Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:40 PM,
#89
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल बहुत ज्यादा घबरा गई इतना लंबा लण्ड देखकर। तभी उसने तेल की बोतल से ढेर सारा तेल सोनल की चूत पे लगाया और अपने लण्ड पर भी। सोनल अपनी खैरियत की दुआयें माँग रही थी और दूसरी तरफ आने वाले पलों को सोचकर उसकी चूत में अजीब सनसनाहट भी हो रही थी। रिक्शावाले चाचा उसकी टांगों में आकर बैठ गए और उसे चूमना शुरू कर दिया और उसकी चूचियां को चाटने लगे। सोनल का जिश्म फिर से गरम होने लगा और उसकी बेचैनी बढ़ने लगी। नीचे उनका लण्ड सोनल की चूत पे रगड़ रहा था। सोनल बेचैन होकर अपनी कमर को उचकाने लगी। उसकी चूत से पानी बह रहा था।

सोनल- उऊहह… म्*म्म्मम… आआअहह… छ्छाचाअ… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… ऊऊऊओह… कर रही थी।

रिक्शावालेचाचा- क्या हुआ मेरी रांड़?

सोनल- “ चाचहा… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… कुछ करो…”

रिक्शावालेचाचा- क्या करूँ मैं? चोद दूँ तुझे?

सोनल- हान्न्*न…

रिक्शावालेचाचा- अगर तेरी चूत फट गई तो फिर?

सोनल- कोई बात नहीं, फटने दो। प्लीज़्ज़… इसको अंदर डाल्ल दो।

रिक्शावालेचाचा- तुझे मैं तब चोदूँगा जब तू मेरी रंडी बनेगी।

सोनल- हान्न्*ण… मैं रंडी बनूँगी।

रिक्शावालेचाचा- मैं जिससे बोलूंगा चुदवाएगी?

सोनल- हाआनन्न।

चाचा ने सोनल के होंठों को चूमना शुरू कर दिया। सोनल मदहोशी में उनके होंठों को चूम चाट रही थी। उन्होंने अपना लण्ड सोनल की चूत के छेद पे रखा हुआ था। तभी उन्होंने उसके होंठों को अपने मुँह में भरकर एक जोर का धक्का मारा। उनका लण्ड सोनल की चूत को चीरता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया। सोनल की आँखें बाहर आ गई और सोनल के मुँह से जोर की चीख चाचा के मुँह में ही दब गई। आँखों से आँसू निकलने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने मोटा रोड उसकी चूत में घुसा दिया हो।

तभी चाचा ने लण्ड टोपी तक बाहर निकाला, उसके होंठों को छोड़ दिया और पूरे जोर से लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। आवाज बंद हो गई और सोनल बेहोश सी होने लगी। तभी उन्होंने कसकर 3-4 धक्के और लगाये और उनका पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर बच्चेदानी से टकरा गया।

उसका दिमाग़ झन्ना गया और वो बेहोशी से वापस होश में आ गई और जोर से चीख पड़ी। और जोर-जोर से रोने लगी- “आआआह्ह… उउफफफ्फ़… चाचा… आआअह्ह… अम्म्म्मीई। मुझे बचाओ… आआआईई… मैं मर जाऊँगी चाचा… आआअहह… उउइईई…” सोनल की आँखों से आंसू बह रहे थे। चाचा उसकी चूचियां को फिर से चूमने चाटने लगे। सोनल दर्द से कराह रही थी।

रिक्शावालेचाचा- बस मेरी जान हो गया। तूने मेरा पूरा लण्ड ले लिया है। जितना दर्द होना था हो गया। अब मजा लेगी तू सारी ज़िंदगी।

सोनल- चाचाअ… प्लीज़ बाहर निकाल लो। मैं मर जाऊँगी… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ मुझे छोड़ दो।

लेकिन उनकी गिरफ़्त इतनी सख़्त थी कि सोनल हिल भी नहीं पा रही थी। और केवल उउफफफ्फ़… आआअहह… ऊऊऊओह… करके सिसकारियां ले रही थी। धीरे-धीरे सोनल का दर्द कम होने लगा। और उसकी चूत फिर से गीली होने लगी। सोनल ने अपनी बाहें फिर से चाचा के गिर्द कस लीं।

चाचा को भी पता चल गया कि उसे मजा आ रहा है। उन्होंने आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। वो 2-3 इंच लण्ड बाहर निकालते और फिर से पूरा अंदर डाल देते। जैसे ही उनका लण्ड अंदर आता सोनल के मुँह से आआआह्ह… निकल जाती। उसकी चूत में अभी भी बहुत दर्द था लेकिन उसके साथ मजा भी आ रहा था।
चाचा ने 10 मिनट तक बड़े आराम से चोदा, और सोनल का पानी निकल गया। सोनल उस वक्त आसमान में उड़ रही थी। इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ। सोनल ने चाचा के गिर्द अपनी टांगों को लपेट लिया। वो सोनल को किस करते जा रहे थे और उसे चोदते जा रहे थे। उन्होंने अपनी स्पीड अब बढ़ा दी और अपना आधे से ज्यादा लण्ड निकाल-निकालकर सोनल को चोदने लगे।

5 मिनट बाद सोनल दूसरी बार झड़ गई। सोनल के मुँह से आआअह्ह… चाचा… ऊऊह्ह… उउम्म्म्मम… उउफफफ्फ़… उउईईई माँ आआआआ… ऊऊऊह्ह… और्रर तेज़्ज़्ज़्ज़ की आवाजें निकल रही थीं। और वो उनको चूमे जा रही थी। सोनल को आस-पास का कोई होश नहीं था। सोनल बस मजे में डूबी जा रही थी। दिल चाह रहा था कि ये मजा कभी खतम ना हो। और चाचा भी कहाँ रुक रहे थे। वो एक तजर्बेकार आदमी उसे एक ही आसन में चोदे जा रहे थे।
उनका लण्ड जड़ तक सोनल के अंदर समा रहा था। उसका जिश्म अजीब सी तरंग से भर गया था। सोनल अपनी कमर उठाकर उनका साथ दे रही थी। उन्होंने पूरा 30 मिनट तक सोनल को तेजी से चोदा और उसके अंदर ही झड़ गए। इस बीच सोनल दो बार झड़ी थी। चाचा झड़ने के बाद सोनल के ऊपर गिर कर लंबी-लंबी सांसें लेने लगे।

सोनल उनके बालों में उंगलियां फेर रही थी, और उनके गालों पे किस कर रही थी। उनका जिश्म पशीने से भीग चुका था। 5 मिनट बाद वो सोनल के ऊपर से हटकर बराबर में लेट गए। सोनल के जेहन में एक सुकून सा छा गया और सोनल वैसे ही टांगें फैलाए बेसुध सी लेटी रही। पता नहीं कितनी देर हो गई।

फिर चाचा ने उसे आवाज दी- रंडी सो गई है क्या?

सोनल- उउन्न्नह… क्या हुआ चाचा?

चाचा- क्यों मजा आया?

सोनल को शरम सी आने लगी। सोनल ने चाचा की तरफ देखा और मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। वो तो मेरी इस अदा पे जैसे खिल गए।

चाचा- रंडी, अभी तो बड़े मजे से चुदवा रही थी। अब शर्मा रही है। उन्होंने सोनल को करवट दिला कर पीछे से चिपका लिया। उनका लण्ड अभी भी आधा-खड़ा होकर उसके चूतरों से टकरा रहा था।
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सोनल को अजीब सी गुदगुदी और शुरूर महसूस हो रहा था। दिल कर रहा था कि बस ऐसे ही पड़ी रहै। अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था। तभी चाचा उठे और उसे अपनी गोद में उठा लिया और उष्को लेकर बाथरूम की तरफ चल दिए। सोनल की आँखें अभी भी बंद थीं। बस जो वो कर रहे थे, सोनल चुपचाप महसूस कर रही थी। उन्होंने उसे गुसलखाने में लेजाकर खड़ा कर दिया, और उसकी टांगें खोलकर चूत को पानी से धोने लगे। उनके हाथ लगाने से ही सोनल की हालत खराब होने लगी।

उसकी चूत साफ करने के बाद चाचा ने उसे पानी का डब्बा दिया और बोले- “चल रंडी अब मेरा लण्ड तू साफ कर जल्दी, फिर तुझे और भी चोदना है। आज तेरी चूत को मैं पूरा खोल दूंगा ताकि आइन्दा तुझे किसी का लण्ड लेने में तकलीफ ना हो…”

सोनल- चाचा, प्लीज़्ज़ मैं नहीं कर सकती साफ। मुझे शरम आ रही है।

चाचा-- “चल अब नाटक बंद कर और जल्दी कर। आज तुझे मैं बहुत चोदूँगा…” और ये कहते हुये चाचा ने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रख दिया। उसपर उसकी चूत का थोड़ा सा खून और थोड़ा सफेद-सफेद पानी अभी भी लगा हुआ था।
सोनल ने पानी डालकर उनके लण्ड को धोना शुरू किया। चाचा ने उसके हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे आगे पीछे करना शुरू कर दिया (जैसे मूठ लगाते हैं), ऐसा करने से उनका लण्ड बिल्कुल साफ हो गया।

फिर चाचा उसे उठाकर वापस कमरे में ले आए और बिस्तर पर लिटा दिया। खुद वो थोड़ी देर के लिए बाहर चले गए।

सोनल वैसे ही नंगी लेटी रही, और छत को देख रही थी। सोनल अपनी ज़िंदगी के पिछले कुछ दिनों के बारे में सोच रही थी कि मैं हसती खेलती जिन्गदी से इस मोड़ पे पहुँच गए हैं कि मुझे एक रिक्सेवाले से चुदवाना पड़ रहा है।

लेकिन दूसरे ही पल एक अजीब सा मजा आने लगा कि इतना जबरदस्त आदमी मिला है चोदने को कि जिसने जिश्म की गर्मी को एकदम से शांत कर दिया है। चूत में भी अजीब सी गुदगुदी शुरू हो गई। सोनल का हाथ अपने आप उसकी चूत पे जा पहुँचा और उस्की सिसकी निकल गई, दर्द और मजे की वजह से। सोनल चाचा के लण्ड को याद करती हुई अपनी चूत को सहलाने लगी।

सोनल के जिश्म की बेकारारी बढ़ने लगी और दिल कर रहा था कि जल्दी से चाचा का लण्ड उसके अंदर आ जाए। और वो फिर से चुदबाए। उसके जिश्म पे उसका इख्तियार नहीं रहा। जेहन में सिर्फ़ एक ही बात थी और वो थी चाचा का मोटा और बड़ा लण्ड।

तभी चाचा घर में दाखिल हो गए, उनके हाथ में एक पैकेट था। वो शायद कुछ खाने के लिए लाए थे। सोनल को देखकर मुश्कुरा दिए। सोनल अभी भी बेशर्मी से अपनी चूत को मसल रही थी। वो उसके नजदीक आ गए और बालों से पकड़कर सिर ऊपर किया और सोनल के होंठों को जोर-जोर से चूसने लगे।

फिर उससे अलग होकर बोले- क्या हुआ रंडी? अपनी चूत क्यों सहला रही है?

सोनल भारी सांसें लेती हुई- “चाचा प्लीज़्ज़ आ जाओ ना मुझे चोद दो। प्लीज़्ज़…”

चाचा- अच्छा चोदूँगा। पहले उठकर कुछ खा ले।

सोनल हाँफते हुये- “नहीं, पहले मुझे चोदो…”

चाचा भी मैदान में आ गए। जल्दी से अपने कपड़े उतारकर अपने लण्ड पे तेल लगा लिए और खुद नीचे लेटकर उसे अपने ऊपर खींच लिया, और बोले- “चल आ जा रंडी, अब मेरे लण्ड की सवारी कर…” उन्होंने लण्ड सोनल की चूत के साथ लगा दिया।
सोनल आहिस्ता-आहिस्ता नीचे होने लगी। ऐसे लग रहा था कि कोई चीज उसे चीर रही है। लण्ड अभी 2-3 इंच ही अंदर गया था की उसे दर्द होने लगा। सोनल चाचा के सीने पे गिर गई और लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। चाचा ने उसके होंठों पे अपने होंठ रखे और उसे कमर से पकड़कर तेज झटका मारा। और उनका आधा लण्ड चुत के अंदर चला गया। सोनल इस झटके से कांप कर रह गई। तभी उन्होंने दो धक्के जोर-जोर से लगाए। और पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
सोनल की आँखों से इस बार फिर दर्द से आँसू बह निकले। चाचा उसकी कमर को सहला रहे थे। उन्होंने उसके होंठों को छोड़ दिया और उसकी कमर और चूतरों को सहलाए जा रहे थे। 5 मिनट में सोनल का दर्द खतम हो गया। और सोनल अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलाने लगी।
चाचा को इस बात का एहसास हो गया। उन्होंने उसकी कमर को अपने हाथों से पकड़कर जरा जोर से हिलाना शुरू कर दिया और अपनी कमर भी हिलाने लगे। एक खूबसूरत लय के साथ दोनों चुदाई का मजा ले रहे थे। उन्होंने उसे 5 मिनट इस तरह से चोदा फिर उसे सीधा करके बिठा दिया। अब सोनल उनके ऊपर बैठी थी और लण्ड पे ऊपर-नीचे हो रही थी।
वो भी अपनी कमर उठा-उठाकर उसे चोद रहे थे। उसकी चूचियां उसके साथ-साथ उछल रही थीं। उन्होंने सोनल की चूचियों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया और साथ-साथ अपनी स्पीड भी तेज़ कर दी। सोनल जैसे सातवें आसमान पे उड़ रही थी। उसे चोदते हुई उनको 20 मिनट हो चुके थे और सोनल दो बार झड़ चुकी थी कि अचानक वो भी उठकर बैठ गए।
अब स्थिति ये थी कि सोनल उनके सीने से चिपकी उनकी गोद में बैठी थी।सोनल ने उनके गिर्द अपनी बाहें कस लीं और अपनी टांगों को उनकी कमर के गिर्द लपेट लिया। इस आसन में उनका लण्ड सोनल की चूत के अंदर तक चोट करता था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ उसे चोदते रहे।
सोनल की चूत के दाने (क्लिट) को बहुत ज्यादा रगड़ लग रही थी इस आसन में और सोनल ऊऊह्ह… आआआह्ह… चाचाआअ… आआअह्ह… उउम्म्म्मम… सस्स्स्स्सस्स… ऐसे ही चोदो… आआआह्ह… करती जा रही थी और उनकी कमर सहलाए जा रही थी। तभी उन्होंने सोनल को पीछे ढकेला और उसकी टांगें अपने कंधे पे रखकर तेज़-तेज़ शाट लगाने लगे।
कमरे में पच-पच छाप-छाप, पच-पच की आवाजें गूँज रही थी। सोनल को ऐसे लग रहा था के जैसे उसका पेशाब निकलने वाला है।
सोनल चाचा से बोली- चाचाआअ… रुको… आआअह्ह… म्*म्म्ममेरा निकलने वाला… हैई।
चाचा ने उसकी बात सुने बगैर तेज झटके लगाने जारी रखे। कमरे में जैसे तूफान आ गया था- पक्ककच… पक्ककच… छप्प्प… छप्प्प के साथ उसकी आआह्ह… ऊऊह्ह… चाचाआअ… ऊऊह्ह… सस्स्स्स्सस्स… म्*म्म्मम… आआआह्ह… की आवाजें गूँज रही थीं। तभी सोनल की चूत से फौवारे की तरह पानी निकला और चाचा ने और भी तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए।
सोनल का जिश्म कँपने लगा, और मजा इतना था कि उससे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था। सोनल की आँखों से भी आँसू निकल पड़े और सोनल फूट-फूट कर रोने लगी। दिमाग बिल्कुल सुन्न पड़ गया। तभी चाचा ने उसके अंदर अपना पानी छोड़ दिया। उसकी चूत से अभी भी पानी निकल रहा था और उसके साथ ही सोनल का पेशाब भी निकल गया, और सोनल बुरी तरह छटपटा रही थी।
सोनल जैसे पूरे बिस्तर पे उछल रही थी। चाचा ने किसी तरह उसपर काबू किया हुआ था। लेकिन उसकी ये हालत थी कि उनके हाथों से फिसलती जा रही थी। आँखें बंद और मुँह से ऊऊऊह्ह… हहाईयईई… आआअह्ह… की आवाजें निकल रही थीं।
5 मिनट बाद सोनल का जिश्म कुछ शांत हुआ। लेकिन अभी भी बहुत कंपकंपी थी। उसके दाँत बज रहे थे और सोनल एक ज़िंदा लाश की तरह बिस्तर पर पड़ी हुई थी। चूत से अभी भी पानी निकलकर बिस्तर की चादर को गीला कर रहा था। चाचा उसके ऊपर से हट गए और उसके लिए एक ग्लास ठंडा पानी लेकर आए। उन्होंने सोनल को सहारा देकर बिठाया और पानी पिलाया। ठंडा-ठंडा पानी पीते ही उसके जिश्म में जैसे ताकत वापस आने लगी।
आलमोस्ट आधे घंटे बाद सोनल ने अपनी आँखें खोली और बड़ी रूमानी नजरों से रिक्शावाले चाचा को देखा। जो उसके साथ ही बैठे थे और उसके बालों को सहला रहे थे।
चाचा- “क्यों मजा आया मेरी रंडी? देख तूने तो मूत भी दिया। मेरा सारा बिस्तर खराब कर दिया। देख जरा…”
सोनल शरम से लाल हो गई। चाचा को बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उनके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी।
चाचा ने उसे खुद से अलग करके बिस्तर पर लिटा दिया। सोनल इतनी थक चुकी थी कि फौरन इसे नींद आ गई। तकरीबन 3 घंटे बाद सोनल की आँख खुली।
चाचा ने उसे खाना खिलाया, और उसके बाद चुदाई का तीसरा दौर शुरू हुआ। इस बार चाचा ने सोनल को रुक-रुक कर शाम 7:00 बजे तक चोदा। इस बार सोनल को पहले से ज्यादा मजा आया। क्योंकि सोनल की चूत को लण्ड की आदत पड़ चुकी थी।

इस बार उसे जरा भी दर्द नहीं हुआ और खूब मजा लिया। शाम को 7:00 बजे चाचा उसके मम्मों पे झड़ गये।
फिर उन्होंने सोनल को टहलाया ताकि वो ठीक से चल सके और उसे देखकर किसी को शक ना हो। उष्को दर्द कम करने और प्रेग्नेन्सी से बचने की गोलियां भी खिलाई, और चूत की सिकाई भी की। रात को ठीक 8:45 बजे सोनल घर पहुँच गई।



सोनल इतनी थक गई थी कि कमरे में जाकर फ्रेश हुई और बिना खाना खाए सो गई। बहुत चैन की नींद आई।

दूसरे दिन सोनल के उठते ही उसका शरीर फिर चुदाई की मांग करने लगा। सोनल को कुछ समझ ही नही आ रहा था कि उसके साथ ये सब क्यो हो रहा है। सोनल फटाफट उठती है और फ्रेश होकर तैयार होकर ही बाहर जाती है, फिर नाश्ता करके सीधे निकल जाती है बिना रवि या आरती से मिले। बाजार आकर रिक्शावाले चाचा को फोन करती है कि उसे आज फिर मिलना है उससे।
और ऑटो करके चाचा के घर के लिए निकल गई।
घर में घुसते ही सोनल उनसे चिपक गई और किस करने लगी। क्योंकि सारा रास्ता उसकी चूत ने पानी बहाया था और चाचा के लण्ड को याद करते-करते उसमें अजीब सी खुजली हो रही थी।
चाचा ने उसे खुद से अलग किया और कहा- क्या हुआ रांड़? ऐसे क्यों चिपक रही है? गश्ती, तेरी चूत में ज्यादा खुजली है क्या?
सोनल शरम से नीचे देखने लगी। उष्को खुद नहीं पता था कि उसने ऐसा क्यों किया?
चाचा हँसते हुये बोले- चल ठीक है कोई बात नहीं। वैसे भी तूने रंडी बनकर येई काम तो करना है।
सोनल- चाचा प्लीज़्ज़… मैं बस आपसे चुदवाऊँगी।
चाचा- तू हर उस बंदे से चुदवाएगी जिससे मैं कहूँगा। फिकर ना कर, आज तेरी एक और ट्रैनिंग शुरू होगी। चल देर ना कर और अच्छी बच्ची बनकर फौरन नंगी हो जा।
सोनल ने आहिस्ता-आहिस्ता अपने कपड़े उतार दिए। कल सोनल ने इतनी देर चाचा से चुदाई करवाई थी कि अब उसे उनसे इतनी शरम नहीं आ रही थी।
फिर उन्होंने उसे कुतिया की तरह चारों हाथ-पांव पे होने को कहा। सोनल उनकी बात मानकर वैसे ही करती जा रही थी। उन्होंने एक चेन उठाई जिसपे कुत्ते के गले में बाँधने वाला पट्टा लगा हुआ था। उसे सोनल के गले में पहना दिया। फिर वो कमरे की तरफ जाने लगे। सोनल उनके पीछे-पीछे वैसे ही चलती कमरे में दाखिल हो गई और अंदर देखते ही सोनल की आँखें हैरत से फैल गईं।
कमरे में एक आदमी बैठा था जिसको देख कर सोनल की सांस रुक गयी। सोनल अपनी सुध बुध खो बैठी ।
सोनल उसको देखते ही बहुत घबरा गई, और अपने जिश्म को छुपाने की कोशिश करने लगी। सोनल ने खुद को चाचा से छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मजबूती से चेन को पकड़ा हुआ था। सोनल खुद को उनके चुंगल से नहीं निकाल पाई।
चाचा- क्या हुआ रंडी? ज्यादा नखरे नहीं कर… वरना आज तेरी गाण्ड में डंडा घुसा दूँगा और तुझे बिना कपड़ों के घर से निकाल दूंगा। फिर चुदवाती फिरना इलाके वालों से।
सोनल चाचा की धमकी सुनकर डर गई, और जद्दोजहद करना बंद कर दी।
तभी वो आदमी बोला- अरे यार हरिया, ये पटाखा माल मेरी छोटी मालकिन है इसे ऐसे न बोल।
वो आदमी और कोई नही रामु काका था।
सोनल समझ जाती है कि रामु ने ही ये सब रचा है, उझसे बदला लेने को। लेकिन अब वो कुछ कर भी नही साख्ति थी, आज वो खुद अपनी मर्जी से आई थी यहाँ।
चाचा- अबे यार, तुम इसको नही जानते ये अब रंडियों को भी माफ करती है,अब तू बस माल चख के मजे कर।
रामु--साली ने बहुत जुल्म किये है मुझपर आज सबका बदला लूंगा। इसको बहुत बड़ी रण्डी बनाऊंगा। अरे यार हरिया इसको और इसकी सहेली को दोनो को कुटिया बना कर चोदुगा।
हरिया चाचा- अरे यार, तू फिकर ना कर। उसके लिए मैंने अलग से प्लान सोच के रखा है। तू बस आज इस चिड़िया के साथ मजा कर। सच में बहुत गरम माल है।

हरिया ने सोनल को रामु की तरफ जाने का इशारा किया। सोनल को मालूम था कि यहाँ मना करने का कोई मतलब नही है। अगर वो विरोध करेगी तो उससे बुरा सलूक ही होगा। अगर साथ दे तो शायद थोड़ा रहम भी करे ये लोग।
सोनल आहिस्ता-आहिस्ता उसके पास जाने लगी। वो एक कुर्सी पे बैठा हुआ था। आप खुद सोचें कि एक लड़की बिल्कुल नंगी गले में पट्टा और जंजीर और चारों हाथ-पाँव पे चलती हुई आ रही हो तो आस-पास के मर्दों की क्या हालत होगी? येई हाल उन दोनों का था।
जैसे ही सोनल रामु काका के पास आई। उन्होंने उसे बालों से पकड़ा और उसके होंठों को चूमने लगे। उनके मुँह से अजीब सी महक आ रही थी सिगरेट की। इधर हरिया चाचा ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और उसे पीछे से दबोच लिया। अब सिचुयेशन ये थी कि दोनों मर्द सोनल के जिश्म को सहला रहे थे और सोनल के जिश्म की गर्मी बढ़ने लगी। सोनल के दिमाग पे नशा सा छाने लगा।
रामु काका सोनल के होंठों को दीवानों की तरह चाट और चूस रहे थे। जबकि हरिया चाचा ने अब सोनल की चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। जिसका सीधा असर सोनल की चूत पे होने लगा, जो कि तेजी से पानी बहाने लगी। तभी रामु चाचा ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया, और सोनल की गर्दन और कान की लोलकी को चूसने चाटने लगे। साथ-साथ वो उसकी गाण्ड को भी सहला रहे थे।
और सोनल मदहोशी में आआआह्ह… ऊऊऊओह… चाचा… आआअह्ह… म्*म्म्मम किए जा रही थी। सोनल की आँखें लज़्ज़त के मारे बंद हो गई थीं।
तभी रामु चाचा ने उसे छोड़ा और नीचे गद्दे पे लिटा दिया। उन्होंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए। सोनल की नजर उनके लण्ड पर पड़ी। बिल्कुल अकड़ा हुआ, डार्क ब्राउन कलर का था और पूरा 8 इंच लंबा और 2½ इंच मोटा होगा। सोनल तो अब हरिया चाचा का इतना बड़ा लण्ड ले चुकी थी इसलिए उसे जरा भी डर महसूस नहीं हुआ। लेकिन एक अजीब सी कैफियत होने लगी कि पता नहीं आगे क्या होगा?
हरिया चाचा ने उसकी टांगें फैलाई और उसकी चूत को चाटने लगे। उनके मुँह से उउम्म्म्मम… और लप-लप शड़प-शड़प की आवाज आ रही थी।
सोनल ने उनके सिर पे हाथ रखकर उनको अपनी चूत पे दबाना शुरू कर दिया। और सोनल आआअह्ह… ऊऊऊह्ह… चाचा की आवाजें निकाल रही थी।
रामु चाचा उसकी चूचियां पर टूट पड़े और उनको चूसने और चाटने लगे।

सोनल को दोहरा मजा मिल रहा था… एक तरफ चूत चटाई और दूसरी तरफ चूची चुसाई। सोनल ने कमर को उचकाना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही सोनल बुरी तरह झड़ गई। हरिया चाचा ने मजे से उसका सारा पानी पी लिया।
सोनल मदहोश सी बिस्तर पे लेटी हुई थी कि तभी…
तभी रामु चाचा कुर्सी पे जाकर बैठ गए। और उसे उसके बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। सोनल को बालों में दर्द तो बहुत हुआ लेकिन सोनल मुँह से कुछ ना बोली। रामु चाचा ने उसके होंठों पे एक किस की और उसे अपने लण्ड की तरफ झुकाना शुरू कर दिया।
सोनल उनका इशारा ना समझ सकी। फिर उन्होंने उसे लण्ड चूसने को कहा। उनके लण्ड के आस-पास हल्के-हल्के बाल थे, और लण्ड बिल्कुल खड़ा हुआ था।
रामु चाचा- चल इसको मुँह में लेकर चूस।
सोनल- चाचा प्लीज़्ज़ मुझसे नहीं होगा।
रामु चाचा- सब काम ही तो तू पहली-पहली बार कर रही है। कोई बात नहीं आज तुझे मैं ट्रेंड कर दूंगा। तू किसी एक्सपर्ट की तरह आइन्दा लण्ड चूसेगी। चल अब इसको किस कर सबसे पहले।
सोनल अपना चेहरा आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के पास ले गई। सोनल को उसमें से अजीब सी महक आ रही थी। उसका जी मतला रहा था कि जैसे उसे अभी उल्टी आ जाएगी। लेकिन सोनल ने हिम्मत करते हुये उनके लण्ड को चूम लिया। उनके लण्ड ने फौरन एक झटका खाया और चाचा के मुँह से एक आआह्ह की आवाज निकली। और उन्होंने सोनल के सिर को दबाकर आगे बढ़ने का इशारा दिया। सोनल ने आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के चारों तरफ किस करना शुरू कर दिया।
और वो आअह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकालने लगे।
तभी चाचा ने उसे अपने लण्ड को मुँह में डालने का कहा।
सोनल ने बिनती भरी नजरों से उनकी तरफ देखा लेकिन उन्होंने सोनल के सिर को पकड़ लिया और अपने लण्ड को उसके होंठों से रगड़ने लगे, और उसके मुँह खोलने का कहा। सोनल ने आहिस्ता-आहिस्ता अपना मुँह खोला तो चाचा ने अपने लण्ड की टोपी उसके मुँह में डाल दी। अजीब सी हालत थी सोनल की। उनका लण्ड मुँह में लिया तो अजीब सा तीखा सा जायका सोनल के मुँह में फैलने लगा। सोनल ने टोफ़्फी की तरह उनके लण्ड की टोपी को चूसना शुरू कर दिया। सोनल को अब उनके लण्ड की बू की आदत पड़ती जा रही थी।
उन्होंने सोनल के चेहरे को पकड़कर अपने लण्ड पर घुमाना शुरू कर दिया। आहिस्ता-आहिस्ता उनका पूरा लण्ड सोनल के मुँह में जाने लगा। और सोनल उनके लण्ड को चूसे जा रही थी।
तभी हरिया ने पीछे से आकर सोनल की चूत पर कुछ चिकना सा लगा दिया। सोनल को नहीं पता कि वो क्या था और हरिया चाचा क्या करने वाले हैं। सोनल बस डागी स्टाइल में खड़ी रामु चाचा के लण्ड को चूसे जा रही थी। तभी उन्होंने कुछ गरम-गरम सोनल की चूत के मुँह पर लगा दिया, और उसको अंदर धकेलने लगे। जी हाँ… वो उसकी चूत के अंदर अपना लण्ड डालने लगे, आहिस्ता-आहिस्ता।
लेकिन उन्होंने अपने लण्ड और उसकी चूत पर तेल लगाया हुआ था (जो सोनल ने बाद में देखा), उसकी वजह से उनका लण्ड काफी आराम से बिल्कुल हल्का सा दर्द देते हुये अंदर जा रहा था। लेकिन ये दर्द बहुत हल्का था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ अपना लण्ड उसकी चूत में डाल रहे थे। 2-3 मिनट बाद उनका पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
अपना पूरा लण्ड अंदर डालकर उन्होंने सोनल की कमर को पकड़कर धक्के लगाने शुरू कर दिये। उसके मुँह में रामु चाचा का लण्ड होने की वजह से उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाज आ रही थी। हरिया चाचा के धक्कों की वजह से रामु चाचा का लण्ड हर झटके पर और ज्यादा सोनल के मुँह में जाने लगा। रामु चाचा ने उसके दोनों बाजू पकड़ रखे थे, और उसका मुँह खुला हुआ था।
सोनल की आँखों में आँसू आ रहे थे, और गले में जलन हो रही थी। उसके मुँह के जबड़े भी दर्द करने लगे थे। सोनल कोशिश कर रही थी कि उनका लण्ड अपने मुँह से निकाल दे लेकिन सोनल बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी। दो ताकतवर मर्दों के आगे उसकी कहाँ चलती?
हरिया चाचा की स्पीड तेज़ होती जा रही थी। अब कमरे में ठप-ठप… छाप-छाप-छाप… और उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाजें गूँज रही थीं जबकि हरिया चाचा और रामु चाचा के के मुँह से आआआह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकल रही थीं और साथ ही साथ वो लोग उसे रंडी, गश्ती, कुतिया और पता नहीं क्या-क्या गालियां दे रहे थे।
तभी रामु चाचा ने आगे झुक कर अपनी उंगली गीली की और उसकी गाण्ड के छेद पर रखकर अंदर दबाया। उसी वक्त कई काम एक साथ हुये। सबसे पहले सोनल की चूत ने पानी छोड़ दिया जबकि दूसरी ओर रामु चाचा के लण्ड ने उसके मुँह में पिचकारियां छोड़ना शुरू कर दिया।
सोनल उनका लण्ड मुँह से निकालना चाहती थी लेकिन उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया। सोनल की आँखों में आँसू आ रहे थे, और सोनल बुरी तरह छटपटा रही थी। तभी हरिया चाचा ने एक जोर का धक्का मारा और रुक गए। जिसके नतीजे में रामु चाचा का लण्ड पूरा का पूरा उसके गले में घुस गया और उनकी गाढ़ी-गाढ़ी मनी सीधा सोनल के गले में उतरने लगी। जबकि हरिया चाचा के लण्ड ने उसकी चूत को भरना शुरू कर दिया।
उसे ऐसे लग रहा था कि जैसे उसकी साँस बंद हो जाएगी। तभी रामु चाचा ने उसका सिर अपने लण्ड से हटा दिया। सोनल जोर-जोर से हाँफ रही थी और अपनी सांसों को संभालने की कोशिश में थी। सोनल के मुँह से लार और रामु चाचा का पानी बह रहा था। थोड़ी देर बाद हरिया चाचा ने उसे छोड़ दिया। सोनल किसी मरगेली छिपकली की तरह ढेर हो गई। उसकी हालत बहुत खराब थी। रामु चाचा ने अपना लण्ड दोबारा उसके मुँह से लगा दिया और साफ करने को बोला। उनके लण्ड पे मेरा थूक, उनकी मनी लगी हुई थी। सोनल ने चाट-चाट के उनका लण्ड साफ कर दिया और अजीब कसैला सा जायका उसके मुँह में घुल गया।
थोड़ी देर में उनकी साँस बहाल हुई। सोनल को अब प्यास महसूस हो रही थी। हरिया चाचा ने मुझे पानी पिलाया तो सोनल के होश बहाल हुये, और सोनल आराम से एक तरफ होकर बैठ गई।
चाचा रामु- यार इसने लण्ड तो ऐसे चूसा है कि जैसे रंडियां चूसती हैं।
रामु चाचा की बात सुनकर हरिया चाचा हँसने लगे जबकि सोनल शरम से सिर झुका कर रह गई।
तभी हरिया चाचा ने उसे कपड़े पहनने का कहा कि उसे घर छोड़ आयेंगे। जब सोनल कपड़े पहनकर तैयार हो गई तो रामु चाचा ने सोनल को अपने गले लगाया और उसे एक लिप-किस की, और अपनी जेब से ₹50 निकालकर उसकी ब्रा के अंदर हाथ घुसाकर उसकी बायीं चूची पे रख दिए।
सोनल ने सवालिया नजरों से उनको देखा तो कहने लगे कि तेरी पहली कमाई रंडी बनने की।
उनकी बात सुनकर सोनल के जिश्म से एक लहर निकलकर चूत तक गई और उसकी चूत से एक बूँद पानी की बाहर निकलकर सलवार में जज़्ब हो गई।
तब रामु चाचा ने कहा- अब मैं अगले हफ्ते आकर तुझे चोदूंगा और पूरे ₹100 दूंगा। बोल चुदवाएगी ना मुझसे रण्डी बनकर?
सोनल की शरम के मारे हालत खराब हो गई थी। सोनल ने अपना सिर हाँ में हिला दिया।

वो एक कहकहा मार के हँसे और कहने लगे- “तू तो पक्की रंडी बन गई है। हाह्हहाह्हहा…”

और फिर हरिया चाचा सोनल को लेकर निकल पड़े और उसकी ट्यूशन के टाइम पे उसे घर छोड़ दिया।

सोनल के दिल में अजीब सी उत्तेजना हो रही थी कि इतना मजा भी होता है इस काम में? और कभी-कभी शर्म महसूस करने लगती कि ये वो क्या कर रही है ? ये सब उसे कहाँ ले जाएगा? उसका अंजाम क्या होगा? कि उसकी मम्मी की चुदाई ने उसे इस कदर गंदी बना दिया है। कोई भी लड़का किस तरह उसे कबूल करेगा?

जबकि दूसरी तरफ चुदाई का नशा महसूस हो रहा था। जिश्म में अजब सी मस्ती भरी थी। दिल कर रहा था कि वो सब उसके साथ दोबारा से हो। अब उसे रामु चाचा या हरिया की काल का बेसब्री से इंतजार था। सोनल अब आरती की मजबूरी जान गई थी, क्यो वो रोकने से भी नही रुक रही थी।
अभी रामु काका घर नही आया था उस दिन से, शायद उसे मालूम था कि जब तक सोनल पूरी तरह से उसके काबू में नही आती है, घर जाना खतरनाक हो सकता है उसके लिए।

सोनल रोज स्कूल जाती और वापस आती लेकिन रामु या हरिया ने कुछ भी नहीं किया। सोनल को इस बात पे बहुत हैरत थी क्योंकि उसे बहुत जरूरत महसूस हो रही थी चुदाई की। दिल कर रहा था कि उनसे चिपक जाऊँ और उनसे चोदने को कहूँ, लेकिन उसे बहुत शरम आ रही थी। आखिर एक इज़्ज़तदार लड़की थी ना। रोज सोनल रात को उंगली करके अपनी आग को ठंडा करने की कोशिश करती लेकिन आग थी की बढ़ती जा रही थी।
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:40 PM

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