RE: Chudai Kahani मेरी कमसिन जवानी की आग
मैं बोली- कितने गन्दे हो, छी मुझे लेट्रिन करते देखा… थू!मैं उनके हाथ जोड़ने लगी, बोली- जीजा प्लीज मैं चिल्ला दूंगी!और मैं रोने का नाटक करने लगी, बोलने लगी- हाथ मत लगाओ मुझे जीजा, मुझे जाने दो. मैं ड्रेस नहीं लूंगी!और जैसे ही मैं चारपाई से उतरने लगी, जीजा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे बिस्तर में फिर से पटक दिया.
अब वे बोले- मजाक मत करो संध्या मेरी जान!और मेरे होठों के चुम्मा लेने लगे. मैं हाथ पैर दोनों झटक रही थी.
पर जीजा को कुछ समझ नहीं आया, उन्होंने तुरंत मेरी वन पीस फ्राक को ऊपर किये तो वह मेरे पेट तक आ गई, अब कमर के नीचे मैं नंगी हो गई सिर्फ पैंटी रह गई, मेरी नंगी जांघों और टांगें देखकर जीजा बोले- क्या मजाक कर रही हो संध्या… कितनी मस्त माल हो, तुम्हारी यह प्यारी मस्त पैंटी के ऊपर से फूली चूत सब बता रही है कि तुम्हारी चूत को अब लंड चाहिए.जीजा मेरी पैंटी के ऊपर जहां फूली हुई चूत थी, वहीं पे हाथ रखकर बोले- कितनी तो गर्म है तुम्हारी चूत… फिर भी चिल्ला रही हो.
मैंने जोर से धक्का मारा और जीजा के हाथ में दांत से चबा कर काटने लगी और उनसे खुद को छुड़ा लिया. बिस्तर से नीचे उठी, एक चाकू पड़ा था सब्जी वाला उसे ले लिया, और बोली- अगर अब अगर छोड़ोगे नहीं तो मैं मार दूंगी तुझे गन्दे जीजा, मुझे जाने दो, मुझे तेरे ड्रेस नहीं चाहिए.मैं पूरी नौटंकी कर रही थी और मजा ले रही थी.
मैं जैसे ही दरवाजा की खिटकिली अंदर से खोलने लगी, जीजा ने फिर से पकड़ लिया पीछे से और मेरे हाथ से चाकू छीनकर ऊपर रैक में फेंक दिया, और मुझे फिर से उठाकर बिस्तर में पटक दिया.जीजा बोले- संध्या मान जाओ प्लीज!और मेरे ऊपर चढ़ गए इस बार… मैं फिर से उनसे छुड़ाने लगी लेकिन इस बार जीजा मेरे बिल्कुल पेट के ऊपर दोनों टांगें इधर उधर करके ऐसे चढ़ गये कि मैं कुछ भी कर के नहीं उठ सकती थी न ही छुड़ा सकती थी.
अब जीजा एक हाथ से मेरी फ्रॉक को ऊपर करके मेरे सीने तक कर दिया, तो पैर से लेकर सीने तक पूरी नंगी हो गई बीच में सिर्फ पैंटी बची बदन में!जीजा एक दम ललचाई आंखों से मुझे देखकर बोले- संध्या, क्या मस्त चिकनी माल हो! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ा हूं, दुनिया की सबसे सेक्सी लड़की को चोदूंगा.यह कहते हुए जीजा ने मेरी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया.
वो मेरे ऊपर टांगें इधर उधर करके बैठे थे, इस वजह से मैं उनके हाथ अपने हाथ से पकड़ नहीं सकती थी.
और जीजा ने पैंटी के अंदर से हाथ ले जाकर मेरी चूत में हाथ रख दिया और बोले- बहुत गीली हो रही है तुम्हारी चूत संध्या… और तुम बोलती हो कि मैं अभी छोटी हूं. तुम बहुत झूठी हो संध्या! मुंह से मना कर रही हो पर तुम्हारी चूत कुछ और बोल रही है. तुम यहां बैठे बैठे गीली हो गई मतलब तुम्हारे मन में तन में अंदर चुदवाने का ख्याल चल रहा है.
यह बात जीजा ने बिल्कुल सच बोली, मेरे मन में अंदर से कुछ अकुलाहट सी और अलग फीलिंग हो रही थी, मैं अंदर ही अंदर सोच रही थी कि काश जीजा मुझे जबरदस्ती चोद दें, मैं मना भी करूं तो ना माने!पर मैं फिर भी जीजा से बोली- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, जीजा मुझे छोड़ दो!
तब जीजा बोले- नहीं सेक्सी संध्या, तुम बहुत चुदासी हो!और उन्होंने मेरी चूत में उंगली डाल कर उसका चिपचिपा चूत रस निकाल कर मुझे दिखाया और बोला- देखो, यह तुम्हारी चूत का रस है, यह लड़की जब चुदासी होती है तभी चिपचिपाहट वाला रस निकलता है.मैं अब क्या बोलूं मुझे समझ नहीं आया.
तभी मेरी छाती के ऊपर हुई फ्राक को गले तक कर दिया, उसी समय मैं हाथ जीजा के पकड़ने लगी पर तब तक वह मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे दूध दबाने लगे और मेरे मुंह में अपने होठों को रगड़ने लगे. मैं चेहरा इधर-उधर झटक रही थी कि वह अपने होठों से मुझे चूम ना पायें, पर जीजा एकदम से पकड़ के मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उनके बहुत गर्म होंठ मेरे होंठों को चूमने लगे और उनकी गर्म सांसें मेरी नाक में समाने लगी.
और उधर नीचे अपने एक हाथ को मेरी पेंटी के नीचे फिर से घुसा कर मेरी चूत में जैसे उंगली डाली मुझसे रहा नहीं गया. मुझे बिल्कुल पता नहीं कैसे क्या होने लगा, मैं एक बार फिर से बोली- जीजा मुझे छोड़ दो, मैं कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी, प्लीज मुझे जाने दो मत करो कुछ भी!
पर जीजा कहां मानने वाले… वो अपनी उंगली को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे, मुझे अब ना जाने कैसी अजीब सी सुरसुराहट और कम्पकपी पूरे बदन में होने लगी, जीजा की यह हरकत मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी, वह अपनी उंगली जोर जोर से अंदर बाहर चूत में करने लगे मैं कांपने लगी.
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