Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:38 PM,
#81
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
अब वो फ्री थी अपने आप ही रामु का सिर टेबल पर टिके होने से पीछे जाना उसके लिए दूभर हो गया था आरती की कमर की गति बढ़ गई थी और लग रहा था की अब वो रामु का कचूमर निकाल कर ही दम लेगी रामू का सिर टेबल के किनारे से टिका हुआ था और आरती की कमर किसी एंजिन की तरह से चलने लगी थी आगे पीछे की ओर टांगों को फैलाकर वो जिस तरह से रामु को रौंद रही थी उससे उसके अंदर की ज्वाला का अंदाज़ा भर ही लगाया जा सकता था उसकी कमर के हिलने का तरीका किसी प्रोफेशनल से क़म नहीं था एक के बाद एक झटके जो वो लगा रही थी उससे उसके अंदर की आग का अंदाज़ा ही लगाया जा सकता था


रामु का सिर कई बार पीछे टेबल के कार्नर पर जम कर लगा था पर मजबूर था कुछ नहीं कर सकता था अपने होंठों को और जीब को हटा नहीं सकता था एक वहशी रूप में वो आरती को देख रहा था आरती निरंतर अपने मुख से आवाज निकाल कर रामु को और करने को कहे जा रही थी

आरती- और अंदर तक डालो काका उंगली भी डालो होने ही वाला है रूको मत नहीं तो मार डालूंगी करो और करो अंदर तक डालो उंगली उूुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ आआआआआआआआह्ह
और सट कर रामु को टेबल के कार्नर में दबा दिया था आरती ने ताकि वो हिल भी ना सके

आरती- आआआआह्ह गई ईईईईईईईईईईईईईईईईईई करते रहो काका करते रहे छोड़ूँगी नहीं आज करो और करो
हान्फते हुए आरती के मुख से ना जाने क्या क्या निकल रहा था रामु अब भी टेबल पर टिका हुआ अपने आपको आरती की जाँघो के बीच में पा रहा था चेहरा पूरा आरती के कम से भीगा हुआ था सांसें भी नहीं लेते बन रहा था पर हिम्मत नहीं थी आरती को अपने ऊपर से हटाने की सो वो वैसे ही पड़ा हुआ आरती के हटने की राह देखता हुआ अपनी जीब और उंगलियों को और भी तेजी से चलाता रहा


आरती भी थोड़ी देर तक सहारा लिए खड़ी रही टेबल का और फिर धीरे से हान्फते हुए रामु के चहरे से अलग हुई और थोड़ा सा ल्ड़खड़ाती हुई सी खड़ी हुई और नीचे पड़े हुए रामु काका की ओर एक नजर डाली उसके सिथिल पड़े हुए लण्ड पर भी और अपने पैर के अंगूठे से उसके लण्ड को छुआ था और मुस्कुराती हुई पलटकर फ़्रीज के पास पहुँच गई थी
आरती- क्या हुआ काका बस क्या तुम तो कहते थे की मेरी सेवा के लिए हो बस हाँ…
पानी पीते हुए आरती ने पलटकर रामु की ओर देखते हुए कहा था रामु वैसे ही नीचे बैठा हुआ अपने चहरे पर आरती की चुत के निकले पानी से भीगा हुआ अपने आपको साफ करने की कोशिशभी नहीं कर पाया था भीगी बिल्ली की तरह से आरती की ओर देखता हुआ
रामु- नहीं बहू वो तो अचानक था ना इसलिए
हकालाता हुआ सा जो जबाब सूझा था दे दिया था


आरती- अच्छा हाँ… तो ठीक है चलो कमरे में देखती हूँ कितना दम है बहुत दम है ना आओ
और आरती ने बढ़ कर अपना कपड़ा उठा लिया और वो रोप भी और नंगी ही अपने कंधे पर वो सब रखकर आगेकी ओर बढ़ गई थी रामु झट से अपनी धोती को उठाकर अपना चहरा पोछते हुए अंडरवेर का नाड़ा बाँधते हुए किसी कुत्ते की तरह आरती के पीछे-पीछे लपका था किचेन की लाइट बंद करके अपने आगे चलती हुई आरती की ओर देखता हुआ किसी संगमरर की मूरत की तरह उसका बदन हल्की सी रोशनी में नहाया हुआ था पीछे से उसके गोल गोल चूतड़ और उसपर हल्की दरार को देखते ही रामु लगभग दौड़ता हुआ सा उस अप्सरा के पीछे-पीछे चल दिया था

सीढ़ियो से चलते हुए उसके कूल्हे जिस तरह से मटक रहे थे वो एक शानदार सींन था रामु धीरे-धीरे उन नज़रों को देखता हुआ अपने आपको संभलता हुआ आरती के पीछे-पीछे सीढ़िया चढ़ता जा रहा था

जिस तरह से आरती सीढ़िया चढ़ रही थी और जितना मटक मटक कर अपने जिश्म को लहरा रही थी वो शायद कोई औरत कपड़ों में भी नहीं कर पाएगी पर आरती तो बिना कपड़ों के ही बिल्कुल बिंदास चल रही थी कही भी कभी नहीं लगा था की वो नंगी थी इतना कान्फिडेन्स था उसकी चाल में कि रामु देखता ही रह गया था अपने घर की बहू को चलते हुए कब उप्पेर एक कमरे के अंदर आ गये थे रामु जान भी नहीं पाया था। ये आरती का बेडरूम नही था, साथ वाला कमरा था।


कमरे में घुसते ही .............
आरती- डोर बंद कर दो
और कहते हुए बाथरूम में घुस गई थी रामु डोर बंद करके खड़ा था अपनी धोती से अपने चहरे को पोछते हुए थकान उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी नज़रें इधर-उधर करते हुए साइड टेबल पर रखे हुए पानी के बोतल पर पड़ी थी जल्दी से टेबल तक पहुँचकर पानी के दो घुट ही मारे थे कि बाथरूम का डोर खुला और आरती वैसे बिना कपड़ों के बाहर आई थी मुस्कुराती हुई
आरती- प्यास लगी है काका हाँ…

रामु जल्दी से पानी की बोतल रखकर खड़ा हो गया था धोती अभी तक बाँधी नहीं थी उसने अंडरवेर बाँधा नही था कमर के चारो ओर बस लपेटा हुआ था और बाकी का हाथ में था ऊपर फटुआ पहने हुआ था

आरती- उधर उस अलमारी के अंदर है तुम्हारी चीज जाओ और जितना पी सको पिलो

एक ओर अपने हाथों को उठाकर आरती ने इशारा किया था रामु नहीं जानता था कि क्या है वहाँ पर इशारे की ओर बढ़ा था अलमारी के अंदर तरह तरह की इंग्लीश दारू की बोतल रखी थी एक बार पलटकर आरती की ओर देखा था आरती के इशारे पर ही उसने एक बोतल उठा ली थी और बिना पीछे देखे ही बोतल पर मुँह लगा लिया था एक साथ उसने कई घूँट भरे थे और पलटकर आरती की ओर देखा था

आरती .. क्यों अच्छी है ना कभी पी है

रामु- जी नहीं बहू पहली बार ही इतनी महेंगी पी रहा हूँ
और फिर एक साथ थोड़ी बहुत और उतार ली थी अपने अंदर एक नई जान अपने अंदर भरते हुए पाया था उसने आरती जो की अभी भी बेड के किनारे पर खड़ी थी रामु की ओर देखती हुई धीरे-धीरे बेड पर लेट गई थी जैसे उसे निमंत्रण दे रही है लेट-ते ही उसने अपनी एक जाँघ को उठा कर दूसरे जाँघ पर रख लिया था और सिर के नीचे एक हाथ रखकर रामु की ओर देखती रही थी और अपनी हथेली को धीरे-धीरे जाँघो से लेकर कमर से लेते हुए अपनी चुचियों पर ले आई थी ।

और नजर उठाकर फिर से एक बार रामु की ओर देखा था उूउउफफफ्फ़ क्या नज़ारा था शानदार नरम बेड पर एक हसीना बिल्कुल नंगी और इस तरह का आमंत्रण दो तीन घूँट और अंदर जाते ही रामु के अंदर एक पुरुष फिर से जाग गया था धोती तो नीचे गिर गया था पर फटुआ और अंडरवेयर अब भी उसके शरीर में था एकटक वो आरती देख रहा था जागा तब जब आरती की आवाज उसके कानों में टकराई थी
आरती- क्या देख रहे हो काका देखते ही रहोगे

रामु क्या जबाब देता जल्दी से बेड की ओर बढ़ा था

आरती- यह ठीक नहीं है काका में तो इधर कुछ नहीं पहने हूँ और आप सबकुछ पहेने हुए हो हाँ…

रामु जल्दी से बेड के साइड में खड़ा हुआ अपने कपड़ों से लड़ने लगा था एक साथ ही उसने अपने दोनों कपड़ों को शरीर से अलग कर दिया था और लगभग कूदता हुआ सा बेड पर चढ़ गया था आरती वैसे ही उसकी ओर कमर को उँचा करके लेटी रही थी एकटक उसकी ओर देखती हुई रामु जल्दी से पीछे की ओर से उसके शरीर को अपनी बाहों में लेने की कोशिश करने लगा था उसके उठे हुए नितंब उसे एक अनौखा निमंत्रण दे रहे थे पीछे से देखने में गजब का लग रहा था दोनों जाँघो के जुड़े होने के बाद भी एक गहरी सी गहराई उसे दिख रही थी ना चाहते हुए भी रामु अपनी हथेली उस जगह में ले गया था और धीरे से आरती को अपनी बाहों मे भर लिया था वो अपनी बाहों को नीचे से लेजाकर उसकी चुचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा था और अपनी एक हथेली से उसके नितंबों को सहलाता हुआ ऊपर से नीचे की ओर जा रहा था आरती इंतजार में ही थी कि कब रामु जागे और आगे बढ़े वो अपने आपको पूरा बेड से लगाकर लेट गई थी और रामु को पूरी आजादी दे-दी थी रामु भी अपनी आजादी का पूरा लुफ्त उठाने को तैयार था विदेशी शराब के अंदर जाते ही वो एक बार फिर से जवान हो उठा था

शरीर का हर रोम रोम आरती को भोगने को लालायित था इतना सुंदर और सुढ़ाल शरीर उसके सामने था और वो पूरी तरह से हर हिस्से को छू लेना चाहता था अपने होंठों से अपने हाथों से और अपने पूरे शरीर से वो आरती के शरीर को छूने की कोशिश में था

उसकी आतूरता देखते ही बनती थी हबशियो की तरह से वो आरती पर टूट पड़ा था जहां उसके होंठ जाते आरती के शरीर को गीलाकर जाते हर एक-एक को छूते हुए रामु आरती के शरीर को अपनी बाहों में लिए निचोड़ता जा रहा था आरती भी उसे उत्साहित करती जा रही थी मचलते हुए अपने आपको उसकी बाहों के सुपुर्द करते हुए मुख से तरह तरह की आवाजें निकालती जा रही थी

आरती- हाँ… काका और जोर लगऊऊऊ और जोर-जोर से आज कर लो जो करना है कल से फिर में नहीं मिलूंगी ‘ आज सोनल नही है।

रामु- हाँ… बहू हाँ… आज नहीं छोड़ूँगा बहुत दिनों बाद रात को मिली है तू, सिर्फ़ देखता रहता था इन दिनों में तुझे
और फिर एक किस कर अपने हाथों का दबाब उसकी चुचियों पर कर दिया था रामु ने जैसे अपनी शक्ति दिखाने का वही एक जरिया था उसके पास

आरती के मुख से हल्की सी सिसकारी निकली थी और कही गुम हो गई थी
आरती- सस्शह अहहाआआआआआआअ और जोर से काका और जोर से आज अकेले पड़ गये क्या लाखा के बिना

रामु- अरेबहू नहीं वो तो बस थोड़ा सा उतावला हो गया था नहीं तो हमम्म्ममममममममम
आरती- हमम्म्मममममम
दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गये थे और एक ना खतम होने वाली चुंबन की शरंखला चल पड़ी थी एक दूसरे के होंठों के सिवा जीब को चूसते हुए दोनों इतना डूब चुके थे और अपने शरीर को एक दूसरे के सुपुर्द करके वो इस खेल को आगे बढ़ाते हुए अपने आपको भूल चुके थे। रामु भूल चुका था कि वो एक नौकर है और आरती यह भूल चुकी थी कि वो इस घर की बहू है और सेक्स का वो खेल जो वो खेल रहे थे एक बहुत ही खतरनाक मोड़ पर आ गया था रामु की एक हथेली की उंगली आरती की जाँघो के बीच में पीछे से डाल रखी थी जहां वो आरती की चुत को छेड़ता जा रहा था और उत्साह में कभी-कभी उसकी उंगली उसके गांड को भी छू जाती और आरती बार बार अपनी कमर को पीछे करके उसे और करने को उत्साहित करती जा रही थी


अपने नितंबो को और उँचा करके अपनी जाँघो को थोड़ा सा खोलकर रामु की उंगलियों के लिए जगह भी बनाते जा रही थी होंठों के जुड़े होते हुए भी उसके मुख से आवाजें निकलती जा रही थी आज तो रामु भी कम नहीं था वो भी बिंदास हो गया था और अपने मन की हर दबी हुई इच्छा को जैसे वो पूरा कर लेना चाहता था वो भी आरती के रूप के बारे और आरती को उत्साहित करने के लिए जो कुछ कर सकता था करता जा रहा था

रामु- बहुत खूबसूरत हो बहू तुम कितना सुंदर शरीर है तुम्हारा उूुउउम्म्म्मममममम उूुउउफफफफफफफफफफ्फ़ पागल हो गया हूँ

आरती- हूंम्म्मममममममम अंदर करो काका प्लीज अंदर करो और नहीं रुका जाता प्लीज ईईई

बोल खतम होते इससे पहले तो रामु आरती की चुत के अंदर था एक ही धक्के में आधे से ज्यादा
रामु- लो सस्स्शह हमम्म्ममम ओ और डालु हाँ… और

आरती- हाँ… रूको थोड़ा रूको उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़

रामु- क्यों रूको क्यों उउउहमम्म्मममममममममक्यों अब रूको क्यों हमम्म्मम

आरती- हमम्म्म उउउफ्फ… इतना जल्दी नहीं थोड़ा रूको बहुत दिनों बाद है ना इसलिए सस्स्स्स्स्स्स्शह

रामु- और जोर से करू हमम्म्म और जोर से
और रामु जैसे पागल हो गया था चिपचिपी चुत के अंदर वो पीछे से आरती को कस्स कर पकड़कर उसके चुचो को निचोड़ता हुआ और उसकी कमर को एक हाथ से कस्स कर पकड़कर वो लगातार आरती की चुत पर प्रहार कर रहा था आरती जो की अब भी बेड पर लेटी हुई थी किसी तरह से अपनी जाँघो को खोलकर रामु के ऊपर चढ़ा कर अपने अंदर जगह बनाकर रामु को दी इससे उसकी चुत भी खुल गई थी और थोड़ी सी परेशानी भी हल हुई थी पर चुत के धक्के इतने जोर दार होते थे की उसकी टाँगें फिसल कर आगे गिर जाया करती थी पर आरती अपने संतुलन को बनाए हुए रखते हुए रामु को और भी उत्साहित करती जा रही थी उसके अंदर गया रामु का लण्ड इतना गरम था कि आरती को लग रहा था की वो ज्यादा देर नहीं रुक पाएगी।
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:38 PM

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