RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे नशा उतरने के बाद भी राजन की बहन और उसकी पत्नी इस सारे भाई बहन की चुदाई के प्रकरण से खुश थे और किसी को कोई अफ़सोस नहीं था। इसका कारण यह था कि सोनिया भी अपने भाई के लंड के सपने देखा करती थी और राजन नेहा ने उसे वादा किया कि वो उसका सपना पूरा करने में उसकी मदद करेंगे।
अब आगे…
हमारे दिन (और रातें) मज़े में कट रहे थे। मुझे 2-2 चूत चोदने को मिल रहीं थीं। घर में किसी की शर्म लिहाज़ करने की ज़रुरत नहीं थी। सब सारा समय नंगे ही रहते थे। XXX विडियो टीवी पर ऐसे चलते थे जैसे घरों में आम तौर पर म्यूजिक चैनल चलते हैं, माहौल एकदम मस्त था।
लेकिन एक दिन जब सोनिया को चोदने के बाद मैं नेहा को चोद रहा था तो मैंने देखा कि सोनिया लेटे-लेटे हमें देख रही है लेकिन उसका ध्यान कहीं और ही था जैसे किसी और ख्याल में खोई हुई हो।
तब अचानक मुझे याद आया कि उसे भी अपने भाई की याद आ रही होगी। हम दोनों भाई-बहन की चुदाई देख कर उसका भी मन उसके भाई से चुदवाने को करता होगा। हमने उससे वादा भी किया था लेकिन हम अपने मज़े में इतने खो गए थे कि भूल ही गए।
मुझे ये सोच सोच कर बहुत आत्मग्लानि का अनुभव हुआ और मैं झड़ नहीं पाया। जैसे ही नेहा झड़ी, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और मैं दोनों के बीच लेट गया। मेरा खड़ा तना हुआ लंड देख कर सोनिया बोली- अरे तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है। लाओ मैं एक बार फिर चुदवा लेती हूँ।
राजन- नहीं, अभी मूड नहीं है।
सोनिया- अरे ऐसा क्या हो गया? अभी तो पूरे जोश में नेहा की चुदाई कर रहे थे।
राजन- वही तो… जब मैं उसे चोद रहा था तो मैंने देखा तुम पता नहीं किन ख्यालों में खोई हुई हो। तब मुझे याद आया कि तुमको भी शायद समीर से ऐसे ही चुदवाने तमन्ना हो रही होगी। और हमने तुमको वादा भी किया था लेकिन हम भूल ही गए। मुझसे तुम्हारी उदासी देखी नहीं गई इसलिए मूड ख़राब हो गया।
इतना सुनते ही सोनिया ने मुझे गले लगा लिया और जोर से एक चुम्मी लेकर मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ते हुए बोली- जिसका पति उसके बारे में इतना सोचता हो वो भला उदास कैसे रह सकती है। आपने बिल्कुल सही समझा, मैं अपने भाई के ख्यालों में ही खोई हुई थी। लेकिन मुझे पता है आप अपना वादा नहीं भूले हैं और निभाएंगे भी इसलिए अभी तो मुझे आप पर बहुत प्यार आ रहा है।
उसकी आँखों में आंसू भर आये थे और मुझे पता था वो ख़ुशी के आंसू थे। उसने मुझे बहुत ही कोमल सा चुम्बन किया और हम एक दूसरे के होंठों को हौले हौले चूसने लगे। इस चुम्बन में वासना की उफान नहीं बल्कि सच्चे प्यार की स्थिरता थी। हम दोनों एक दूसरे की ओर करवट किये हुए लेटे थे और एक दूसरे को बाहों में भरे हुए सर से पाँव तक एक दूसरे से चिपके हुए थे। हमारी जांघें और पैर आपस में ऐसे गुत्थम गुत्था थे जैसे आपस में बंध जाना चाहते हों।
स ऐसे ही चिपके हुए मैं कभी उसकी पीठ सहलाता तो कभी नितम्बों से होता हुआ जाँघों तक हल्के से सहला देता, तो कभी स्तनों के बाजू से अपनी उंगलियाँ सरसरा देता।
सोनिया ने धीरे से अपना हाथ पीछे से अपने दोनों पैरों के बीच सरकाया और उसकी दोनों जाँघों के बीच दबे मेरे लिंग को धीरे से अपनी योनि में फिसला दिया। ना तो हमारा चुम्बन टूटा, ना ही आलिंगन लेकिन हम दोनों ने धीरे धीरे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। कभी वो हल्के से मेरे नितम्बों को अपनी हथेलियों से मसल देती तो कभी मैं अपने हाथों से उसके स्तनों तो दबा देता या फिर उसके नितम्बों को अपनी हथेलियों का सहारा देकर अपना लिंग उसकी योनि की गहराइयों तक पहुंचा देता।
यह सब हम बहुत आराम से और हौले हौले कर रहे थे। ऐसा लग रहा था मानो आज हमने पहली बार प्यार करना सीखा था। ना जाने कब तक हम ऐसे ही धीरे धीरे अपने इस अनूठे समागम के आनन्द में गोते लगाते रहे।
और भी अजब बात यह थी कि जब हम अपने अतिरेक पर पहुंचे तो भी हमारी रफ़्तार बहुत तेज़ नहीं हुई, ना ही हमारा आलिंगन या चुम्बन टूटा। लेकिन इतनी देर तक पहले कभी हमने पराकाष्ठा (climax) का अनुभव नहीं किया था। काफी देर तक मेरा लिंग सोनिया की योनि में वीर्य की वर्षा करता रहा और उसकी योनि भी मेरे लिंग को ऐसे चूसती रही जैसे कोई बच्चा अपना अंगूठा चूसता है।
सब ख़त्म होने के बाद भी हम ऐसे ही चिपके पड़े रहे, बीच बीच में कभी कभी मेरा लिंग झटका मार देता तो उसकी योनि भी कस जाती या उसकी योनि में खिंचाव आ जाता और उसकी वजह से मेरा लिंग झटके मारने लगता।
हम पता नहीं कितनी देर ऐसे ही पड़े रहते लेकिन नेहा हमें वापस इसी दुनिया में वापस ले आई।
नेहा- भैया!!! भाभी!!! ये क्या था?
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