RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
लालजी बोला कि पहले यह बताओ कि पीयूष क्या बनेगा?तो मैं बोली- यह देवर बन जाएगा.. या चलो पीयूष को भी दूल्हा बना देते हैं.तो लाल जी बोला कि अरे तो इसके लिए दुल्हन कहां है?मैं बोली- अरे मैं ही तुम दोनों की दुल्हन बन जाऊंगी.. थोड़ी देर की ही तो बात है खेल में सब चलता है.लालजी बोला- बिल्कुल ठीक बोल रही हो संध्या कोई दिक्कत नहीं.
थोड़ी देर में ही लालजी की आवाज आई कि मैं तैयार हो गया हूँ.पीयूष भी बोला- मौसी, मैं भी तैयार हो गया हूँ.मैं बोली- मुझे थोड़ा टाइम लग लग रहा है.मैंने तभी लाल जी को आवाज दी कि लालजी अन्दर आना, मेरे को थोड़ी तेरी हेल्प चाहिए.
तो लालजी आ गया, मैं पेटीकोट में थी और ब्लाउज का पीछे बटन बंद करना था. मैंने कहा कि लालजी थोड़ा पीछे का बटन बंद कर दो, मुझसे नहीं हो रहा.
ये कह कर जैसे ही मैं सामने घूमी तो एकदम से लालजी मुझे देखता ही रह गया. मैं ब्लाउज और पेटीकोट में थी. मेरा पूरा नंगा पेट, खुली नाभि और ब्लाउज में उभरे हुए चूचे देख कर कोई भी पागल हो जाता.मैंने देखा कि वह बिल्कुल ही एकटक मुझे घूरे जा रहा था.
मैंने पूछा- लाल जी क्या हुआ?तो उसने कहा- संध्या, तुम तो बिल्कुल हीरोइन लग रही हो, बहुत सुंदर हो तुम.. और एक बात बोलूं, बुरा ना मानना!मैं बोली- कुछ भी बोलो आज मैं किसी बात का बुरा नहीं मानूंगी.तो लालजी बोला- संध्या तुम बहुत बहुत ज्यादा सेक्सी लगती हो और दिखती भी हो.. सच में मुझे अगर तुम्हारे जैसी दुल्हन मिल जाए तो मेरी जिंदगी बन जाए.मैं बोली- लाल जी आज मैं तुम्हारी दुल्हन बन ही रही हूं, फिर अगर तुम्हें इतनी खुशी मिलेगी तो हम ऐसा खेल रोज खेल लिया करेंगे. खेल में ही सही तुम्हारे अरमान पूरे तो हो ही जाएंगे.लालजी बोला- ठीक कह रही हो संध्या.
तभी मैंने एकदम से निगाह डाली तो लाल जी के पैंट की ज़िप के पास उसका लंड फूल कर खड़ा हो गया था. फूला हुआ लंड अलग दिख रहा था. वह हाथ से अपने खड़े लंड को दबाने की कोशिश करने लगा.मैं बोली- लालजी इधर आओ जरा.जैसे ही मेरे पास आया, वह मुझे घूरने लगा और बोला कि संध्या तुम बहुत सेक्सी लग रही हो.मैं बोली कि लालजी तुम्हारी यह पैंट के जिप के अन्दर क्या है? इतना अलग बहुत फूला सा क्या है?
उसने झट से वहां हाथ रख लिया. मैंने उसका हाथ पकड़ा और जैसे ही मैंने खुद अपना हाथ रखा, वह पैन्ट के ऊपर से ही बहुत बड़ा सा लगा.
मैं बोली- तुम्हारा यह क्या है? बिना झिझक के बोलो, मुझे साफ़ सुनना है.लालजी बोला कि बुरा तो नहीं मानोगी?मैं बोली- बिल्कुल नहीं.. तुम बोलो.लालजी बोला- अरे संध्या मैं बोल नहीं सकता तुमसे, क्या बताऊं?
मैं उसके और नजदीक चली गई. अब उसके और मेरे बीच में सिर्फ एक अंगुल का फासला था. मेरी सांस उसकी सांसों से टकराने लगी. मैं बिल्कुल उसके जिस्म के करीब हो गई.तभी वह बोला कि संध्या मुझे कुछ हो रहा है.मैं बोली- क्या?लालजी बोला कि मुझे आज के लिए माफ करना संध्या और तू मौसी या किसी से कुछ बता तो नहीं देगी?
मैं समझ गई कि यह बहुत डर रहा है. मैं बोली- अभी थोड़ी देर में हमारी शादी हो जाएगी, हम दोनों पति-पत्नी बन जायेंगे. भले ही खेल में ही सही, पर आज तू लालजी मेरा होने वाला पति है, फिर भी इतना डर रहा है. कह दे जो कहना है और कर ले जो करना है. मैं आज की कोई बात किसी से नहीं बताऊंगी.जैसे ही मैंने उससे यह कहा, लालजी बोला- सच संध्या किसी से नहीं बताएगी, तू बहुत अच्छी है.ये कह कर वो एकदम से मुझसे लिपट गया और बोला- तुम बहुत अच्छी हो आई लव यू संध्या..
तभी उसका जो लंड था, मेरी जांघों में बहुत कड़ा सा होकर चुभने लगा. मुझे लगा कि यह तो बहुत बड़ा लंड है. मैंने अपने हाथ से उसके पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ लिया और पूछा- यह इतना बड़ा क्या है, अब तो बता दे लालजी?लालजी बोला- अब यह तेरा है, खुद ही देख ले.
पता नहीं मुझे भी क्या हो गया था, मैंने लालजी के पैंट की ज़िप खोली और अन्दर हाथ डाल कर अंडरवियर में पहुंचा दिया. अन्दर एकदम से कड़क, बहुत मोटा और लम्बा लोहे के जैसा सख्त लंड मेरे हाथ में लगा. इतना गर्म लंड कि जैसे आग में डाल कर गर्म किया गया हो.
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