RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
तभी विराज ने उसकी ग़लतफ़हमी दूर की- साले साहब शरमाओ नहीं, मुझे लोगों ने नहीं खुद शालू ने सब कुछ विस्तार से बता दिया है कि कैसे आपने इसकी गांड मारना शुरू किया था। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। शालू की इच्छा थी कि वो हम दोनों से एक साथ चुदाए और गांड मराए, इसीलिए आपको बुलवाया था।
शालू- हाँ भैया, ये सच बोल रहे हैं मैंने ही इनको सब बताया था और इनको कोई तुम्हारे साथ मेरी चुदाई करने में मज़ा ही आएगा। तुम फिकर ना करो। हमाम में सब नंगे हैं।
तब तक विराज ने अपने कपड़े निकाल फेंके थे और वो शालू के साथ सुनील के कपड़े निकालने में उसकी मदद करने लगा। कुछ ही पलों में तीनों नंगे हो चुके थे लेकिन घबराहट के मारे सुनील का लंड खड़ा नहीं हुआ था।
शालू तुरंत घुटनों के बल बैठ कर अपने भाई का लंड चूसने लगी। सुनील ने अपने जीजा की तरफ देखा तो वो शालू को लंड चूसते हुए देख रहे थे और अपना लंड मुठिया रहे थे। अचानक दोनों की नज़रें मिलीं तो विराज मुस्कुरा दिया। इस से सुनील को बहुत साहस मिला और अब वो शालू का सर पकड़ कर अपनी कमर हिलाते हुए अपनी बहन का मुँह चोदने लगा।
विराज- ये हुई ना बात साले साब। आब आये ना सही लाइन पे।
सुनील- क्या जीजाजी! कौन पति अपने सामने अपनी बीवी को चुदवाता है? वो भी उसके भाई से? अब इतनी बड़ी बात हज़म करने में टाइम तो लगेगा ना।
विराज- और कौन लड़की चुदाई से पहले अपनी गांड मरवाती है? वो भी अपने भाई से? ये बात तो बड़ी जल्दी समझ आ गई थी साले साहब! हा हा हा…
इस बात पर सभी हँस पड़े। शालू को भी हँसी आ गई और उसने लंड-चुसाई छोड़ दी। माहौल हल्का होने से सुनील की घबराहट भी ख़त्म हो गई थी और उसका लंड भी अब अपनी बहन को सलामी देने लगा था।
विराज को लगा अब सब गर्म हो गए हैं और शालू नाम के मसालेदार गोश्त को बीच में डाल कर सैंडविच बनाने का समय आ गया है। लेकिन जब उसने शालू को बिस्तर की तरफ ले जाने के लिए हाथ बढ़ाया तो शालू ने बड़े ही घिघियाते हुए उस से अनुरोध किया- सुनो ना… भैया को आज पहली बार मौका मिल रहा है। हमेशा से मेरी चूत कुंवारी रखने के चक्कर में बस गांड ही मारते थे, कभी चोदा नहीं। आज राखी का दिन भी है तो पहले ज़रा भैया से चुदवा लेने दो ना। उसके बाद आप भी आ जाना हमारे साथ। प्लीज़…
जब भी मायके से कोई आता है तो बीवियों का सारा झुकाव उन्हीं की तरफ हो जाता है। जो बीवी, पति को अपनी जूती की नोक पर रखती हो, वो भी गिड़गिड़ाने लगती है। पति को भी पता होता है कि अभी विनती कर रही है लेकिन अगर बात ना मानी तो कल बेलन भी फेंक कर मार सकती है तो अक्सर पति अपना बड़प्पन दिखाते हुए हाँ कर ही देते हैं। विराज ने भी वही किया; ड्रेसिंग टेबल का स्टूल एक कोने में सरका कर बैठ गया।
उधर शालू अपने भैया का लंड पकड़ कर बड़े प्यार से उसे बिस्तर तक ले गई और उसे वहां लेटा कर खुद उसके ऊपर लेट गई। विराज ने पहले शालू को अपने परमप्रिय मित्र जय से चुदवाया था लेकिन तब वो भी चुदाई में शामिल था। आज जो दृश्य उसके सामने था वो तो विराज के लिए बिल्कुल नया था। उसकी धर्मपत्नी अपने नंगे भाई के गठीले बदन पर नंगी पड़ी हुई थी। उसके सुडौल स्तन उसके भाई के सबल सीने पर जैसे मसले जा रहे थे। उसकी कमर इस तरह लहरा रही थी मानो अपने भाई के लंड के साथ अठखेलियाँ कर रही हो।
अभी दोनों भाई बहन बस चुम्बन और आलिंगन में ही व्यस्त थे। ऐसा नहीं था कि लंड खड़ा नहीं था या चूत को गीली होने में कोई कसर बाकी थी लेकिन इतने सालों के बाद ये दो बदन मिल रहे थे, और वासना कोई लिंग-योनि के समागम का ही तो खेल नहीं है। और भी बहुत कुछ होता है जिसकी कामना मन और शरीर दोनों को होती है। काफी देर तक दोनों एक दुसरे की जीभें और होंठ चूसते-चाटते रहे। इसके साथ साथ सुनील अपने हाथों को अपनी बहन के पूरे नंगे शरीर पर फेर कर पुरानी यादें ताज़ा कर रहा था और शालू हल्के हल्के अपने तन को लहराते हुए मानो अपना नाज़ुक जिस्म अपने भाई की बलिष्ठ काया पर मसल रही थी।
विराज के मन में कहीं ना कहीं जलन की भावना भी आने लगी थी, उसके मन में प्यार भरी गाली उमड़ी ‘बहन का लौड़ा’
जैसे नाचने का मज़ा अलग होता है और नृत्य देखने का अलग वैसे ही ये जो वासना का नंगा नाच विराज की आँखों के सामने चल रहा था वो उसे कुछ ज्यादा ही मोहक लग रहा था। कई तरह के चुम्बनों और आलिंगनो ने बाद शालू उठी और उसने सुनील का लंड अपनी चूत के मुँह पर रख दिया।
शालू- बोलो, बना दूँ बहनचोद?
सुनील- जल्दी से बना दे मेरी बहन … बना दे अपने भाई को बहनचोद।
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