RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
उसने अपनी हथेली को मेरी जांघों से रगड़ते हुए ले जाकर चूत में रख दिया और अपना हाथ चूत में रगड़ने लगा.
वो इस तरह से हाथ चला रहा था कि मेरी सांसें उखड़ने लगी. तभी एकदम से उसने मेरी चूत में अपनी उंगली पूरी की पूरी घुसा दी. मैं उछल पड़ी और जोर से मेरे मुँह से ‘उंहहह आहहहह..’ निकल गया. अपने आप मेरे हाथ दिनेश के बालों में चले गए और उधर मेरे पीछे रोहण चाचा अपना लौड़ा मेरे गांड में घुसाने की कोशिश कर रहे थे, पर घुस नहीं रहा था.
पर मुझे अपनी गांड में उनके इस हरकत से गुदगुदी बहुत हो रही थी और मैं उछल उछल जा रही थी.
उधर वो मजदूर जिसका नाम मनोहर था, वो बोला- क्यों चाचा मैं ऐसे ही सूखा खड़ा रहूं क्या दर्शक बनकर, मैं भी इंसान हूं.. ऐसा माल और ऐसा सीन देखकर मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है अब.. मैं यहां से बाहर चला जाऊं क्या?चाचा मेरे कान में धीरे से बोले- क्यों संध्या डार्लिंग इसको भी बुला लें, बाहर जाके कुछ गड़बड़ ना करे.मैं बोली- जो आपको ठीक लगे चाचा.
चाचा मनोहर से बोले- चल आज तेरी जिंदगी को भी हसीन बना दिया जाए.. संध्या को चोदना मतलब हीरोइन को चोदना है. आज इसे चोद कर तेरी लाइफ बन जाएगी.. मनोहर चल आ जा.तभी मनोहर बोला कि मुझे आप कहां सैट करेंगे.. इसके दोनों छेद तो आप दोनों ने पहले ही कब्जाए हुए हैं.चाचा बोले- अरे यह कोई ऐसी जगह नहीं जहां सैट करना पड़ता है, बस तुझे जहां ठीक लगे सैट हो जाना.. तू आ भर जा.वो मेरी तरफ आने लगा तो चाचा बोले- मनोहर जहां तेरा मन करे.. शुरू हो जा.मनोहर ने अपनी जात दिखाई और लंड सहलाते हुए बोला- आप कहीं ऊंच-नीच का फर्क तो नहीं लगाओगे?चाचा बोले- अबे तू आ… कोई दिक्कत नहीं, आ जा.
तभी मनोहर मेरे सामने खड़े होकर अपनी शर्ट खोलने लगा और पैन्ट खोलकर नीचे उतार दिया. अब उसके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर था.
वो बोला- चाचा मैं अब इसे भी उतार रहा हूं.चाचा बोले- अबे भोसड़ी के हर बात पूछेगा क्या.. जो करना है कर यार.. कुछ बातें इससे संध्या से पूछ लिया कर.
उसने सीधे अपनी अंडरवियर उतार कर फेंक दिया. जैसे ही अंडरवियर उतारा, मैंने देखा कि उसका लंड बहुत ही बड़ा था. चाचा और दिनेश से जस्ट डबल बहुत ही बड़ा और वह भी काले रंग का था. पूरा खड़ा लंड था. वो मेरी तरफ लंड हिलाता हुआ आया. मुझे वो थोड़ा गंदा लग रहा था, पर उसका लंड बहुत ही मस्त था.
उसने दिनेश को बोला कि भाई थोड़ा इधर उधर हो जाओ या इसको लिटा लो.दिनेश थोड़ा खिसका तो आकर मुझसे लिपट गया और बोला- तू एकदम गजब माल हो रखी है, बहुत-बहुत किस्मत वाली है तू जो तुझे मेरा मस्त लौड़ा मिलेगा.
मनोहर ने मुझसे लिपट कर मेरे होंठों को ऐसे जोर से चूमा कि मेरी सांस ही रुक गई. उसके मुँह से गंध आ रही थी. पर वो इस अंदाज मेरे होंठों को चूमने लगा कि मैं मनोहर से ना चाहते हुए लिपट गई और उसका साथ देने लगी. वो मेरे होंठ चूसने लगा और मेरे मुँह के अन्दर अपनी जीभ डाल कर अपनी जीभ से मेरे जीभ को चूसने और चाटने लगा. मनोहर का लंड मेरी जांघों के बीच में ऐसे चुभ रहा था, जैसे कोई लोहे का रॉड हो. उसका लंड एकदम सख्त लौड़ा था. मैं जानबूझ कर मनोहर से सट गई, चिपक गई.
तभी चाचा बोले- सुनो दिनेश और मनोहर, अब संध्या बिल्कुल तड़पने लगी है.. बहुत चुदासी हो गई है. देखो संध्या खड़े-खड़े कांप रही है, इसका बहुत मन करने लगा है. इसे जल्दी नहीं चोदेंगे तो पागल हो जाएगी.तभी दिनेश ने बोला- सच है चाचा, अब इसे यहीं लिटा देते हैं, इसे लिटाकर फिर मस्त चोदने के लिए पोजीशन बनाते हैं.
तीनों थोड़ा थोड़ा हट गए. चाचा मुझसे लिपटे लिपटे बोले कि चल संध्या डार्लिंग अब लेट जा, अब अपन मस्त चुदाई का खेल शुरू करते हैं.. वाइल्ड सेक्स करेंगे.
उन्होंने मुझे कमर से पकड़ कर वहीं फर्श पर पड़ी रजाई में लिटा दिया. जैसे ही मैं लेटी, चाचा ने मेरे दोनों चूतड़ों को फैला कर गांड के छेद को खोला और जोर जोर से गांड चाटने लगे. उन्होंने मेरी गांड में अन्दर तक अपनी जीभ घुसा दी. मैं जीभ की खुरदुरापन महसूस करके एकदम से उछल पड़ी. करीब पांच मिनट तक चाचा मेरी गांड में जीभ घुसेड़ कर उसको पागल कुत्ते की तरह चूसते रहे.
मैं बोली- चाचा मैं मर जाऊंगी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा कुछ करो.
दिनेश के बदन में कुछ कपड़े थे, वह भी उसने पूरे उतार दिए और पूरा नंगा हो कर मेरे सामने तरफ आ गया.
तभी मनोहर ने अपना लौड़ा मेरे मुँह के पास लाकर बोला- साली छिनाल संध्या, चल आज मेरे लंड को इतना चूस.. और ऐसे चूस की सभी रंडियां फेल हो जाएं.यह कहते हुए मेरे बाल पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसाने लगा. मनोहर का लंड बहुत बड़ा था.
जब मैंने मुँह नहीं खोला तो चाचा बोले- मुँह खोल दे संध्या, मनोहर जैसे लंड लड़की को बड़े भाग्य से मिलता है, तू पागल हो जाएगी इसके लंड को चूस कर.. और इससे चुदवा कर, यह बहुत मस्त चुदाई करता है.. बड़े अच्छे से चुदाई करेगा.
मनोहर ने मेरे दोनों मम्मों को पकड़ के इतनी जोर से दबाया कि ऐसा लगा, जैसे मेरी जान निकल गई.
मैं उससे बोली कि ऐसा मत करो यार.. बहुत दर्द हो रहा है. ये कहने के लिए मैंने जैसे ही अपना मुँह खोला तो मनोहर ने अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर घुसा दिया.
जैसे ही लंड घुसा मनोहर कराह भर कर बोला- आह.. संध्या मेरी जान चल अब इसे चाट और चूस.. क्या मस्त होंठ और मुँह है तेरा.. जिसपे मेरा लंड घुसा है, चल रंडी चूस इसे..
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