RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
बात उस समय की है जब नवंबर महीने में मेरी मौसी की बेटी की शादी होने वाली थी, मेरी मौसी मम्मी को हर दिन चार बार फोन लगाया करती थी, कि जल्दी से जल्दी मेरे पास आ जाओ यहां कोई काम करने वाला नहीं है.तभी मम्मी मुझे लेकर शादी के 15 दिन पहले मौसी के गांव मनका चली गई, वहां शादी का माहौल था पर मेरे लिए वहां कई लोग अजनबी थे जिन्हें पहली बार देख रही थी.
परंतु सभी लोग मेरी मम्मी को बहुत अच्छे से जानते थे, मुझे देखकर बोलते थे कि यह तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई.तब मम्मी कहती- यह अभी तो छोटी है. बस यह बड़ी दिखने लगी है.
मौसी के घर में जितने मर्द थे, सभी मेरी तरफ एकटक देखते रहते, कोई मेरा नाम पूछता, कोई मुझे बस घूरकर देखता ही रहता, वहां बूढ़े या जवान सब … पता नहीं क्यों मेरी तरफ एक अजीब सी नजर से मुझे देखते थे, मैं भी सोचूं कि पता नहीं ऐसी क्या बात है मुझमें जो सभी बस घूरे ही जाते हैं जैसे कभी लड़की ही ना देखी हो.पर फिर मैंने सोचा कि जाने दो जैसे भी हैं.
वहां मेरे मौसी का बेटा था उसका नाम लालजी और उसके सगे ताऊ जी का बेटा अंकित था, वे दोनों घर का पूरा काम किया करते थे, दोनों ही मेरे रिश्ते में भाई लगते थे, अंकित मुझसे दो-तीन साल उम्र में बड़ा था, जबकि लालजी मुझ से 1 साल छोटा था, मैं लालजी से बहुत घुली मिली थी और अंकित से बस एक दो बार छोटे में मिली थी, इसलिए उससे ज्यादा बात नहीं करती थी.
दो दिन बाद मम्मी ने कहा- सोनू, खाना तू परोसा कर आज से!तो मैं खाना परोस रही थी, जैसे ही झुक के खाना देने लगी तब मैंने देखा कि वहां बैठे सभी मर्द, एक दो को छोड़कर, सब मेरी तरफ घूरे जा रहे थे.
जब मैंने इसका कारण देखा तो समझ आया कि मैंने जो टॉप पहना था वह झुकने पर गले से बिल्कुल नीचे तरफ पूरा खुल जाता था जिससे मेरे पूरे बूब्स सीधे नजर आते थे.
मैं अंकित को जब दोबारा दाल देने गई तो वह बोला- बहुत मस्त हैं!मैं देखने लगी तो पाया कि वह एकदम मेरे बूब्स तरफ देखे जा रहा था. तो मैं शरमा कर खड़ी हो गई पर उसकी नजरें अब बिल्कुल अलग ही तरह से मेरे बदन पर थी.
उसके बाद मुझे उसी दिन शाम को दरवाजे पर मैं खड़ी थी, अंकित कहीं बाहर से आया, आस पास कोई नहीं था तो वो वहीं खड़ा हो गया और इतनी बदतमीजी से बात की कि मैं बता नहीं सकती.वो बोला- संध्या तू बहुत ही खूबसूरत है. बहुत हाट एन्ड सेक्सी लुक है तेरा! तुझे सोच कर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और तुझे देख लेता हूं तो कन्ट्रोल ही नहीं होता. लगता है तुझे सीधे चोद दूं, और कोई भी मर्द जाति का तुझे देख लेगा उसका तुझे चोदने का मन करेगा ही! संध्या चल दे ही दे … बुरा मत मानना जब से तू आई है मेरा बुरा हाल है!
मैं बोली- तुम बहुत कमीने हो! मैं तुम्हारी मम्मी और पापा मतलब मौसी और मौसा को यह सब बता दूंगी कि तू ऐसी गन्दी बात मुझसे करता है. मैं तेरी छोटी बहन लगती हूं रिश्ते में, तू मेरे बारे में ऐसा सोचता है.अंकित बोला- तू जा अभी बता दे सबसे कि मैं तुमसे चोदने को मांगता हूं, जा अभी बता संध्या!मैं बोली- बताऊंगी ही!और वहां से चली गई.
उस समय उसके पापा मम्मी नहीं मिले, एक घंटे के बाद लगभग जब अंकित के पापा मम्मी मुझे दिखे, मैंने सोचा कि बता दूं अंकित की बदतमीजी!लेकिन उनके सामने जैसे ही गई, मेरी हिम्मत टूट गई, सोचने लगी कि क्या बताऊं कि मुझे अंकित चोदने को बोलता है?मैं टाल गयी.
उसकी मम्मी मुझे बोली- सोनू तू तो बड़ी दिखने लगी है पढ़ाई ठीक चल रही है तेरी?मैं बोली- जी मौसी जी!और चली गई.
वो फिर रात के भोजन के समय एक मिनट के लिए सामने आया. वहीं पास में कुछ लोग और खड़े थे, फिर भी अंकित पास आकर बोला- संध्या मान जा और चुदाई करवा ले! मुझसे अच्छा लन्ड और कहीं नहीं पायेगी.फिर मुझे गुस्सा आया पर कुछ नहीं बोली.वो बोला- तू किसी से कुछ नहीं बतायेगी क्योंकि तू अंदर से चुदासी है, मैं तुझे चोदूंगा जरूर संध्या … चाहे कुछ भी हो जाये!इतना बोल कर चला गया.
मैं एकदम उसी की बात सोच रही थी बिस्तर पर लेट कर कि क्या क्या बोल रहा था और उसकी बात सोचकर सच में जाने कैसे गर्म हो गई और मेरा मन करने लगा कि काश अभी आकर अंकित मुझे मसल दे; मुझे अपनी बांहों में भर कर रगड़ डाले!ऐसा सोचते सोचते मेरी पैंटी गीली हो गई.
सुबह सुबह करीब 5:00 बजे मैं मूतने के लिए टॉयलेट गई, जैसे ही मैं अंदर घुसी और टायलेट का दरवाजा बंद करने लगी कि थोड़ा धक्का सा लगा और बाथरूम के अन्दर अंकित घुस गया और बोला- मुझे बहुत जोर से लगी है, पहले मैं करूंगा!और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और खिटकिल्ली लगा कर बंद कर दिया.
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