Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:39 PM,
#82
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो लण्ड उसे हमेशा से ही अच्छा लगता था रामु ही वो पहला इंसान था जो की उसके पति के बाद का पहला मर्द था जिसने उसके इस शरीर को ठीक से भोगा था उसे सब पता था की क्या क्या करने से आरती को अच्छा लगेगा वो उसके शरीर का पुजारी था वो अपने आपको आज कुछ ज्यादा ही समर्थ दिखाने की कोशिश कर रहा था शायद इसलिए की जो आरती उसे छेड़ा था इसलिए या शायद वो भी बहुत दिनों से भूखा था इसलिए जो भी हो आरती के शरीर को आज वो निचोड़ कर रख देगा यह तो तय था उसके धक्के इतने तेज और जोर दार होते थे की हर धक्का आरती के मुख से एक आह और सिसकी निकाल ही देता था रामु आरती के शरीर को पीछे से पकड़े हुए लगातार धक्के लगाए जा रहा था और उसके शरीर पर पूरा नियंत्रण बनाए हुए था जैसे चाहे वैसे मोड़ लेता था और जैसे चाहे वैसे उठा लेता था रामु था तो तगड़ा ही और अब तो दारू भी अपना कमाल दिखाने लगी थी


सख्ती से पकड़े हुए वो आरती को सांस तक लेने की जगह नहीं देना चाहता था शायद उसे आरती का टोन्ट किया हुआ किचेन में उसके साथ किया हुआ और फिर कमरे में आते ही वो सब कहना शायद उसकी मर्दानगी को छू गई थी वो लगता था की अपने उसी अपमान का बदला लेलेना चाहता था कही कोई कोताही नहीं और नहीं कोई नर्मी थी आज उसके सेक्स में नहीं तो रामु काका जब भी आरती के शरीर के साथ आज तक खेला था तब तब उन्होंने एक बात का तो ख्याल रखा ही था की वो इस घर की बहू है और उसकी मालकिन भी पर आज तो जैसे वो अपने में नहीं था लगता था की कोई वेश्या को भोग रहा था जिस तरह से वो बिना कुछ सुने और बिना कोई राहत के अपने आपको आरती के अंदर और बाहर कर रहा था और जिस तरह से वो आरती को उठाकर और पटक कर उसके शरीर को रौंद रहा था वो एक नया और अनौखा एक्सपीरियंस था आरती के लिए। सायद रामु बेटी का बदला मा से ले रहा था। आरती ने आज तक भोला को ही इस तरह से उसे भोगते हुए देखा था आरती भी रामू के हर धक्के को संभालती और झेलती हुई अपने आपको किसी तरह से रोके हुए उसका साथ देती जा रही थी और सांसों सम्भालती हुई कभी उसे रुकने का और कभी उसे धीरे करने का आग्रह करती जा रही थी पर रामु तो कुछ सुनने और देखने के काबिल ही नहीं था आज वो आरती के अंदर तक जैसे उतरा था जैसे वही का होकर रह जाना चाहता था वो निरंतर धक्के लगाते हुए अपने चहरे को आरती के कंधों से जोड़े हुए था और अपने हाथों से कभी भी आरती को थोड़ा सा उठाकर अपने लिए जगह भी बना लेता था आज वो कुछ सुनने की स्थिति में नहीं था धक्कों के साथ-साथ वो भी आरती से कुछ कुछ कहता जा रहा था पर आरती को कुछ समझ नहीं आरहा था पर हाँ वो इतना जानती थी कि रामु को आज मजा आ गया था वो जिस तरह से उसे निचोड़ रहा था वो उसका तरीका नहीं था वो भोला का तरीका था और कुछ कुछ लक्खा का भी पर आज रामु भी बहुत उत्साहित था अपने मन की कोई तमन्ना बाकी नहीं रखना चाहता था करते-करते अचानक ही उसने आरती को उठा आकर उल्टा लिटा लिया था जो की अब तक साइड होकर लेटी थी उठाते ही उसने आरती की कमर को पकड़कर कई धक्के लगा दिए थे आरती जब तक संभालती तब तक तो वो उसपर हावी हो चुका था वो आरती को पकड़कर लगातार धक्कों की स्पीड बढ़ाते ही जा रहा था


आरती- हमम्म्म धीरे ईईई करो रूको जरा प्लेआस्ीईईईईईईई उूुुुुुुउउम्म्म्मममममममम रोने सी हालत थी आरती की
पर रामु को कोई फरक नहीं पड़ा था वो तो कुछ सुनने को तैयार नही था हर कदम अपने लण्ड को आरती के अंदर और अंदर तक पहुँचाने में लगा हुआ था वो अब धीरे धीरे आरती की कमर को पकड़कर उठाकर अपने लण्ड के हर धक्के के साथ ही मच करने लगा था आरती बेड पर चेहरा टिकाए हुए थी और कमर जो की अभी अभी रामु ने हवा मे उठा रखी थी उसकी चुत पर चोट किए जा रहा था रामु की नजर अब उसके कूल्हों पर थी और उसे आरती की गांड भी आसानी से दिख रही थी उसके अंदर एक इच्छा जागी थी वो धीरे से अपनी उंगली को उसके गांड के अंदर कर दिया था और दूसरे हाथ से आरती को कस्स कर पकड़ लिया था और अपने पास खींच लिया था आरती उसकी गोद में आ गई थी पर कमर वैसा ही उठा हुआ था उसके दोनों छेदों में अब कुछ था नीचे की ओर रामु का लण्ड था और पीछे के छेद में उंगली थी आरती को आज कोई दिक्कत नहीं हुई थी उसे अच्छा लग रहा था आज रामु की मर्दानी उंगली ने प्रवेश किया था मोटी-मोटी और सख्त सी उंगली उसके द्वार के अंदर तक चली गई थी रामु की चाल में कोई नर्मी या शांति नहीं थी वो अब भी वैसे ही उसकी चुत पर प्रहार कर रहा था और गांड को भी अपनी उंगली से अंदर-बाहर करते हुए उसे एक परम आनंद के सागर में गोते लगाने की ओर ले चला था अब आरती को उसकी हर हरकत अच्छी लग रही थी वो चाहती थी की वो जैसा चाहे करे उसकी फिकर ना करे और रामु भी कुछ कुछ वैसा ही कर रहा था लगता था की उसे आज अपनी ही चिंता है और किसी की नहीं आरती के साथ उसका यह साथ वो एक यादगार बना लेना चाहता था और वो निरंतर उसका प्रयास कर भी रहा था वो जरा भी नहीं रुक रहा था उसकी हर चोट इतनी गहरी पड़ रही थी की आरती के मुख से सिसकारी के साथ साथ एक हल्की सी चीख भी निकलती थी आरती का शरीर पूरी तरह से रामु के नियंत्रण में था और वो उस खेल का हर हिस्सा और हर कोना अच्छे से जानती थी



उत्तेजना में उसकी हालत खराब थी ना चाहते हुए भी वो उठ गई थी अपने शरीर में चल रहे उथल पुथल को वो और ना सह पाई थी उसका शरीर अकड़ने लगा था वो अपने अंदर और अंदर तक रामु का लण्ड ले जाने कोशिश करने लगी थी उठकर वो अपनी कोहनी पर आ गई थी पर धक्कों के चलते बड़े ही मुश्किल से संभल पा रही थी पर उत्सुकता और अंदर की हलचल को मिटाने के लिए वो जो करना चाहती थी वो अपने आप ही रामु कर रहा था रामु उसे सीधे बाहों से कस्स कर पकड़े हुए और अपने उल्टे हाथ के उंगुठे से उसके गांड और लण्ड से चुत को भेद-ते हुए उसे अंजाम तक पहुँचाने में लगा हुआ था

आरती की सिसकारी अब बढ़ गई थी और रामु की सांसें भी बहुत तेजी से चल रही थी

आरती- जोर-जोर से करो काका रुकना नहीं प्लेआस्ीईईई और तेजी से अंदर तक वहां भी करो और अंदर तक

रामु चौक गया था आरती की आवाज सुनकर वहाँ मतलब गांड में भी पर
रामु- हाँ… बहू आज नहीं रुकुंगा अब देख मुझे पागल कर रखा था तूने मुझे रुक जा बस थोड़ी देर और


आरती- नहीं काकाआआ थोड़ी देर नहीं प्लीज़ बहुत देर बस करते रहो रुकना नहीं बस करते रहो सस्स्शह आआआआआअह्ह
रामु की गति तो थी ही तेज पर अब उसने अपने को संभाल लिया था नशे में उसे कुछ नहीं दिख रहा था पर धक्का अब से थोड़ा संतुलित हो गया था हर धक्के पर उसका लण्ड आरती के अंदर तक जाता था और बहुत अंदर तक हर धक्का आरती को आगे की ओर करता था और फिर पीछे की ओर हो जाती थी लगता था की रामु का स्पर्श वहां से हटाना नहीं चाहती थी लेकिन वो अब ज्यादा देर रुक नहीं सकती थी उसके अंदर का तुफ्फान बस रास्ता ही देख रहा था की कब निकले आरती अपने जीवन का यह पल नहीं भूल पाएगी इतने दिनों के बाद जो सुख उसे मिल रहा था वो उन सुखो से कही ज्यादा था जो वो अब तक भोग चुकी थी सोनल ने भी उसे सिर्फ़ उत्तेजित ही किया था और उसे शांत किया गया था जो भी सोनल ने उसके साथ किया था वो तो सिर्फ़ काम चलाऊ था पर यह सुख तो स्वर्ग से भी परे है रामु की ताकत और भेदने की गति के आगे सब कुछ फैल था रामु की हर चोट उसकी बच्चे दानी तक जाने लगी थी और अब तो रामु के दोनों हाथ भी उसकी कमर बल्कि नितंबों के आस-पास ही घूम रही थी और जब तब उसके गोरे और कोमल नितंबो पर प्रहार भी करने लगी थी पकड़ने की कोशिश में हुआ होगा ऐसा पर नहीं रामु तो सच में उसके नितंबो पर जोर-जोर से चाटे मार रहा था जैसे कोई घोड़ा चलाते हुए उसे मारता है वो लगातार ऐसा ही किए जा रहा था और कस्स कस्स कर खुद के आगे होते ही उसकी कमर को खींचकर पीछे की ओर ले जाता था

आरती- अह्ह मारो मत काका मारो मत कर तो रही हूँ अच्छा नहीं लग रहा

रामु- अरे मार नहीं रहा हूँ बहू बस रास्ता दिखा रहा हूँ मजा आ गया आज तो और जोर से करू बोल

आरती- हाँ… करो बस करते रहो

रामु अपने पूरे जोर से आरती को रोंधते हुए उसके शरीर को अपने से जोड़े हुए अपने हाथों को उसके गोल और खूबसूरत नितंबों पर घूमता जा रहा था बीच बीच में अपने उंगुठे को भी उसके गांड के अंदर कर देता था पहले तो एक ही उंगुठे को डालता था पर धीरे-धीरे वो दोनों उंगुठे को उसके अंदर डालने लगा था आरती अपने शिखर के बहुत पास थी और उसके मुख से सीस्करी के साथ ही हर धक्के पर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज बार-बार निकलती जा रही थी हर बार उसकी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज गहरी होती जा रही थी


आरती जो की अब तक अपनी कोहनी के बल अपने आपको संभाल रखा था अब अपने कंधों के बल बेड पर लेट गई थी पर कमर को झुका कर अपने नितंबों को रामु के लिए खोलकर रखा था और रामु भी उसके इस तरह से रहने पर अपने आपको पूरा आजाद पा रहा था उसकी चोट अंदर तक आरती को हिलाकर रख दे रही थी अब तो आरती की दोनों बाँहे भी पीछे की ओर होते होते रामु की जाँघो को छूने लगे थे अपने नरम और कोमल हाथों पर रामु के सख्त और बालों से भरी हुई जाँघो का एहसास पाते ही आरती उसे अपनी गिरफ़्त में लेने के लिए और भी थोड़ा सा पीछे हो गई थी पर नजाने कैसे रामु की नजर उसकी हथेलियों पर पड़ गई थी और उसके एक-एक कर उसकी दोनों कलाईयों को पकड़कर पीठ की ओर उठा लिया था अब आरती अपने आपको हवा में पा रही थी और अब उसका शरीर रामु के कब्ज़े में था और वो दोनों हाथों को पीछे की ओर पकड़कर उसे एक जगह पर रखते हुए धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था आरती हवा में झूलती हुई अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी

आरती- उूउउम्म्म्मम छोड़ो मुझे प्लेआस्ीईईईईई दर्द हो रहा है काका प्लेआस्ीईईईईई

रामु पर कोई असर नहीं हुआ था पर आरती की चीख उस कमरे के बाहर शायद नहीं जा रही थी

आरती- प्लेआस्ीईई काका छोड़ो उूउउम्म्म्मममम आआआआअह्ह और नहीं प्लेआस्ीईईईईईईई ईईईईईईईईईई
करती हुई हवा में ही उसके अंदर का सारा ज्वर निकलकर बाहर की ओर बहने लगा था पर रामु अब भी चालू था और नशे की हालत में एक बार झड़ चूकने के बाद लगता था की वो एक वहशी दरिन्दा बन गया था उसे आरती की कोई फिकर नहीं थी और लगातार वैसे ही पकड़े हुए उसके अंदर तक भेदता हुआ अपने सफर को आगे बढ़ाए हुए था


आरती के मुख से अब सिर्फ़ अयाया और उउउम्म्म्म के सिवा कुछ नहीं निकल रहा था और नहीं कोई आपत्ति ही दर्ज करा रही थी रामु भी कुछ देर चुत पर टूटा पड़ा रहा फिर अचानक ही उसका लण्ड उसी तेजी से बाहर की ओर निकला था और आरती की चुत का ढेर सारा रस लिए हुए आरती की गांड में झट से धूमिल हो गया था वही तेजी और वही गति थी उसके अंदर पर जगह चेंज था आरती एक बार फिर से चीख उठी थी पर इस बार झड़ने की वजह से नहीं बल्कि गांड में लण्ड और वो भी इतना मोटा सा के अंदर जाने के कारण वो छटपटा उठी थी पर रामु नहीं रुका था

आरती- नहीं वहां नहीं प्लेआस्ीईईईईई मर जाऊँगी प्लीज ईईईईई छोड़ो मुझे नहीं प्लेआस्ीईए
पर अपने आपको किसी भी हालत में रामु का साथ देते नहीं पा रही थी आरती की दर्द के मारे जान जा रही थी पर रामु था की कोई चिंता ही नहीं थी उसे और एक के बाद एक धक्के के साथ ही उसका लण्ड धीरे-धीरे उसके पीछे की और समाता जा रहा था आरती को दर्द तो था पर इतना नहीं पर इस तरह से बिना बताए और बिना आगाह किए रामु इस तरह से उसके पीछे से प्रवेश कर जाएगा उसका उसे जरा भी अनुमान नहीं था पर यह तो जरूर था कि तेल की मालिश और सोनल ने उसके गांड को इतना चिकना और मुलायम बना दिया था कि वो दर्द के कारण अनायास ही आक्रमण से ज्यादा डर गई थी
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:39 PM

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