RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
वे सीन देख कर बोले- क्या चाचा, हमें बाहर खड़ा करके क्या करने लगे हो. तुमने तो कहा था कि मैं कुल्हाड़ी लेने जा रहा हूं और अन्दर आकर ये क्या गुल खिला रहे हो? कम से कम दरवाजा तो बंद कर लेते चाचा.. अगर इस लड़की के माता-पिता आ जाते तो क्या होता? और ये लड़की तो तुम्हारी नातिन की उम्र की है, इसको भी नहीं छोड़ा तुमने चाचा.. ये लड़की तो लगता है पूरी अपनी मां पे गई है, जैसी मां छिनाल है, साली वैसी ही बेटी है.
मैं फिर से डर के मारे पीछे मुड़कर खड़ी हो गई. एक सामने मम्मी का पेटीकोट दिख गया था, मैंने उससे खुद को ढक लिया.
तब उं दोनों को चाचा बोले- अरे कमीनो, अब देख लिया है तो जाकर दरवाजा तो बंद कर आओ. फिर मुझे ज्ञान का भाषण देना.तभी उनमें से एक गया और मेरे घर दरवाजा बंद कर दिया.
चाचा ने अपने खेत में काम करने वाले उन दोनों से पूछा कि दो लड़के थे वहां, नहीं हैं उधर क्या?तो वह किसान बोले- नहीं, जब हम लोग अन्दर आए थे तब तो यहां कोई लड़के नहीं दिखे.मैं सोचने लगी कि पीयूष और लालजी लगता है घर के बाहर डर के मारे भाग गए.
इतने में वे दोनों किसान दरवाजा बंद करके नजदीक आ गए. तब चाचा बोले कि बस 5-10 मिनट रूको जल्दी चलते हैं.
वे दोनों मेरी नंगी जवानी को घूर कर देखने लगे.
चाचा बोले- अब तुम लोगों ने तो सब देख ही लिया है, तो तुमसे क्या छुपाना.वो किसान बोले- अरे चाचा, तुम बहुत बड़े वाले निकले हो, इस लड़की की मां से भी तुम्हारा चक्कर था ही और अब उसकी बेटी को भी पटा लिया. पर यह तो बहुत छोटी कमसिन है.तब चाचा बोले कि यह छोटी नहीं है बहुत खेली खाई है, जब मैं अभी अन्दर आया था तो यह अपनी मौसी के लड़के और बहन के लड़के से चुदाई करवा रही थी. दो दो लड़के एक साथ इसके ऊपर चढ़े हुए थे.इस पर वे दोनों किसान बोले- अरे तो रंडी की बेटी रंडी ही तो होगी, इसकी मां के भी बड़े किस्से हैं.
उनकी बातें सुनकर अपनी मम्मी के बारे में जाना तो मुझे बिल्कुल भी नहीं आश्चर्य हुआ. क्योंकि मैं हमेशा से जानती थी कि मेरी मम्मी के कई यार हैं. पापा मुंबई चले जाते हैं, तब पापा के दोस्त मम्मी के साथ अकेले में रहते हैं. पर ये मुझे अच्छा नहीं लगा कि यहां कोई मेरी मम्मी की बुराई करे. तब भी मैं बुरा नहीं मानी.
इतने में चाचा ने उन दोनों में से एक को मनोहर नाम से बुलाया, वह मुड़हा जाति का था. यह आदिवासी जाति में से होते हैं, जो खेत में मजदूरी करते हैं. दूसरे का नाम चाचा ने दिनेश बोला, वह उन्हीं के परिवार का था, जो चाचा से उनका खेत खेती करने के लिए लिए हुए था.
जिसका नाम दिनेश था, उससे चाचा ने बोला- दिनेश तेरा मन हो तो आजा.. थकान उतार ले, फिर चलते हैं खेत में.दिनेश बोला- अभी तो इसको देखा भी नहीं कैसी है? कभी ध्यान भी नहीं दिया आपके घर आते थे और चले जाते थे जरा इधर घुमाइये, इसे देखें तो कैसी दिखती है यह छोकरी?
चाचा मेरी तरफ आए और बोले- संध्या तुम बिल्कुल चिंता नहीं करो, ना इनसे शर्माओ.. ना ही डरो. यह दोनों मेरे दाएं बाएं हाथ हैं. यह बात यहीं की यहीं रहेगी, तुम बिल्कुल बेफिक्र हो जाओ, यह कभी किसी से जिक्र भी नहीं करेंगे. जो मैं कहता हूं, यह उतना ही करते और जानते हैं. चलो इनसे शरमाओ नहीं, थोड़ा इनकी तरफ घूम जाओ.
चाचा ने मुझे मेरी पीठ तरफ से पकड़ कर उनकी तरफ घुमा दिया. मैं घूम तो गई, पर बहुत घबरा रही थी और शर्म आ रही थी. शर्म के मारे मैंने अपनी आंखें नीचे की हुई थीं. अपने बदन में एक वही जो पेटीकोट लपेट लिया था, उसी को पकड़े वैसे ही नीचे की ओर सर को झुकाए खड़ी हो गई थी.
मुझे वह दोनों देखते ही बोले कि यह तो बिल्कुल ऊपर से आई परी की तरह सुंदर है. इसकी मां को देखा था, यह कहीं से भी अपने मां बाप की बेटी नहीं लगती है. ये तो टीवी में आने वाली हीरोइन के जैसी है. जरा चाचा इससे इसका वह कपड़ा तो हटाओ.
चाचा ने झटके से वह पेटीकोट मेरे बदन से मेरे हाथ से खींच दिया, मैं पूरी नंगी उन दोनों के सामने हो गई. अब मेरे बदन पर कुछ नहीं था. मुझे देखने के लिए दिनेश सामने खड़ा था.
जैसे ही उसने मुझको पूरी नंगी देखा तो बोल उठा- चाचा सच में तुमने क्या माल पटाया है, यह उम्र में छोटी लग सकती है, पर यह बहुत बड़ी माल आइटम है. इसको चाचा तुमने कितनी बार चोदा है?चाचा बोले- आज यह पहली बार मुझसे चुदेगी और अब तो अपन तीनों ही इसको चोदेंगे.
ऐसा कहकर चाचा मेरे पीछे लिपट गए. उनका लंड मेरे पीछे गांड में चुभोने लगा.
चाचा ने बोला- दिनेश तुम भी कपड़े उतार लो, जरा संध्या से गले तो मिल लो.दिनेश मेरी तरफ बढ़ गया और सीधे मेरी नाभि को चूम कर बोला- ऐसी सेक्सी नाभि मैंने नहीं देखी.
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