RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
नेहा- मैं कुंवारी नहीं हूँ, मतलब तुम पहले नहीं हो जिसके साथ मैंने सेक्स किया है। लेकिन रात को जो मैंने तुम्हारे साथ महसूस किया वो पहली बार ही था। और मुझे नहीं लगता कि मैं वैसा किसी और के साथ फील कर पाउँगी।
समीर- हम्म, कौन था वो?(मैं पहले से जानता था कोई भी तुम्हारी चुत देख कर समझ जायेगा कि कितनी चुदी है साली रंडी मुझे चुतिया समझती है समझती रहे अपनी बला से)
नेहा- वो मैं तुम्हें वक़्त आने पर बता दूँगी। तुम अभी बस ये बताओ कि तुम्हें इस बात से कोई गिला-शिक़वा तो नहीं है न?
समीर- मुझे क्यों बुरा लगेगा तुम्हारी अपनी लाइफ है जैसे चाहे जिओ तुमने जब मुझे सच कहा है तो मैं भी तुम्हे सच बताता हूं यह मेरा भी पहली बार नही था मैं अपनी गर्ल फ्रेंड को कई बार चोद चुंका हु उसकी सील भी मैंने ही तोड़ी थी तो तुम ज्यादा परेशान मत हों(साली कही मुझे अपनी जवानी के जाल में फंसाकर मुझसे शादी तो नही करना चाहती आगे देखते है क्या होता है अपना तो एक उसूल है चुदाई किसकी भी करो पर शादी तो अपनी पसंद की लड़की से करो जो सिर्फ तुम्हारी हो ना कि तुम्हारे पीछे किसी से भी चुदती फिरे शादी के बाद मैं सिर्फ अपनी बीवी का वफादार बनकर रहूंगा)
इस तरह बातें करते करते दोनों बाहर आ चुके थे। सोनिया वहीं कुछ काम में लगी थी। उसने एक झीना सा गाउन पहना हुआ था जिसको ध्यान से देखो तो साफ समझ आता था कि वो अंदर नंगी ही थी। इन लोगों की बातें सुनकर उस से भी रहा नहीं गया।
सोनिया- क्या बातें चल रहीं हैं तोता-मैना की? एक रात में ज़िन्दगी भर की बातें करने लगे? नेहा भाभी के साथ किचन में चली गयी
नेहा- अब भाभी, आपसे क्या छिपाना… मैं सोच रही थी कि जब भी कभी शादी की बात चलेगी तो मैं समीर से ही करूंगी
सोनिया- इतनी जल्दी इतना बड़ा फैसला कैसे कर लिया?
नेहा- आपको याद है आपने एक बार कहा था ‘शायद इसी को प्यार करना कहते हैं।’ मुझे वो फीलिंग समीर के साथ महसूस हुई है।
नेहा की बात सुन कर सोनिया कुछ उदास सी हो गई। उसे लगा शायद अब वो समीर से दूर हो जाएगी। नेहा को ये बात समझते देर न लगी। नेहा ने शैतानी मुस्कराहट के साथ समझाया।
नेहा- चिंता मत करो भाभी, प्यार एक से करो लेकिन चुदाई के लिए तो पूरी दुनिया पड़ी है। आपके भाई पर कब्ज़ा नहीं करुँगी। (आँख मारते हुए) जितना मर्ज़ी चुदवा लेना।
सोनिया-क्या समीर शादी को मान गया है?
नेहा-नही पर मैं उसे जरूर मना लुंगी
इतना सुनते ही सोनिया के मन में ख़ुशी की लहार दौड़ गई और दोनों ननद-भौजाई हँसते खिलखिलाते हुए किचन से खाना ले कर बाहर आईं। दोनों ने जल्दी से खाना टेबल पर लगा दिया और फिर सब खाना खाने बैठ गए।
नेहा- भाभी! मेरा तो अब ध्यान गया… आपके गाउन को ध्यान से देखो तो साफ़ समझ आता है कि आपने अंदर कुछ नहीं पहना। मुझे नहीं पता था कि आप समीर के सामने भी इतना बोल्ड हो सकते हो।
सोनिया- अब यार अभी थोड़ी देर पहले ही तो तुम दोनों ने मुझे नंगी देखा है; इसलिए मैंने भी ज़्यादा परवाह नहीं की, जो सामने मिला, पहन लिया।
समीर- जो भी हो, आप सुन्दर लग रही हो इस गाउन में!
सोनिया- ऐसा है तो अब से ऐसे ही गाउन पहन लिया करुँगी। मेरे पास तो अधिकतर ऐसे ही हैं सब। सोनिया ने समीर को खाना खाने को बुलाया
समीर को ऐसा लगने लगा था कि उसके और सोनिया के बीच जो एक पर्दा था वो गिर चुका था। अंदर ही अंदर वो दोनों जानते थे कि वो एक दूसरे को नंगे नहाते हुए देखते थे और यहाँ तक कि एक दूसरे को अपनी कामुक अदाएं भी दिखाते थे लेकिन फिर भी जब आमने सामने होते तो ऐसा व्यव्हार करते थे कि जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं हो। लेकिन अब समीर को लग रहा था जैसे सोनिया ने वो पर्दा गिरा दिया है और वो अब दोहरी ज़िंदगी नहीं जियेगी।समीर भी यहा सोनिया के लिये आया था नेहा तो बोनस में मिल गयी समीर सिर्फ अपनी बहन और माँ का दीवाना था घर मे इतनी खूबसूरत सेक्सी माँ हो तो वह इधर उधर क्यों जाये
सोनिया ने पहला कदम आगे बढ़ा दिया था और अब समीर भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहता था। उसके जीजा जी ने उसे जो बातें कहीं थीं वो उसे और हिम्मत दे रहीं थीं। क्योकि उसे पता था कि वो ऐसा कोई काम करने नहीं जा रहा था जिसमें सोनिया की मर्ज़ी न हो। जब तक आप किसी की मर्ज़ी से कुछ करते हो तब तक वो सही होता है इस बात ने उसे एक नई हिम्मत दी थी। रात को जो नेहा के साथ हुआ उसने इस बात को साबित भी कर दिया था।
अब तक जो भी समाज ने नियम क़ानून समीर को रोकते आये थे वो सब बेमानी हो गए थे। सोनिया की बातों ने उसका ये डर भी मिटा दिया था कि वो ऐसी किसी बात का बुरा मान सकती है। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। इसी सोच में डूबे हुए उसने खाना खत्म किया और सोफे पर जा कर बैठ गया।
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