RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
दूसरी तरफ राहुल आने वाली घटनाओं से बेखबर सो रहा था , सुबह कोई 6 बजे उसकी नींद खुली तो उसे हैरानी हुई की आज माँ ने उसे जगाया नहीं पर उसे लगा की माँ। पक्का उसे जगाने आईं होगी और वो जागा नहीं होगा 'आज तो पिटाई पक्का उसने मन में सोचा' और भाग के सीधा रसोई में गया ,इस बात से बिल्कुल अनजान की उसका तम्बूरा अभी भी तना हुआ है और उसकी निक्कर से साफ़ पता चल रहा है वैसे उसे पता भी होता तो भी वो यही सोचता की मालिश से उसका लण्ड कितना ताकतवर हो गया है उसे इसमें शर्म की कोई बात नज़र नहीं आती । रसोई में रमा बर्तन धो रही थी , और रमा की पीठ उसकी तरफ थी नाइटी में से उसके सुडोल गांड साफ़ नज़र आ रही थी रमा की मांसल गांड देखते ही राहुल का मन आया की वो गांड को ज़ोर से दबाये इस उभरी हुई चीज़ को वो अभी अपने सपनों में ही खोया हुआ था जब रमा को लगा की उसके पीछे कोई खड़ा है वो पीछे घुमी तो राहुल की उभरी हुई निक्कर को देख उसकी हँसी छूट गयी
"उठ गया ...सो लेता कुछ देर और" वो मुस्कुराते हुए बोली ।
"सॉरी माँ आज मैं उठ नहीं पाया ,मैं अभी सारा काम कर देता हूँ" वो डरते हुए बोला ।
"हम्म काम तो तू कर ही लेगा ये तो मैं देख ही रही हूँ...और डर मत आज मैंने खुद नहीं उठाया तुझे " रमा ने राहुल के उठे हुए लण्ड को घूरते हुए कहा । और फिर कुछ देर रुक कर बोली "राहुल तू निक्कर के अंदर कच्छा क्यों नहीं पहनता?"
"मुझे गर्मी लगती है और मेरा नुन्नु दुखता है कच्छे में " राहुल ने मासूमियत से जवाब दिया । उसे समझ नहीं आ रहा था की माँ उसे कच्छा पहने को क्यों कह रही है
"अच्छा पर अब तू बड़ा हो गया है न इसलिए ...कच्छा न पहना गन्दी बात होती है " रमा बोली ।
रमा ने उसे वंही खड़ा रहने को कहा और अपने कमरे से अपने पति का एक कच्छा ले आई और राहुल को देते हुए बोली "ले पहन ले इसे । राहुल ने भी बिना किसी शर्म के निक्कर रमा के सामने ही उतार दी और उसका तनतनाता लण्ड रमा को सलामी देने लगा राहुल ने कच्छा पहन लिया पर उसका लिंग था ही इतना बड़ा और ऊपर से तना हुआ झट से कच्छे के छेद(जो पेशाब करने के लिये बना होता है) से बाहर आ गया
"माँ मेरा नुन्नु तो कच्छे में आ ही नहीं रहा क्या करूँ?" राहुल परेशान होते हुए पूछा
"रुक मैं सिखाती हूँ कैसे पहनते हैं...... नुन्नु को ऐसे पकड़ के कच्छे की टांग वाली तरफ कर देते हैं " रमा ने इशारे से समझाते हुए कहा ।
राहुल ने दो तीन बारी कोशिश की पर बेकार ऊपर से लण्ड दुखने लगा वो अलग "माँ मुझे नहीं आता " उसने आखिर थककर कहा । रमा समझ गयी उसे ही अब इस अजगर को संभालना होगा ये सोचते ही उसके पुरे बदन में सिहरन दौड़ गयी । रमा राहुल के पास गयी और उसने राहुल के लण्ड को पकड़ लिया 'हे राम कितना मोटा है' रमा ने मन में सोचा और ये सच ही था लण्ड उसकी मुठी में आ ही नहीं रहा था 2 ऊँगली जितनी जगह खाली थी । रमा का मन तो कर रहा था की अभी इसी वक़्त ये मूसल उसकी फ़ुद्दी में घुस जाये पर वो जानती थी की सभी घर पे हैं इसलिए उसने जल्दी से राहुल को बताया की नुन्नु को कंहाँ रखते है कच्छे में । और उसे जल्दी से निक्कर पहने को कहा
"माँ देखो नुन्नु अभी भी नंगा है"
"बेटा ये ऐसे ही होता है तू निक्कर पहन ले तो नंगा नहीं रहेगा" रमा ने राहुल से कहा जो कच्छे की टांग से बाहर झांक रहे अपने लिंग की तरफ इशारा कर रहा था । "चल जाके नहा ले ज्यादा बातें मत बना वरना स्कूल के लिए लेट हो जायेगा"
सब बच्चों को स्कूल और फिर पति को दुकान भेजने के बाद रमा घर की साफ़ सफाई में लग गयी ,कोई 11 बजे वो घर के सब काम करके फ्री हुई तो उसने अपनी पिंकी की माँ को आवाज़ लगाईं "अरे पिंकी की मम्मी अगर काम निपट गया हो तो आओ चाये पीते हैं ...'शांति' भी बस शूरु होने वाला है"
"आई रमा " तरनजीत ने जवाब दिया । तरनजीत 35 साल की भरे बदन की महिला थी उसका रंग पंजाबियों की तरह साफ़ और कद काठी काफी मजबूत थी । तरनजीत काफी रंगीन मिज़ाज की औरत थी शादी के बाद भी उसके कई मर्दों के साथ सम्बन्ध थे । तरन अपने मोटे कुहलों को मटकाती हुई रमा के कमरे में दाखिल हुई उसने रमा के चेहरे को देखते की जान लिया की रमा के साथ रात को क्या हुआ होगा ।
"क्या रमा आज फिर भाई साहब फुस हो गए क्या?" उसने रमा को आँख मारते हुए पूछा
"क्या बताऊँ दीदी इस आदमी से तो तंग आ गयी हूँ मैं आज तो पुरे 93 दिन हो गए " रमा ने तरन की तरफ चाय का कप बढ़ाते हुए कहा ।
"रमा तू क्यों इस आदमी के साथ क्यों बरबाद हो रही है , जैसे लहसुन बिना सब्जी नहीं जचती वैसे ही लौड़े बिना औरत की ज़िन्दगी ही क्या ?" तरन ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा
"दीदी तुम कह तो सही रही हो पर मैं कर ही क्या सकती हूँ ?"
"रमा तुम भाईसाहब को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाती आज हर बिमारी का इलाज है ....मैं एक दिन भी चुदाई के बिना नहीं रह सकती...तू पता नहीं कैसी जीती है"
"दीदी अब क्या कहुँ तुमसे, ये किसी डॉक्टर के पास जाते नहीं ...पर मैंने सोचा शरमाते होंगे तो इन्हें बिना बताये ही कई डॉक्टरों की दवाई ले आती थी और इनके खाने में मिला देती थी पर कोई लाभ नहीं हुआ मैं तो पूरी तरह से टूट चुकी हूँ तुम ही बताओ क्या करूँ मैं" रमा ने सिसकते हुए कहा ।
"ओह रमा हिम्मत मत हारो..तुम बुरा न मानो तो एक तरकीब है मेरे पास कहो तो बताऊँ?" तरन ने रमा को सहलाते हुए कहा
"दीदी तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है आज तक जो अब बुरा मानु गी" रमा ने आस की नज़रों से तरन की और देखते हुए कहा ।
"रमा तू मेरे देवर रवि को तो जानती हैं न ? बहुत पूछता है तेरे बारे में मेरी मिन्नतें कर रहा है साल भर से की तेरी उससे बात करवा दूँ , तू बोले तो करूँ बात" तरन ने रमा को आँख मारते हुए कहा ।
"नहीं नहीं दीदी रहने दो" रमा ने घबराते हुए कहा
"क्यों तुझे अच्छा नहीं लगता क्या?" तरन सवालिया नज़रों से रमा को घूरते हुए कहा
" नहीं दीदी वो बात नहीं रवि जैसा सुन्दर और जवान लड़का जिस लड़की को मिलेगा उसकी तो ज़िन्दगी बन जायेगी...पर वो अभी लड़का है कालेज पड़ता है ...उसकी जिंदगी खराब हो जायेगी " रमा ने उतेज़ित होते हुए कहा
"हा हा रमा मैं तो तुझे चालाक समझती थी तू तो बिलकुल भोली है बच्चों की तरह...जिसे तू लड़का कह रही है न वो लड़का तेरी मेरी जैसी चार की चुदाई एक साथ कर सकता" तरन ने हँसते हुए कहा
"क्या दीदी तुम तो कुछ भी कहती हो" रमा तरन को हलका धक्का देते हुए कहा पर तभी वो सारा मामला समझ गयी और हँसते हुए "तो इसका मतलब तुम और रवि करते हो?"
"रमा तू करने की बात करती है मैं तो लगभग रोज़ उससे चुदती हों अब ऐसी आदत पड़ गयी है की अगर एक दिन भी उसका लौड़ा न लूँ तो मेरी चूत की हालत बुरी हो जाती है"
"ओह दीदी तो कल जब दिन में रवि आया था तो तब भी तुमने .......अब समझी तभी कल तुम मेरे पास नहीं आई...पर अगर पिंकी के पापा को पता चल गया तो?...तुम्हें डर नहीं लगता " रमा हैरान होते हुए पूछा ..रमा मन ही मन सोच रही थी कि ऐसा देवर काश उसे मिला होता
"रमा तू विशवास नहीं करेगी कल तो पिंकी के पापा ने सारा खेल देख ही लिया होता पर रवि के ही तेज़ दिमाग ने बालबाल बचा लिया"
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