RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
ननंद भाभी के कुछ अनबन चल रही है ऐसा विशाल को समझ आ गया था. इसलिए बिना ज्यादा कुछ बोले वो खाना खाकर अपने कमरे में चले गए.
रश्मि ने खाने की मेज समेटी और बर्तन धोकर बिना सोनल से बात किये अपने अपने कमरे में चली गयी. सोनल सोचती रही कि भाभी क्यों उससे ऐसे नाराज़ हो रही है? अपने बॉयफ्रेंड के बारे में तो उसने भाभी को पहले से ही बताया हुआ था फिर अब क्यों भाभी इस तरह रुखी हो रही है?
सोनल को अनदेखा कर रश्मि अपने बेडरूम आ गयी जहाँ उसके पति विशाल उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. उनकी आँखों की आतुरता देख रश्मी मुस्कुराते हुए बोली, “ज़रा रुको मैं अभी आती हूँ.” और पति को तडपाती हुई रश्मि कमर मटकाते हुए कमरे से लगे बाथरूम चली गयी. अपने पति को रिझाना रश्मी को बखूबी आता था.
बाथरूम में आते ही रश्मी ने ब्लाउज में लगी हुई पिन को खोलकर अपने पल्लू को उतारा और फिर अपना ब्लाउज उतारने लगी. ब्लाउज को किनारे में रख रश्मी ने अपनी ब्रा उतार दी. और फिर से ब्लाउज पहनने लगी. ब्लाउज पहनकर रश्मि ने खुद को आईने में देखा. उसके हरे पारदर्शी ब्लाउज में उसके बड़े बड़े निप्पल साफ़ झलक रहे थे. फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि उसके निप्पल पॉइंट कर उभरे हुए दिखे. संतुष्ट होने पर रश्मि ने एक बार फिर अपनी सैटिन साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर चढ़ाया और फिर अपनी बिंदी को माथे पर सही जगह पर लगाया. रश्मी इस वक़्त बेहद हॉट दिख रही थी. और फिर उसने अपने होंठो पर लिप ग्लॉस लगाया ताकि उसके होंठ चुमते वक़्त और रसीले लगे. रश्मि ने एक बार फिर अपने आँचल को संभाला और मुस्कुराती हुई बाथरूम से निकल कर बेडरूम आ गयी.
रश्मि अपनी सेक्सी चाल से अपने पति विशाल को रिझाने लगी और बिस्तर पर उनके बगल में आकर बैठ गयी. फिर उसने अपने पैरो को ऊपर उठाकर बिस्तर पर रखा, फिर अपने घुटनों को मोड़ अपनी साड़ी के पल्लू को संभाला और फिर नटखट नजरो से अपने पति की ओर कातिल मुस्कान से उन्हें घायल कर उनसे मुंह फेरकर उनके बगल में सो गयी.
बिस्तर पर अपनी लेटी हुई पत्नी की ब्लाउज में खुली हुई पीठ और सैटिन साड़ी में लिपटी हुई खुबसूरत बड़ी सी गांड देख विशाल और बेचैन हो उठे. सचमुच रश्मि को अपने पति को रिझाना बखूबी आता था. विशाल रश्मि के करीब आ गए और पीछे से अपनी पत्नी की कमर पे हाथ डालते हुए उसकी साड़ी के अन्दर हाथ डालने लगे और उसकी गर्दन पे चुमते हुए बोले, “अब और कितना तरसाओगी जानेमन? कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ.”
विशाल अब अपने हाथ रश्मी के ब्लाउज पर फेरने लगे और उसके स्तन दबाने लगे. रश्मी भी मुस्कुराती हुई अपने हाथ पीछे कर अपने पति के सर को अपने और करीब लाने लगी ताकि वो उसे गर्दन पर अच्छी तरह चूम सके. “आज तो तुमने ब्रा भी नहीं पहनी है डार्लिंग. अब मुझसे और रुका नहीं जाएगा.”, विशाल ने कहा.
“तो आपको रोक कौन रहा है जानू… मैं तो आपकी ही हूँ.”, रश्मि ने मदहोशी भरी आवाज़ में कहा.
विशाल अब और उत्साह से रश्मी के बूब्स के बीच हाथ डालकर दबाने लगे और फिर उसकी पीठ पर चूमने लगे. धीरे धीरे उन्होंने हाथो को निचे ले जाकर रश्मी की साड़ी की चुन्नटो के बीच ले गए जहाँ उन्होंने रश्मी के लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगे. “डार्लिंग … सुबह का काम जो अधूरा रह गया था… आओ मैं पूरा करता हूँ.” विशाल ने कहा और रश्मी के लंड को और सहलाने लगे. रश्मी का लंड भी खड़ा हो रहा था पर उसके दिल में कुछ और था. वो नहीं चाहती थी कि आज विशाल उसका लंड चुसे.
विशाल अब भी रश्मी के लंड को उसकी साड़ी पर से ही सहला रहे थे तो रश्मि ने अपने एक हाथ से उसे हटाया. और अपने हाथ को अपने पीछे लिपटे हुए पति के पैजामे में डाला और उनका खड़ा लंड अपने कोमल हाथों से बाहर निकाल कर उसे हिलाने लगी. हिलते हाथो के साथ उसकी हरे कांच की चूड़ियों की खनक बेहद मोहक लग रही थी. रश्मी ने फिर उस लंड को अपनी गांड पर दबाया. विशाल का लंड रश्मो के नर्म हाथो और गांड के बीच मचल उठा… रश्मि की सैटिन साड़ी के स्पर्श से तो वो और तन गया. “आज मेरी नहीं तुम्हारी खुश होने की बारी है प्रिये.”, रश्मी ने एक अच्छी पत्नी की भाँती विशाल से कहा और उनके लंड अपनी गांड पर लिपटी साड़ी पर जोर जोर से दबाने लगी. विशाल तो इस वक़्त और भी उत्तेजित हो गए.
विशाल ने अपनी पत्नी को अपनी ओर पलटाया और उसकी आँखों में देखने लगे. रश्मि भी अपनी कातिल मुस्कान और रसीले होंठो के साथ उन्हें देखने लगी. विशाल ने फिर रश्मि की साड़ी को उसके ब्लाउज के ऊपर से हटाया और उसका पारदर्शी ब्लाउज देख वो मचल उठे. बिना ब्रा के उस पारदर्शी ब्लाउज में रश्मि के बड़े बड़े स्तन साफ़ झलक रहे थे और उसके निप्पल सख्त हो गए थे. जिसे देख विशाल उन निप्पल को पकड़ अपनी उँगलियों से मसलने लगे तो रश्मी ने आँहें भरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली.
“जानू आओ मैं तुम्हारे बूब्स को इस ब्लाउज से आज़ाद करता हूँ.”, विशाल ने कहा और रष्मि के ब्लाउज की हुक खोलने लगे. पति भी न ऐसे ही होते है. बातें तो ऐसी करते है जैसे सब कुछ अपने लिए नहीं बल्कि सिर्फ पत्नी की ख़ुशी के लिए कर रहे है. बिना ब्रा के तो वैसे भी रश्मि के स्तन आज़ाद ही थे. रश्मि की ब्लाउज की सारी हुक खुलते ही विशाल ने उन दोनों हिलते हुए स्तनों को अपने दोनों हाथो से जोरो से मसल दिया तो रश्मी एक मीठे दर्द भरी आंह निकाल कर मचलने लगी. और फिर विशाल ने अपना सर उन दोनों नर्म बड़े बड़े स्तनों के बीच रख दिया और उन स्तनों को और चूमने लगे. मदमस्त होती रश्मी ने भी अपने हाथो से विशाल के सर को अपने बूब्स पर और जोर से दबाया और उनके सर को अपने सैटिन साड़ी के आँचल से ढँक दिया. विशाल भी कामुक होकर रश्मी के स्तनों को चूसते रहे और अपनी जीभ से रश्मी के निप्पल को उकसाने लगी. मचलती हुई रश्मी से रहा न गया और बोली, “और जोर से चुसो न मेरे बूब्स को… मेरे निप्पल को अपने दांतों से कांटो न जानू” विशाल ने भी वैसा ही किया तो उत्तेजना के मारे रश्मि ने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली और आँखें बंद कर मज़ा लेने लगी… उसका तन बदन उसके स्तन पर हर चुम्बन पर लहरा उठता.
कुछ देर तक अपनी पत्नी के स्तनों का आनंद लेने के बाद विशाल ने अपनी पत्नी को पलटाकर उठाया और उसे डौगी पोजीशन में बिस्तर में तैयार किया और खुद पत्नी की गांड के पीछे आ गए. इस वक़्त रश्मि के बाल बिखर गए थे, ब्लाउज खुला हुआ था जिसमे से उसके स्तन उस पोजीशन में लटक कर झूल रहे थे. अब तो बस रश्मि की गांड को बेसब्री से इंतज़ार था. विशाल ने भी ज्यादा देर न करते हुए रश्मि की साड़ी को पीछे से उठाया और उसकी पेंटी उतारकर अपने लंड से वहां छूने लगे.
रश्मी तो जैसे अब मदहोश हो चुकी थी. अब वो अपनी गांड को मदहोशी में लहराने लगी और अपने पति के लंड को और तरसाने लगी. पर वो तो खुद तरस रही थी. अपनी पत्नी की तड़प देखकर विशाल ने भी झट से अपने लंड को रश्मी के अन्दर डाल दिया. उस एक झटके में रश्मी तो जैसे झूम उठी और उसके मुंह से एक आवाज़ एक आंह निकल पड़ी. कामुकता की मारी रश्मी अपने एक हाथ से अपने स्तनों को छूकर दबाने लगी. और विशाल भी अपने एक हाथ से रश्मि की डोग्गी पोजीशन में झूलते हुए स्तनों को पकड़ कर दबाने लगे. “और जोर से दबाओ न!”, रश्मी मदहोशी में लगभग चीख उठी. तो पत्नी की बात सुनकर विशाल और जोर से दबाने लगे और जोर जोर से अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगे. इस दौरान रश्मी के मुंह से निकलने वाली आन्हें और तेज़ हो गयी थी. अक्सर रश्मी ऐसी आवाजें नहीं निकाला करती थी क्योंकि उसकी ननंद लीला बगल के कमरे में ही सोया करती थी. पर आज न जाने रश्मि को क्या हो गया था, उसे बिलकुल परवाह नहीं थी कि उसकी ये चरम उत्तेजना में निकलने वाली आवाजें किसे सुनाई देती है. विशाल को तो वैसे ही ऐसी आवाज़ करके मदहोश होती हुई पत्नी ज्यादा आकर्षक लगती थी तो उन्होंने कुछ कहा नहीं. विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों को और जोर जोर से मसल मसल कर उसे और आनंद दे रहे थे, और वहीँ गांड में लंड को भी बड़े तेज़ी से अन्दर बाहर कर रहे थे.
और फिर कुछ समय में पति-पत्नी के बीच की ये लीला पूरी हो गयी. दोनों के चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव था. आज रश्मी बाकी दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा कामोत्तेजित थी. चाहे जो भी वजह थी इसके पीछे, विशाल बहुत खुश थे. और फिर विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों के बीच सर रखकर सो गए. और रश्मि भी उनके सर को जोर से अपने सीने से दबाकर उनके सर पर हाथ फेरते फेरते सो गयी. पर होता है न कि अक्सर ऐसी रातें यूँ ही ख़त्म नहीं हो जाती. खासकर पति तो अपनी पत्नी को छूकर पूरी रात उकसाते रहते है. विशाल रात भर हलकी हलकी नींद में रश्मि के स्तनों को दबाते तो कभी रश्मी के कठोर हो चुके निप्पलो को चूस कर उसे और उकसाते, और रश्मी बिस्तर में ही बेचैन होकर अपने तन को काबू में करने की कोशिश करती पर दोनों के जिस्म एक दुसरे के और करीब आ जाते.
और देखते ही देखते न जाने कब सुबह हो गयी दोनों को पता भी न चला. रश्मी बिस्तर में अभी भी पति की बांहों में लेटी हुई थी. उसने ब्लाउज तो पहना हुआ था पर उसके हुक खुले हुए थे और स्तन बाहर निकले हुए थे. कितने सुन्दर और सुडौल लग रहे थे वो स्तन. रश्मि की कमर के निचे अब भी साड़ी लिपटी हुई थी. साड़ी पहनने का यह तो फायदा है कि उसे बिना उतारे ही प्यार करने का आनंद लिया जा सकता है. और फिर उस साड़ी का मोहक कपडा यदि सैटिन हो तो पति पत्नी दोनों ही उसके स्पर्श से और उत्तेजित हो जाते है.
सुबह सुबह रश्मी की आँखें अब भी नींद से बंद थी. पर विशाल उसे ऐसे ही थोड़ी छोड़ने वाले थे. वो तो रश्मी की कमर के निचे उसकी साड़ी पर हाथ फेरते हुए रश्मि के लंड को छूकर तरसाने लगे. क्योंकि रश्मी ने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी तो रश्मी का लंड खडा होकर साड़ी से उभरकर दिखने लगा. विशाल अपनी पत्नी के इस खुबसूरत लिंग को साड़ी पर से ही पकड़कर सहलाने लगे. रश्मी एक बार फिर बदहवास हो रही थी. लेकिन जहाँ एक ओर पति जब चाहे तब रोमांटिक होने को तैयार होते है, वहीँ एक पत्नी अपनी ज़िम्मेदारी भी जानती है. रश्मी को पता था कि उसे उठकर सबके लिए नास्ता और अपने पति के टिफ़िन की तैयारी करनी है. खुद पर काबू करते हुए रश्मी ने अपने पति के हाथ को हटाया और बोली, “छोडो न जानू. मुझे अब तुम्हारा टिफ़िन बनाना है”
“ऐसे कैसे छोड़ दू अपनी प्यारी पत्नी को. आखिर मुझे उसे भी तो खुश करना है.”, विशाल ने रश्मी के लबो को चुमते हुए कहा. पर रश्मी उनसे दूर होकर बिस्तर पर उठ बैठी और बोली, “मुझे खुश करना है या तो तुम्हारी अपनी ख़ुशी है. चलो अब छोडो मुझे.”
रश्मी ने अपनी साड़ी जो उठकर घुटनों के ऊपर तक आ गयी थी, उसे सरकाकर निचे किया. और फिर अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी. इतने सुन्दर स्तन वापस उस सेक्सी ब्लाउज में कैद होते देख विशाल और उत्तेजित होने लगे. ये पति भी न! ऐसे ही होते है. और फिर वो बोले, “ठीक है तुम्हे मुझे इसी तरह छोड़कर जाना है तो चली जाओ. पर तुम्हारी ये पेंटी मैं नहीं दूँगा। विशाल के हाथ में रश्मी की पेंटी थी.
“तो ठीक है. तुम्ही रख लो उसे. मैं बिना पेंटी के ही चली जाती हूँ.”, रश्मी हँस पड़ी और अपने सीने को साड़ी के आँचल से ढंकती हुई बिस्तर से उठ खड़ी हुई और अपने पति को तडपाती हुई जाने लगी. और विशाल वहीँ दिल में हसरतें लिए रह गए.
मुस्कुराती हुई कृति जब किचन पहुंची तो उसने देखा कि सोनल जाग चुकी थी और ब्रेड टोस्ट का नाश्ता कर रही थी. रश्मि को एहसास हुआ कि उसका लिंग अब भी खड़ा हुआ है और साड़ी में उभर कर दिख रहा है. कोई और दिन होता तो रश्मी उसे छिपाने की कोशिश करती. लेकिन कल जो सोनल और रश्मी के बीच हुआ था, उसके बाद से न जाने क्यों रश्मि के दिल में सोनल को लेकर नाराजगी थी. उसने सोनल को अनदेखा करते हुए किचन में जाकर अपने काम करने लगी. सबसे पहले तो उसने अपने बालों को बांधकर जूडा बनाया और फिर पति के लिए चाय बनाने लगी.
इस वक़्त सोनल का चेहरा भी कुछ उखड़ा हुआ था.
“लगता है कल रात पति-पत्नी के बीच बहुत प्रेम लीला हुई है.”, सोनल ने अपनी भाभी से कहा. उसकी आवाज़ में एक गुस्सा साफ़ झलक रहा था. आखिर उसे रात को पति-पत्नी की क्रीडा के दौरान आवाजें सुनाई पड़ ही गयी थी. पर क्यों नाराज़ थी वो रश्मी से? आखिर रश्मी भाभी ने तो उसे वो सीखाया था जो कल अपने बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र के साथ आजमा सकी थी. कल शाम को तो अपनी भाभी को ये सब बताते हुए बड़ी खुश थी वो. फिर क्यों आज वो इतनी नाराज़ थी, ये तो वो खुद भी नहीं जानती थी.
“हाँ.. हमने कल रात प्यार किया है. तुझे क्या करना है?”, रश्मि ने भी लगभग उखड़े स्वर में जवाब दिया. जब सोनल अपने बॉयफ्रेंड के साथ ये सब कर सकती है तो फिर रश्मि और विशाल जो की पति पत्नी है, वो क्यों नहीं? ऐसे ही कुछ ख्याल रश्मि के मन में चल रहे थे. पर न जाने क्यों उसे सोनल को देखकर गुस्सा आ रहा था. वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसे सोनल से क्या परेशानी है.
अपनी भाभी से रुखा जवाब मिलने पर सोनल बिना कुछ कहे उठकर किचन से अपने कमरे की ओर चली गयी. और रश्मि भी अपने पति के लिए खाना बनाने में व्यस्त हो गयी.ननंद भाभी के कुछ अनबन चल रही है ऐसा विशाल को समझ आ गया था. इसलिए बिना ज्यादा कुछ बोले वो खाना खाकर अपने कमरे में चले गए.
रश्मि ने खाने की मेज समेटी और बर्तन धोकर बिना सोनल से बात किये अपने अपने कमरे में चली गयी. सोनल सोचती रही कि भाभी क्यों उससे ऐसे नाराज़ हो रही है? अपने बॉयफ्रेंड के बारे में तो उसने भाभी को पहले से ही बताया हुआ था फिर अब क्यों भाभी इस तरह रुखी हो रही है?
सोनल को अनदेखा कर रश्मि अपने बेडरूम आ गयी जहाँ उसके पति विशाल उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. उनकी आँखों की आतुरता देख रश्मी मुस्कुराते हुए बोली, “ज़रा रुको मैं अभी आती हूँ.” और पति को तडपाती हुई रश्मि कमर मटकाते हुए कमरे से लगे बाथरूम चली गयी. अपने पति को रिझाना रश्मी को बखूबी आता था.
बाथरूम में आते ही रश्मी ने ब्लाउज में लगी हुई पिन को खोलकर अपने पल्लू को उतारा और फिर अपना ब्लाउज उतारने लगी. ब्लाउज को किनारे में रख रश्मी ने अपनी ब्रा उतार दी. और फिर से ब्लाउज पहनने लगी. ब्लाउज पहनकर रश्मि ने खुद को आईने में देखा. उसके हरे पारदर्शी ब्लाउज में उसके बड़े बड़े निप्पल साफ़ झलक रहे थे. फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि उसके निप्पल पॉइंट कर उभरे हुए दिखे. संतुष्ट होने पर रश्मि ने एक बार फिर अपनी सैटिन साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर चढ़ाया और फिर अपनी बिंदी को माथे पर सही जगह पर लगाया. रश्मी इस वक़्त बेहद हॉट दिख रही थी. और फिर उसने अपने होंठो पर लिप ग्लॉस लगाया ताकि उसके होंठ चुमते वक़्त और रसीले लगे. रश्मि ने एक बार फिर अपने आँचल को संभाला और मुस्कुराती हुई बाथरूम से निकल कर बेडरूम आ गयी.
रश्मि अपनी सेक्सी चाल से अपने पति विशाल को रिझाने लगी और बिस्तर पर उनके बगल में आकर बैठ गयी. फिर उसने अपने पैरो को ऊपर उठाकर बिस्तर पर रखा, फिर अपने घुटनों को मोड़ अपनी साड़ी के पल्लू को संभाला और फिर नटखट नजरो से अपने पति की ओर कातिल मुस्कान से उन्हें घायल कर उनसे मुंह फेरकर उनके बगल में सो गयी.
बिस्तर पर अपनी लेटी हुई पत्नी की ब्लाउज में खुली हुई पीठ और सैटिन साड़ी में लिपटी हुई खुबसूरत बड़ी सी गांड देख विशाल और बेचैन हो उठे. सचमुच रश्मि को अपने पति को रिझाना बखूबी आता था. विशाल रश्मि के करीब आ गए और पीछे से अपनी पत्नी की कमर पे हाथ डालते हुए उसकी साड़ी के अन्दर हाथ डालने लगे और उसकी गर्दन पे चुमते हुए बोले, “अब और कितना तरसाओगी जानेमन? कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ.”
विशाल अब अपने हाथ रश्मी के ब्लाउज पर फेरने लगे और उसके स्तन दबाने लगे. रश्मी भी मुस्कुराती हुई अपने हाथ पीछे कर अपने पति के सर को अपने और करीब लाने लगी ताकि वो उसे गर्दन पर अच्छी तरह चूम सके. “आज तो तुमने ब्रा भी नहीं पहनी है डार्लिंग. अब मुझसे और रुका नहीं जाएगा.”, विशाल ने कहा.
“तो आपको रोक कौन रहा है जानू… मैं तो आपकी ही हूँ.”, रश्मि ने मदहोशी भरी आवाज़ में कहा.
विशाल अब और उत्साह से रश्मी के बूब्स के बीच हाथ डालकर दबाने लगे और फिर उसकी पीठ पर चूमने लगे. धीरे धीरे उन्होंने हाथो को निचे ले जाकर रश्मी की साड़ी की चुन्नटो के बीच ले गए जहाँ उन्होंने रश्मी के लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगे. “डार्लिंग … सुबह का काम जो अधूरा रह गया था… आओ मैं पूरा करता हूँ.” विशाल ने कहा और रश्मी के लंड को और सहलाने लगे. रश्मी का लंड भी खड़ा हो रहा था पर उसके दिल में कुछ और था. वो नहीं चाहती थी कि आज विशाल उसका लंड चुसे.
विशाल अब भी रश्मी के लंड को उसकी साड़ी पर से ही सहला रहे थे तो रश्मि ने अपने एक हाथ से उसे हटाया. और अपने हाथ को अपने पीछे लिपटे हुए पति के पैजामे में डाला और उनका खड़ा लंड अपने कोमल हाथों से बाहर निकाल कर उसे हिलाने लगी. हिलते हाथो के साथ उसकी हरे कांच की चूड़ियों की खनक बेहद मोहक लग रही थी. रश्मी ने फिर उस लंड को अपनी गांड पर दबाया. विशाल का लंड रश्मो के नर्म हाथो और गांड के बीच मचल उठा… रश्मि की सैटिन साड़ी के स्पर्श से तो वो और तन गया. “आज मेरी नहीं तुम्हारी खुश होने की बारी है प्रिये.”, रश्मी ने एक अच्छी पत्नी की भाँती विशाल से कहा और उनके लंड अपनी गांड पर लिपटी साड़ी पर जोर जोर से दबाने लगी. विशाल तो इस वक़्त और भी उत्तेजित हो गए.
विशाल ने अपनी पत्नी को अपनी ओर पलटाया और उसकी आँखों में देखने लगे. रश्मि भी अपनी कातिल मुस्कान और रसीले होंठो के साथ उन्हें देखने लगी. विशाल ने फिर रश्मि की साड़ी को उसके ब्लाउज के ऊपर से हटाया और उसका पारदर्शी ब्लाउज देख वो मचल उठे. बिना ब्रा के उस पारदर्शी ब्लाउज में रश्मि के बड़े बड़े स्तन साफ़ झलक रहे थे और उसके निप्पल सख्त हो गए थे. जिसे देख विशाल उन निप्पल को पकड़ अपनी उँगलियों से मसलने लगे तो रश्मी ने आँहें भरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली.
“जानू आओ मैं तुम्हारे बूब्स को इस ब्लाउज से आज़ाद करता हूँ.”, विशाल ने कहा और रष्मि के ब्लाउज की हुक खोलने लगे. पति भी न ऐसे ही होते है. बातें तो ऐसी करते है जैसे सब कुछ अपने लिए नहीं बल्कि सिर्फ पत्नी की ख़ुशी के लिए कर रहे है. बिना ब्रा के तो वैसे भी रश्मि के स्तन आज़ाद ही थे. रश्मि की ब्लाउज की सारी हुक खुलते ही विशाल ने उन दोनों हिलते हुए स्तनों को अपने दोनों हाथो से जोरो से मसल दिया तो रश्मी एक मीठे दर्द भरी आंह निकाल कर मचलने लगी. और फिर विशाल ने अपना सर उन दोनों नर्म बड़े बड़े स्तनों के बीच रख दिया और उन स्तनों को और चूमने लगे. मदमस्त होती रश्मी ने भी अपने हाथो से विशाल के सर को अपने बूब्स पर और जोर से दबाया और उनके सर को अपने सैटिन साड़ी के आँचल से ढँक दिया. विशाल भी कामुक होकर रश्मी के स्तनों को चूसते रहे और अपनी जीभ से रश्मी के निप्पल को उकसाने लगी. मचलती हुई रश्मी से रहा न गया और बोली, “और जोर से चुसो न मेरे बूब्स को… मेरे निप्पल को अपने दांतों से कांटो न जानू” विशाल ने भी वैसा ही किया तो उत्तेजना के मारे रश्मि ने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली और आँखें बंद कर मज़ा लेने लगी… उसका तन बदन उसके स्तन पर हर चुम्बन पर लहरा उठता.
कुछ देर तक अपनी पत्नी के स्तनों का आनंद लेने के बाद विशाल ने अपनी पत्नी को पलटाकर उठाया और उसे डौगी पोजीशन में बिस्तर में तैयार किया और खुद पत्नी की गांड के पीछे आ गए. इस वक़्त रश्मि के बाल बिखर गए थे, ब्लाउज खुला हुआ था जिसमे से उसके स्तन उस पोजीशन में लटक कर झूल रहे थे. अब तो बस रश्मि की गांड को बेसब्री से इंतज़ार था. विशाल ने भी ज्यादा देर न करते हुए रश्मि की साड़ी को पीछे से उठाया और उसकी पेंटी उतारकर अपने लंड से वहां छूने लगे.
रश्मी तो जैसे अब मदहोश हो चुकी थी. अब वो अपनी गांड को मदहोशी में लहराने लगी और अपने पति के लंड को और तरसाने लगी. पर वो तो खुद तरस रही थी. अपनी पत्नी की तड़प देखकर विशाल ने भी झट से अपने लंड को रश्मी के अन्दर डाल दिया. उस एक झटके में रश्मी तो जैसे झूम उठी और उसके मुंह से एक आवाज़ एक आंह निकल पड़ी. कामुकता की मारी रश्मी अपने एक हाथ से अपने स्तनों को छूकर दबाने लगी. और विशाल भी अपने एक हाथ से रश्मि की डोग्गी पोजीशन में झूलते हुए स्तनों को पकड़ कर दबाने लगे. “और जोर से दबाओ न!”, रश्मी मदहोशी में लगभग चीख उठी. तो पत्नी की बात सुनकर विशाल और जोर से दबाने लगे और जोर जोर से अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगे. इस दौरान रश्मी के मुंह से निकलने वाली आन्हें और तेज़ हो गयी थी. अक्सर रश्मी ऐसी आवाजें नहीं निकाला करती थी क्योंकि उसकी ननंद लीला बगल के कमरे में ही सोया करती थी. पर आज न जाने रश्मि को क्या हो गया था, उसे बिलकुल परवाह नहीं थी कि उसकी ये चरम उत्तेजना में निकलने वाली आवाजें किसे सुनाई देती है. विशाल को तो वैसे ही ऐसी आवाज़ करके मदहोश होती हुई पत्नी ज्यादा आकर्षक लगती थी तो उन्होंने कुछ कहा नहीं. विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों को और जोर जोर से मसल मसल कर उसे और आनंद दे रहे थे, और वहीँ गांड में लंड को भी बड़े तेज़ी से अन्दर बाहर कर रहे थे.
और फिर कुछ समय में पति-पत्नी के बीच की ये लीला पूरी हो गयी. दोनों के चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव था. आज रश्मी बाकी दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा कामोत्तेजित थी. चाहे जो भी वजह थी इसके पीछे, विशाल बहुत खुश थे. और फिर विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों के बीच सर रखकर सो गए. और रश्मि भी उनके सर को जोर से अपने सीने से दबाकर उनके सर पर हाथ फेरते फेरते सो गयी. पर होता है न कि अक्सर ऐसी रातें यूँ ही ख़त्म नहीं हो जाती. खासकर पति तो अपनी पत्नी को छूकर पूरी रात उकसाते रहते है. विशाल रात भर हलकी हलकी नींद में रश्मि के स्तनों को दबाते तो कभी रश्मी के कठोर हो चुके निप्पलो को चूस कर उसे और उकसाते, और रश्मी बिस्तर में ही बेचैन होकर अपने तन को काबू में करने की कोशिश करती पर दोनों के जिस्म एक दुसरे के और करीब आ जाते.
और देखते ही देखते न जाने कब सुबह हो गयी दोनों को पता भी न चला. रश्मी बिस्तर में अभी भी पति की बांहों में लेटी हुई थी. उसने ब्लाउज तो पहना हुआ था पर उसके हुक खुले हुए थे और स्तन बाहर निकले हुए थे. कितने सुन्दर और सुडौल लग रहे थे वो स्तन. रश्मि की कमर के निचे अब भी साड़ी लिपटी हुई थी. साड़ी पहनने का यह तो फायदा है कि उसे बिना उतारे ही प्यार करने का आनंद लिया जा सकता है. और फिर उस साड़ी का मोहक कपडा यदि सैटिन हो तो पति पत्नी दोनों ही उसके स्पर्श से और उत्तेजित हो जाते है.
सुबह सुबह रश्मी की आँखें अब भी नींद से बंद थी. पर विशाल उसे ऐसे ही थोड़ी छोड़ने वाले थे. वो तो रश्मी की कमर के निचे उसकी साड़ी पर हाथ फेरते हुए रश्मि के लंड को छूकर तरसाने लगे. क्योंकि रश्मी ने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी तो रश्मी का लंड खडा होकर साड़ी से उभरकर दिखने लगा. विशाल अपनी पत्नी के इस खुबसूरत लिंग को साड़ी पर से ही पकड़कर सहलाने लगे. रश्मी एक बार फिर बदहवास हो रही थी. लेकिन जहाँ एक ओर पति जब चाहे तब रोमांटिक होने को तैयार होते है, वहीँ एक पत्नी अपनी ज़िम्मेदारी भी जानती है. रश्मी को पता था कि उसे उठकर सबके लिए नास्ता और अपने पति के टिफ़िन की तैयारी करनी है. खुद पर काबू करते हुए रश्मी ने अपने पति के हाथ को हटाया और बोली, “छोडो न जानू. मुझे अब तुम्हारा टिफ़िन बनाना है”
“ऐसे कैसे छोड़ दू अपनी प्यारी पत्नी को. आखिर मुझे उसे भी तो खुश करना है.”, विशाल ने रश्मी के लबो को चुमते हुए कहा. पर रश्मी उनसे दूर होकर बिस्तर पर उठ बैठी और बोली, “मुझे खुश करना है या तो तुम्हारी अपनी ख़ुशी है. चलो अब छोडो मुझे.”
रश्मी ने अपनी साड़ी जो उठकर घुटनों के ऊपर तक आ गयी थी, उसे सरकाकर निचे किया. और फिर अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी. इतने सुन्दर स्तन वापस उस सेक्सी ब्लाउज में कैद होते देख विशाल और उत्तेजित होने लगे. ये पति भी न! ऐसे ही होते है. और फिर वो बोले, “ठीक है तुम्हे मुझे इसी तरह छोड़कर जाना है तो चली जाओ. पर तुम्हारी ये पेंटी मैं नहीं दूँगा। विशाल के हाथ में रश्मी की पेंटी थी.
“तो ठीक है. तुम्ही रख लो उसे. मैं बिना पेंटी के ही चली जाती हूँ.”, रश्मी हँस पड़ी और अपने सीने को साड़ी के आँचल से ढंकती हुई बिस्तर से उठ खड़ी हुई और अपने पति को तडपाती हुई जाने लगी. और विशाल वहीँ दिल में हसरतें लिए रह गए.
मुस्कुराती हुई कृति जब किचन पहुंची तो उसने देखा कि सोनल जाग चुकी थी और ब्रेड टोस्ट का नाश्ता कर रही थी. रश्मि को एहसास हुआ कि उसका लिंग अब भी खड़ा हुआ है और साड़ी में उभर कर दिख रहा है. कोई और दिन होता तो रश्मी उसे छिपाने की कोशिश करती. लेकिन कल जो सोनल और रश्मी के बीच हुआ था, उसके बाद से न जाने क्यों रश्मि के दिल में सोनल को लेकर नाराजगी थी. उसने सोनल को अनदेखा करते हुए किचन में जाकर अपने काम करने लगी. सबसे पहले तो उसने अपने बालों को बांधकर जूडा बनाया और फिर पति के लिए चाय बनाने लगी.
इस वक़्त सोनल का चेहरा भी कुछ उखड़ा हुआ था.
“लगता है कल रात पति-पत्नी के बीच बहुत प्रेम लीला हुई है.”, सोनल ने अपनी भाभी से कहा. उसकी आवाज़ में एक गुस्सा साफ़ झलक रहा था. आखिर उसे रात को पति-पत्नी की क्रीडा के दौरान आवाजें सुनाई पड़ ही गयी थी. पर क्यों नाराज़ थी वो रश्मी से? आखिर रश्मी भाभी ने तो उसे वो सीखाया था जो कल अपने बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र के साथ आजमा सकी थी. कल शाम को तो अपनी भाभी को ये सब बताते हुए बड़ी खुश थी वो. फिर क्यों आज वो इतनी नाराज़ थी, ये तो वो खुद भी नहीं जानती थी.
“हाँ.. हमने कल रात प्यार किया है. तुझे क्या करना है?”, रश्मि ने भी लगभग उखड़े स्वर में जवाब दिया. जब सोनल अपने बॉयफ्रेंड के साथ ये सब कर सकती है तो फिर रश्मि और विशाल जो की पति पत्नी है, वो क्यों नहीं? ऐसे ही कुछ ख्याल रश्मि के मन में चल रहे थे. पर न जाने क्यों उसे सोनल को देखकर गुस्सा आ रहा था. वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसे सोनल से क्या परेशानी है.
अपनी भाभी से रुखा जवाब मिलने पर सोनल बिना कुछ कहे उठकर किचन से अपने कमरे की ओर चली गयी. और रश्मि भी अपने पति के लिए खाना बनाने में व्यस्त हो गयी.
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