RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
इतना कह कर राजन चला गया। सोनिया ने समीर और नेहा को भी फ्रेश होने भेज दिया। इतने बेशरम तो हो ही गए थे कि अब साथ नहाने जा सकते थे। समीर का लंड तो वैसे ही सोनिया की ड्रेस देख कर खड़ा था, उसने नेहा को शॉवर में जी भर के चोदा फिर दोनों बाहर आ गए।
नेहा ने भी एक सेमी-ट्रांसपेरेंट टॉप और मिनी-स्कर्ट पहन ली थी। उसने खास तौर पर समीर को ललचाने के लिए अपनी स्कर्ट ऊपर करके दिखाई थी, कि उसने अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी टॉप देख कर तो कोई भी कह सकता था कि उसके अन्दर ब्रा भी नहीं थी।
सोनिया किचन में व्यस्त थी और नेहा-समीर बाहर टीवी देखने लगे। समीर से रहा ना, गया उसने नेहा को खड़ा किया और अपने शॉर्ट्स को नीचे और उसकी स्कर्ट को ऊपर किया। समीर ने अपने लंड पर थूक लगा कर एक बार में पूरा लंड नेहा की चूत में उतार दिया। एक दो धक्के लगाए ही थे कि नेहा ने रोक दिया।
नेहा- यार देखो! चोदना है तो फिर रुकना मत चाहे दीदी आये या भैया मैं फिर यहीं पूरी चुदाई करवाऊँगी। हिम्मत है तो चोदो, नहीं तो रहने दो।
समीर- लेकिन यार, तू इतनी सेक्सी लग रही है कि कण्ट्रोल नहीं हो रहा। एक काम करता हूँ, तू टीवी देख और जब तक खाना नहीं बनता, तब तक मैं किचन में दीदी से बात करता हूँ।
इतना कह कर समीर किचन में चला गया। सच कहें तो ये बस एक बहाना था। किचन में जाते ही समीर, सोनिया के पीछे जा कर खड़ा हो गया, फिर उसने अपने हाथ सोनिया की ड्रेस के सामने वाले हिस्से से अन्दर डाले और उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। थोड़ी देर बाद उसने एक हाथ से सोनिया की ड्रेस थोड़ी ऊपर की और अपना पहले से तना हुआ गीला लंड सोनिया की चूत पर टिका दिया।
समीर- डाल दूँ?
सोनिया- क्या यार! पहली बार चोद रहे हो वो भी ऐसे। मैंने तो क्या क्या सपने देखे थे, कि भैया के साथ सुहागरात मनाऊँगी।
समीर- अरे यार! कल दोपहर से अब तक हम सब कुछ कर चुके हैं लेकिन बस चुदाई ही नहीं की; अब मुझ से रहा नहीं जा रहा।
सोनिया- अभी पता नहीं खुल्लम खुल्ला कितना चोद पाओगे। पता चला अधूरा छोड़ना पड़ा। अगर पकड़े गए तो और भी मज़ा किरकिरा होगा।
समीर- चिंता ना करो दीदी, नेहा को मैंने पटा लिया है। उसको हमारी चुदाई से कोई शिकायत नहीं होगी।
सोनिया- हाँ हाँ, पता है। वो तो खुद अपने भाई के नाम की उंगली करती है चूत में, उसे क्या शिकायत होगी। लेकिन छिप छिप कर अपने भाई से चुदवाने का मजा ही अलग है।
समीर- अभी कौन सा किसी के सामने चुदवा रही हो दीदी, अभी भी चुपके चुपके ही है। नेहा यहाँ नहीं आएगी, लेकिन आपको कैसे पता कि उसको अपने भाई से चुदवाना है?
सोनिया- मैंने देखा है उसे, चूत में उंगली करते हुए। भैया-भैया बडबड़ाती रहती है।
समीर- तो मिलवा दो ना प्यासे को कुँए से। इसी बहाने हमारा भी रास्ता साफ़ हो जाएगा।
सोनिया- आज रात पार्टी में कुछ जुगाड़ लगाते हैं। तुझे खुल्लम खुल्ला करने का शौक चढ़ा है ना…
इस बात पर दोनों बहुत उत्तेजित हो गए सोनिया पहले ही पीछे गर्दन घुमा कर बात कर रही थी, समीर भी थोड़ा झुका और अपनी बहन के होंठों से होंठ जोड़ दिए। दोनों की आँखें बंद हो गईं और जीभें कुश्ती लड़ने लगीं।
थोड़ी देर तक ऐसे तीव्र चुम्बन के बाद जब साँस लेने के लिए अलग हुए तो…
सोनिया- डाल दे… चोद दे अपनी बहन को यहीं पर…
इतना सुनते ही समीर ने एक धक्का दिया और सोनिया की चूत में लंड टिका कर चूत की गहराइयों में सरसराते हुये उतार दिया। उधर समीर ने सोनिया के चूचुकों को सहलाना और मसलना भी शुरू कर दिया था।
काफी देर तक समीर उसे ऐसे ही चोदता रहा। आखिर जब दोनों झड़ने की कगार पर थे, तो एक बार फिर दोनों के होंठ जुड़ गए। दोनों आनंद के अतिरेक पर सिसकारियां भर रहे थे लेकिन उनकी आवाजें अनके चुम्बन में घुट गई थीं… ऊम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई… ओह्ह!
आखिर झड़ते-झड़ते, सोनिया की चीख निकल ही गई। समीर के लंड ने इतना वीर्य छोड़ा था, कि सोनिया की चूत से बह निकला और दोनों का मिला जुला रस उसकी एड़ी तक जा पहुँचा था। इनकी आवाज़ बाहर नेहा तक जा पहुंची थी।
नेहा- क्या हुआ भाभी?… नेहा ने कमरे से ही चिल्लाते हुए पूछा।
समीर- कुछ नहीं! दीदी का हाथ जल गया था। मैंने जेली लगा दी है। ठीक हो जाएगा।
समीर ने तुरंत पेपर नैपकिन के रोल से एक हिस्सा लिया और सोनिया की एड़ी से लेकर उसकी चूत तक पोंछ दिया और फिर उसे सोनिया को दिखाते हुए जोर से सूंघा।
समीर- जेलीऽऽऽ!
वो धीरे से लेकिन संगीतमय अंदाज़ में बोला, और दोनों दबी दबी हँसी में हँस दिए.
जल्दी ही दोनों खाना लेकर डाइनिंग टेबल पर आये और सब खाना खाने लगे। नेहा इतना तो समझ गई थी कि सोनिया का हाथ नहीं जला था लेकिन उसने ये नहीं सोचा था कि समीर ने उसे चोद ही दिया होगा। अभी सबके दिमाग में जो चल रहा था वो बड़ा रोचक था।
आज शाम की पार्टी में राजन और नेहा कोशिश करने वाले थे कि वो समीर और सोनिया को चुदाई के लिए उकसाएं। दूसरी तरफ सोनिया और समीर, नेहा को राजन से चुदवाने की कोशिश करने वाले थे।
सोनिया तो जानती थी, कि राजन पहले से ही बहनचोद है लेकिन समीर की इच्छा पूरी करने के लिए, वो भी समीर के साथ, नेहा को राजन से चुदवाने में समीर की मदद करने वाली थी।
खाना खाते-खाते सब अपने मन ही मन शाम की योजना बनाने में लगे हुए थे। बातें बहुत ही कम हो रहीं थीं लेकिन ये तूफ़ान के पहले की शांति थी। वो तूफ़ान जो अभी सबके मन में था, और जल्दी ही बाहर आ कर इन चारों की ज़िन्दगी ही बदल देने वाला था।
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