RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
"गुरु जी आपको कैसे पता चला की माँ गुज़र गयी" राकेश ने हैरानी से पूछा
"बेटा हमारी दिव्य आँख से कुछ छिपा नहीं रहता जैसे हमें ये भी पता है की ये नन्हा बालक जो तुम्हारी पत्नी की गोद में हैं इसे तुमने गोद लिया है" गुरु जी ने मुस्कुराते हुए कहा
"गुरु जी आप तो बगवान है सब जानते हैं , बताइये न क्या संतान सुख हमारे दापंत्य जीवन में है या नहीं?" राकेश कहते कहते रो पड़ा था ।
"भगवान केवल एक है ,हम तो बस उपासक हैं उनके ,बच्चा दोष तुम्हारी बीवी में है इसने पिछले जन्म में अपनी खूबसूरती के घमंड में एक ब्राह्मण का न्योता ठुकरा दिया था ,तो उसे ब्राह्मण पुत्र ने इसे श्राप दे दिया था"
"गुरूजी ये दोष दूर तो हो जायेगा न" राकेश ने पूछा
"बच्चा ऐसा कोई कार्य नहीं जो हम न कर सकें ...बस दो दिन की कामदेव की पूजा करनी होगी" बाबा जी रमा को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोले ।
"गुरु जी पूजा कब शुरू करनी होगी" राकेश ने पूछा ।
"बेटा इस पूजा का योग 1 साल में एक ही बार आता है अगर 1 घंटे में न शुरू की तो 1 साल इंतज़ार करना पड़ेगा"
"तो गुरु जी हम आश्रम में ही ठहर जाते हैं" राकेश ने कहा।
"नहीं बच्चा इस पूजा में तुम शामिल नहीं हो सकते,हमें पता है तुम अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते हो और इतनी सुदंर पत्नी से कौन प्यार नहीं करेगा...परंतु यदि तुम साथ रहे तो श्राप नहीं टूटेगा..तुम घर चले जाओ हम रमा को पूजा के बाद भिजवा देंगे " गुरु जी ने राकेश के सर पर हाथ फेरा और उसे जाने के लिए कहा और राकेश किसी बुद्धू की तरह बाहर चला गया । रमा अकेली रह गयी । राकेश के चले जाने के बाद गुरूजी सेविका को फ़ोन करने के उठे तो उनका 7 फुट का विशाल काय शरीर देखके रमा सिहर उठी । गुरु जी ने सेविका को फ़ोन किया और कहा की रमा को कामदेव की पूजा के लिए तयार करो । एक सेविका आई आई और रमा को बाहर ले गयी उसने रमा को चन्दन और दूध से ने नहलाया और एक पिले रंग की साड़ी बिना बालुज़ और पेटीकोट के उसके तन पर लपेट दी । फिर वो उसे आश्रम के दूसरे कोने में ले गयी जंहाँ केवल एक ही कमरा था और काफी बड़ा लग रहा रहा था ।सेविका ने उसे अंदर जाने को कहा रमा उलझन से उसे देखने लगी तो वह बोली "डरो मत बेटी गुरु जी पर पूर्ण विशवास रखो और इस पवित्र कमरे में तुम्हें अकेले ही जाना होगा"
रमा ने उतेजना और डर से भरे मन को लेकर कमरे में प्रवेश किया गुरु जी इस समय शिव की उपासना कर रहे थे और रमा को पास ही पड़े एक बड़े से टेबल पर बैठने का इशारा किया ,रमा जो इस समय बेहद डर रही रही थी चुपचाप टेबल पर बैठ गयी टेबल के पास ही एक स्टूल रखा था जिसपर एक कमंडल में जैतून का तेल रखा हुआ रमा ने तेल को खूशबू से पहचान लिया ,कोई 15 मिनट और उपासना करने के बाद गुरूजी रमा के पास आ गए और बोले
"बेटी इस आसान पर उल्टा लेट जाओ हम पूजा शुरू करने से पहले तुम्हें सब बुरी आत्माओं से शुद्ध करेंगें "
"रमा टेबल पर अपनी मोटी मोटी छातियों के बल पर लेट गयी" उसका दिल इस समय इतनी ज़ोर से धड़क रहा था की वो सांस भी ढंग से नहीं ले पा रही थी ।
"बेटी हम तुम्हारी शुद्धि करने जा रहे हैं इस पवित्र जैतून के तेल को तुम्हारे बदन पर लगा कर तोड़ी ऊपर उठो ताकि इस अपवित्र वस्त्र को हम हटा सकें" गुरु जी ने नरम आवाज़ में कहा
रमा का एक दिल कह रहा था कुछ अन्होनी होने वाली है भाग जा पर संतान प्राप्ति की लालच ने उसे गुरु जी की बात मानने को मजबूर कर दिया । वो ऊपर उठी और गुरु जी ने एक झटके में ही साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया । रमा तो जैसे शर्म के समुन्द्र में डूब गयी ।
"अति सुन्दर, बेटी तुम्हें तो कामदेव ने रचा है डरो मत शुद्धि में ज्यादा समय नहीं लगेगा ,तुछ दुनिया के सब विचारों को मन बाहर निकाल दो बस उसका उत्तर दो जो हम पूछते हैं" गुरूजी ने थोड़े से तेल को रमा के कन्धों पर उड़ेलते हुए कहा ।
"जी गुरु जी" रमा बस यह ही कह पाई
गुरु जी ने उसके कन्धों पर अपने बड़े और गर्म हाथ रखे तो वो बुरी तरह से कांप गयी ।
" बेटी क्या तुम्हारे इन गोरे और सुन्दर कन्धों को शादी से पहले किसी ने छुआ था" गुरु जी ने कन्धों की हलके हाथों से मालिश करते हुए पूछा
रमा अपनी तारीफ से खुश भी हुई और डरी भी एक संशय उसके मन में आया की ये कोई पूजा है भी के नहीं , पर वो एक बच्चा चाहती थी ताकि कोई उसे बाँझ न कह सके तो उसने अच्छा बुरा सोचना बंद कर दिया "नहीं गुरु जी" उसने जवाब दिया ।
"तुम्हारा पति तुम्हारे कन्धों की मालिश करता है या नहीं"
"नहीं गुरु जी" रमा ने झट से जवाब दिया
"हम्म गधा है वो जो ऐसी रूप वती स्त्री की सेवा नहीं करता"
गुरु जी के हाथ अब रमा की पीठ की मालिश कर रहे थे ,गुरु जी मालिश में बेहद निपुण थे रमा को लग रहा था जैसे उसकी जन्मों की थकान मिट रही हो ।
"तुम्हारा वो पति तुम्हारी इस गोरी और मुलायम पीठ को तो चूमता होगा"
"नहीं गुरु जी" बेचारी रमा और क्या कहती
"बड़ा नाकारा मर्द है...तुम्हारी माँ ने तो तुम्हारी सारी जवानी बेकार कर दी" गुरु जी अब रमा की पीठ के कोनों की तरफ मालिश कर रहे थे उनके हाथ रमा के अगल बगल से उभरे हुए स्तनों से बस कुछ ही इंच दूर रह गए थे । गुरु जी ने अपनी हथेली में तेल उड़ेला और रमा की पीठ के दाहिनी तरफ मालिश करते हुए बोले "रमा सच कहता हूँ अगर मैं तुम्हारी माँ होता तो किसी जानदार मर्द से तुम्हारी शादी करवाता ...औरत जितनी खूबसूरत हो उसे उतना जानदार मर्द चाहिए होता है...तुझे अपने माँ बाप पर गुस्सा नहीं आता ?" गुरूजी ने रमा की बगल से बाहर उभरे हुए स्तन को हल्के से छूते हुए पूछा ।
गुरु जी के हाथ के हलके से स्पर्श से रमा उतेजित हो उठी थी ।कुछ बोल नहीं पाई ।रमा को लग रहा था की गुरु जी ने अब मोम्मे दबाये की अब दबाये पर वो तो उसके ऊपरी हिस्से को छोड़ पावँ की तरफ चले गए और टांगों की मालिश करने लगे ।
रमा कुछ शांत हुई तो बोली"गुरु जी मेरे माँ बाप को लगा लड़का अमीर है ठीक होगा बाकी सब कौन सोचता है"
गुरूजी के हाथ अब रमा के घुटनों के ऊपर आ चुके थे और रमा के सुडोल पटों की मालिश कर रहे थे , रमा फिर उतेजित होने लगी और उसकी साँस फिर तेज़ होने लगी पर गुरूजी पूरी तल्लीनता से मालिश करने में लगे थे ...रमा उतेजित थी पर उसका पूरा बदन एक नई ताकत का एहसास कर रहा था ।
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