RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल के नर्म स्तनों के बीच तो जैसे रश्मि का लंड और सख्त हो गया. सोनल खुद बेचैन हो गयी थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो खुद को उकसा रही है या भाभी को?
“.. अब अपने हाथो से उसे पकड़ कर अपनी गर्म सांसें उस पर छोड़ना और फिर धीरे धीरे अपने होंठो को उस पर लपेट देना. और फिर अपने होंठो को धीरे धीरे उस लंड को अपने मुंह में लेना शुरू करना…. पर सिर्फ ऊपर का हिस्सा… एक अच्छी औरत अभी उस लंड को इसी तरह से और उकसाती है.”
फिर सोनल ने अपने लिप ग्लॉस लगे रसीले होंठो से उस लंड को लपेटा और फिर उसे धीरे धीरे मुंह में लेने लगी. उसकी भाभी का लंड सोनल के मुंह में जाने को बेताब होने लगा और उसकी भाभी अपने निप्पल को और जोरो से अपनी उँगलियों से मसलने लगी. इतने नर्म होंठ कभी उसने अपने लंड पर महसूस नहीं किये थे. और फिर सोनल ने अपनी भाभी के लंड को थोडा सा चूसकर अपने मुंह से बाहर निकाल दिया.
“… और अब… और अब…”, रश्मि बदहवास हो रही थी, “… अब अपनी जीभ से उस लंड की लम्बाई को निचे से ऊपर तक चाटना…” सोनल भी अपनी भाभी की मदहोशी से मचल कर उस लंड को जीभ से निचे से ऊपर तक चाटने लगी.
“… और अब… और अब… एक बार फिर….”, रश्मि से अपने बूब्स को मसलते हुए बोला भी न जा रहा था “… और अब… एक बार फिर उसे होंठो से अपने मुंह में ले लेना…”
सोनल अब एक बार फिर अपने होंठो से उस लंड को लपेटते हुए मुंह में लेने लगी और अपनी जीभ से लपलपाते हुए उस लंड को चूसने लगी… पर वो अब भी सिर्फ उपरी हिस्से को मुंह में लेकर अपनी भाभी को तदपा रही थी… और उसकी भाभी बेचैन हुए जा रही थी.
रश्मि की सांसें बहुत तेज़ होती जा रही थी… मचलती हुई रश्मि के पूरे जिस्म में आग लग चुकी थी और उसका बदन लहराने लगा… और उसके पैर भी सरकने लगी.. कमर थिरकने लगी… अब उससे रहा नहीं जा रहा था और वो उत्साह में लगभग चीख उठी..”अब चुस्ती क्यों नहीं है साली! कितना तडपाएगी मुझे…?” और उसने सोनल का सर पकड़ कर दबा दिया कि वो पूरे लंड को मुंह में ले ले.
रश्मि को इस तरह तड़पते देख सोनल भी अब पूरे उत्साह से भाभी के गुलाबी लंड को चूसने लगी और अपने मुंह में अन्दर बाहर करने लगी… उसे बेहद मज़ा आ रहा था. वो सोच रही थी कि उसने पहले कभी ऐसा क्यों नहीं किया… लंड को चूसते चूसते कभी वो अपनी भाभी के बूब्स दबाती तो उसकी भाभी की कमर लचक कर जोश में उठ जाती… कभी वो भाभी की गांड को दबाती… और पूरे जोश से उस लंड को चुस्ती रही. किसी लड़के के लंड से कम नहीं था वो लंड… पर बेहद ही खुबसूरत और आकर्षक था… सोनल ने ऐसा लंड कभी नहीं देखा था. उसके हर स्ट्रोक पर उसकी भाभी आँहें भरती और मदहोशी भरी आवाजें निकालती. इन दोनों औरतों को बेहद मज़ा आ रहा था… पर इस बेहद उत्तेजित समय का अंत भी जल्दी आता है… और जल्दी ही उसकी भाभी के लंड से रस बाहर आने लगा. शायद हॉर्मोन की वजह से उस लंड से रस कम आता था जिसे सोनल ने अपनी भाभी के पेटीकोट से ही पोंछ लिया. दोनों औरतें अब थक चुकी थी और ख़ुशी के मारे वहीँ एक दुसरे पर निढाल हो गयी.
रश्मि ने सोनल को उठाकर अपने चेहरे के करीब लाया और उसके होंठो को अपने होंठो के बीच चूस लिया और सोनल के बूब्स को दबाने लगी. दोनों ही एक दुसरे के बूब्स पकड़ आँखें बंद किये कुछ देर वही एक दुसरे से चिपक कर लेटी रही.
थोड़ी देर बाद सोनल अपनी भाभी की बांहों से बाहर निकलकर बिस्तर पर उठ बैठी और भाभी की ओर मुस्कुराती हुई देख कर बोली, “भाभी आप सचमुच बहुत अच्छे से सिखाती हो.”
सोनल की बात सुन रश्मि शरमा गयी. आज ननद और भाभी का रिश्ता ही बदल गया था. दोनों एक दुसरे की आँखों में एक चमक देख सकती थी.
“अच्छा भाभी… मैं शाम को मिलूंगी तुमसे.”, सोनल बिस्तर से उठने लगी तो रश्मि ने उसका हाथ पकड़कर रोक लिया… “इतनी जल्दी क्या है? कुछ देर यहीं रुक जाओ न..”, रश्मी ने उससे प्यार भरा निवेदन किया.
“भाभी… मेरा बॉयफ्रेंड मेरा इंतज़ार कर रहा है. मैं शाम को जल्दी आऊंगी… पक्का.”, सोनल ने कहा और झट से पर्स उठाकर कमरे से बाहर चल दी.
और रश्मि उस कमरे में बिस्तर में वैसे ही लेटी रही… उसका ब्लाउज सोनल ने खोल दिया था… उसके बूब्स ब्लाउज और ब्रा से बाहर आ चुके थे… उसके बाल और साड़ी बिखर चुकी थी. वो सोच में पड़ गयी थी कि ये सब क्या हुआ? उसे अपने पति विशाल का ख्याल आने लगा… यदि उन्हें पता लगा तो क्या करेगी वो? इसी दुविधा में रश्मि वहीँ सोचती रह गयी.।
किसी आम गृहिणी की तरह दिन भर घर के काम निपटाने के बाद, रश्मि नहा धोकर एक मैक्सी पहनकर अपने कमरे में बिस्तर में लेटी हुई थी. उसका मन बड़ा विचलित था. आज सुबह सुबह ही सोनल के साथ जो हुआ वो बात उसे बेचैन कर रही थी. रह रह कर उसे याद आ रहा था कि कैसे वो मदहोश हो रही थी जब उसकी ननद सोनल उसका लंड चूस रही थी. रश्मि बेचैन थी क्योंकि उसे लग रहा था कि आज उसने अपने पति को धोखा दिया है और वो भी पति की बहन के साथ. उसे ग्लानी हो रही थी. पर इस बात के लिए तो ज़िम्मेदार सोनल थी न जिसने ये सब शुरू किया? पर फिर रश्मि ने सोनल को उसके साथ सेक्स करने से रोका भी तो नहीं?
करवट बदलती रश्मि सोचती रही कि ऐसा कैसे हुआ? एक ओर तो ग्लानी पर सुबह की याद कर उसके जिस्म में रोंगटे भी खड़े हो जाते. उसकी मैक्सी में बिना ब्रा पहनी हुई रश्मि के स्तन सुबह के बारे में सोच कर फुल रहे थे. रश्मि सोच रही थी कि बचपन से ही वो जानती थी कि उसके अन्दर औरत बनने की हसरत है, और शायद इसलिए वो हमेशा से आदमियों की तरफ आकर्षित थी… उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे एक और औरत के साथ सेक्स करके इतना मज़ा आएगा. सोनल के नर्म होंठ का चुम्बन और उसके मखमली स्तन की याद रश्मि को उतावले करने लगे. शादी के पहले अपने पति के अलावा रश्मी ने सिर्फ एक बार एक क्रॉसड्रेसर के साथ सेक्स किया था जिसमे रश्मि एक औरत ही थी. पर एक लड़की के साथ सेक्स का अनुभव उसके लिए नया था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे कैसे हो सकता है.
बेचैन होकर उलटती पलटती रश्मि की दोपहर कैसे बीत गयी पता भी नहीं चला. अब किसी गृहिणी की तरह उसे शाम का खाना बनाना था. उसके पति विशाल एक घंटे में घर आते ही होंगे. आज तो रश्मी ने वादा भी किया था कि आज रात वो अपने पति की हसरतें पूरी करेगी. इसलिए रश्मि उठ खड़ी हुई.. इतनी देर बिस्तर पर बिताने के बाद भी वो थकी हुई थी. उठते ही उसने पहले तो अपनी मैक्सी उतारी और अपने पति की खातिर एक सेक्सी साड़ी पहनने की सोची.
उसने एक सफ़ेद रंग की सैटिन साड़ी निकाली जिसकी हरे रंग की बॉर्डर थी और हरे रंग के ही फुल-पत्तियों के प्रिंट थे. उस साड़ी से मैच करता हुआ एक नेट का पारदर्शी ब्लाउज था जिसके अन्दर सब कुछ दीखता था. उसे पता था कि उस ब्लाउज में उसके बूब्स देखकर उसके पति खुद को रोक नहीं सकेंगे. पर घर में मेहमान भी तो थे ? इसलिए उसने एक काली रंग की ब्रा पहन ली और उसके ऊपर ब्लाउज. उसकी पारदर्शी ब्लाउज में उसकी ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी. रश्मि वाकई में सेक्सी थी और उस हरी-सफ़ेद साड़ी में तो वो और भी खिल रही थी.
तैयार होकर रश्मि किचन आकर खाना बनाने में व्यस्त हो गयी. करीब एक घंटे बाद घर का दरवाज़ा खुला. “लगता है विशाल आ गए है.”, रश्मि ने सोचा.. और अपनी साड़ी के आँचल से अपने ब्लाउज को पूरी तरह ढंककर अपने पल्लू को अपनी कमर पर लपेटकर अपने काम में फिर लग गयी. उसे पता था कि यदि उसके पति ने उसका क्लीवेज और ब्लाउज सामने से देख लिया तो वो खुद को काबू में नहीं रख पायेंगे. वैसे भी वो तो घर आते ही उससे लिपट जाते है. वो उस पल के लिए तैयार थी. उसे अपने पति की बांहों में जाने का इंतज़ार भी था ताकि वो एक बार फिर अपने पति के प्यार को महसूस कर आज की सुबह की बात को भुला सके.
“कैसी है मेरी जाने तमन्ना?”, विशाल ने आते ही कहा और अपनी प्यारी पत्नी को पीछे से उसकी कमर से पकड़ कर अपनी बांहों में ले लिया. “क्या बात है आज बड़े खुश लग रहे है आप?”, रश्मी मुस्कुराती हुई बोली. रश्मि की इसी मुस्कराहट पर तो विशाल दीवाने थे.
“लगता है आज कोई घर पर नहीं है… अब तो मेरे पास अपनी पत्नी के साथ समय बिताने का मौका है.”, विशाल ने कहा और रश्मी की साड़ी के अन्दर हाथ डाल उसकी कमर को छूने लगे.
“सभी मंदिर गए है,आते ही होंगे. ज़रा सब्र करो.”, रश्मी ने नटखट तरीके से कहा और विशाल अपनी पत्नी की कमर को छूते रहे और उसके कुलहो को अपने तन से जोर से लगाने लगे.
“सब्र ही तो नहीं होता है जानेमन. वैसे भी तुमने सुबह वादा किया था.”, विशाल ने रश्मी के चेहरे को छूते हुए कहा. ये पति भी न.. ऐसे ही तो होते है. इनसे रुका ही नहीं जाता. और पत्नी को ही हमेशा से समझदारी से बर्ताव करना पड़ता है.
रश्मि पलटकर अपनी पति की बांहों में आ गयी और उनके सीने पर हाथ रखते हुए बोली, “मैंने रात का वादा किया था. रात तो हो जाने दो.” रश्मी की नज़रे कहते कहते झुक गयी. पति की बांहों में उसे अच्छा लग रहा था.
उफ्फ्फ… ये पत्नियां भी न कभी कभी इतनी प्यारी लगती है. सुन्दर साड़ी में लिपटी इतनी सेक्सी पत्नी बांहों में हो और उसके नर्म स्तन पति के सीने से दब रहे हो तब समझदारी से बर्ताव करना एक पति के लिए बहुत मुश्किल होता है. दिल पे किसी तरह काबू कर एक अच्छे पति की तरह विशाल बोले, “ठीक है तुम कहती हो तो मैं रात का इंतज़ार करता हूँ.”
रश्मी मुस्कुराई और अपने काम में लग गयी. अब उसका मन खुश हो गया था. विशाल भी अपने कमरे में कपडे बदलने चले गए.
तभी घर का दरवाज़ा एक बार फिर से खुला और दरवाज़े से इस बार सोनल दौड़ी चली आई और पूरे उत्साह के साथ आकर अपनी भाभी को पीछे से पकड़ ली. बहुत खुश लग रही थी वो. भले सोनल के स्तन उसकी भाभी की पीठ पर उस पकड़ में दब रहे थे पर इस वक़्त इस पकड़ में सुबह की तरह की कामुकता नहीं थी बल्कि एक सहेली की तरह की भावना था. “भाभी!!”, सोनल ख़ुशी से चीख पड़ी.
रश्मी भी इस वक़्त खुश थी तो उसने पूछा, “क्या बात है? बड़ी खुश लग रही हो?” पर धीरे धीरे उसे एहसास होने लगा कि सोनल के स्तन उसकी पीठ से लगे हुए है. ऐसा तो पहले भी कई बार हुआ था पर तब रश्मी को सिर्फ एक औरत की भावना आती थी. लेकिन आज सुबह के बाद कुछ तो बदल गया था.
सोनल ने रश्मि के कान के पास अपने होंठ लाकर धीमी आवाज़ में कहा, “भाभी.. धीरेन्द्र तो आज बहुत खुश हो गया.” न जाने क्यों रश्मि का मन एक बार फिर विचलित होने लगा. “कौन धीरेन्द्र?”, रश्मि ने रुखी आवाज़ में कहा. “अरे भाभी… मेरा बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र जिसके लिए मैं आज आपसे वो सीखकर गयी थी.”, सोनल उछलती हुई बोली.
रश्मि जानती थी कि धीरेन्द्र कौन है और सोनल ब्लो जॉब के बारे में बात कर रही थी. न जाने क्यों सोनल और उसके बॉयफ्रेंड के बारे में सोचकर ही रश्मि के मन में थोडा सा गुस्सा आने लगा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों सोच रही है. क्या उसे जलन हो रही थी सोनल को किसी और के साथ सेक्स करते हुए सोच कर? मगर क्यों? वो तो खुद अपने पति के साथ ख़ुश थी… फिर सोनल जिसके साथ जो चाहे करे.. उसे क्या? पर सोनल को कम से कम सुबह के बारे में रश्मि से कुछ कहना चाहिए था. क्या जो सुबह हुआ वो सिर्फ एक मज़ाक था? सोनल सुबह की बात को ऐसे कैसे अनदेखा कर सकती थी? ऐसे ही न जाने कितने ही ख्याल रश्मि के मन में आने लगे.
सोनल की बात को अनदेखा कर रश्मी ने बड़ी बेरुखी से कहा, “जाकर खाने की मेज पर बैठो. तुम्हारे भैया आ गए है और खाने का इंतज़ार कर रहे है. सारा दिन बस मौज मस्ती करती हो, तुमारी मम्मी इसीलिए छोड़कर गयी है क्या”
सोनल रश्मि के मुंह से ऐसी बात सुनकर आश्चर्य में थी. रश्मि उसकी ख़ुशी में शामिल क्यों नहीं हो रही है? सोचते हुए सोनल खाना मेज पर जाने लगी. और वहीँ रश्मि बेचैन हुई जा रही थी कि उसे सोनल और धीरेन्द्र के बारे में सोच कर इर्ष्य क्यों हो रही है.
थोड़ी देर बाद खाना लग जाने पर विशाल बाहर आये और सभी ने साथ में खाना खाना शुरु किया.
“सोनल … तुम्हारा दिन कैसा गुजरा यहाँ ?”, विशाल ने खाते हुए यूँ ही सोनल से पूछा.
“अच्छा बीता दिन तो मेरा भैया.”, सोनल ने भाभी के मूड को देखते हुए धीमी आवाज़ में कहा.
“अपनी बहन को समझाओ कि यहा इस शहर में नई है,ध्यान रखे अपना. खूब मौज मस्ती करती रहती है सारा दिन.”, रश्मि ने गुस्से से विशाल की थाली में चावल परोसते हुए कहा.
“रश्मि… यही दिन ही तो मौज मस्ती करने वाले होते है. थोडा खुश रह लेगी तो इसमें बुरा क्या है.”, विशाल ने रश्मि को समझाते हुए कहा.
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