RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
अभी तक आपने पढ़ा था कि मेरी सामूहिक चुदाई की तैयारी चल रही थी. सभी अंकल लोग मेरी नंगी जवानी के साथ अपनी फोटो खिंचवाने के लिए अंकित से कह रहे थे.
अब आगे..
पहले तो उन अंकल ने मेरी टांगों को थोड़ा फैलाया और अचानक नीचे चूत को चाटने लगे. मुझे अजीब सा कुछ महसूस होने लगा, मेरी कमजोर नस पर उन्होंने हाथ रख दिया. मेरी चूत में कोई हरकत करे, तो फिर मैं अपने आप ढीली पड़ने लगती हूं.
वह अंकल मेरी चूत में जोर जोर से अपनी नाक रगड़ रहे थे, मेरी चूत को सूंघ रहे थे और जमकर पूरी जीभ अन्दर डाल कर उसे बहुत गन्दे तरीके से फैला फैला कर चूस और चाट रहे थे, जिससे मेरी हालत तेजी से खराब होने लगी और मेरी सांसें बहुत तेज़ तेज़ चलने लगीं.
वहीं अब किसी ने मेरी टॉप को ऊपर कर दिया तो मेरे बूब्स आजाद हो गए. पूरे नंगे मम्मों को अंकल ने जोर से पकड़ा और उनको नोंचने लगे. फिर अचानक से ही वे मेरे दोनों मम्मों को पकड़ के दबाने और मसलने लगे. मेरे एक हाथ में किसी का लंड था, जो मेरा हाथ पकड़ के रगड़वाने लगे, उनका लंड बहुत गर्म था.
इतने में कोई दूसरे अंकल ने भी मेरे दूसरे हाथ को पकड़कर अपने लंड में रखवा लिया और अपने लंड को ऊपर नीचे करवाने लगे. मुझे बहुत अजीब लगने लगा.. और मस्ती सी छाने लगी.
जिनका वो घर था, उन अंकल ने मेरी नाक को अपने मुँह में भर लिया और मेरी नाक चूसते हुए बोले- संध्या तुम्हारी नाक बहुत सेक्सी है, तुम बहुत बड़ी माल हो, तुम्हें आज बहुत मजा आएगा.
इतने में किसी ने मेरे नीचे आकर मेरे पीछे से मेरी गांड में अपना लौड़ा टच करा दिया, तो मुझे बहुत गुदगुदी लगने लगी. इतने में एक अंकल मेरी गांड में बहुत सारा थूक लगा दिया और चूतड़ खोल कर गांड चाटने लगे, अन्दर जीभ डालने लगे. उनकी इस हरकत से मैं बेकाबू होने लगी, मेरे अन्दर कुछ कुछ होने लगा. तभी एकदम से मैं भी कुछ करने के लिए तैयार हो गई. आखिर मैं एक जवान लड़की हूं, वह भी कच्ची कली; बिल्कुल जवानी की दहलीज पर मचलती हुई महक रही थी. मैं ऐसी स्थिति में कैसे चुप रह पाती, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
अभी तक तो मैं आंखें भी बंद की हुई थीं, पर मेरा पूरा जिस्म अकड़ने लगा और मुझे कुछ-कुछ होने लगा. जो अंकल मेरी गांड को चाट रहे थे, अब वह पीछे लिपट गए और मेरे कूल्हों में और मेरी गांड में अपना लंड रगड़ने लगे. वे अपना लंड घुसा नहीं रहे थे, पर अपने लंड से मेरी पूरी गांड के छेद को रगड़ रहे थे और वह अपनी जीभ से मेरी पीठ को चाट भी रहे थे. उनकी इस हरकत से मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी.
इतने में जो अंकल मेरी चूत को चाट रहे थे, उन्होंने अपने हाथ का अंगूठा मेरी चूत में घुसा दिया और साथ में जीभ भी डाल दी.
वह बोले कि मस्त रस निकलने लगा है चूत से अब.. ये संध्या गर्म होने लगी.
मैं समझ नहीं पाई कि कैसे मैं 5 से 7 मिनट में पूरी मदहोश होने लगी. अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था, मेरे अन्दर बहुत खलबली मची हुई थी. तभी कोई एक अंकल मेरे होंठों के पास अपने लंड को ले आए और मेरे होंठों पर अपने लंड को रगड़ने लगे. ऊपर से ही मेरे होंठ और नाक में लंड जब टच हुआ तो मैं कुछ समझ ना पाई. उसकी एक अलग सी सुगंध मेरी नाक में जाने लगी.
तभी वह अंकल बोले- संध्या तुम इसे चूसो.. बहुत मजा आएगा.यह कहते हुए वे मेरे मुँह में लंड डालने की कोशिश करने लगे.
नीचे वाले अंकल ने अपनी जीभ मेरी चूत में जोर से घुसा दी तो मेरे मुँह से अपने आप ऊंहहह की आवाज निकल गई और मुँह खुल गया, उसी वक्त उन अंकल ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में अन्दर डाल दिया. उनका लंड बहुत मोटा था, पर उतना लंबा नहीं था. मैं उसे अपने आप न जाने क्यूं बिल्कुल चूसने लगी, चाटने लगी और अपने आप मेरा हाथ उनके लंड में चला गया. मैंने उनका लंड पकड़ लिया और लंड पकड़ कर जोर जोर से मुँह में अपने घुसाने लगी. ये सब अपने आप मैं करने लगी.
तब अंकल बोले- संध्या अब जोश में आ गई है.. इसका मूड बन गया है.. बहुत ज्यादा गर्म हो गई है.वे मुझसे बोले कि संध्या तुम बहुत चुदासी हो यार.. अब एन्जॉय करो.. तुम अपनी आंखें भी खोल दो और अब मस्त खुल कर एंजॉय करो.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. अब तक मैं बहुत एक्साइटेड हो चुकी थी.. बिल्कुल मदहोशी छा गई थी.
तभी जो अंकल मेरे पीठ को चाट रहे थे और गांड में लंड रगड़ रहे थे, अचानक अपने आप उनका लंड मेरी गांड के छेद पर सैट हो गया और जोर से अंकल ने धक्का देते हुए अपने लंड को दबाया, तो मेरी गांड में फचाक से आधा लंड घुस गया.
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