RE: Ashleel Kahani रंडी खाना
मैं बड़ी मुश्किल से डॉक्टर से बोल पाता हु,
“वो चाहती क्या हैं, “
मैं झुंझलाया था …..
“वह चाहती क्या है यह तो शायद वही बता पाएगी ,लेकिन एक चीज मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं की बदले की आग व्यक्ति से कुछ भी करा सकती है.. चाहे वह कितना ही कमजोर क्यों ना”
हो डॉक्टर की बात मेरी समझ में आ रही थी लेकिन फिर भी मैं असमंजस की स्थिति में था आखिर काजल इतना परेशान क्यो थी ?
क्या मेरा कोई वजूद नहीं था शायद उसके लिए….शायद नही वो मुझसे प्यार करती है , वह मेरे लिए बहुत मायने रखती थी रखती है और रखती रहेगी, मेरे सामने काजल का अतीत घूम रहा था उसके बचपन की यादें रह रहकर मुझे सता रही थी न जाने कितने दुख उसने झेले थे जिसके बारे में वह बात नहीं करती ..शायद उसने कभी मुझसे यह नहीं चाहा कि मैं उसका साथ दु या शायद वो जानती थी कि मैं उसका साथ नहीं दे सकता, बात इतनी आसान तो नहीं थी जितना मैं समझ रहा था उसने कई दुख देखे हैं जो मेरी समझ से परे हैं, काजल मेरी अपनी काजल मैं उसे कैसे किसी सीमाओं में बांध पाऊंगा वो हर सीमाओं से परे है ,उस पानी की तरह जो बस बहती जाती है,वह उस सावन की तरह है जो कब आएगी इसका अंदेशा किसी को नहीं , मैं दर्पण में खड़ा अपने अक्स को निहार रहा था ,परछाई... वह तस्वीरें... वह हल्की हवा की खुशबू ,महक का जादू अतीत की कही अनकही कहानियां थी जो मुझे जानने थी, मैं परेशान था व्याकुल था मेरा दिल गवाही नहीं दे रहा था कि वह गलत है और वही हुआ मुझे जितना भी अब तक पता चला मुझे यही समझ आया कि काजल गलत नहीं थी ना वह है और शायद वह नहीं होगी उसके साथ जो बीती थी वह एक दर्दनाक घटना थी शायद उसका रोग उसके जीवन में आज भी कायम था, मैं अपनी पलकें गड़ाए डॉक्टर को निहार रहा था डॉक्टर भी मुझे घूर कर देख रहा था,, जैसे जानना चाहता हो कि मेरे दिल में क्या चल रहा है…
आखिर उसने कहा
“ मैंने जो भी तुम्हें बताया है कभी इसका जिक्र काजल से मत करना न जाने उसके लिए कितनी बड़ी बात होगी वह हर चीज तुमसे छुपाना चाहती है, क्योंकि उसे पता है तुम्हें बताने से सिर्फ उसका दुख बढ़ेगा, उसे खुशी देना हो सके तो उस का साथ देना मैं जानता हूं कि तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा लेकिन मैं जानता हूं कि तुम यह कर सकते हो…”
डॉक्टर वहां से उठ कर चला गया और मैं बस एक तक दिवाल को घूरता रहा…
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घूमते-घूमते ना जाने मैं कहा जा रहा था, मैं उन जगहों में घूम रहा था जहां काजल की पूरी जिंदगी थी ,लेकिन उसने कितने राज अपने सीने में छुपाए हुए थे वह 2 साल पहले ही तो यहां आई थी लेकिन मुझे कभी पता नही चल पाया …
मैं उस होटल में पहुंचा जहां से इन सब की शुरुआत हुई थी नाम था आदित्य इंटरनेशनल
मैं बस निहारे जा रहा था वह एक शानदार होटल था...
वह वापस अपनी बहनों के साथ आया और लजीज खाने का लुफ्त उठा रहा था आसपास नजर दौड़ाई कुछ खास नहीं कुछ ऐसा नहीं जिससे मुझे संदेह हो..
“भइया खाना तो बहुत अच्छा है” निशा ने कहा
“ हां” मैंने जवाब दिया…
अचानक ही मैं बहुत गुस्से में आ गया
“यह सब क्या है” मैंने जोरों से कहा वहां पर बेटर तुरंत उपस्थित हुआ.
“ क्या हुआ सर”
“ यह क्या है”
मैंने प्लेट में पड़े हुए एक काक्रोच की तरफ इशारा किया ,वह बुरी तरह चौका
“ सर सर यह कहां से आया”
मैंने उसे घूरकर देखा,
“ यह खाना तुमने ही लाया था ना “
वह चकित हुआ
“ जी जी सर,पता नहीं सर यह कैसे हुआ”
लेकिन मैं क्रोधित था मैंने उसकी एक न सुनी
“अपने मैनेजर को बुलाओ “ मैं फिर जोर से बोला, वह डरता हुआ भागा थोड़ी देर में होटल का मैनेजर मेरे सामने था, वह मुझसे माफी मांग रहा था लेकिन मैंने एक तमाशा खड़ा कर दिया..
आखिरकार थक कर उन्होंने कुछ फोन किए,और मेरे होठो में मुस्कान खिल गई …
कुछ ही देर में वहां एक लंबा चौड़ा सा व्यक्ति आकर खड़ा हुआ और बड़ी नम्रता से मुझसे कहा
“सर जो भी हुआ उसके लिए हमें माफ कर दीजिए मैं इस होटल का मालिक हूं आपका खाना फ्री है और आशा करता हूं कि यह बात यहां से बाहर नहीं जाएगी “
मैंने उस व्यक्ति को घूरा और उसने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया जैसे वह समझ गया हो कि मैं मान गया हूं..
“ हेलो सर मेरा नाम अयूब खान है मैं इस होटल का मालिक हूं” मैंने अपना हाथ बढ़ाया वह कुछ 25 साल का शख्स था, दिखने में बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम लग रहा था आयूब मैंने मन ही मन दोहराया अच्छा तो यह अजीम का भाई है, मेरे चेहरे पर एक मुस्कान खिल गई…
आयूब को देख पूर्वी के चेहरे पर एक अलग स्वभाव आया .मैं उस को पहचानता था मैं जानता था की पूर्वी उसकी तरफ आकर्षित है ,यह इस उम्र की नजाकत थी कि किसी भी स्मार्ट और हैंडसम लड़के को देखकर एक लड़की तथा किसी भी खूबसूरत लड़की को देखकर एक लड़का आकर्षित हो जाए एक सामान्य सी बात है मैं उससे हंसकर बात करने लगा और थोड़ी देर में वह हमसे बहुत ही घुल मिल गया देखते ही देखते निशा और पूर्वी की उससे दोस्ती हो गई ,हमने उससे विदा लिया और उसे शहर आने का निमंत्रण दिया जब उसे पता चला कि मैं एक होटल का मैनेजर हूं तो वह मुझसे और भी खुल गया और जब उसे पता चला कि मैं रश्मि के साथ काम करता हूं तो उसका चेहरा अचानक सूख गया मैं उसकी भावनाओं को समझ सकता था ,मैंने हंसा
“ कोई बात नहीं जो हुआ सो हो गया लेकिन मुझे एक चीज समझ नहीं आती आखिर खान साहब के दो बेटे हैं तो क्यों अजीम को ही अपना बेटा मानते हैं या ये कहे कि दुनिया के सामने सिर्फ अजीम ही आता है मुझे तो आज तक पता नहीं था कि खान साहब के दो बेटे हैं”
उसका चेहरा और मुरझा गया उसने बात को बदलना चाहा और मैंने भी कोई जोर नहीं डाला क्योंकि मैं जानता था की असलियत क्या है और यही असलियत शायद मुझे काजल का बदला लेने में मदद करने वाली थी
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“तो मुझे लगता है तुम्हें आयूब बहुत पसंद आया”
मैंने हंसकर निशा और पूर्वी से कहा ,पूर्वी तो जैसा शर्मा ही गई मैंने पहली बार उसे शरमाते हुए देखा था मैं भी थोड़ा हंसा और निशा भी क्योंकि मुझे पता था कि निशा का आकर्षण सिर्फ मेरे लिए है ..
लेकिन क्या मैं पूर्वी का इस्तेमाल करूंगा ???
शायद???
मेरे लिए यह सोचना भी पाप है लेकिन क्या सच में ??
मैं सोच में गुम हो गया मैं यही सोच रहा था कि क्या मैं सच में पूर्वी का इस्तेमाल करना चाहता हूं आयुष को फसाने के लिए.. शायद नहीं, शायद हां ,शायद पता नहीं,
मैं असल में दोनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहता था मैं चाहता था जो हो बस हो जाए, अगर इस दौरान मुझे कुछ ऐसी चीज पता चले या कुछ ऐसा हो जाए जिससे मैं काजल की मदद कर सकूं तो शायद वह कार्य मुझे करना चाहिए और अगर ऐसा ना हो तो ???
जिस तरह मैंने आयूब व पूर्वी को नजर मिलाते देखा था मुझे लग रहा था इन दोनों के बीच कुछ तो खिचड़ी पक सकती हैं अभी मैं कुछ कह नहीं सकता था लेकिन पूर्वी मेरी सबसे प्यारी बहन है मेरे लिए यह करना बहुत मुश्किल था कि मैं उसे मछली के दाने की तरह इस्तेमाल करू, मैं उसे उसकी स्वतंत्रता में रहने देना चाहता था ,मैं चाहता था कि अगर वह प्यार करें तो सफल हो, मैं चाहता था कि वह खुश रहे और शायद इसी प्यार में और इसी खुशी में मुझे मेरी मंजिल मिल सकती थी, मैं सोच में गुम सा हो गया मुझे डॉक्टर की बताई बातें याद आ रही थी तो साथ ही पूर्वी का उस लड़के को देखना ,उन दोनों की निगाहों में एक अजीब सा आकर्षण एक दूसरे के लिए ,वह आकर्षण किसी भी नौजवान की आंखों में जब देखा जाता है तब बड़े ही आराम से बताया जा सकता है कि आखिर उनके दिल में चल क्या रहा है लेकिन क्या आयूब एक अच्छा लड़का है ??
मुझे नहीं पता था जितना मैं उसे जान सका या जितना मैंने दूसरों के द्वारा सुना था.. जी हां मैं आज दिनभर यही तो कर रहा था होटल आदित्य इंटरनेशनल की पूरी जानकारियां मेरे पास थे आयूब की जानकारी मेरे पास थी, जितना मैंने उसे जाना मुझे बस इतना ही समझ आया कि वह एक बड़ा सुलझा हुआ लड़का है शायद पूर्वी के लिए अच्छा है, शायद ना भी हो?
लेकिन मैं इन दोनों को स्वतंत्रता देना चाहता था देखना चाहता था कि आखिर कितनी आगे बढ़ते हैं खैर जो भी हो मैं थक चुका था जमाने भर के विचार मेरे दिमाग में घूम रहे थे और अब मुझे जरूरत थी आराम की और शायद उससे पहले निशा की…
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पता नहीं क्यों लेकिन मुझे निशा की आदत सी पड़ रही थी उसका मुझे इतना प्यार करना मैंने कभी सोचा नहीं था कि कोई मुझे इतना भी प्यार कर सकता है, रही बात काजल की मैं जानता था कि वह मुझे बहुत प्यार करती हैं लेकिन वह मेरी बीवी थी और निशा मेरी बहन दोनों के व्यक्तित्व में जमीन आसमान का फर्क है, न जाने क्यों लेकिन मैं दिन-ब-दिन निशा की और आकर्षित होते जा रहा हूं ,जिसे मैंने निशा को बचाने के लिए शुरू किया था ,जिसे मैंने अपनी बहन की भलाई के लिए शुरू किया था अब वह मेरे लिए पाप नहीं रह गया था अब शायद वह मजा बन गया एक ऐसा मजा जिसमें मैं डूबते जा रहा हूं ,उसके शरीर कण कण उसके अंग प्रत्यंग उसके कटाव उसके एक एक घुमाव, उसके जिस्म का भराव , उसकी मासूमियत ,उसकी हंसी ,उसके बाल ,उसके गाल, उसके होठों की लाली ,उसकी मतवाली चाल, उसके पसीने की सुगंध, उसका हंसना ,उसका बोलना, उसका चलना, उसका रुकना, उसका देखना, उसका मुझे छूना ,उसका मुझे प्यार करना उसका हर एक बर्ताव ,उसकी अदाएं ,उसके नखरे, उसके झूठ, उसकी सच, उसकी हया, उसकी बेहयाई , उसकी नजाकत उसकी फितरत उसकी मोहब्बत उसकी सिहरन, उसकी उलझन ,उसका द्वेष उसका राग ,उसकी सीमाओं को तोड़ना और नई सीमा बना देना ,उसका मेरे बालों पर हाथ फेरना.. उसके आंसू ...जब वह कहती है कि आप मेरे हो सिर्फ मेरे.. उसकी बड़ी-बड़ी आंखें और आंखों का वह काला घेरा जो काजल से बनता है, उसकी आंखों से झड़ते हुए प्यार के झरने उसका दिल जो इतना सख्त होकर भी कितना नरम है, मुझे कभी-कभी लगने लगा कि मैं कहीं पूरी तरह से तो उसका नहीं हो जा रहा हूं, हां शायद लेकिन नहीं शायद,
वह मेरी बीवी नहीं थी वह मेरी प्रेमिका नहीं थी लेकिन अब वह मेरे लिए इन दोनों से बढ़कर है मैं क्या हूं ? मैं क्यों हूं ? मैं किसका हूं ???यह सवाल बड़े पेचीदे हैं लेकिन उसका एक जवाब निशा के पास है कि ‘आप मेरी जान हो आप मेरे लिए हो और आप मेरे हो’ उसकी प्यार भरी बातें जिसका शायद कोई मूल्य ना हो, जो तर्क की सीमाओं में नहीं बंधती जो तर्क से बाहर है वो अलग ही दुनिया की बात है जो एक प्रेमिका एक प्रेमी से करती हैं,या एक बच्ची करती है अनगढ़ सी ,बेमतलब सी , वैसी बातें यह सब निशा की खूबी थी तर्क से दूर प्यार की किसी दुनिया में खोई हुई थी ,एक सागर में खोई हुई थी जिसका कोई किनारा उसके पास में ना था …
वह मुझे अपनी गहराई में पाना चाहती थी, वह हमेशा मुझ में समाना चाहती थी, उसके पास इसके सिवा और कोई काम नहीं था उसकी जिंदगी में इसके सिवा और कोई मकसद नहीं था और शायद यही बात मुझे उसकी ओर इतना आकर्षित करती है ,क्योंकि काजल की जिंदगी में एक मकसद है और वह मकसद मैं नहीं हूं…
लेकिन निशा की जिंदगी में जो मकसद है वह सिर्फ मैं हूं………
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