Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:39 PM,
#83
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
रामु को लेकिन कोई फरक नहीं पड़ता था एक तो नशे में और ऊपर से इतने दिनों बाद आरती के शरीर से खेलने का मौका उसे मिला था वो निश्चिंतता से अपने काम में लगा था उसकी आखें आरती के बदन को देखती हुई और आरती के ना नुकर के कारण और भी चमक उठी थी एक जीत दर्ज करा चुका था वो और अपनी जीत को और आगे बढ़ाते हुए वो बिना आरती की रिक्वेस्ट को सुने आवेश और रफत्तार से आरती के पीछे के भाग को भेदता जा रहा था कोई रहम नहीं ना ही कोई सम्मान था आज था तो सिर्फ़ सेक्स की भूख और एक दूसरे को हराने की भूक बस आरती भी अब ज्यादा देर तक अपने आपको रामु के आक्रमण से रोक नहीं पाई थी धीरे-धीरे वो भी अपने आपको उस परिस्थिति में अड्जस्ट करने की कोशिश करने लगी थी रामु अब भी उसके दोनों हाथों को पीछे की ओर खींचते हुए पकड़े रखा था और बहुत ही जबरदस्त तरीके से उसके गांड के अंदर-बाहर हो रहा था आरती को पता भी नहीं चला की कब वो इतना बड़ा और मोटा सा लण्ड उसके अंदर तक समा गया था पर हाँ… अब धीरे-धीरे उसे दर्द नहीं हो रहा था पर तकलीफ में जरूर थी वो उसे इतना मजा नहीं आरहा था पर उसे मालूम था की जब तक रामु शांत नहीं होगा तब तक कोई चारा नहीं है बचने का सो उसने भी अपने आपको पूरा उसके सहारे और उसकी इच्छा के समर्पित कर दिया और सिर्फ़ उसके आक्रमण को झेलती रही पर लगता था की आज रामु झड़ने वाला नहीं है

आरती- प्लीज हाथ छोड़ दो काका दर्द हो रहा हाीइ उूुउउम्म्म्ममम उसके मुख से आख़िर में निकल ही गया था

रामु- हाँ हा बहू क्यों नहीं तू तो मेरी रानी है क्यों नहीं बोल और जोर से करू यहां
किसी सेडिस्ट की तरह से उसने आरती के दोनों हाथों को छोड़ते हुए कस्स कर उसकी चूचियां पर अपने हाथों का कसाव दिया था और उसके कानों में कहा था

आरती- नहीं प्लीज वहां और नहीं प्लीज उूुउउम्म्म्ममममम

रामु- बस थोड़ी देर और अच्छा लग रहा है बस थोड़ा सा और सहन करले नहीं निकला तो मुह से निकाल देना ठीक है

आरती- उूउउम्म्म्म सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह प्लेआस्ीईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईईईईई

आरती की हालत खराब करके रख दिया था आज रामु ने पर एक बात तो थी आज रामु काका के मुख से भी आवाज निकली थी नहीं तो सिर्फ़ काम से काम रखने वाले थे वो

आरती का शरीर पसीने से भीगा हुआ था और रामु का भी। पर शायद रामु भी अपने परवान चढ़ने लगे थे कुछ देर में ही उसने एक झटके से अपने लण्ड को उसके पीछे से निकाल लिया था और जोर से अपने चहरे को उसके पीछे की ओर लगाके दो तीन बार चाट-ते हुए एक झटके से आरती को पलटा लिया था और जब तक आरती कुछ समझती उसका लण्ड आरती के होंठों पर सपर्श कर रहा था

आरती घिन के मारे अपने होंठों को उससे दूर हटाना चाहती थी पर रामु की पकड़ उसके बालों पर और चहरे पर इतनी मजबूत थी की उसे अपना मुख खोलना ही पड़ा था और एक ही धक्के में उसका मोटा सा काला सा और लंबा सा लण्ड आरती के नाजुक होंठों के सुपुर्द कर दिया था

रामु- जल्दी जल्दी चूस बहू नहीं तो फिर से पीछे घुसा दूँगा जल्दी कर ठीक से जीब लगा के कर

आरती- उूुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममममममममममममममममम नहियीईईईईईईईईईईईईईईई प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लेआस्ीईईईईईईईईईई

कुछ नहीं कह पाई थी जिस तरह से रामु की पकड़ और अपने लण्ड को पूरा का पूरा उसके मुह में उतारने की जल्दी थी उससे कही ज़्यादा जल्दी इस बात की थी की वो अपने शिखर पर पहुँच जाए इस जल्दी में ना तो रामु ने आरती की स्थिति ही देखी थी और नहीं उससे कोई मतलब ही था

रामु का लण्ड आरती के छोटे से मुह में आता कितना उसकी ताकत के आगे कितना लड़ती आरती किसी तरह से अपने आपको अड्जस्ट करते हुए उसके लण्ड को जगह देने की कोशिश करने लगी थी आरती पर लण्ड इतना मोटा हो चुका था की उसके मुह में सिर्फ़ 1्/4 हिस्सा से भी कम आता था पर रामु उसके अंदर तक उतारना चाहता था आरती के गले तक पहुँच आ जाता था वो और फिर खींचकर बाहर निकालता था फिर अंदर

आरती जैसे ही उसका लण्ड थोड़ा सा बाहर की ओर आता गहरी सांसें लेने की कोशिश करती पर उससे कम देर में ही उसका लण्ड उसके गले तक पहुँचा जाता किसी तरह से अपने आपको रोके हुए और अपने सांसों को नियंत्रण करते हुए आरती थोड़ा सा एडजस्ट करने की कोशिश की पर हर बार रामु का लण्ड उसके गले तक चला जाता था

कई बार तो खाँसते हुए आरती ने अपने चेहरे को खींच भी लिया था पर रामु जल्दी से उसके चेहरे को उसके लण्ड पर फिर से अड्जस्ट करके उसके मुँह के अंदर कर देता था आरती भी लड़ते हुए थक गई थी और उसकी हालत को अनदेखा करके रामु को शांत करने का बीड़ा उठा ही लिया और जितना दम उसमे बचा था अपनी जीब और होंठों की मदद से उसे शांत करने में लग गई थी


आरती- रूको काका मर जाऊँगी में करती हूँ प्लेआईईई उूुउउम्म्म्ममम्रको आअप रूको
अपनी नजर उठाकर बस इतना ही कह पाई थी और फिर अपने ही हाथों में रामु के लण्ड को लेकर चूस्ते हुए अपनी जीब को उसके सिरे से लेकर अपने तरीके ही उसे जल्दी से शांत करने में जुट गई थी

रामु भी धीरे-धीरे शांत हो गया था उसे पता था कि अब आरती उसे शांत करने में लग गई थी और वो कर भी रही थी वो घुटनों के बल खड़ा हुआ नीचे अढ़लेटी हुई आरती को देख रहा था और फिर धीरे-धीरे अपने हाथों से उसके बालों को सहलाता हुआ कभी उसके गालों तक पहुँच जाता तो कभी थोड़ा सा जोर लगा के अपने लण्ड को उसके मुँह के अंदर तक डाल देता वो कभी भी झड सकता था वो सीमा लाँघ चुका था बस रक्त चाप उसके लण्ड की ओर चल दिए थे बस अच्छे से एक बार या दो बार

रामु- जल्दी करले बहू बस गया ही समझ अच्छे से कर पूरा मुँह में लेले जीब से जब चाट्ती है तो गजब का मजा देती है रे तू करती रह करती रह हाँ… हुआ उूउउम्म्म्मममममम
और उसके हाथों की पकड़ आरती के सिर पर इतना जोर से हुआ कि आरती अपने मुँह को वापस ना खींच पाई थी ढेर सारा वीर्य उसके गले तक एक धार की तरह से टकराया था और उबकाई के रूप मे उसकी नाक से भी निकलकर बेड पर फेल गया था पर रामु तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था हर झटका आरती के गले तक पहुँचा देता था पर ज्यादा देर नहीं शरीर के अकड़ने के बाद उसकी पकड़ जैसे ही थोड़ा सा ढीली पड़ी आरती ने अपने आपको छुड़ा लिया था और बेड पर लटक कर ही खाँसती हुई अपने मुख में आए उसके वीर्य को नीचे निकालने लगी थी पर शायद रामु का आखिरी बूँद अब भी बाकी था बिना कोई चेतावनी के ही उसने आरती की कमर को पकड़ , झटके से उठा लिया था और फिर एक बार उसके पीछे की ओर आक्रमण कर दिया था पर अब आरती को इतना फरक नहीं पड़ा था क्योंकी वहाँ एक बार वो जा चुका था कोई ज्यादा दिक्कत नहीं हुई रामु दो चार धक्के लगाने के बाद, ही आरती के ऊपर लेट गया था और गहरी गहरी सांसें छोड़ता हुआ
रामु- बहू तू गजब की है रे, अब मन नहीं लगता रे तेरे बिना मजा आ गया बहू

आरती नीचे लेटी हुई रामु को बुदबुदाती हुई आवाज को सुन रही थी और चुपचाप लेटे लेटे ही अपनी सांसों को नियंत्रित करती जा रही थी रामु कुछ देर वैसे ही पता नहीं क्या-क्या बोलता रहा और फिर चुप हो गया था उसके मुँह से अब आरती को शराब की गंध आने लगी थी जो उसे अब तक नहीं आई थी

आरती अब भी नीचे ही थी रामु के और रामु जाने क्या नशे की हालत में बड़बड़ कर रहा था आरती को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था पर एक बात जरूर थी की रामु का मन नहीं था वहां से जाने का आरती किसी तरह से उसके नीचे से निकलने की कोशिश कर रही थी पर जब भी वो थोड़ा सा हिल कर अपने आपको बाहर खींचना चाहती थी रामु की मजबूत गिरफ़्त में होती थी

आरती किसी तरह से भी निकलने की कोशिश में थी पर रामु तो जैसे उसका मालिक ही हो गया था सेक्स के बाद तो जैसे वो उसके शरीर का हकदार हो गया था कोई चिंता नहीं थी और वैसे ही नंगा उसके ऊपर पड़ा हुआ उसके शरीर को अपने शरीर से और हाथों से सहलाता हुआ उसके ऊपर लेटा हुआ था आरती ने फिर भी थोड़ा जोर लगाकर उसके नीचे से निकलने की कोशिश की थी

आरती- काका बाथरूम जाना है

रामु- हाँ… जा जल्दी आ जाना

आरती हैरत में थी तो क्या रामु फिर एक बार उसके साथ करेगा नहीं उसमें अब दम नहीं बचा था नहीं रामु को उसके रूम से बाहर जाना होगा वो अब यहां नहीं रह सकता

आरती- काका अपने रूम में जाओ

रामु- क्यों … … …
अपनी नजर उठाकर उसने आरती की ओर देखा था नशे की हालत में उसकी आखें लाल हो चुकी थी और बोझिल भी थी पर एक आश्चर्य भी था उसके चहरे पर

आरती बेड के पास बिना कपड़ों के खड़ी हुई उसे देखती रही रामु का एक हाथ आगे बढ़ा था और उसकी जाँघो को छूकर उसकी कमर तक का सफर करने लगा था सहलाते हुए उसके हाथ काप रहे थे पर एक मर्दाना एहसास उसके अंदर तक पहुँचाने में सफल था वो

आरती- बहुत रात हो गई है इसलिए

रामु- तू बाथरूम से आ जा तब चला जाऊँगा बहू थोड़ी देर रहने दे।
विनती भरे शब्दों के आगे आरती कुछ नहीं कह सकी वो वैसे ही नंगी बाथरूम की और बढ़ गई थी रामु काका का हाथ अपने आप ही नीचे गिर कर बेड के सहारे लटक गया था और जब वो वापस आई थी तो रामु वैसे उसके जगह पर लेटा हुआ था काले रंग का वो सख्स एक जंगली जानवर की तरह लग रहा था काले बालों के जगह जगह गुच्छे जाँघो और पीठ पर जहां तहाँ उगे हुए थे मोटी-मोटी जाँघो और कमर के सहारे वो अब भी वैसे ही पड़ा हुआ था आरती उसे देखती रही पर उठाने की हिम्मत नहीं हुई थी यह वही सख्स था जिसने अभी-अभी उसके शरीर के साथ खेला था और जी भर के खेला था जैसे चाहे भी खेला था उसके अंदर तक उतर गया था उसके अंदर तक उतर गया था उसे जो शांति चाहिए थी वो उसे इसी सख्स ने दी थी उसके शरीर की इच्छा को इसी ने पूरा किया था उसकी सेक्स की भूख को आज इसी इंसान ने आखिरी दम तक बुझाया था अपने तरीके से और पूरे मन से

आरती सोचते हुए बेड के पास पहुँचकर अपने हाथों से एक बार रामु को हिलाकर जगाने की कोशिश की

रामु- हाँ… क्या

आरती- जाओ काका अपने कमरे में जाओ

पर रामु ने जाने की बजाए आरती को धीरे से अपने पास खींच लिया था और अपने ही हाथों से खींचते हुए हल्के से उसे अपने गले से लगा लिया था और जैसे आरती को अपने आप में समा लेना चाहता था वो कस्स अपने से जोड़े हुए उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कस्स कर जकड़े हुए

रामु- थोड़ी देर रुक जा बहू चला जाऊँगा थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने दे बड़ा आनंद मिल रहा है
कहते हुए उसने आरती के माथे को चूम लिया था और फिर कस्स कर उसे अपनी बाहों में बाँध लिया था आरती उसके सीने से लगी हुई उसके हाथों का स्पर्श अपने पूरे शरीर में महसूस कर रही थी कितने प्यार से सहला रहा था और कितने जतन से उसके अंदर का शैतान अब मर चुका था उसके अंदर का हैवान पता नहीं कहा चला गया था वो अब एक इंसान की तरह बात कर रहा था और एक इंसान की तरह उसके शरीर को छू रहा था बाहों में भरे हुए रामु कुछ बोल रहा था
रामु- कैसा लगा बहू नाराज तो नहीं है

क्या कहती आरती चुप ही रही उसके शरीर में घूमते हुए रामु के हाथ अब उसे अच्छे लग रहे थे रवि भी उसे सेक्स के बाद कपड़े नहीं पहनने देता था पूरी रात वैसे ही सोते थे वो कितना मजा आता था तब पर यह तो रामु है पर इससे क्या यही वो इंसान है जिसने इसे शांत किया है यही वो इंसान है जिसके पास वो खुद आज गई थी और कितना इन्सल्ट तक किया था किचेन में,
और उसकी बेटी ने भी कितना जलील किया इसको। उसके कहने पर रामु ने आज शराब तक पिया था और उसके शरीर के हर हिस्से से सेक्स की भूख को मिटाया था नहीं वो इस इंसान को कम से कम आज तो और इन्सल्ट नहीं करेगी रहने दो यही क्या होगा सोनल घर पर नहीं है , रवि कभी रात को उठता नही है।
और सोचते हुए आरती रामु से और सट कर सो गई थी रामु जो कि अभी तक नशे में था कुछ कह रहा था आरती के सटने से उसने उसे और भी भींच लिया था आज अगर रवि होता तो क्या वो भी उसे इसी तरह से पकड़कर सोता और रात भर उसे आहिस्ता आहिस्ता इसी तरह से सहलाता
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:39 PM

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