया था तुमने?
वैदेही-डोंट वरी भाई , अभय आ रहा है 5 मिनट में क्या होता है ।
कर्ण(मुझे उठाते हुए, कार की तरफ चल पड़ता है, एक ही पल में हम कार के पास थे ,उसने कार में मुझे बिठा दिया)-कोई पंगा नहीं चाहिए मुझे ।
मैं-वैदेही को अकेले यँहा ,कुछ हो गया तो ।
कर्ण-उसकी चिंता मत करो । उसने कहते कहते गाड़ी को तेजी से घुमा दिया । मुझे पीछे से मर्दों की चीखें और लात घूसों की आवाज़ सुनाई दी ।
मैं-कर्ण वैदेही ठीक होगी न ,उसे कुछ होगा तो नहीं ?
कर्ण-देवी जी आप अपनी चिंता करो ,उसने तो अभी तक उनकी एक एक ह...। वो कहते कहते रुक गया ।
मैं-उनकी एक एक हड्डी तोड़ दी होगी । मैंने उसकी बात पूरी की । तुम्हें कैसे पता चलता है कि मैं मुसीबत में हूँ ?
कर्ण(एक रेस्टोरेंट के सामने गाड़ी रोकते हुए)- वैदेही आगे होने वाली घटनाओं को देख सकती है ।
मैं(ना जाने क्यों उसकी यह बात न मुझे अजीब लगी न ही मुझे डर ही लगा)- मतलब फ्यूचर ,भविष्य ?
कर्ण-हम्म फिर मैं इतनी दूरी बना के रखता था कि तुम मुझे देख न पाओ ,लेकिन अब मैं तुमसे और दूर नहीं रह सकता ।
मैं-तो मत रहो न ,क्यों सताया मुझे इतना ।
कर्ण -यहीं खड़े-2 बातें करोगी या अंदर भी चलोगी ?
मैं(हम एक रेस्टोरेंट में एक कोने के टेबल पे बैठ गए)- तुमने बताया नहीं कि क्यों तुम मुझसे दूर भागती हो ,मैं बुरी हूँ क्या ?
कर्ण(उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे के साथ सटा दिया...उसकी काली आँखे अचानक गोल्डन कलर की हो गयी)- इसलिए दूर भागता हूँ क्योंकि मैं इंसान नहीं ....।
मैं(मैंने उसकी आँखों एक अजीब डर देखा जैसे उसे मेरे मना कर देने का डर हो)-मुझे फर्क नहीं पड़ता मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूँ ।
कर्ण-मैं भी ,ई लव यु गरिमा मुझसे अब कभी दूर मत जाना ।
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