RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
आगे अब आप लोग ही तय करेंगे कि मैं अपनी लाइफ का एक एक शब्द आपको बताऊं या नहीं.. और एक बात मैं हमेशा बोलती हूं कि यदि मेरी फोटो में भी मुझे कोई मर्द देखेगा न, तो वह अपने जीवन में किसी लड़की किसी और फीमेल की कल्पना भी नहीं करेगा. वह एक बार मुझसे जरूर मिलना चाहेगा. मुझे कोई परवाह नहीं, जितने दिन की जिंदगी है, मैं खुलकर जिऊंगी और जो मेरा मन करेगा वह करूंगी.
अभी मैं उन्नीस साल की युवती हूं परन्तु पिछली घटनाओं को याद करती हूं तो बहुत रोमांचित हो जाती हूं. मैं अपने जीवन में कभी भी एक शब्द भी झूठ नहीं बोली हूं.. ना ही कभी कोई संकोच किया है.. मुझसे झूठ फरेब करते नहीं बना.
इसलिए मैं अपनी कसम खाकर कहती हूं. कभी भी एक शब्द झूठ या बनावटी ना लिखा है.. और न ही कभी लिखूंगी. आप सभी पाठकों को विश्वास हो रहा हो या नहीं, मैं यह नहीं जानती. पर एक एक बात जो मैंने लिखा है वह घटना, वह सब.. मेरे साथ और मेरी जिंदगी में वैसा ही हुआ है. यह मैं गॉड की कसम और मम्मी की कसम खाकर कहती हूं.
मैं अपनी मम्मी को उनकी हर गंदी आदतों के बाद भी सबसे ज्यादा मानती हूं.. उनकी झूठी कसम नहीं खा सकती हूँ.
सच्चाई यही है जो मैं बता चुकी हूं. अगले 15 दिन मेरे कैसे गुजरे.. और मैंने किस तरह से इंज्वाय किया, शायद मेरे लाइफ के सबसे अच्छे दिन थे. इस वक्त में मैंने बहुत मस्ती की, हर पल को जिया और कई लोगों को खुश किया. उन 15 लोगों में दो-तीन छोड़कर बाकी 12-13 लोगों ने कम से कम मेरे साथ तीन, चार बार और कुछ दो-तीन लोगों ने पांच पांच छह छह बार इंज्वाय किया. बहुत मस्त दिन गुजरे और मेरा जो जिस्म है न.. वहीं से मेरा फिगर डेवलप होने लगा और बहुत अच्छे शेप पर आना शुरू हो गया था.
मेरी सभी सहेलियां और कुछ लेडीज सब कहने लगीं कि मौसी के यहाँ जाकर तो तू संध्या खिल गई है, तेरा सीना बड़ा हो गया.. तेरा फिगर अल्टीमेट हो गया है.. ऐसा क्या खिलाया तेरी मौसी ने या वहाँ कुछ तूने गुल खिलाया है.. कि तू माल बन गई है.
सच में उन लोगों ने मेरा बहुत ख्याल रखा और जब मैं वहाँ से आई थी तो मेरे अकाउंट में पैसे भी काफी डाल दिए थे. वापस में मैं गिफ्ट भी बहुत सारे लेकर आई थी.
यह राज सिर्फ मैं जानती हूं और थोड़ा बहुत मेरी मम्मी को शक है. मम्मी मेरी लालची बहुत हैं, यह सत्य है.. पर वह मुझे बहुत चाहती हैं. ये भी सत्य है कि मुझसे ज्यादा वह पैसों को मानती हैं. कुछ कुछ चीजें उनको समझ आ गई थीं, तब भी वह मुझे सब लोगों के साथ जाने देती थीं.
यही सच्चाई है
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