Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:40 PM,
#87
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
उसकी हवस अब सोनल के जिस्म में उतर कर दौड़ने लगी थी। उसका लंड चूसने की चाहत ने सोनल की हवस को छेड़ दिया था। सोनल के जिस्म में उसकी ताक़त सैलाब बन के दौड़ने लगी। इस मोड़ पे सोनल को उसका लंड चूसने की बेहद आरज़ू होने लगी थी और अब वो उसका लंड बहुत बेसब्री से चूसना चाहती थी। पता नहीं कि सोनल जल्दी निपटा के उससे छुटकारा पाना चाहती थी या यह उसकी हवस थी जो उसे ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी। सोनल फिर से कनफ़्यूज़ हो गयी और खुद की नज़रों में फिर से गिर गयी।

धीरे से सोनल ने उसके लंड को अपने मुँह में और अंदर घुसेड़ लिया और उसके कुल्हों को अपनी तरफ़ खींचा। अभी भी एक मुठ्ठी जितना लंड उसके हाथों में था और तब उसे महसूस हुआ कि उसके लंड का सुपाड़ा उसके गले तक आ गया है। थोड़ा सहारा लेने के लिए सोनल कार तक पीछे हटी। उसने अब सोनल के सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब वो अपना बड़ा सा लंड सोनल के मुँह के अंदर-बाहर करके उसके मुँह को चोदने लगा। अब वो अपने हर एक धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसके हलक के नीचे तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था। उसके दोनों हाथों ने उसके चेहरे को कस के पकड़ रखा था।

आहहह... आहहहह रंडी... ले और ले... और ले... पूरा ले ले मेरा लंड मुँह में... खोल थोड़ा और खोल अपना मुँह साली राँड!

वो अब जोर-जोर से सोनल के मुँह को चोद रहा था। उसके झटकों में तूफ़ानी तेजी थी। हर एक दफा वो अपना लंड सोनल के हलक तक ले जाता था और रूक जाता था और सोनल बौखला जाती थी। कईं बार साँस लेना भी मुश्किल हो जाता था। फिर वो धीरे से अपना लंड वापस खींचता और घुसेड़ देता। सोनल ने उसके लंड को जो कि मानो ऑक्सीज़न कि नली हो, उस तरह से पकड़ के रखा था ताकि उससे उसे ज्यादा घुटन ना हो। सोनल ने उसके लंड को अपनी ज़ुबान और होठों से उक्सा दिया था और अपने होठों और ज़ुबान को एक लंड चूसने में माहिर औरत की तरह से इस्तमाल किया । अचानक उसने सोनल के दोनों हाथ कस के पकड़ के उन्हें हवा में उठा लिया और एक जोर का झटका अपने लंड को दिया। सोनल का सर कार के दरवाज़े से टकराया और उसका लंड सड़ाक से उसके हलक में जा टकराया।

आआआघघहहहह. आआहहह रंडीडीडीडी आज तुझे पता चलेगा कि काले लंड क्या होते हैं! बहुत घिन आती है ना तुझे काले लण्ड से, छोटे लोगो के लण्ड से।
लेकिन सोनल अभी उसकी कोई बात सुनने की हालत में नही थी।
सोनल का पूरा जिस्म एकदम टाईट हो गया। उसकी नाक उसकी झाँटों में घुस चुकी थी जिसकी खुशबू से सोनल मदहोश होती चली जा रही थी और उसके टट्टे उसकी चिन के साथ टकरा रहे थे। उसका पूरा लंड मानो सोनल के मुँह के अंदर था और उसका दो-तिहाई लंड उसके हलक में आ अटका था। सोनल ख्वाब में भी नहीं सोच सकती थी कि कोई इन्सान इतनी बड़ी चीज़ अपने हलक में उतार सकता है। अब वो एक भूखे शेर की तरह अपना लंड सोनल के मुँह के अंदर-बाहर कर रहा था और जितना हो सके उतना ज्यादा अपना लंड सोनल के हलक तक डालने की कोशिश कर रहा था। जब-जब वो अपना लंड सोनल के गले में घुसेड़ता था तब-तब सोनल का सर उसकी कार के दरवाजे से टकराता था।

सोनल जानती थी आगे क्या आनेवाला था और इसके लिए वो खुद ही जिम्मेवार थी। उसके लंड को सोनल के गले तक जाने से कोई नहीं रोक सकता था। तेज़ बारिश में सोनल को सिर्फ़ दो ही आवाज़ें सुनाई दे रही थीं - एक तो उसके सर के कार के दरवाज़े से टकराने की और दूसरी उसके हलक से आने वाली आवाज़ की... जब उसका लंड सोनल के हलक तक पूरा चला जाता था तब की। फिर उसने उसके हाथ छोड़ दिये और सोनल ने मौका गँवाय बगैर उसके लंड को पकड़ लिय। उसने अब अपना लंड उसके हलक तक डालने के बजाय सोनल के मुँह में ही रखा और सोनल को तेज़ी से अपना लंड चूसने को कहा। बारिश अभी भी तेज़ हो रही थी लेकिन सोनल अब ठंडी नहीं थी। सोनल भी गरम हो चुकी थी। सोनल की दो उँगलियाँ अपने आप उसकी चौड़ी हुई चूत से अंदर बाहर हो रही थीं।

सोनल का बर्ताव बिल्कुल एक राँड के जैसा था। उसे मालूम नहीं था वो ऐसा क्यों कर रही थी। वो कैसे किसी अजनबी का लंड चूसते हुए अपनी चूत को सहला सकती है? लेकिन सोनल अपनी चूत को सहलाये बगैर और अपनी उँगलियाँ उसके अंदर बाहर करने से नहीं रोक पा रही थी। सोनल के जहन में यह भी सवाल उठा कि वो क्यों अपनी चूत को सहला रही हूँ जब यह आदमी उसका रेप कर रहा है... और जब वो अपना लंड उसके हलक में डाल चुका है। उसने अब अपने कुल्हों को झटके देना बँद कर दिया था लेकिन उसका पूरा चार्ज सोनल ने खुद ले लिया और उसका लंड तेज़ी से चूसने लगी और जितना हो सके उतना लंड अपने मुँह में लेने लगी। सोनल ने उसकी गीली पैंट को जाँघों से पकड़ा और जितना हो सके उतना उसके लंड को अपने हलक तक लेने लगी... उतना नहीं जितना वो डालता था लेकिन जितना वो खुद ले सकती थी उतना... मानो सोनल ने किसी का लंड पहले लिया हो... उस तरह जैसे कि एक रंडी करती है, उस तरह।

फिर उसने कहा, आहहघघ आहहहघघहह रंडी मैं झड़ने वाला हूँ।

सोनल ने पहले लण्ड ज्यादा नहीं चूसे थे और उसे अपने मुँह में किसी का झड़ना पसंद नहीं था और अब भी वो नहीं चाहती थी कि यह आदमी उसके मुँह में झड़े। वो सोनल के मुँह में झड़नेवाला था, उस खयाल से सोनल बेहद घबरा गयी। सोनल ने अपने मुँह से उसके काले लंड को निकालने की बेहद कोशिश की लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि वो और जोश में आ गया। उसने फिर अपने कुल्हों को झटका और सोनल को उसकी कार के दरवाज़े से सटा दिया और पूरे जोर से अपना काला मोटा और लंबा लंड उसके हलक में सटा दिया और झड़ गया।

आघघहह आघघहह... आआहहह... लेले मेरा रस ले राँड ले मेरा रस ..। और उसका पहला माल सीधा सोनल की हलक से नीचे उतर गया।

सोनल ने काफी कोशिश की कि उसका लंड उसके मुँह से बाहर निकल जाये लेकिन उसकी बे-इंतहा ताकत के सामने सोनल नाकामयाब रही और वो झटके देता गया और उसका रस सोनल के हलक से नीचे उतर गया। उसने अपना पूरा रस झड़ने तक अपना लंड सोनल के हलक में घुसेड़े रखा ताकि उसका जरा भी रस बाहर ना गिरे। खुद मुतमाइन होके उसने थोड़ा ढील छोड़ा और अपना लंड सोनल के हलक से बाहर निकाला। उसके बाद जाके सोनल कुछ साँस ले पायी।

ले साली पी... पी साली मेरा रस... पी राँड मुझे पता है तुझ साली को मज़ा नही आता है लंड चूसने में... लेकिन मेरा लंड चूस के उसका रस पी... पी साली मादरचोद! उसका रस अभी भी उसके लंड से बाहर निकल रहा था। धीरे से उसने अपना ढीला हुआ लंड सोनल के मुँह से निकाला। भगवान कसम, उसका ढीला हुआ लंड भी अभी तक जिनके लण्ड सोनल ने लिए थे उनके तने हुए लंड से बड़ा था। जब उसने अपना लंड निकाला तब सोनल ने चैन की साँस ली। उसके रस ने सोनल के सारे चेहरे को ढक दिया था और ठंडा पानी सोनल के चेहरे से उस रस को धो रहा था। सोनल थक के सिकुड़ कर जमीन पे बैठ गयी।

क्या बात है तुझे मेरा लंड चूसना अच्छा नहीं लगा?

सोनल उसे गुस्सा नहीं करना चाहती थी। इसलिए सोनल ने सिर्फ़ उसकी और देख के अपना सर हिलाया। सोनल ने क्यों उसे हा कहा? उसे नहीं पता कि यह सच था कि नहीं? उसके हलक में बहुत दर्द हो रहा था और उसके रस का ज़ायका अब भी उसकी ज़ुबान पे था। बारिश अभी भी उसी तेज़ी से बरस रही थी। बारिश की बूँदें अब काफी बड़ी हो गयी थी। सोनल ने उसकी और देखा तो वो मुस्कुरा रहा था। सोनल को उसके सफ़ेद दाँतों के सिवा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। सोनल का तो जैसे कोई हॉरर-मूवी देख रही हो ऐसा हाल था।

प्लीज़... क्या मैं अब जा सकती हूँ... सोनल ने काँपते हुए कहा, प्लीज़ मुझे जाने दो। तुमने जो कहा मैंने वो कर दिया है... प्लीज़ अब मुझे जाने दो...!

वो सोनल के सामने देख कर हँस पड़ा। सोनल खुद को काफी बे-इज्जत महसूस करने लगी। उसे ज्यादा शरमिंदगी तो इस बात से हुई कि उसके जिस्म ने उसके हर एक मूव को रिसपॉन्ड किया था। ऐसा क्यों हुआ? सोनल की चूत अभी भी सातवें आसमान के समँदर में झोले खा रही थी और उसके मम्मे अभी तक टाईट थे और निप्पल तो जैसे नोकिले काँटों की जैसे थे।

क्या नाम है तेरा...? उसने पूछा।

सोनल ने सहमी हुई आवाज़ में कहा सोनल!

फिर वो बोला सोनल... बड़ा प्यारा नाम है..और तू तो उससे भी ज्यादा प्यारी है तुझे लगता है मैं तुझे यूँ ही छोड़ दूँगा?

लेकिन तुमने कहा था अगर मैं तुम्हारा लंड चूस दूँगी तो तुम मुझे जाने दोगे! सोनल जल्दी-जल्दी में बोल गयी।



सोनल ने उसके चेहरे के सामने फिर देखा और उसकी नज़र उसके लंड की तरफ दौड़ गयी। सोनल तो एकदम भौंचक्की रह गयी... उसका लंड तो गुब्बारे की तरह तन कर फूल रहा था और एक दो सेकंड के अंदर तो लोहे के बड़े डँडे की तरह टाईट हो गया।

हाय राम! यह अभी खतम नहीं हुआ भागो सोनल,सोनल ने अपने दिल में कहा। अपनी सारी ताकत और हिम्मत समेटे हुए सोनल खड़ी हुई और सोनल ने भागने के लिये कदम बढ़ाया। अचानक उसने सोनल के सर के बालों को पकड़ के उसे अपनी ओर खींचा।

कहाँ जा रही है कुत्तिया सोनल अब तो तू मेरी राँड है... मेरे कहने से पहले तू यहाँ से नहीं जा सकती! वो गुस्से से दहाड़ा।

उसने सोनल की एकदम टाईट चूंचियों को मसलना शुरू कर दिया और देखते-देखते उसकी टीशर्ट को फाड़ दिया और उसके जिस्म से खींच निकला। अब सोनल सिर्फ़ ब्रा में थी जो मुश्किल से उसकी चूंचियों को अपने अंदर समाये हुई थी। सोनल की चूचियों को महसूस करते ही वो तो पागल-सा हो गया और ऐसे मसलने लगा कि जैसे ज़िंदगी में ऐसी चूचियाँ देखी ही ना हों। वो पागलों की तरह सोनल की चूचियों को मसल रहा था और बीच-बीच में वो उसकी निप्पलों को ज़ोर-ज़ोर से पिंच करता था और सोनल के गले के इर्द-गिर्द दाँतों से काटता था। सोनल के जिस्म पे अब सिर्फ़ एक जीन्स थी वो भी कमर के नीचे। ऊपर तो सिर्फ़ ब्रा थी और पैंटी तो पहले ही उस कमीने ने फाड़ के निकाल फेंक दी थी। बारिश के ठंडे पानी में इतनी देर रहने के कारण सोनल के सैंडलों के स्ट्रैप उसके पैरों में काट रहे थे।

कहाँ जा रही थी रंडी... तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था... सोनल रानी... मैं तुझसे कितनी अच्छी तरह से पेश आ रहा था... इस तरह से किसी का शुक्रिया अदा किया जाता है... अब तेरी इस हरकत ने देख मुझे पागल बना दिया है!


फिर उसने सोनल के चेहरे को पकड़ के कार के हूड से पटका।


आआआआआहहहहह सोनल दर्द से मर गयी और उसकी सारी ताकत हवा हो गयी। फिर उसने सोनल को दबोचे हुए ही उसकी टाँगों के बीच में एक लात मार के सोनल की टाँगों को फैला दिया और उसकी जीन्स खींच कर निकाल दी। अब तो सोनल सिर्फ़ ब्रा और हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी उस बरसात में वहाँ खड़ी थी। अभी भी वो सोनल की चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलता जा रहा था और ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसने चूचियों को आज़ाद कर दिया था। सोनल की चूचियाँ एकदम लाल हो के टाईट हो गयी थी... जैसे की वो भी अपने मसले जाने का लुत्फ उठा रही हों। सारी ज़िंदगी में सोनल चूचियाँ किसी ने ऐसे जोर से नहीं मसली थीं। बारिश का ठंडा पानी अब सोनल की खुली हुई गाँड पे गिर रहा था और उसकी गाँड का छेद शायद उसे साफ़ नज़र आ रहा था।

एकदम टाईट गाँड है तेरी... सोनल राँड! लगता है किसी ने आज तक तेरी गाँड ली नहीं तुझे पता है ना सोनल... इसी लिये तू साली ऐसी टाईट जीन्स और यह उँची एड़ी के सैंडल पहनती है?

नहीं नहीं!!! यह सब गलत है... मुझे प्लीज़ जाने दो! सोनल काफी छटपटाई उसकी पकड़ से बाहर निकलने को लेकिन वो बहुत ताकतवर था। उसने सोनल के मम्मों को दबाते हुए उसे फिर अपनी और खींचा। इस बार सोनल को महसूस हुआ कि उसका लंड अब उसकी कमर पे रेंग रहा था और उसके आँड उसकी गाँड को छू रहे थे।

तेरे आशिक़ के पास ऐसा लंड ही नहीं है कि तेरी चूत को शाँत कर सके.. .है ना सोनल? उसकी गरम साँसों ने जो कि सोनल के गले को छू रही थीं, सोनल को भी अंदर से काफ़ी गरम कर दिया था... जो कि एक सीधा पैगाम उसकी चूत को दे रहा था कि ले ले सोनल ले ले।

लेकिन सोनल का दिमाग उसके लंबे और मोटे लंड को देख कर सहम गया था। एक बार फिर से सोनल ने उसकी गिरफ़्त से भागने की नाकाम कोशिश की और साथ ही सोनल ने अपनी टाँग चला कर अपने हाई हील सैंडल से उसके लंड पे वार करने की कोशिश की पर वो पहले ही संभल गया और सोनल के सैंडल के हील की चोट सिर्फ़ उसकी जाँघ पे पड़ी। अपनी जाँघ पे सोनल की हील से पड़ी खरोंच को देख कर वो बहुत गुस्से में आ गया और उसने सोनल के सर को फिर से कार के हुड पे पटका और बोला, सोनल... अगर तूने हिलना बँद नहीं किया तो ऊपर वाले की कसम अबकी बार मैं अपना लंड तेरी इस कच्ची कुँवारी टाईट गाँड में घुसेड़ के उसका कचुम्बर बना दूँगा। अगर तू यह समझती है कि मैं झूठ बोलता हूँ तो अपने आप ही तस्सली कर ले!

सोनल बर्फ़ की तरह उस जगह पे ही जम गयी। कहाँ चाहिये तुझे... चूत में या गाँड में? उसका लंड सोनल की गाँड के छेद को दस्तक दे रहा था।

नहीं नहीं। प्लीज़ मेरी गाँड में मत डालो...! सोनल चिल्लाई।

कहाँ चाहिए बोल ना रंडी चूत में य गाँड में?

नही!! सोनल रो पड़ी। सोनल के आँसू सोनल के गालों पे बहने लगे।

मेरी चूत में... चूत में प्लीज़... मेरी चूत में मेरी चूत में डाल के उसे चोदो सोनल गिड़गिड़ाई। सोनल के होंठ काँप गये उसे यह कहते हुए कि तुम मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। वो अपना लंड सोनल की गाँड से चूत के छेद तक नीचे-ऊपर ऊपर-नीचे कर रहा था। सोनल घबरा गयी थी। उसने फिर से सोनल का सर कस के पकड़ के कार के हुड से दबाके रखा था। एक बार फिर उसने अपने लंड के सुपाड़े को सोनल की गाँड के छेद से दबाया।

सोनल फिर चिल्लाई, प्लीज़... मेरी गाँड नहीं मेरी चूत में डालो!!!

इस दौरान उसने सोनल की चूचियों को कभी नहीं छोड़ा था और वो लगातर उन्हें दबाये जा रहा था। एक सेकँड रुकने के बाद उसने अपने लंड को सोनल की चूत के मुँह पे सटा दिया और एक झटके के साथ उसके अंदर डाल दिया। उसके कुल्हों के झटके ने सोनल के नीचे वाले हिस्से को कार के ऊपर उठा लिया था।

सोनल जोर से चिल्ला उठी। उसने धीरे से फिर अपना लंड सोनल की चूत से निकाला और फिर झटके से डाल दिया। उसने अब सोनल के बाल छोड़ दिये थे और अपना हाथ उसके कुल्हों पे रख दिया था। अब वो एक पागल हैवान की तरह सोनल की चूत के अंदर बाहर अपना लंड पेल रहा था और सोनल उसके हाथों में एक खिलौने की तरह खेली जा रही थी। उसकी आवाज़ें सोनल को सुनाई दे रही थी। वो एक जंगली जानवर की तरह कराहा रहा था। वो ऐसे सोनल की चूत का पूरा लुत्फ़ उठाये जा रहा था जैसे कि ज़िंदगी में पहले चूत चोदी ही ना हो।

आआघहह आहहहघहह कुत्तिया देख मेरा लंड कैसे जा रहा है तेरी चूत में देख वो कैसे फाड़ रहा है तेरी इस चूत को... देख रंडी देख।

सोनल ने बहुत कोशिश की कि उसको अपनी चुदाई में साथ ना दे पर सोनल ने अभी की ज़िंदगी में कभी खुद को इस कदर चुदाई में पूर्ण महसूस नहीं किया था। उसकी चूत ने उसका तमाम लंड खा लिया था और फिर सोनल को महसूस हुआ कि उसकी चूत ने उसे धोखा देना शुरू कर दिया है और उसके लंड के आसपास एक दम सिकुड़ गयी है जैसे कि वो उसे पूरा चूस लेना चाहती हो। चुदाई की मस्ती का पूरा समँदर सोनल के अंदर उमड़ पड़ा था। पता नहीं सोनल के साथ ऐसा क्यों हो रहा था। अब उसने सोनल को कार के बोनेट पे झुका के पूरी लिटा दिया और उसकी रसभरी चौड़ी चूत को तेजी से चोदने लगा। जब भी वो सोनल के अंदर घुसता था तब सोनल की चूत उसके लंड को गिरफ़्त में लेने की कोशिश करती थी और उसके आसपास टाईट हो जाती थी। दोनो के भीगे जिस्मों के आपस में से टकराने ने सोनल को बेहद चुदासी कर दिया था। उसकी आवाज़ अब एक घायल हुए भेड़िये जैसी हो गयी थी, जैसे उसे दर्द हो रहा हो।

मममम..... आआआहहह..... बहुत मज़ा आ रहा है तुझे चोदने में...आहहह सोनल कितनी ही पढ़ी-लिखी आधुनिक दिखने वाली औरतों को चोदा है... आहहह पर तेरे जैसी कोई नहींईंईंईं !!!

वो बड़ी तेज़ रफ़्तार से अपना मोटा काला लंड सोनल की चूत की गहराईयों में पेल रहा था। जब-जब वो अंदर पेलता था सोनल का जिस्म कार के हुड पे ऊपर खिसक जाता था। उसके लंड का भार सोनल की क्लिट को मसल रहा था। सोनल की सूजी हुई क्लिट में अजीब सी चुभन और सेनसेशन थी।

ओहहह नहींईंईंईं आहहहहह... ओहह... ओहहहह भगवांन...!सोनल झड़ने लगी थी और उसकी चूत थरथराने लगी थी। आह हा हाह हाह हाहाह...!

उसे पता चल गया था कि सोनल झड़ चुकी है और वो हँसने लगा।
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:40 PM

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