RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
दिनेश इतनी जोर से चूत में उंगली चलाने लगा कि मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था. इसलिए मनोहर का पूरा लंड अपने दांतों से काटने लगी, चूसने लगी.मनोहर बोला- अरे चाचा यह तो पागल हो गई.. मेरा लंड लगता है, खा ही लेगी.
चाचा बोले- हां बिल्कुल सही बोल रहा है तू.. आज इसको संभालना मुश्किल होगा. तुम इस चुसाई को दिक्कत मत मानो.. इसको लंड चूसने दो, खाने दो. इस दिनेश ने संध्या को पागल कर दिया है.. देखो कितना जोर जोर से चूत में दो दो उंगलियां डाले अन्दर बाहर चला रहा है. साथ में चूत भी चाटते जा रहा है. अरे संध्या नई लड़की है, पागल नहीं होगी तो क्या होगी. उसमें भी कोई कोई लड़की के अन्दर बहुत ज्यादा सेक्स की इच्छा होती है, उन लड़कियों में से है ये संध्या.
दिनेश के द्वारा मेरी चूत में उंगली करने और चूत चूसने से मैं जोर जोर से हांफने लगी, मेरी सांसें तेज होने लगीं.
चाचा बोले- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा और मैं संध्या की गांड में लंड डाल रहा हूं.उन्होंने मेरे कूल्हों को फैला कर गांड को चाटना शुरू किया. मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी. अब चाचा ने अपना लंड निकाल कर मेरी गांड पर रखा.चाचा ने बोला- संध्या, देखना मैं तेरी गांड में डाल रहा हूं.
उन्होंने पीछे से मेरे बाल पकड़ कर अपना लौड़ा मेरी गांड में सैट किया. जैसे ही चाचा का लंड मेरी गांड के छेद में टच हुआ, मुझे बहुत अजीब सी फीलिंग हुई. मन में लगा कि सीधे अन्दर घुसा दें, पर मैं यह बोल नहीं पाई.
परन्तु चाचा ने जैसे मेरे अन्दर की आवाज को सुन लिया हो, वो मुझसे बोले- बहुत ही मस्त माल है तू संध्या.. और तेरी गांड का तो कहना ही क्या, अब मैं तेरी गांड को चोदने जा रहा हूं.
यह कहते हुए मेरी गांड में अपना लौड़ा घुसाने लगे. जैसे ही अन्दर लंड गांड में घुसने लगा, इतना तेज दर्द शुरू हुआ कि असहनीय.. मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती.मैं बोली- चाचा बहुत दर्द हो रहा है.. बाहर निकाल लो अपना लंड.. मुझे नहीं करवाना.
पर चाचा ने मेरी एक नहीं सुनी और अपने लंड का दूसरा झटका बहुत तेजी से मेरी गांड में मारा.. और इस झटके में उन्होंने अपना आधा लौड़ा घुसेड़ दिया. इधर मनोहर ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया, जिससे मेरी आवाज़ अब निकल नहीं पा रही थी.
परन्तु मेरी गांड में मुझे बहुत दर्द हो रहा था, लंड मेरे मुँह में था तो मेरी आवाज भी नहीं निकल पा रही थी.
चाचा मेरे दूध मसलते हुए बोले- तुम लोग ऐसे में बहुत टाइम लगाओगे, संध्या पागल हो रही है.
चाचा मेरी गांड में अपना लंड जोर से घुसा रहे थे, पर अब तक वे आधा ही लंड घुसा सके थे. मैं दर्द के मारे मनोहर से लिपट गई और जोर से रोने लगी. मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे. मेरी गांड में चाचा के लंड घुसने पर बहुत दर्द हुआ था. चाचा ने मेरी कमर पकड़ी और मुझसे लिपटे रहे. पर मेरे दर्द को देखते हुए उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड से थोड़ी देर के लिए बाहर निकाल लिया.
अब चाचा ने मनोहर को बोला कि तू संध्या की चूत में अपना लंड डाल.. क्योंकि तेरा लौड़ा बहुत बड़ा है और हर लड़की बड़े लंड से ही चुदाई करवानी पंसद करती है.फिर चाचा दिनेश को बोले- तू दिनेश संध्या के मुँह में अपना लौड़ा डाल देना ताकि ये चीख न पाए.
यह कहकर चाचा ने एक बार फिर अपना लंड जोर से मेरी गांड में घुसेड़ दिया. मैं फिर से दर्द से तड़पने लगी.
चाचा बोले- दिनेश तू सामने की तरफ है, इसलिए संध्या के दूध को कस कर दबा और मसल कर चूस.
तभी दिनेश उठा और अपना मुँह मेरी चूत से हटा कर मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा. वो अपने दोनों हाथों से और बहुत मस्त तरीके से मेरे मम्मों को दबाने लगा. उसने मेरे बाएं चूचे को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा.
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