RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
यह कहते हुए अंकित जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा.अब मेरी हालत खराब होने लगी, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं?
मुझसे अंकित ने एक अजीब सा सवाल किया जो सुनकर मैं सन्न रह गई, वो बोला- संध्या, मैं बहुत अच्छे से जान गया हूं कि तुम बहुत चुदाई करवा चुकी हो. पर एक सवाल का जवाब इमानदारी से देना, क्या तुम कभी पैसे लेकर चुदी हो? या किसी मर्द ने तुम्हें पैसे दिया है चोदने के बाद? अगर सच बोलेगी तो मैं तुझे बहुत पैसे दिला दूंगा अपने ही गांव में!फिर बोला- चल अच्छा एक बात बता खुल कर संकोच मत करना; अगर मैं तुझे पैसे दिलवाऊं तो तू चुदवायेगी? मेरे दो अंकल हैं, एक नेता हैं, दूसरे रिटायर इंजीनियर; दोनों बहुत पैसे वाले हैं, उन्हें नया नया माल चाहिए. दोनों एक साथ करते हैं, और लड़की पसंद आयी तो बहुत पैसे देते हैं. बता संध्या, सच बोल दे … तेरा ही फायदा है, यहाँ से बीस किलोमीटर दूर मानिकपुर शहर है, वहां ले चलकर शापिंग वो लोग करवा देंगे, तेरी ऐश हो जायेगी. सच सच बता दे संध्या, बात कर लूं?
मैं बोली- तू बहुत कमीना है! मैं इस तरह की लड़की नहीं हूं, समझे और न मैं करती हूं न करूंगी!मुझे जोर से सू-सू आ रही थी, मैं बोली- छोड़ मुझे … बहुत सू सू आ रही है.पर इतना गन्दा था अंकित, बोला- कर दे … मुझे तेरी सेक्सी टेस्टी सू-सू पीनी है.
अंकित नहीं हटा और मेरी सू-सू छूट गई, अंकित बिल्कुल मुंह नहीं हटाया मेरी चूत से और पूरी मेरी सू-सू गटक गया. वो इतना गन्दा होगा, मैं सोच नहीं सकती थी. अजीब ही लड़का है, पर उसकी यह हरकत मुझे उत्तेजित कर गयी और जाने मुझे क्या अजीब सी फीलिंग हुई.
इतने में अंकित बोला- संध्या, तेरी पेशाब बहुत टेस्टी है, पीके मजा आ गया! संध्या अब तू सीधे घूम जा!और कमर पकड़ के मेरी मुझे सीधे घुमा दिया.
मैंने सोची जाने क्या करेगा यह! मुझे नहीं पता था.इसके बाद जैसे ही मैं सामने हुई तो मेरी पूरी चूत खुल गई, मेरी खुली चूत अंकित के आंखों के सामने थी, वह खा जाने वाली नजरों से उसे देख रहा था.
उसके बाद अपनी हथेली से मेरी चूत को रगड़ने लगा और बोला- संध्या, तू बहुत गजब की माल है, क्या मस्त तेरी चूत है बिल्कुल लाल सुर्ख पड़ी हुई है, बहुत मजा आएगा! मैं तुझे जो बोला हूं, सोच ले. तुझे यहां दस से पंद्रह दिन रहना है मैं तुझे मालामाल करवा दूंगा. तू किसी ना किसी से तो चुदवाएगी ही और पहले भी चुदाई करवाती ही रही होगी, पर मेरी एक बात मान ले तू कभी भी किसी से फ्री में मत चुदवाना, सब करना पर उसके लिए कुछ पैसे बोल दिया कर, तुझे मजा भी मिलेगा और कुछ पैसे भी आ जाएंगे. आज कल सभी लड़कियां यही करती हैं, इसमें कोई बुराई नहीं … जो चीज करना ही है उसमें कुछ पैसे मिल जाएं तो क्या बुरी बात है.
मुझे अंकित की यह बात सच में पसंद आई और अच्छी लगी पर मैं उसे अभी कुछ नहीं बोली.इतने में अंकित मुझे बोला- संध्या, तू अपनी टॉप थोड़ा ऊपर कर ले! तेरे दूध भी देख लूं!
उस टॉयलेट में जहां हम दोनों घुसे थे, उसमें बिल्कुल जगह नहीं थी. छोटे से गांव का टॉयलेट था, तो मैं सिर्फ खड़ी रह सकती थी, उसमें लेटने की जगह नहीं थी, इतने में अंकित ने खुद मेरे टॉप को अपने हाथों से चढ़ा के गर्दन तक किया और नीचे जो समीज पहनी थी, उसे भी ऊपर किया, अब अंकित को जैसे ही मेरे बूब्स दिखे तो बिल्कुल पागल सा हो गया और अंकित ने अपने एक हाथ से मेरे नंगे दूध पर अपना हाथ लगाया और जोर से दबा दिया. और फिर दोनों बूब्स को बारी-बारी से जमकर दबाने लगा.
फिर अचानक उसने इतने जोर से दूध को कस कर दबाया कि मेरी चीख निकल गई.वो मेरी चुची मसलते हुए बोला- संध्या, तू कब से चुदवाना शुरू करवा चुकी है, इतने मस्त तेरे फीचर्स हैं इतना जबरदस्त फिगर है वो भी इतनी छोटी उम्र में! संध्या तू लाजवाब है, इतनी छोटी उम्र में किसी भी लड़की का इतना मस्त फिगर नहीं होता है, तुम संध्या बहुत ज्यादा चुदाई करवा चुकी हो, सच बता मुझे भी!
परन्तु मैं आज सच में कुछ नहीं बोल रही थी.
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