RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
अब वो अंकल जिनका घर था, मेरे सामने आए और बोले- अच्छा इसको तो मैं जानता हूं.मेरी मम्मी का नाम लेकर बोले- यह तो उसकी बेटी है ना जो तपा में लालजी की मौसी है.अंकित बोला- हाँ अंकल, तपा वाली मौसी की बेटी है, लालजी की सगी मौसी है इसकी मम्मी!तब वो अंकल बोले- लालजी नहीं आया क्या? लालजी भी तो मुझसे इसके बारे में बता रहा था कि मौसी की लड़की सोनू बहुत मस्त है और बहुत हॉट है. उसने अपने मोबाइल में फोटो भी दिखाई थी इसकी एक दो! उसने बताया था कि वो मौसी की बेटी सोनू को कर रहा था, तभी पड़ोस के कोई चाचा आ गए थे और लालजी का काम पूरा नहीं हुआ, लालजी भी इस संध्या की अधूरी चुदाई कर चुका है, तब से वह भी इसे करने के फिराक में है.
तब मुझे बिल्कुल झटका सा लगा कि लाल जी तो मेरी पूरी गोपनीय बातें इन अंकल को मेरे बारे में बता चुका है, कैसा लड़का है लालजी? वो भी मेरी सगी मौसी का लड़का है, मेरे सगे भाई की तरह तब भी सबसे मेरी बात बताई.
तभी वे मकान मालिक अंकल बोले- लालजी ने मुझसे बोला भी था कि अंकल मैं सोनू की आपको दिलवाऊंगा जैसे ही मौका मिलेगा.तब अंकित बोला- एक ही बात है.. मुझे भी लाल जी ने ही इसके बारे में पूरा बताया था कि कैसी है संध्या! जब वो संध्या के ऊपर चढ़ा हुआ था, तब लालजी ने मेरी संध्या से बात भी करवाई थी. मुझे संध्या ने खुद बोला था उस समय कि आकर चोद लो.. तब मैं बोला था कि मेरे एक अंकल हैं, उनको भी ले आऊं? तो संध्या बोली थी कि जिनको जिनको लाना है ले आओ, उस वक्त उसने बहुत मस्त बात की थी, तब लालजी इसकी चूत चाट रहा था और एक इसकी बहन का लड़का पीयूष भी इसके साथ बिस्तर में था. लालजी ने संध्या की सेक्सी सेक्सी फोटो दिखाई थी कुछ नहाते की और कपड़े बदलते की.. मोबाइल पे दिखाई थी, जब से संध्या की सेक्सी फोटो देखी, तब से मैं इसके लिए पागल हो रहा था, आज मौका मुझे मिला. वैसे कल भी मैंने बाथरूम में इसको पकड़ा था मगर पूरा काम नहीं हो पाया जल्दी-जल्दी में भागना पड़ा, आज इसको बिल्कुल बहुत मस्त कर देना है, बहुत ही गजब की आइटम है ये संध्या.. इससे सेक्सी लड़की कोई नहीं मिलेगी अंकल! 10-12 मर्द भी इसको एक साथ कम पड़ जायें..ऐसी इसकी गर्मी है.
मैं अंकित की बातें सुनकर हैरान थी, उस हाल में मैं तीन बुड्ढे, दो अंकल और एक अंकित जो 22 साल का था करीब, ऐसे 6 मर्दों के बीच मैं अकेली लड़की थी. जो पहले मेरा मन कर रहा था सेक्स का.. वह पूरा डर में बदल गया, मेरे साथ यह पहली बार ऐसी स्थिति बनी मुझे कुछ समझ नहीं आया. एक तो दूसरा गांव.. ऊपर से रात के करीब 1:00 बजे रहे होंगे और अकेली मैं, छह मर्दों के साथ!
मैं राज अंकल से बोली- अंकल, प्लीज मुझे वहाँ पहुंचा दो जहाँ से लाये हो, अभी मुझे कुछ नहीं करना!जैसे ही मैंने ऐसे कहा तो मकान मालिक अंकल आए मेरे पास और मेरे कंधे पर हाथ रख दिया, बोले- तुम बिल्कुल घबराओ नहीं, तुम्हारा क्या नाम है, खुद से बताओ?मैं बोली- संध्या!तो अंकल बोले- संध्या सुनो, हम तीनों तुम्हें छुएंगे भी नहीं. यह जो एक सफेद टी-शर्ट में हैं, यह मेरे समधी हैं, कल से आए हुए हैं. और यह जो थोड़े लम्बे चौड़े हैं.. मेरे समधी के साथ नौकरी करते थे. तो बस तुम्हें देखने के लिए हम तीनों आए हैं. मेरा थोड़ा मन था पर कोई बात नहीं, तुम्हारी मर्जी!
और ऐसा कहकर उन्होंने मुझे गले से अपने लगा लिया. मैं कुछ नहीं बोली.
तभी वे मेरी एक गाल में हाथ रखकर बोले- मेरी तरफ देखो, यह मेरा घर है, इसे तुम अपना समझो. तुम्हारा मन है तो कुछ देर खुल कर इंजॉय करो, जीवन मस्ती और इंजाय के लिए है, दो दिन की जवानी है, बस इसे खूब फन और फाड़ू मस्ती में गुजारो! कल का क्या भरोसा.मैं बोली- अंकल, मैंने आज तक इतने सारे लोगों के साथ में कभी नहीं किया है.
तभी मकान मालिक बोले- संध्या हम लोग तुम्हें छोड़ कर चले जाते हैं, तुम यहीं रहो और यहीं सो जाओ कोई तुम्हें टच नहीं करेगा.तब मुझे कुछ अच्छा लगा यह सुनकर, जिनका मकान था, वे मुझे अच्छे लगे, उनकी बातें अच्छी लगीं.उन्होंने मुझे अपने आप गले लगा लिया और बोले- तुम मेरी नातिन जैसी हो, मेरी नातिन भी तुमसे बड़ी है, तुमको कोई दिक्कत नहीं होगी! मेरे ऊपर भरोसा करो, बस 10-15 मिनट के अन्दर तुम्हें वही पहुंचा दूंगा.. मेरी गारंटी है.मैं बोली- पक्का अंकल? प्रॉमिस करिए!
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