RE: Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की
राहुल ने हाँ में सर हिला दिया वो कुछ उदास हो गया था की उसका नुन्नु लौड़ा नहीं है । बबिता उसकी बगल में आके बैठ गयी ,उसने अपने हाथ में तेल ले लिया और राहुल के नुन्नु पर लगाने लगी ।
"रोनी सूरत क्यों बना ली ? अच्छा नहीं लग रहा है?"
"नहीं दीदी अच्छा तो लग रहा है पर मैं सोच रहा था की मेरा नुन्नु लौड़ा नहीं है"
"हा हा हा ड्रफ्फर तेरा तो लौड़े से भी बड़ा हो जायेगा ,मेरे भोन्दु तेरा पूरा तम्बूरा है तम्बूरा ...देखना तू मालिश के बाद कितना बड़ा हो जायेगा" बबिता राहुल के लौड़े की मालिश करते हुए बोली । राहुल के बदन पुरे बदन में अजीब सी सिहरन हो रही थी पर उसे मज़ा भी आ रहा था ।
"आह दीदी ...बड़ा मज़ा आ रहा है...दीदी सच में ये तो बड़ा हो रहा है" राहुल ने अपने फूलते हुए लौड़े को घूरते हुए कहा ।
4-5 मिनट में ही राहुल का लण्ड 10 इंच का तम्बूरा बन चूका था और बड़ी मुश्किल से ही बबिता मुट्ठी में आ पा रहा था
"देखा मैंने कहा था न ? अब तू ज्यादा आवाज़ें मत करना क्योंकि मैं ज़ोर से मालिश करुँगी...ठीक है?"
"ठीक है ...दीदी"
बबिता ने दोनों हाथों से राहुल के तम्बूरे को पकड़ लिया और तेज़ी से हस्तमैथुन करने लगी ।
"आह ..दीदी.....इतने ज़ोर से नहीं"
"मेरे भोंदू अभी और मज़ा आएगा तुझे " उसने पूरी रफ़्तार से राहुल की मुठ मारते हुए कहा"
"दीदी....आह...मु...जे कुछ हो...." पर इससे पहले की वो अपनी बात पूरी करता बबिता का सारा हाथ एक सफ़ेद चिपचिपी चीज़ से गन्दा हो चूका था।
"तुझे कुछ नहीं होगा पर तेरा ये तम्बूरा जरूर मेरी चूत का ज़रूर बुरा हाल कर देगा"बबिता ने अपने हाथों से टपकते लेस को देखकर कहा
"दीदी ये चूत क्या होता है?"
"जैसे तेरे पास ये तम्बूरा है न वैसे ही मेरे पास चूत है छोटी सी प्यारी सी"
"मैं क्यों बुरा करूँगा ?आप तो इतनी अच्छी हो"
"क्योंकि इससे मेरी चूत ताकतवर हो जायेगी"
"अभी करूँ दीदी ?"
"हा हा हा बड़ी जल्दी है तुझे?"
"हाँ दीदी जैसे आपने मेरा तमफुरा ताकतवर बनाया है वैसे ही मैं भी आपकी चूत ताकतवर बनाऊगा"
"तमफुरा .....नहीं तम्बूरा कहते हैं अच्छा अच्छा बना लेना मैं भी तो यही चाहती हूँ ...पर अब तू घर जा पहले ही लेट हो चुका है"
बबिता ने उस दिन जब उसे खाने को कैडबरी चॉकलेट दी तो राहुल सोचने लगा की दीदी कितनी अच्छी है एक तो उसके नुन्नु की कसरत करती है ऊपर से चॉकलेट देती 'दीदी के बारे में मैं ज़रूर पिंकी दीदी को बताऊंगा' उसने मन में सोचा । राहुल को उसके घर वाले किसी से खेलने देते ही नहीं थे टयूशन से घर जाते ही उसे दिन भर के बर्तन मांझने होते उसे अपनी बहनों से भी मिलने नहीं दिया जाता और बचा खुचा खाना उसे मिलता , न उसका कोई लड़का ही दोस्त बनता ,पर पिंकी चाहे उससे 2 साल बड़ी थी और कालेज में पड़ती थी ,सिख थी गोरी चिट्टी इतनी की छूने पर मैली होने का डर ,तरबूजों जितने बड़े बड़े मम्मे थे उसके पर वो मोटी बिल्कुल नही थी कमर बेहद पतली थी वो दिल की बेहद अच्छी थी और इसी वजह से वो राहुल पर रीझ गयी थी , जब वो राहुल के जवान बदन को देखती तो उसके पूरे बदन में आग लग जाती लेकिन उसने कभी राहुल का फायदा उठाने की कोशिश नही की प ।रात में जब सब खाना खाने के बाद टीवी देख रहे होते तो वो अपनी छत पर चला जाता और तीन बार खांसता पिंकी जो उनके किरायेदारों की बेटी थी चुपके से ऊपर आ जाती और दोनों बैठ के बातें करते कभी 2 वो उसके लिए कुछ खाने को भी ले आती अपने घर वालों से छुपा कर । टयूशन से घर जाते हुए सारा रास्तावो यही सोचता रहा की कब रात होगी और वो कब पिकिं को दीदी के बारे में बता पायेगा ।
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