RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
रवि का फ्लैट एक पॉश कॉलोनी में था ,फ्लैट में घुसते ही रवि और रमा एक दूसरे पे भूखे शेर शेरनी की तरह टूट पड़े एक दूसरे चूमते नोचते वो कुछ ही पल में एक दूसरे को नंगा कर चुके थे । वो कभी एक दीवार से टकराते तो कभी दूसरी वो पागल प्रेमियों की तरह एक दूसरे के अंगों को कभी चुम,चाट और काट रहे थे आखिर रमा का सब्र जवाब दे गया और वो बोली" रवि और नहीं सहा जाता अब " रवि ने उसे अपनी गोद में उठा लिया औऱ रमा को बेड रूम में ले जाकर नरम नरम बिस्तर पर फेंक दिया औऱ रमा के ऊपर लेट गया "रमा तुम नहीं जानती की इस दिन का कबसे इंतज़ार था मुझे " उसने रमा के होंठ चूमते हुए कहा ।
"तो और मत रुको डाल दो अपना मूसल लन्ड मेरी चूत में" रमा ने अपनी से रवि की कमर को जकड़ते हुए कहा और अपने एक हाथ से रवि के डण्डे जैसे सख्त लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट करते हुए कहा ।
रवि ने मजबूत और बड़े हाथों की उंगलियों को राम के छोटे और मुलायम हाथों की उंगलियों फसाते हुए उन्हें बिस्तर के साथ सटा दिया और अपनी कमर पर भार डालते हुए अपना मोटा लन्ड रमा की गदराई चूत में उतारने लगा ....
"उफ्फ्फ.....रवव....वी ओह कितना मोटा है तुम्हारा लौड़ा ...आह...माँ ...फट जाएगी मेरी " रमा ने छटपटाते हुए कहा । उनसे जितना सोचा था रवि का लन्ड लेते हुए उसे उससे कहीं अधिक दर्द हो रहा था रवि का लन्ड मानो उसकी चूत को पूरा फैलता जा रहा था ।
रवि ने रमा के चेहरे पर दर्द से उभर आई लकीरों और पसीने को देखा तो उसने अपने लन्ड को उसकी चूत बाहर खींच लिया और रमा की बगल में लेटते हुए कहा ज्यादा दर्द हो रहा है तो थोड़ा चिकना कर दो । रमा पलटकर उसके ऊपर आ गयी और बोली अभी इसे तैयार करती हूँ फिर उसकी छाती से पेट को चूमते हुए रवि के लन्ड की तरफ आने लगी । पर रवि के लन्ड का तो जैसे कायाकल्प हो चुका था वो बिल्कुल भी वैसा नहीं था जैसा उसने आज घर के बाहर देखा था उसे देखते ही डर के मारे उसकी चीख निकल गयी "आह...इतना बड़ा लन्ड" रवि का आम सा दिखने वाला लन्ड इस समय राहुल के लौड़े से कुछ लम्बा और मोटा हो चुका था । "क्या हुआ रमा ? मेरा लन्ड पसंद नहीं आया ?" रवि ने रमा की आँखों में देखते हुए कहा। "कितना बड़ा है बिल्कुल किसी हाथी के लौड़े जैसा" रमा ने उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए कहा । रमा के अंदर इस समय सवालों का एक पहाड़ उमड़ रहा था .....किसी इंसान का लिंग इतना बड़ा कैसे हो सकता है?......अभी 1 घंटा भी नहीं उसे रवि को जाने पर क्यों उसे ऐसा लग रहा है कि वो उससे इतना प्रेम करने लगी है कि अपनी जान भी दे दे उसके लिए .....तरनजीत ने तो उसके लिंग का आकार 7 इंच बताया था....घर पे जब देखा तो उससे कुछ बड़ा था....पर अब इतना बड़ा....?.....कोई अपने लिंग का आकार इतना बड़ा कैसे कर सकता है ?...फिर अचानक न जाने क्यों उसे याद आया कि जब वो बहुत छोटी थी तो उसकी नानी को किसी ने इसलिए मार डाला था क्योंकि गाँव वालों को शक था कि वो रूप बदलने वाली चुड़ैल थी ....
रवि ने उसे पकड़ कर अपनी बगल में लिटा लिया और उसके चेहरे को सहलाते हुए बोला "रमा डर लग रहा है ?"
रमा-(रवि के होंठों पर एक हल्की सी किस करते हुए)- अब नहीं लग रहा ।
रवि-फिर क्या सोच रही हो ?
रमा- रवि मेरी नानी बहुत सुन्दर थी ,देखने में तो उनकी उम्र मेरी माँ से भी कम लगती थी । वो कहती थीं रमा एक दिन एक राजकुमार आएगा जिसका बदन हीरों की तरह चमकेगा वो तुझे बहुत खुश रखेगा । लेकिन.... लेकिन....
रवि(रमा की बात सुनकर रवि के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है...वो सोचता है रमा भी हम जैसी है ? और मैं पहचान नहीं सका ?...अब कुछ छुपाने की ज़रूरत नहीं है, वो खिड़की पे लगे पर्दे को हल्का सा हटा देता है)-लेकिन क्या रमा ?
रमा उसकि तरफ देखती है और उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है रवि का सारा बदन हीरों के जैसे जगमगा रहा था ।
रवि-तुम्हारी नानी को रूप बदलने वाली चुड़ैल समझ कर किसी ने .........वो जानबूझकर कर बात पूरी नही करता ताकि रमा और ज्यादा दुखी न हो जाये ।
रमा-तुम मेरा दिमाग पढ़ सकते हो ?
रवि- हम्म ,पर सिर्फ अपने इस रूप में । तुम भी अपना दूसरा रूप देखना चाहोगी ?
रमा-क्या भी इंसान नहीं हूँ ? पिशाच हूँ ।
रवि- (ठहाका मार कर हँस पड़ता है और रमा के गालों को सहलाते हुए कहता है) -बिल्कुल इंसानों जैसी बातें करती हो मेरा मतलब है धरती के इंसानों जैसे ,रमा न तुम और न मैं पिशाच हूँ ,हम जैसे कुछ और भी हैं जो एक दूसरे ग्रह के निवासी है जिसका नाम था "माया ग्रह" ।
रमा-तो मुझे उसके बारे में बताओ ।
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