Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:44 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कमल को इतना आनंद आ रहा था. उसने आरति की चूचियाँ ब्लाउस के उपर से ही पकड़ ली और कस-कस के दबाने लगा.
"आराम से कमल... साड़ी खराब मत कर".
"चाची प्लीज़... क्या मैं आपका मुँह चोद सकता हूँ"?
"नही!"
"प्लीज़ चाची... अभी आप हररोज नही मिलोगी मुझे प्लीज़ करने दो".
"उफ्फ... ठीक है कर ले... लेकिन अगर तूने मेरे मुँह में अपना माल छोड़ा, तो याद रखना, तुझे कभी अपने जिस्म पर हाथ नही रखने दूँगी".
"ठीक है चाची".
कमल नीचे झुक कर आरति के होंठ चूमने लगा. खूब देर उनका रसपान किया.
आरति तब तक उसके टटटे सहला रही थी. फिर कमल ने अपना लंड आरती के मुँह के सामने ले आया. आरती ने भी अपना मुँह हल्का सा खोला.
कमल ने आरती का चेहरा पकड़ा और अपना लंड उनके मुँह में सरका दिया. आरति जीभ से उसका लंड गीला कर रही थी. साथ ही उसके टट्टो की मसाज कर रही थी.
कमल को बहुत आनंद आ रहा था. कुछ देर बाद कमल ने अपने कूल्हे आगे-पीछे करने शुरू किए. उनकी मुँह चुदाई शुरू हो गयी थी. कमल प्यार से उनका मुँह चोद रहा था. लेकिन ख़याल रख रहा था की अपना माल उनके मुँह में ना गिरा दे.
आरति खूब मज़े ले रही थी. एक हाथ से वो उसके टटटे सहला रही थी. तभी कमल ने उनका दूसरा हाथ अपने कूल्हे पर महसूस किया. आरती कमल के कूल्हे अपने नाखूनो से नोचने लगी. कमल को मज़ा आ रहा था. करीब 15 मिनिट ऐसे ही चला.
अचानक आरती की उंगली कमल के पिछवाड़े के छेद पर पड़ी और वो उसे अपनी उंगली से मलने लगी.
कमल को लगा वो छूटने वाला है.
"चाची मैं.... मैं... मैं छूट रहा हूँ".
आरति ने तुरंत अपने मुँह से उसका लंड निकाला और एक हाथ से हिलाने लगी. दूसरे हाथ से शीशी का ढक्कन खोला और बोली, "ले कमल.. इसमे झड़ना".
"चाची आप हिलाती रहो... मैं छूटने वाला हूँ".
चाची ने वैसा ही किया. जल्दी ही कमल छूटा.
उसका माल लंड से निकल कर शीशी को भरने लगा. कमल 20 सेकेंड छूटा जिससे पूरी शीशी भर गयी.
छूटने के बाद कमल बिस्तर पर गिर पड़ा और आराम करने लग. आरती साड़ी ठीक करने लगी.
थोड़ी देर बाद आरती उसके पास आई और शीशी को देख कर बोली.
"हाय राम! कमल तू कितना माल छोड़ता है. एक बार में. इतने माल से तो तू 10 औरतों को एक साथ पेट से कर सकता है".
"मुझे तो सिर्फ़ एक ही औरत को पेट से करना है". कमल आरति के पेट पर हाथ फिराते हुए बोला.
"हट.. बदमाश... मुझे पेट से करेगा तू?... अपनी चाची को पेट से करेगा?... अपनी नाजायज़ औलाद देगा मुझे?"
"क्यों नही चाची... आप इस दुनिया की सबसे उत्तम औरत हो... आप नही चाहोगी की आपके साथ जो बच्चा पैदा करे वो भी उत्तम हो?... आप नही चाहोगी की आपका बेटा मेरे जैसा मस्त लंड पाए?"
"बिल्कुल चाहूँगी, कमल... लेकिन एक नाजायज़ औलाद को जन्म नही देना मुझे.... ये बता... तुझे सच में मैं उत्तम लगती हूँ?"
"चाची... आप तो सर्व-गुण संपन्न हो. आप खूबसूरत हो. सेक्सी हो. अच्छा खाना बनाती हो. कौन नही चाहेगा आपसे शादी करना. और आपका ये गोरा मुलायम पेट और ये प्यारी सी नाभि.... कौन मर्द नही चाहेगा की उसका बच्चा इस पेट में पले... चाची अगर आपकी बहन होती तो मैं उससे ज़रूर शादी कर लेता".
आरती मुस्कुराई और उसे आके चूम लिया.
"चल... तेरे चाचा आते ही होंगे. कपड़े पहन ले".
आरति इतना कहके चली गयी.
थोड़ी देर बाद रवि आ गये और खाना खाने के लिए।

कमल को भी वही बुलाया गया. टेबल पे आरती और रवि बैठे थे. जया काकी खाना बना रही थी.
"मैं काकी की ज़रा मदद करती हूँ." आरती रवि से बोली.
आरती किचन में आ गयी और जया की हेल्प करने लगी। तभी किचन में कमल भी किसी बहाने से आकर आरती के पीछे खड़ा हो गया. फिर आरति की कमर पर अपना हाथ रख दिया.
आरती चौंक उठी और पीछे घूमी तो कमल ने उन्हे झट से चूम लिया.
वो कमल से अलग हुई और बोली "कमल... यहाँ नही... तेरे अंकल बगल वाले हाल में ही हैं"
"चाची आप खाना बनाइए... मुझे अब आपकी चूत तो अगले कई दिनो तक नही मिलेगी... अब ऐसे ही मज़े लेने पड़ेंगे"
आरती ने चेहरे से नाराज़गी जताई पर वो खाना बनाने लग गयी. जया काकी बाहर हाल में टेबल पर प्लेट्स लगाने चली गयी।
कमल ने अपना हाथ सरका कर उनके पेट पर ले गया और नाभि से खेलने लगा.
"एक दिन देखना इस पेट से मेरी औलदें पैदा होंगी"
फिर कमल अपना हाथ साड़ी के अंदर सरका कर आरति की चूत को रगड़ने लगा.
दूसरे हाथ से कमल चूचियाँ दबाने लगा.
"कमल... नही... तेरे चाचा को सब सुनाई दे जाएगा".
लेकिन आरति की चूत गीली होने लगी थी.
"कमल ये वक़्त और जगह नही है ये सब करने की".
"तो चूत क्यूँ गीली है तेरी... आरती".आरती उसकी तरफ गुस्से से देखने लगी.
आरती ने उसका हाथ अपनी चड्डी में से निकाल दिया और खाना लेकर डाइनिंग टेबल पर चली गई.
कमल थोड़ी देर बाद पानी लेकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचा और आरती के बगल में बैठ गया. सब लोग खाना खाने लगे और कमल ने धीरे से आरती के पेट पर हाथ रख दिया. आरती ने उसे फिर गुस्से की नजरों से देखा. लेकिन कमल ने अपना हाथ नहीं हटाया और प्यार से उनका पेट चलाने लगा. नाभि के इर्द-गिर्द गोल गोल अपनी उंगलियों से घुमा घुमा के कमल आनंद ले रहा था. फिर कमल ने एक चम्मच गिरने के बहाने से नीचे झुका और पल्लू हटा के उनका पेट चूम लिया. आरति ने उसका चेहरा अपने पेट से हटाया और खाना खाने लग गई. कमल को मालूम था कि अगले कुछ दिनों तक आरति की खूबसूरत चुत का स्वाद उसे नसीब नहीं होगा. इसलिए उसने सोचा कि कुछ दिन उनकी चड्डी से ही काम चलाना पड़ेगा. उससे रुका नहीं गया और कमल धीरे-धीरे आरती की साड़ी उठाने लगा. उनकी गोरी सुडौल जांघें उसे ललचा रही थी. कमल ने उनकी जांघ पर अपना हाथ रख दिया. बहुत ही मुलायम त्वचा थी.आरती ने झट से उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ लिया और आंखों से इशारा किया रुकने का. लेकिन कमल कहां मानने वाला था. जैसे ही आरती ने उसका हाथ छोड़ा कमल धीरे-धीरे फिर से आरती की चड्डी की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लगा. उनकी चड्डी के पास पहुंचकर कमल आरती की चूत सहलाने लगा. चड्डी बहुत गीली थी. आरति की आंखें गुस्से से तमतमा रही थी. लेकिन कमल ने एक ना सुनते हुए धीरे धीरे आरति की चड्डी नीचे उतारने लगा. थोड़ी ही देर में आरती की चड्डी कमल ने उनके जिस्म से अलग कर दी और किसी बहाने से नीचे झुक कर उनकी चड्डी अपनी जेब में रख ली. आरती साड़ी के नीचे अब पूरी नंगी थी. खैर कमल का रात का इंतजाम तो हो गया. उसने सोचा आरति की चड्डी की महक लेते हुए मीठी नींद सोयगा. फिर सब खाना खाकर सोने चले गए. कमल लेटे लेटे आरती की चड्डी की महक लेते हुए अपना लंड हिला रहा था. तभी किसी ने उसके दरवाजे पर खटखटाया. कमल ने दरवाजा खोला तो सामने आरती खड़ी थी और गुस्से से उसे देख रही थी.
तभी आरती ने उसके गाल पर जोर का थप्पड़ रसीद कर दिया.
"तूने क्या मुझे अपनी रंडी समझ रखा है? जब आकर मेरी चूत मैं अपनी उंगली करेगा या सब की मौजूदगी में मेरी चड्डी उतार के मुझे नंगा करेगा? शुक्र मना कि तेरे चाचा को नहीं पता चला. पहले भी तुझे बोला था मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना. मैं कोई ढाई रूपए वाली रंडी नहीं हूं जो तू मेरे साथ अपनी मनमानी करें. बेशर्म मुझे पेट से करना चाहता था ना तू. आइंदा मुझे छूना भी मत नहीं तो मैं पुलिस में जाऊंगी और तेरी शिकायत करूंगी. तू मेरी चूत के जितने मजे लेना चाहता था ले चुका. अब बस मेरी चड्डी पर ही मुंह मारना. भड़वा साला मुझे अपनी रंडी समझता है".
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