RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
पीयूष ब्लाउज के बटन खोलने लगा और जैसे ही ब्लाउज की बटन खुले, अन्दर मैंने कुछ नहीं पहना था, तो दूध बिल्कुल नंगे हो सामने आ गए.पहली बार पीयूष और लालजी ने मेरे खुले नंगे मम्मों को देखा, दोनों ने लगभग एक साथ कहा- आह.. संध्या क्या मस्त बूब्स हैं तुम्हारे.. क्या गजब कड़क चूचे हैं, बहुत सेक्सी रांड हो.
यह कहते हुए पीयूष ने ब्लाउज को उतार फेंका. मैं अब बिल्कुल पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. मेरे बदन में एक भी कपड़ा नहीं था. उन दोनों ने भी अपने बनियान उतार फेंकी. अब हम तीनों पूरे नंगे हो चुके.
इतने में लालजी मेरे सामने तरफ हाथ करके एक उंगली मेरी चूत में रखकर अन्दर जैसे ही घुसाने लगा. मैं चीख उठी, मैं बोली- आह.. अब मुझसे नहीं बर्दाश्त हो रहा, तुम दोनों ने क्या कर दिया कि मैं मदहोश हो गई.इधर एक हाथ से लालजी और एक हाथ से पीयूष मेरे मम्मों में चलाने लगे, दोनों एक एक चूचे को दबा रहे थे.
तभी मैं अपने हाथ उधर करके उन दोनों के लंड को ढूंढने लगी. मैंने पीयूष का लंड पकड़ा और हाथ से रगड़ने लगी. इतने में लाल जी ने अपनी उंगली मेरी चूत में घुसा दी. दर्द से मैंने जोर से पीयूष का लौड़ा दबा दिया.वह चीख उठा- क्या कर रही है संध्या रंडी क्या लंड तोड़ देगी.. माँ की लौड़ी.उधर लालजी बोला- ले मादरचोद संध्या.. पहले मेरा लंड चूस.वो पीयूष को बोला- पीयूष तू संध्या की चूत को चाट.. बहुत टेस्टी है.. बहुत गर्म है, देखना तेरी जीभ ना जल जाए.
लालजी ने मेरी पीठ को चाटते हुए मेरे मुँह के सामने अपना लंड ला दिया. उसका बहुत ही बड़ा लंड था. मेरे हाथ की कलाई के बराबर मोटा और आठ इंच लंबा लंड मेरे मुँह के सामने आ गया. मैंने उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया. जैसे ही लालजी के लंड के सुपारे की चमड़ी को नीचे खींचा उसका लाल गुलाबी आंवला जैसा सुपारा मेरे सामने आ गया. मैंने सुपारे को ऊपर नीचे किया. उसके लंड की एक बहुत ही अजीब सी खुशबू मेरे नाक में समा गई.
तभी नीचे पीयूष मेरी चूत को अपने जीभ से चाटने लगा, तो मैं एकदम जोश में लालजी का लौड़ा अपनी जीभ से चाटने लगी. लालजी मेरे बाल पकड़ कर अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसाने लगा. लालजी का लंड इतना मोटा और बड़ा था कि वो एक बार में मेरे छोटे से मुँह में घुस ही नहीं रहा था.
मैं बोली- लालजी इतनी कम उम्र में तेरा लंड इतना बड़ा कैसे हो गया? कुछ दवाई खाता है क्या.. या लंड की मालिश करता है?
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