RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती बड़बड़ाती रही और कमल ने अपने धक्के चलू रखे। कुछ देर बाद उसके लंड का पानी बहुत उबाल खा चुका था और आरती की मस्त चूत में अपनी मस्ती निकालने के लिये बेकरार था। कमल ने आरती को कहा कि रानी अब तुम सीधी हो, मैं तुम्हारी चूचियों पर पसर कर तुम्हारा मुँह चूसते हुए झड़ना चाहता हूँ!
आरती उसका लंड निकाल के बाद फोरन सीधी हो गयी और कमल ने भी बिना वक्त गवाये अपना लंड पूरा चूत में घुसेड़ कर उनके ऊपर लेट गया और आरती की दोनों चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ कर अपने होंठ उनके रसीले होंठों पर रख कर और चूसते हुए दनादन उनकी चूत में शॉट लगाये और जब उसका लंड झड़ा, उस समय तो कमल ने इतनी जोर की शॉट मारा कि आरती ने भी दर्द के मारे अपनी गाँड एक फुट हवा में उछाल दी,
जैसे कह रही हो ले मादरचोद! भर मेरी चूत को! आरती ने उसका पूरा माल अपनी चूत में सोख लिया और कसके उसे अपने बदन से चिपका लिया और बुरी तरह उसका मुँह चूसने लगी। कमल को तो इस चुदाई में सुबह से ज्यादा मज़ा आया था और इतनी देर चोदने के बाद आरती के गुदाज़ बदन पर लेटना बहुत ही अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद कमल ने उनकी चूत से अपना लंड निकाला तो आरती टपाक से उठ बैठीं और उसका लंड चूसने लगी और अच्छी तरह से चूस कर पूरा लंड साफ कर दिया।
आरती ने आगे बढ़कर दो सिगरेट जलाईं और बोली, सुनील डार्लिंग! आज से तू सिर्फ मेरा हसबैंड है। तेरा चाचा तो बस नाम का मेरा हसबैंड है। मैं सिर्फ तेरी गुलाम बन कर रहुँगी। तूने मुझे जीवन का वो सुख दिया है जिसके लिये मैं पिछले इक्कीस साल से तरसी हूँ। बस मुझे दिन में एक बार जरूर चोद दिया कर। देख मेरी चूत अभी तक तेरे धक्कों से हिली हुई है। आज मुझे मालूम पड़ा असली मर्द क्या होता है। डार्लिंग देख तो सही मैं तेरे लंड को कैसे कैसे खुश करती हूँ!
कमल ने भी सोचा आरती इस समय चुदवा कर पूरी तरह मस्त है, क्यों ना अपने दिल की बात कह दूँ। के ने बड़े प्यार से आरती का चेहरा अपने हाथ से अपनी तरफ घुमाया और हिम्मत करके बोल डाला कि आरती देखो आज के बाद तुम हमेशा मेरी रहोगी। मैं हर रोज़ तुम्हारी चूत की ऐसी चुदाई करूँगा कि तुम्हें रात में चाचा से चुदवाने कि इच्छा ही नहीं होगी पर तुम मेरा एक काम करवा दो डार्लिंग! ज़िंदगी भर तुम्हारा गुलाम बन कर रहूँगा!
आरती बोलीं, बोल शरमाता क्यों है? अब तो मैं तेरी पत्नी हो गयी, अब तो तू दिल खोल के बोल जो भी बोलना है। अगर तू मेरी गाँड मारना चाहता है तो डार्लिंग मैं उसके लिये भी तैयार हूँ। अपने इस प्यारे लवर को नहीं दूँगी तो और किस को दूँगी। अगर कुँवारी चूत ना दे सकी तो क्या,
अपनी गाँड तो दे ही सकती हूँ!
कमल ने कहा, नहीं आरती बात असल में ये है कि कल मैं तुम्हारी चुदाई देखने के बाद अँजाने में ही सोनल दीदी के कमरे में चला गया था और वहाँ पर उनके बदन को मैंने खूब चूसा और चाटा था और बाद में उनकी गाँड खूब सूँघी और चाटी थी। मीना! जो उनकी ताज़ी चूत की खुशबू आ रही थी वो मैं बता नहीं सकता। मैं सोनल दीदी के साथ फिर से चुदाई करना चाहता हूँ!
आरती थोड़ी सी संजिदा हो गयी और बोली, कमल तू क्या कह रहा है? अगर सोनल को मालूम चल गया तो वो हमारी चुदाई भी बन्ध कर देगा, मैं नही कर सकती तू खुद try कर ले लेकिन देख लेना कि मामला बिगड़ा तो मैं तुम्हारी मदद नही कर पाओगी।
कमल ने कहा, चाची तुम ही ने तो कहा था कि अगर तुम्हें मालूम होता कि तुम्हारी शादी ऐसे गाँडू से होगी तो तुम शादी से पहले जम कर चुदवाती। क्या मालूम सोनल दीदी को भी तुम्हारी तरह इस आग में ना जलना पड़े। घर की बात है, घर में ही रहेगी और अगर सोनल दीदी से मेरे शारिरिक संबंध फिर से बन जाते है तो हम तीनों दिन भर चुदाई का मज़ा उठा सकते है। घर की बात घर में ही रहेगी और किसी को मालूम भी नहीं पड़ेगा। चाचा तो सुबह आफिस चले जाते हैं और रात को नौ-दस बजे आते हैं और एक बार सोनल दीदी ने मुझ से फिर से चुदवा लिया तो वो भी ठंडी रहेगी क्योंकि उनकी चूत में भी कीड़े रेंगने तो चालू हो ही गये है, तो क्या पता किससे जा कर चुदवा ले!
आरती कमल के होंठों को प्यार से चूमते हुए बोली, कमल तूने बात तो बहुत सही कही है और मैं नहीं चाहती कि सोनल भी मेरी तरह इसी आग में जले। चल तू चिंता मत कर उसे वापस आने दे। मैं मौका देख कर उसे तैयार कर लुँगी!
बातें करते और सिगरेट पीते हुए काफी देर हो चुकी थी और इस दौरान आरती बारबार अपने हाथ से कमल का लंड रगड़ते हुए अपनी चूचियाँ उसके ऊपर घिस रही थीं और सोनल की चूत मिलने की खबर से कमल का लंड फिर से तन कर मैदान में आ गया था। आरती ने तो सोचा भी नहीं था कि इतनी जल्दी उसका लंड फिर से तैयार हो जायेगा। इस बार आरती ने कहा कि वो अपने तरीके से उसे चोदेंगी, और आराम से एक सिगरेट जला कर उसे नीचे लिटा कर अपनी दोनो टाँगें चौड़ी कर के उसके लंड के उपर खड़ी हो गयीं और धीरे-धीरे अपने घुटनों के बल बैठने लगीं। जब उसकी चूत कमल के लंड तक पहुँची तब उन्होंने एक हाथ बड़ा कर उसका लंड पकड़ा और चूत के मुँहाने पर घिसने लगी, और थोड़ी देर घिसने के बाद गपाक से अपनी जाँघें चौड़ी कर के उसके लंड पर बैठ गयीं और उछल-उछल कर कमल को चोदने लगीं। कमल को तो इस आसन में बहुत मज़ा आ रहा था। कमल ने लेटे हुए अपने हाथ आगे बढ़ा कर उनके फूले हुए मस्त गुबारे जो मदमस्त हो कर झूल रहे थे, पकड़ कर मसलने चलू कर दिये। आरती ने उसे करीब आधा घँटा तक इस आसन में चोदा और खूब अपनी चूत का पानी निकाला।
उन दोनों ने उस रात दो बार और संभोग करा और पस्त हो कर एक दूसरे की बाहों में सो गये। 15 दिन तक, जब तक सोनल वापस नहीं आयी वो लोग दिन भर नंगे पड़े रहते थे और एक दूसरे को जी भर के भोगते थे। वे ब्लू फ़िल्म भी देखते और उसमें देख-देख कर उनकी नकल करते हुए एक दूसरे को चोदते थे।
इधर सोनल रश्मि के पास आकर बहुत खुश थी, दोनो का प्यार दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था, जब भी मौका मिलता दोनो एक हो जाती,
दोनो शारीरिक से ज्यादा मानसिक रूप से जूड चुकी थी, अगर मुमकिन होता तो दोनो अब तक शादी कर चुकी होती, लेकिन पॉसिबल नही था तो दोनो ने ऐसे ही मिलकर जिन्गदी गुजारने का फैसला किया, आज सोनल को वापिश लौटना था घर तो उन्होंने सारी रात मौज मस्ती की थी, उनके रिस्ते से विशाल को भी आपत्ति नही थी,उसकी नजर में ये ननद भाभी का प्यार था, विशाल खुश था कि उसकी पत्नी को सोनल जैसी सहेली मिल गयी,
विशाल सुबह का अखबार पढ़ रहे थे, सामने मेज़ पर गर्म चाय की प्याली रखी हुई थी, व चाय की चुस्की के साथ-साथ अखबार भी पढ़ रहे थे । तभी उनके कानों में आवाज आई-
“सर, आपका फोन !”
उन्होंने अखबार से नजर उठाई, सामने सफेद शर्ट, काली पैन्ट में उनका नौकर खड़ा था ।
“किसका फोन है सोहन?”
“सर, सक्सेना सर का फोन है ।”
“इस वक्त? इतनी सुबह?… हैलो, हां सक्सेना ! बोलो, इतनी सुबह-सुबह? क्या हो गया भई ?”
विशाल बात करते हुए-
“अच्छा अच्छा ! हम्म ! यह कब की बात है? … फिर तुमने क्या किया? … चलो अभी कुछ भी करने की जरुरत नहीं है, मैं आता हूं थोड़ी देर में और जब तक मैं न पहुंचु, तुम लोग कुछ मत करना ! समझे न?” यह कह कर विशाल ने फोन रख दिया और वहीं मेज़ पर अखबार रखते हुए उठ खड़ा हुआ और सोहन से पूछा-
“मेमसाब कहां हैं?”
सोहन ने जवाब दिया-
“सर, व मार्निंग-वॉक के लिए गई हैं ।”
विशाल ने कहा-
“ठीक है, व आ जाएं तो उन्हें बता देना कि मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूं, लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी। वो सोनल को बस में बैठा आये। यह कह कर विकाश अपने कमरे की ओर चले गए और तैयार होने लगे ।
सोहन ने पूछा-
“साहब, नाश्ता लगाऊं?”
विकाश ने जवाब दिया-
“नहीं, मैं बाहर ही कर लूंगा, तुम गाड़ी निकलवाओ ।”
रश्मी घर लौटती है-
“सोहन ! सोहन ! विकास कहां हैं?”
सोहन तेज कदमों के साथ आता है और अदब के साथ खड़ा होकर जवाब देता है-
“मैडम, साहब के पास सक्सेना साहब का जरूरी फोन आया था तो वो ऑफिस चले गए हैं ।”
“साहब ने कुछ खाया या नहीं?” रश्मी ने पुछा ।
“नहीं मैडम, साहब ने कहा कि व बाहर ही खा लेंगे ।”
“अच्छा, ऐसी भी क्या एमरजेंसी थी उन्हें? … साहब से बात करवाना मेरी !”
“जी मैडम, अभी फ़ोन लगाता हूं ।” कह कर सोहन ने फोन लगाकर मैडम को दिया ।
“संजीव, तुम कहां हो यार? इतनी सुबह ऑफिस में क्या कर रहे हो?”
अचानक रश्मी चिन्तित दिखने लगी और कहा-
“ठीक है, लेकिन ज्यादा परेशान मत होना तुम ।”
रश्मी अपने कमरे में चली गई । अपने कमरे में पहुंचकर उसने सोहन को आवाज लगाई। सोहन अब अंजलि के कमरे में था । अंजलि ने कहा-
“सोनल को बोलो कि अपनी तैयारी कर ले मैं उसे बस स्टैंड छोड़ आऊँगी , मैं आती हूं अभी कपड़े बदल कर !”
सोहन दूसरे कमरे में जाकर सोनल को ये बता दिया जो कमरे में अपने बेग पैक कर रहि थी । सोहन की बातें सुनकर सोनल तुरंत सारा सामान लेकर बगल के कमरे मेँ पहुंच गई । थोड़ी देर में वहां रश्मी भी पहुंच गई,
उसने गाउन पहन रखा था।
रश्मी--सोनल, क्या जाने से पहले अपनी भाभी को प्यार करके नही जाएगी
सोनल--भाभी मैं तो जाऊ ही ना, हर समय आपसे प्यार करती रहू।
रश्मी--हाय मेरी जान तेरी इसी अदा पर तो मैं मर मिटी। आ जा आज जाते जाते मेरी अच्छी सी मालिश कर जा, बहुत बदन टूट रहा है, फिर पता नही तेरे हाथो का जादू मीले मेरे शरिर को।
सोनल-- भाभी, भैया आ गए तो।
रश्मी---अरे तेरे भैया तो गए बाहर सुबह ही, अब तो मैं और तुम बस, आजा जल्दी कर फिर तुझे जाना भी है, उससे पहले मजे लेले ।
रश्मी ने देर न करते हुए सोनल को अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठो पर कस कर एक चुम्बन ले लिया।
रश्मी ने अपने गाउन की नॉट को खोल दिया । उसने सिर्फ काले रंग की पैंटी पहन रखी थी । बहुत ही सेक्सी बदन था रश्मी का । बडी-बडी चुचियां, पतली कमर और चौडी उभरी चुतड, बदन थोडी सी गदराई हुई थी। रश्मी ने अपनी शरीर को सुडौल रखा था । रश्मी रोज पुरुषोँ के तरह जिम में कसरत करती थी । जिसकी वजह से रश्मी की जांघ और वाकी अंगोँ के मॅसल्स बढने लगे थे । इसलीए रोज सुबह को जिम के बाद अपनी पुरी बदन की मालिस करवाती थी ।
फिर रश्मी ने सिर्फ पैँटी मेँ ही वहां से मेज़ की ओर बढ़ गई और बोली-
“सोनल, पूरा बदन टूट रहा है ! आज जरा बढ़िया मालिश करना मेरी !” रश्मी का कातिलाना जिस्म
“जी भाभी… इससे पहले कभी शिकायत का मौका दिया है कभी आपको? आप बिल्कुल बेफिक्र रहें ! एन्ड जस्ट रिलेक्स ।” सोनल हंसती हुई बोली ।
रश्मी पेट के बल लेट गई..बगल से उसकी चूची साफ झलक रही थी और गोरे जिस्म पर उसकी काली पैंटी बहुत सेक्सी लग रही थी। गांड काफी चौडी और उभरी हुई थी । सोनल ने अपने हथेली में थोडा ऑलिव-आयल लिया और हल्के-हल्के कंधों की मालिश करने लगी । मालिश करते करते रश्मी की पीठ पर पहुंच गयी और बडे प्यार से पूरी पीठ की मालिश करने लगी । मालिश करते करते उसकी उंगलियां बगल से रश्मी की चूचियों को स्पर्श करने लगी । जैसे ही बगल से सोनल ने चूचियों को छुआ, मस्ती से रश्मी की आंखें बंद होने लगी । सोनल समझ गयी थी कि रश्मी अब मस्त हो रही हैं ! व धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी ।
अब वह रश्मी की कमर की मालिश कर रही थी, कभी कभी उसके हाथ रश्मी की पैंटी की इलास्टिक को भी छू जाते थे । सोनल ने धीरे से मालिश करते करते रश्मी की पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया । अब उसकी आंखों के सामने रश्मी की गांड की दरार साफ दिखाई दे रही थी व गांड की दरारों पर खूब अच्छी तरह से तेल की मालिश करने लगी । सोनल धीरे-धीरे मालीश करते करते रश्मी की गांड की छेद को भी मलने लगी । रश्मी अब सांसें तेजी से लेने लगी थी।
सोनल ने आगे बढ़कर पूछा-
“भाभी, आपकी पैंटी खराब हो जाएगी, इसमें तेल लग जाएगा, आप कहें तो उतार दूं पैंटी को?”
रश्मी पूरी मस्ती में थी और उसने सिसियाते स्वर में कहा-
“हां, उतार दे !”
सोनल ने धीरे से रश्मी की काली पैंटी बड़े प्यार से गांड से अलग कर दी । अब रश्मी पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी । सोनल की चुत मेँ भी खुजली होने लगी । सोनल के हाथ फिर से चलने लगे, वह अब अपने अंगूठे को रश्मी की गांड के छेद को मसलने लगी । रश्मी एकदम मस्ती में आ गई और पलट गई । अब उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सोनल की आंखों के सामने थी । रश्मी ने अपनी टांगें भी खोल दी थी और उसका मोटा तगडा लंड टांगो के बीच लहरा रहा था । रश्मी की नारी शरीर पर हल्के रेशमी झांटोँ से भरी लंड और बडे बडे अंडकोष किसी अजुबे से कम नहीँ लग रहा था । खैर, सोनल पर अब इसका कोई असर नहीँ था । तभी सोनल की नजर रश्मी के तन रहे लंड पर पड़ी । सोनल ने अपनी एक हाथ से रश्मी के लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी । रसमी को भी काफ़ी मजा आ रहा था ।
“सोनल, इसे उतार दे ! मेरी मालिश के लिए इसका भी इस्तेमाल कर ना ! कितना तगड़ा हो चुका है मेरी लंड । तेरी चुत के दर्शन तो करा इसे ।” रश्मी ने सोनल की चुत को स्कर्ट के उपर से मसलती हुई बोली ।
सोनल ने बिना किसी देरी के अपनी स्कर्ट को अपने से अलग कर दिया । अब उसका गदराया मस्त बदन रश्मी के सामने था । रश्मी उसकी मस्त चुचियां और चुत को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी ।
रश्मी थोड़ी देर यूं हीं सोनल की बदन को मसलती हुई मजा लेती रही, और उठ कर सोनल को टेबल पर लिटा दिया । फिर वहीं पास के मेज़ पर रखी शहद की शीशी को लेकर सोनल की चूत के पास पहुंच गयी । उसने बहुत सारा शहद सोनल की चूत पर टपका दिया । रश्मि ने अपने हाथोँ से सोनल की चुत के झांटें साफ कर रखी थी, ताकि चुत चाटने मेँ मस्ती आ जाए । शहद सीधे चूत की दरार में जाता दिखने लगा । रश्मी वहीं अपनी लंड को मुठ्ठी मेँ सहलाती हुई पैरों पर झुक गयी और अपनी जीभ से सोनल की चुत के दरार को चाटने लगी । रश्मि को सोनल की चूत का स्वाद काफी अच्छा लग रहा था और सोनल भी पूरी मस्ती में आ चुकी थी । रश्मि अपनी जीभ चुत के छेद मेँ घुसाने का प्रयास कर रही थी और साथ ही अपनी मूषल लंड को मुठिया रही थी ।
“चाटो चाटो भाभी ! ऐसे ही चाटो ! बड़ा मजा आ रहा है … वाह, क्या चाटती है आप ! हां हां ! ऐसे ही ! ऐसे ही! और अन्दर तक ! बहुत अच्छा लग रहा है ।” सोनल मस्ती मे बडबडा रही थी ।
रश्मि चुत चाटती ही जा रही थी । अचानक सोनल कांपने लगी, उसका बदन झटके खाने लगा और उसने हाथ बढ़ाकर अपनी भाभी के सर को पकड़ लिया और जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी ।
“भाभी, ऐसे ही चाटो ! मैं झड़ रही हूं ! हां हां ! चाटती रहो ! रुकना मत ! हां हां ! बड़ा अच्छा लग रहा है !” सोनल उत्तेजना मेँ कराहने लगी और फिर व पूरी तरह से झड़ चुकी थी ।
रष्मि सारे चुत रस को चाट गई । कुछ देर पडे रहने के बाद सोनल ने अपनी आंखें खोल कर अपनी रश्मि भाभी की तरफ देखा । रश्मी का 8 इंच का लंड लोहे की तरह खड़ा था, सोनल ने उसे बड़े प्यार से अपने हाथ में थाम लिया और हिलाने लगी । सोनल की आंखों में मस्ती साफ दिखने लगी थी ।
“भाभी, बड़ा प्यारा लंड है आपका ।” सोनल लंड के सुपाडी को बाहर निकालते हुए बोली । यह कह कर सोनल ने रश्मि को अपनी ओर खींच लिया और अपने मुंह के करीब ले गई । उसने जबान निकालकर रश्मि के लंड को चाटना शुरु कर दिया । फिर धीरे से पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे चुसने लगी । रश्मी अपनी उभरी गांड हिलाए जा रही थी और सोनल के मुंह में अपना लंड पेले जा रही थी ।
“भाभी, आप बहुत अच्छी हैं ! कितना ख्याल रखती हैं मेरा, पता नही कैसे मन लगेगा आपके बिना ” सोनल लंड को मुंह से बाहर निकाल कर रश्मी की और देखते हुए बोली ।
“अरे पगली ! मैं तुम्हारा ख्याल नहीं रखूंगी तो कौन रखेगा? बता ! तेरे बिना तो मेरा मन भी नही लगता,तेरे भइया के साथ भी मुझे वो आनंद नही मिलता जो तेरे साथ मिलता है, देख, मेरा लंड कितना गरम हो चला है ? कितनी झटके ले रहा है यह !” अपने लंड को सोनल के होँठोँ पर रगडते हुए रश्मी बोली ।
“जी भाभी, मैं अभी आपकी लंड से गरमी निकालती हूं । पर भाभी जरा प्यार से ! आपका लंड काफी बड़ा और मोटा हो गया है ।” सोनल अपनी चुत को चोडी कर लेटते हुए बोली ।
“तु चिन्ता मत कर सोनल ! मैँ ज्यादा जोर नहीँ लगाउंगी ।” सोनल की चिकनी पतली जांघोँ को फैलाते हुए रश्मी बोली ।
रश्मी सोनल की चूत के पास जाकर अपना लंड उस पर घिसने लगी । पानी से उसकी चूत एकदम लथपथ थी । फिर रश्मी अपने लंड को अपने हाथ में लेकर चूत के छेद पर भिड़ा कर अन्दर डालने लगी और अन्दर-बाहर करने लगी । सोनल की चुत के कसाव से रश्मी एकदम से मस्ती में आ गई ।
अब रश्मी ने अपना पूरा लंड बाहर निकाला और उसकी चूत के पास झुककर उसे चाटने लगी । कुछ देर तक चाटने के बाद रश्मी उठी और अपना लंड सोनल की चूत में फ़िर से पेल दी । इस बार रश्मी का पूरा का पूरा लंड सोनल की चूत के अन्दर जा चुका था, अब रश्मी अपने लंड को अन्दर-बाहर करते हुए सोनल को चोदने लगी ।
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