RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
मोनिका अपनी हथेली से सोनल की चूत को रगड़ने लगी। कुछ देर बाद मोनिका सोनल के नीचे की ओर आ गई और उसने सोनल की टाँगें खोल कर एक बार दोबारा अपना डिल्डो उसकी चूत में डाल दिया। मोनिका सोनल के ऊपर लेट कर उसके मोम्मों को जोर जोर से मसल मसल कर उसे चोद रही थी।
“मोनिका ! और जोर से चोद !! अपने लण्ड से मेरी चूत को भर दे !!! और जोर जोर से धक्के मार !!!” सोनल उन्माद में भरी हुई बोल रही थी।
मोनिका के जोरदार धक्कों से सोनल कुछ ही देर में झड़ गई और मोनिका को अपने पूरे जोर से अपने साथ दबाने लगी।
मोनिका ने सोनल को घोड़ी की तरह होने को कहा। सोनल बाँहों और घुटनों के बल घोड़ी बन गई तो मोनिका ने उसकी टाँगें थोड़ी सी खोल दीं और सोनल की बाहर निकली हुई चूत के मुँह पर डिल्डो रगड़ने लगी। फिर उसने अपना डिल्डो धीरे धीरे सोनल की चूत में डाल दिया और उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगी। मोनिका कभी उसके मोम्मे दबाती, कभी उसकी गाण्ड सहलाती, कभी गाण्ड पर चपत मारती हुई सोनल को चोद रही थी। कभी जोर जोर से धक्के मारती तो कभी धीरे धीरे डिल्डो सोनल की चूत के अंदर बाहर करती। मोनिका रुक-रुक कर सोनल को चोदती रही और कुछ ही मिनटों में सोनल फिर से झड़ गई।
सोनल जोर जोर से सिसकारियाँ भर रही थी।
“मज़ा आया या और चोदूँ?” मोनिका ने डिल्डो हिलाते हुए पूछा।
“नहीं, अब और ताकत नहीं है मेरे अन्दर !!! प्लीज़ अब इसे बाहर निकाल ले !!!” सोनल ने कहा।
मोनिका ने डिल्डो बाहर निकाला तो उसे ऐसा लगा जैसे जान में जान आ गई हो, सोनल पेट के बल बिस्तर पर गिर गई और जोर जोर से साँसे भरने लगी। जब सोनल की साँसे संयत हुईं तो सोनल ने देखा एक तरफ कविता उसके साथ चित्त लेटी हुई थी और दूसरी तरफ मोनिका और उसके डिल्डो का मुँह छत की ओर था।
कविता पलट कर सोनल और मोनिका के बीच आ गयी और डिल्डो पकड़ कर हिलाने लगी तो मोनिका ने उसे देखा और उसे चूम लिया। कविता ने भी हाथ बढ़ा कर उसको अपने साथ खींच लिया और उसको चूमने लगी।
तभी मोनिका इस बार कविता के ऊपर चढ़ गई और उसकी गर्दन के पीछे और उसके कानों को चूमने चाटने लगी. मोनिका की जीभ कविता की पीठ से होते हुए उसकी गाण्ड को चाट रही थी। कविता को लगा कि उसका शरीर एक बार फिर से वासना से गर्म हो गया है। कुछ देर तक कविता को चूमने चाटने के बाद मोनिका ने अपना डिल्डो कविता की गाण्ड के छेद पर लगा कर दबाना शुरू कर दिया।
“मोनिका, प्लीज़ गाण्ड में मत डाल ! बहुत दर्द होगा !! चहे चुत मार लो” कविता ने मोनिका को कहा।
“मैं बिल्कुल धीरे धीरे और रुक रुक कर डालूंगी !! और जब तू कहेगी बाहर निकाल लूँगी !!!” मोनिका ने डिल्डो को और दबाते हुए कहा।
“ठीक है, पर प्लीज़ मेरी गाण्ड धीरे धीरे मारना !!” कविता ने अनुरोध किया।
मोनिका ने धीरे धीरे और रुक रुक कर दबाते हुए अपना डिल्डो कविता की गाण्ड में पूरा डाल दिया और अंदर बाहर करने लगी।
“कविता तू ठीक है ना? दर्द तो नहीं हो रहा? देख मैं कितने प्यार से और धीरे धीरे तेरी गाण्ड मार रही हूँ !” मोनिका कहने लगी।
कविता सिर्फ हाँ-हूँ की आवाजें कर रही थी। मोनिका ने अपने हाथ उसके कंधों पर रखे हुए थे और उसकी गाण्ड मार रही थी। कुछ देर के बाद उसने अपने हाथ कविता के दोनों ओर से नीचे किए और उसके मोम्मे दबाते हुए उसकी पीठ को चूमने चाटने लगी।
कविता जोर जोर से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।
“कविता, थोड़ी सी अपनी गाण्ड ऊपर उठा, मैं तेरी चूत में उंगली डालना चाहती हूँ !!” मोनिका कविता के कान को चूमते हुए बोली।
कविता ने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर की तो मोनिका का डिल्डो पूरा जड़ तक उसकी गाण्ड में घुस गया और मोनिका उसका एक मोम्मा छोड़ कर अपनी उंगली उसकी चूत में डालने लगी।
एक ओर से चूत में उंगली और पीछे से गाण्ड में मोनिका का डिल्डो ! कविता दोनों ओर से चुदाई का मज़ा लेते हुए धीरे धीरे अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी।
कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और उसका पानी मोनिका की हथेली को भिगोने लगा। जब कविता झड़ गई तो मोनिका ने अपना हाथ कविता के नीचे से निकाल लिया और एक बार दोबारा उसके मोम्मे को दबाने लगी।
“मोनिका अब तो तूने मेरी गाण्ड भी मार ली, अब तो अपना लण्ड बाहर निकाल ले !” कविता ने मोनिका को कहा।
“हाँ बस अभी निकाल रही हूँ !” कहते हुए मोनिका ने अपनी गति बढ़ा दी और अब जोर जोर से डिल्डो कविता की गाण्ड के अंदर-बाहर करने लगी।
दो-तीन मिनट के बाद मोनिकाने अपना डिल्डो बाहर निकाला और उसके साथ ही बिस्तर पर निढाल हो कर गिर गई।
“मोनिका, तू क्यों निढाल हो गई, गाण्ड तो मेरी चुदी है और पानी भी मेरी चूत से निकला है!!!” कविता ने मोनिका को चूमते हुए कहा।
फिर दोनों कुछ देर तक ऐसे ही लेट कर सुस्ताते रहे फिर मोनिका ने धीरे से सोनल से पूछा,”सोनल क्या मुझे चोदेगी?”
“हाँ चोदूँगी ! ला मुझे यह डिल्डो उतार कर दे फिर देख कैसे मैं तेरी चूत और गांड का भुरता बनाती हूँ।” सोनल ने कहा।
सोनल उठी और उसके कमर पर देखा तो कोई आठ इंच लंबा और दो इंच मोटा काले रंग का एक डिल्डो बंधा था, सोनल ने उसे निकाला और मोनिका के बाथरूम से निकलने का इंतज़ार करने लगी।
फिर सोनल बाथरूम होकर आई और उस काले डिल्डो को अपनी कमर पर बांध कर मोनिका के साथ लेट गई। सोनल ने मोनिका को चूमना-चाटना शुरू कर दिया।
मोनिका धीरे धीरे सिसकारियाँ भर रही थी, सोनल ने मोनिका को कहा- आज मैं तेरे साथ वैसा ही करूँगी जैसे कोई लड़का चोदने से पहले मुझे चूमता-चाटता है।
“ठीक है और मैं भी तेरा लण्ड ऐसे चूसूँगी जैसे लड़के का लण्ड चूसती हूँ !” मोनिका बोली।
“ले फिर पहले मेरा लण्ड चूस कर खड़ा कर !” कहते हुए सोनल उसके साथ लेट गई।
मोनिका ने डिल्डो के सिरे को चाटना शुरू कर दिया, फिर उसे हाथ में पकड़ कर ऊपर से नीचे तक चाटते हुए सोनल की जांघों को चाटने लगी। अब मोनिका डिल्डो को अपने मुँह में लेकर अपने सिर को जोर जोर से ऊपर नीचे करती हुई चूस रही थी, अपने हाथों में थूक लगा कर कभी सोनल की जांघों पर मलती और कभी उसके मोम्मों पर मलती हुई उन्हें मसल रही थी।
सोनल की जोर जोर से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं। थोड़ी देर के बाद मोनिका सोनल के ऊपर लेट गई और उसके होठों को काटती हुई चूसने लगी।
कुछ देर के बाद सोनल मोनिका के ऊपर चढ़ गई और उसके होठों को चूसते हुए उसके मोम्मे मसलने लगी। सोनल ने मोनिका को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटना और चूमना शुरू कर दिया, उसके मोम्मे चूस चूस कर लाल कर दिये, उसके होठों को अपने होठों में दबा कर चूसने लगी।
सोनल ने उसको उल्टा लिटा कर उसकी पीठ को चाट चाट कर अपनी थूक से गीला कर दिया. उसकी गांड को चाट चाट कर जोर जोर चपत मार मार कर लाल कर दिया। सोनल ने उसे सीधा लिटाया और उसे चूमते हुए नीचे उसकी चूत पर पहुँच गई, उसकी जांघें खोल कर उसकी चूत के ऊपर चाटने लगी।
मोनिका की चूत से पानी निकल रहा था, वह सिसकारते हुए कहने लगी, “ओह्ह्ह सोनल मेरी जान !!! चोद दे मुझे !!”
सोनल अपने डिल्डो को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगी और फिर उसे मोनिका की चूत के मुँह पर लगा कर सोनल ने धक्का मारा जिससे आधा डिल्डो मोनिका की चूत में घुस गया।
“आह्हह्ह!!! ओह्ह्ह्ह!!! सोनल तेरा लण्ड घुस गया मेरी चूत में!!!” मोनिका की जोरदार आह निकली।
सोनल ने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिये और पूरा डिल्डो मोनिका की चूत में डाल दिया। एक बार पूरा डिल्डो मोनिका की चूत में डालने के बाद सोनल कुछ सेकंड के लिये रुकी ताकि मोनिका की साँसे संयत हो जायें और फिर उसकी चूत में डिल्डो अंदर-बाहर करने लगी।
“मोनिका अब बता, तुझे कैसे चोदूँ !! धीरे धीरे या जोर जोर से !!” सोनल ने मोनिका की टाँगें पकड़ कर चौड़ी कर लीं।
“मेरे ऊपर लेट कर चोद !!” मोनिका बोली।
सोनल ने उसकी टाँगें छोड़ दीं और मोनिका के ऊपर लेट कर उसके मोम्मे अपने हाथों में दबा लिये और उसके होठों को चूसते हुए उसे चोदने लगी।
कोई दस मिनट के बाद मोनिका ने अपनी दोनों टाँगें सोनल की कमर पर लपेट लीं और उसकी गाण्ड को जोर जोर से दबाते हुए झड़ गई। कुछ देर तक मोनिका के ऊपर लेटे रहने के बाद सोनल दोबारा उठी और उसकी टाँगें खोल कर उसको जोर जोर से धक्के मार कर चोदने लगी।
थोड़ी देर में मोनिका फिर से झड़ गई,”अग्ग्ग्ग!!! आह्हह्ह!!! सोनल मैं गई!!!”
सोनल ने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और अपने पूरे जोर से उसे धक्के मारने लगी। मोनिका की चूत से पानी बह कर बाहर निकल रहा था और उसकी गाण्ड के छेद को भी भिगो रहा था।
कविता ने उस पानी को अपनी उँगलियों पर लगाया और मोनिका की गाण्ड के छेद पर लगाते हुए अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डालने लगी।
“ओह्ह्ह्ह ! कविता नहीं प्लीज़ मत कर !!” मोनिका जोर से कराही।
“जब तक लड़की की गाण्ड ना मारी जाये, चुदाई पूरी नहीं होती !!” कविता उसकी गांड में उंगली अंदर-बाहर करते हुए बोली।
सोनल ने अपना डिल्डो बाहर निकाला और उसे उतार कर कविता को बोली-- ले कविता इसे पहन और अपनी गांड चुदाई का बदला ले।
कविता तुरंत खड़ी हुई और सोनल से डिलडो लेकर अपनी कमर पर बांध लिया और मोनिका की गाण्ड के छेद पर लगा कर दबाने लगी।
जैसे ही डिल्डो का सिरा अंदर गया मोनिका चिल्लाई,”ओह्ह्ह्ह !! कविता प्लीज़ धीरे धीरे डाल !!!”
“जब तूने मेरी गाण्ड मारी थी तो तुझे बहुत मज़ा आया था अब मेरी बारी है तो प्लीज़ धीरे धीरे डाल? आज मैं तेरी गांड फाड़ दूँगी !!” कविता ने जोर से एक धक्का मार कर डिल्डो मोनिका की गांड में घुसेड़ते हुए कहा।
कविता ने मोनिका की गाण्ड के नीचे हाथ डाल कर उसकी गाण्ड और थोड़ी सी ऊपर की ओर उठा ली ताकि उसे आसानी हो जाए और दनादन उसकी गाण्ड मारने लगी।
मोनिका की आहें भी अब कम हो गईं थी। कोई पन्द्रह मिनट तक मोनिका की गाण्ड मारने के बाद कविता ने अपना डिल्डो बाहर निकाल लिया और कविता की चूत में डाल दिया और उसकी चूत चोदने लगी। सोनल उसके मोम्मे दबाने लगी. जैसे ही सोनल के हाथों का दबाव उसके मोम्मों पर बढ़ता, वो भी नीचे से अपनी चोदने की गति बढ़ा देती।
तभी सोनल ने अपनी पूरी शक्ति से उसके मोम्मे दबा दिये।
“ओहहह!!! आह्हह्ह!!! आह्हह्ह!!! सोनल मेरे मोम्मे छोड़!!!” कहते हुए मोनिका उसके हाथ हटाते हुए कविता की तरफ ऊपर हो गई और अब मोनिका ने अपनी उँगलियाँ कविता की पीठ में गड़ा दीं और झड़ने लगी।
जब उन दोनों की साँसे संयत हुईं तो दोनो सोनल के साथ चिपक कर सो गईं।
उनकी नींद दोपहर में जया काकी के दरवाजे को खटखटाने से खुली।
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