Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:37 PM,
#75
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
अगले दिन सोनल और आरति अपने अपने समय पर उठती है और फ्रेश होकर नीचे डाइनिग टेबल पर मिलती है, सोनल आरति को गुड मॉर्निंग विश करती है, और दोनो चाय पीते है,
जैसे ही चाय खत्म होती है

सोनल जा के आरती के गले लग गई. ‘ मम्मी चलो थोड़ा बाहर घूम के आते हैं, आज दोपहर को बाहर ही खाएँगे’
आरति थोड़ा चौक जाती है फिर भी बोलती है

आरती: सोनल के सर पे हाथ फेरते हुए ‘ आज स्कूल नही जाना क्या – तूने आज तक अपनी कोई क्लास नही मिस की, ये आज क्या हो रहा है तुझे’


सोनल : ‘ना मम्मी आज कोई ज़रूरी क्लास नही है, चलो ना प्लीज़.’ सोनल आरती से और भी चिपक गई और अपने उरोज़ आरती की पीठ में गढ़ाने लगी.

आरती : अच्छा मुझे कुछ काम है फैक्टरी का, ख़तम करने दे फिर चलते हैं

सोनल खुशी से चिल्लाते हुए ‘ ठीक है माँ, एक घंटे मे जो करना है कर लो, मैं तब तक तैयार होती हूँ’ और सोनल भागती हुई अपने कमरे में चली गई.

एक घंटे बाद दोनो शॉपिंग मॉल के लिए निकल पड़े, वहाँ एक इंग्लीश फिल्म चल रही थी, सोनल ने ज़िद करी तो आरती मान गयी. फिल्म में कुछ उत्तेजक सीन्स ज़्यादा थे, सोनल हालत बिगड़ने लगी वो बार बार कनखियों से आरती को देख रही थी, कि उसपे क्या असर होता है, उसे लगा कि आरती भी कुछ गरम हो रही है, क्यूंकी वो बार बार अपनी सीट पे हिल रही थी और अपनी टाँगें बींच रखी थी.

मूवी के बाद दोनो होटल में लंच के लिए चले गये. सोनल ने हिम्मत करते हुए आरती से पूछा. ‘मम्मी कभी बियर पी है क्या’

आरती चोन्कते हुए ‘ नही , ये क्या बक रही है तू, चुप चाप लंच करते हैं और घर चलते हैं’

सोनल : ‘मम्मी अब मैं बड़ी हो चुकी हूँ, और बड़ी लड़कियों के लिए उनकी माँ सबसे अच्छी दोस्त होती है, और दोस्त से कुछ छुपाया नही जाता’ सोनल का चेहरा उतर चुका था.

आरती कुछ पलों तक मुझे देखती रही फिर ‘ अरे तू उदास क्यूँ हो गई, ऐसा नही करते, चल आज से हम पक्के दोस्त’ और आरती ने सोनल के साथ शेक हॅंड किया, सोनल के चेहरे पे मुस्कान दौड़ गयी.

सोनल ने फिर सवालिया नज़रों से आरती को देखा तो इस बार आरती बोल पड़ी ‘ हां कभी कभी तेरे पापा के साथ पी लेती हूँ जब वो ज़्यादा ज़िद करते हैं’

सोनल : ‘मममी मैं भी आज ट्राइ कर लूँ थोड़ी सी प्लीज़
शायद आरती चाहती थी कि सोनल भी उसके साथ और खुले तो इसलिए मान गई. एक माँ के दिल में हमेशा ये डर बना रहता है, कि जवान बेटी कहीं ग़लत रास्ते पे ना निकल पड़े.
दोनो ने एक बियर की बॉटल मँगवाई आरती ने आधी खुद ली और आधी सोनल को दी. सोनल ने घुट भरा तो बहुत कड़वी लगी और सोनल का मुँह बन गया, आरती खिलखिला के हंस पड़ी

आरती : ‘शुरू शुरू में कड़वी ही लगती है, नही पी जा रही तो रहने दे’

अब सोनल पीछे कैसे रहती, उसे तो अपनी मम्मी के और करीब जाना था. मन कड़ा करते हुए धीरे धीरे पी गई तीन चार घूँट लेने के बाद उतनी कड़वी नही लग रही थी.

फिर दोनो ने लंच ख़तम किया और घर आ गये. ये आधी बॉटल भी सोनल के सर चढ़ रही थी, सोनल अपने कमरे में जा कर सो गई.

शाम को जब सोनल सो कर बाहर आई तो आरती को डाइनिंग हाल में बैठे देखा। सोनल आरती के पास हाल में चली गई.

‘मम्मी क्या कर रही हैं।

‘कुछ नही बेटा - मैं बस अभी आई थी सो कर , सब डिनर तैयार हो चुका है तो यहा आकर बैठ गयी’

सोनल सोफे पर जा के बैठी ही थी कि उसका सेल बजता है. कॉल रिसीव करती है तो

‘ववओूऊऊऊओवव्वव कविता कितने दिनो बाद फोन कर रही है’

कविता : और तू जैसे मुझे फोन करती रहती है. अच्छा सुन मैं परसों आ रही हूँ, तेरे ही स्कूल में अड्मिशन लेने. बाकी लोग भी कुछ दिनो में आ जाएँगे. पापा का ट्रान्स्फर तुमहारे शहर में हो रहा है.

सोनल : अरे वाह , फिर तो मज़ा आ जाएगा, अकेले बोर हो जाती हूँ मैं,तेरी कंपनी मिल जाएगी तो सच में बहुत मज़ा आएगा.

कविता : अच्छा मैं रख रही हूँ, तुझे ट्रैन डिटेल्स एसएमएस कर दूँगी, स्टेशन पर मिलना. बाइ टेक केअर

सोनल :टेक केअर
सोनल : मम्मी! मम्मी!
आरती : अरे क्यूँ चिल्ला रही है, आ रही हूँ बस

आरती खाने की प्लेट्स ले के टेबल तक आती है, सोनल प्लेट्स ले कर टेबल पे रखती है.

‘हां बोल क्यूँ चिल्ला रही थी’

‘कविता आ रही है मम्मी, मज़ा आ जाएगा’

आरती : हां पता है तेरे विनोद मामा का ट्रान्स्फर हो गया है. पहले कविता आ रही है फिर कुछ दिनो में बाकी सब भी आ जाएँगे.

सोनल : कयययययययाआआअ आपको मालूम है और मुझे बताया भी नही.

आरती : अरे बेटा कल रात ही तो फोन आया था तेरे मामा का. सारा दिन तू मुझे घूमाती रही तो दिमाग़ से निकल गया.

दोनो खाना ख़तम कर के वाश बेसिन में हाथ धोती हैं और सोने की तैयारी करती हैं.



सोनल : मम्मी आज मैं आपके पास सो जाऊ.

आरती : जा कपड़े बदल के आजा.

सोनल भागती हुई जाती है और उसका ये अल्हाड़पन देख आरती हंस पड़ती है और अपने कमरे में जा कर अपनी नाइट ड्रेस निकाल के पहन लेती है.
नाइट ड्रेस ज़्यादा तो नही पर कुछ ट्रॅन्स्परेंट थी और आरती का खूबसूरत जिस्म उसमे से झलक रहा था.

सोनल भी अपनी नाइटी पहन के आ जाती है. और दोनो बिस्तर पे लेटी हुई सोनल के मामा और उसके परिवार के बारे में बातें करती रहती हैं. सोनल की नींद तो कोसो दूर थी. बातें करते करते वो आरती से चिपक जाती है और जब दोनो के उरोज़ आपस में टकराते हैं तो दोनो के जिस्म में एक लहर दौड़ जाती है.

सोनल अपने उरोज़ अपनी मम्मी के उरोजो से रगड़ने लगती है और आरती चाहते हुए भी उसे रोक नही पाती.

आरती की बाँहें भी सोनल के इर्द गिर्द कस जाती हैं और वो सोनल की पीठ सहलाने लगती है. सोनल अपनी मम्मी की गर्दन चूमने लगी और धीरे धीरे गालों को चूमने लगी.
दोनो के होंठ कब आपस में मिले पता ही ना चला और आरती ने सोनल के होंठ चूसने शुरू कर दिए. सोनल के जिस्म में आग भड़क उठी और वो अपनी मम्मी से अमरबेल की तरहा चिपक गई.

आरती को जैसे कुछ होश आया और वो सोनल से अलग हो गई और सीधी हो कर लेट गई.

पर सोनल अब कहाँ रुकने वाली थी. सोनल अपनी मम्मी के उपर आ गई और अपनी मम्मी के चेहरे को हाथों में पकड़ उसके होंठों को अपने होंठों में जाकड़ लिया.

आरती ने हिलने की कोशिस करी पर सोनल ने हिलने नही दिया और आरती के होंठ चुस्ती रही. धीरे धीरे आरती भी रंग में आने लगी और सोनल का साथ देने लगी.

अपने जिस्म की बढ़ती हुई प्यास से मजबूर हो कर सोनल की मम्मी उसके साथ आगे बढ़ने लगी. सोनल यही तो चाहती थी, कि सारे बंधन खुल जाएँ .
सोनल के हाथ अपनी मम्मी के चुचियो तक पहुँच गये और वो उन्हें सहलाने लगी. प्रत्युत्तर में आरती ने भी सोनल के चुचियो पर धावा बोल दिया.
अब दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस रही थी और एक दूसरे के चुचियो का मर्दन कर रही थी.

जब साँस लेना भारी हो गया तो दोनो के होंठ अलग हुए और आँखों से आँखें मिली. दोनो ही हाँफ रही थी, पर चुचियो पे हाथ अब भी चल रहे थे. दोनो की आँखों में नशे की लाली उतर चुकी थी. आरती समझ गई कि बेटी अब उस दौर पे आ चुकी है, जहाँ उसे भी जिस्म की प्यास लगने लगी है, अगर अभी से उसे नही संभाला तो आगे क्या होगा ये कोई नही जान सकता, क्यूकी वो बहुत ही खूबसूरत हो गयी है.

दोनो ही आँखों ही आँखों में बाते कर रही थी. आरती ने तब उठ कर अपने कपड़े उतार डाले और नग्न हो गई. सोनल के भी कपड़े उतार उसे नग्न कर दिया और उसे पीठ के बल बिस्तर पे लिटा कर उसके चेहरे को चूमने लगी और चूमते हुए उसकी गर्दन को चूमने चाटने लगी.

धीरे धीरे वो नीचे बड़ी और सोनल के निपल को चूसने लगी और दूसरे को अपने अंगूठे और उंगली के बीच ले कर मसल्ने लगी.

अहह म्म्म्मनममममाआआआआ उूुुुुउउइईईईईईई

सोनल की सिसकियाँ निकालने लगी और जिस्म में उत्तेजना बादने लगी . सोनल ने अपनी मम्मी के सर को अपने चूची पे दबा दिया और आरती कभी एक निपल चुस्ती और कभी दूसरा. अच्छी तरहा निपल चूसने के बाद आरती उसके जिस्म को चूमते चाटते हुए उसकी चुत तक आ पहुँची और अपनी ज़ुबान उसकी चुत पे फेरने लगी.

अहह ककक्क्क्ययय्याआ कााआआ र्रर्राही हूऊऊ उफफफफफफफफफ्फ़ उउम्म्म्ममममम

जैसे ही आरती ने उसकी चूत पे अपनी ज़ुबान फेरनी शुरू की सोनल और भी ज़ोर से सिसकने लगी और खुद ही अपने चुचिया दबाने लगी.

आरती ने सोनल की चूत की फांकौ को अलग किया और अपनी ज़ुबान बीच में घुसा दी, चूत की हालत देख कर आरती समझ गई थी कि बेटी ने एक या दो बार से ज्यादा चुदाई नही की है.
जैसे ही सोनल की चूत में आरती की जीब घुसी उसका बाँध टूट गया और भरभराती हुई उसकी चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया, आरती वो सारा रस पीती रही और अपनी ज़ुबान से सोनल की चूत को चोदने लग गई.
सोनल की कमर खुद बा खुद उपर उचकने लगी और वो अपनी चूत अपनी मम्मी के मुँह पे मारने लगी.

आधे घंटे तक आरती उसे अपनी जीब से चोदती रही और इस दोरान सोनल तीन बार झड गई. अब सोनल के जिस्म में ताक़त ही ना बची और वो निढाल पड़ गई. आरती भी हाँफती हुई उसके बगल में लेट गई.

थोड़ी देर में सोनल को होश आया और वो अपनी मम्मी के चुचियो पर टूट पड़ी, अब सोनल की बारी थी अपनी मम्मी को खुश करने की.

सोनल अपनी मम्मी के निपल ऐसे चूस रही थी जैसे बहुत दिनो के भूखे बच्चे को माँ का दूध नसीब हुआ हो. आरती की आँखों में सोनल का बचपन घूमने लगा ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से उसके निपल चूसा करती थी.

अहह आरती की सिसकी निकल जाती है और वो सोनल के सर को अपने चुचियो पर दबा देती है. वो पहले अपने सहेली के साथ कई बार लेज़्बीयन कर चुकी थी पर आज बेटी का असर कुछ और ही पड़ रहा था, उसके जिस्म का पोर पोर मज़े की इंतेहा से खिल उठा था और उसकी उत्तेजना अपनी सारी सीमाएँ लाँघ रही थी.

सोनल अपनी मम्मी के दोनो चुचियो को एक के बाद एक चुस्ती रहती है और साथ साथ हल्के हल्के दाँत भी लगा देती थी.

जब भी सोनल के दाँत निपल पे गढ़ते आरती की चूत में साथ साथ खलबली मचना शुरू हो जाती और उसकी जोरदार सिसकी निकल पड़ती उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

अपनी मम्मी के चुचिया अच्छी तरहा लाल सुर्ख कर सोनल अपनी मम्मी के नेवेल को चूमने लगी और अपनी जीब बीच में डाल कर गोल गोल घुमाने लगी.

नेवेल शायद आरती का सबसे वीक हिस्सा था, और उसे भी खुद आज ही पता चला क्यूंकी पहले किसी ने भी उसके नेवेल के साथ छेड़ खानी नही की थी. इधर सोनल की जीब नेवल में घूमती उधर आरती की चूत अपना रस छोड़ने लगती. आरती ने सोनल के सर को ज़ोर से दबा दिया ताकि उसकी हरकतें रुक जाएँ, पर सोनल लगी रही और आरती उत्तेजना में अपनी टाँगें पटाकने लगी.

सोनल धीरे धीरे चूमते हुए नीचे बढ़ती है और अपनी मम्मी की चूत पे अपनी ज़ुबान फेरने लगती है.

जैसे ही सोनल की ज़ुबान आरती की चूत को छूती है एक तरंग दोनो के जिस्म में दौड़ जाती है. सोनल आज पहली बार किसी रिस्ते की चूत पे अपनी ज़ुबान चला रही थी वो भी अपनी मम्मी की और मम्मी पहली बार अपनी बेटी की ज़ुबान का असर अपनी चूत पे महसूस कर रही थी.

आरती सोनल को उपर खींचती है और दोनो 69 में आ जाती हैं. अब आरती सोनल की चूत पे फिर से अपनी ज़ुबान का कहर बरसाने लगती है और उधर सोनल अपनी मम्मी की चूत को पूरा मुँह में भर लेती है.

दोनो एक दूसरे के जिस्म को आपस में रगड़ते हुए एक दूसरे को अपनी टाँगों से भीच लेती है और ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे की चूत चूसने लगती हैं
सोनल की पूरी ज़ुबान आरती की चूत में घुस जाती है जबकि सोनल की चूत टाइट थी तो आरती की ज़ुबान थोड़ा ही अंदर घुस पाती है. दोनो एक दूसरे की चूत को चूस्ते हुए अपनी ज़ुबान से चोदने लग गई. दोनो की सिसकियाँ अंदर ही अंदर दम तोड़ने लगी. रूम में एक ज़लज़ला आ गया, एक ऐसा तूफान जो थमने का ना ही नही ले रहा था.

साँसे लेना दूभर होता जा रहा था पर ज़ुबानो का चलना नही . ये मंज़र कोई आदमी देख लेता तो बस एक ही दुआ माँगता, एक और लंड , ताकि वो दोनो को एक साथ चोद सके.

दोनो एक दूसरे को ज़ुबान से चोद रही थी, बीच बीच में अपने दाँत भी गाढ रही थी, एक अपने दाँत गढ़ाती तो बदला लेने के लिए दूसरी भी अपने दाँत गढ़ा देती.

दोनो की चूत रस बहा रही थी और दोनो ही उसे पीते हुए रुकने का नाम नही ले रही थी.
अपनी मम्मी की चूत को चूस्ते हुए सोनल सोच रही थी कि जब मम्मी के साथ इतना मज़ा आ रहा है तो एक साथ मम्मी पापा के साथ सेक्स करेगा तो कितना आएगा. उसकी आँखों के सामने उसके पापा का चेहरा घूमने लगा और उसकी पकड़ अपनी मम्मी की चूत पे और भी सख़्त हो गई है.

आधे घंटे से दोनो एक दूसरे पे कहर ढा रही थी. और संवेदना सहती हुई दोनो चूत अपने चर्म पे पहुँच गई और दो बाँध एक साथ टूट पड़े. उफ्फ आरती का ज़्यादा बुरा हाल था इतना रस तो अपनी पूरी जिंदगी में नही बहाया था जितना आज बहा रही थी.

जिस्म से जान निकलती जा रही थी और वो सातवें आसमान पे कहीं उड़ने लगी . सोनल भी पीछे नही रही और अपनी मम्मी के साथ ताल में ताल मिलाती हुई आनंद की गहराइयों में सराबोर हो गई.

दोनो ने एक बूँद भी बर्बाद नही होने दी. और दोनो का पेट इतना भर गया कि सुबह नाश्ता करने की नौबत नही आने वाली.

हाँफती हुई दोनो अलग हुई और अपनी साँसे संभालने लगी.
रात भर दोनो एक दूसरे को नोचती खसोट्ती रही . मुस्किल से एक घंटा ही सोई होंगी. सोनल के नींद जैसे ही खुली वो फिर अपनी मम्मी पे चढ़ गई.

जिस्म की प्यास फिर भड़क गई और दोनो 69 पोज़ में आकर एक दूसरे की चूत चूसने लगी


आधे घंटे तक माँ बेटी एक दूसरे की चूत चुस्ती रहती है एन्ड मे दोनो एक साथ झड जाती हैं. सोनल आज फुल मस्ती के मूड में आ चुकी थी, वो अपनी मम्मी को बाथरूम में खींच के ले जाती है और दोनो बाथ टब में घुस एक एक दूसरे के जिस्म पर साबुन रगड़ने लगती हैं.

एक घंटे तक माँ बेटी एक दूसरे को रगड़ रगड़ कर नहलाती हैं. ऐसे लग रहा था जैसे जिंदगी में पहली बार नहा रही हों.

नहाने के बाद दोनो तैयार होती हैं और आरती फैक्टरी जाने की तैयारी में लग जाती है. नाश्ता करने के बाद सोनल थोड़ी बाद स्कूल के लिए निकल जाती है और जब स्कूल से वापस आई तो उसने अपनी नाक छीदवा कर एक नोज रिंग पहनी हुई थी. इस रूप में सोनल और भी कातिलाना लग रही थी.



सोनल जब अपने नये रूप में घर पहुँची तो रामु काका भी उसे देखता ही रह गया. आस पास रहने वाले लड़को और मर्दों की तो जान आफ़त में पड़ने वाली थी.

सोनल तब अपने कमरे में चली गई और अपने लिए नया डिज़ाइन तैयार किया . जिस्म की प्यास जब बढ़ती है तो इंसान क्या क्या रूप नही धारण करता.

अपनी ड्रेस का नया कलेक्षन करने के बाद सोनल अपने कमरे में वही डीवीडी लगा के बैठ गई जो उस दिन मोनिका के साथ देख रही थी।
डीवीडी में चुदाई देख कर सोनल की चूत भी रोने लग गई.
उससे और आगे देखा नही गया.

लॅपटॉप बंद किया और बाथरूम में घुस गई
बाथ टब में लेटी सोनल काफ़ी देर तक अपनी चूत में उंगली करती रहती है जब तक वो झड नही जाती.

फिर नहा कर बाहर आती है। फिर कपड़े पहन कर तैयार होती है
शाम को आरती को फ़ोन करके सोनल शोरूम से जल्दी घर बुला लेती है, फिर फ्रेश होकर आरती नीचे आती है और सोनल आरती को फिर खींच कर बाहर घूमने निकल पड़ती है.

सोनल आरती को फिर बार ले जाती है, दोनो फिर एक एक बियर पीते हैं, बैठ कर इधर उधर की बातें करतें हैं. सोनल की अभी हिम्मत नही पड़ रही थी कि वो आरती से उसकी बाहर चुदाई के कारण के बारे में पूछ ले. उसको समझ नही आ रहा था कि वो जानती है कि रवि चुदाई में अच्छा है तो क्यो उसकी मम्मी बाहर चुद रही है।
बियर पीने के बाद दोनो हाट चली जाती हैं, जहाँ सोनल कुछ शॉपिंग करती है. उसे कविता के लिए कुछ गिफ्ट खरीदना था.

मौज मस्ती करते हुए दोनो सारी शाम निकाल देती हैं और वापस घर आ जाती हैं.

शॉपिंग वगेरह के बाद सोनल और आरती जैसे ही घर पहुँचते हैं. सोनल आरती को बाँहों में भर लेती है और दोनो के होंठ फिर जुड़ जाते हैं. अब आरती को भी सोनल के साथ मज़ा आने लगा था. पर लंड की कमी सोनल कहाँ पूरा कर पाती और वो तो सारे राज जानने के लिए ही तो अपनी मम्मी से चिपक रही थी. दोनो 10 मिनट तक स्मूच करते हैं फिर दोनो आरती के कमरे में चली जाती हैं।
दोनो माँ बेटी एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े उतार देती हैं और चूमते हुए ही आरती के कमरे की तरफ बढ़ जाती हैं. आज आरती ज़्यादा आक्रामक रूप ले रही थी. वो सोनल के पीछे आ कर उसके चुचियो का मर्दन करती हुई अपने चुचिया उसकी पीठ से रगड़ने लगती है और उसके होंठ चूसने लगती है.
शायद आरती आज खुल के मज़े लेना चाहती थी और देना चाहती थी.


थोड़ी देर बाद दोनो माँ बेटी 69 पोज़ में आ जाती हैं और एक दूसरे की चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगती हैं. आरती कुछ ज़्यादा मज़े से सोनल की चूत को चूस रही थी. और सोनल भी अपना पूरा ज़ोर लगा रही थी आरती को पूरा मज़ा देने के लिए.
सोनल अपनी मम्मी की चूत को चूस्ते हुए अपनी दो उंगली चूत में डाल देती है और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगती है. मस्ती के मारे आरती सोनल की चूत को काट लेती है और अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डाल देती है. आधे घंटे तक दोनो माँ बेटी लगी रहती हैं और एक दूसरे का पानी निकाल कर पी जाती हैं. दोनो ही हाँफ रही थी और एक दूसरे की बगल में लेट कर अपनी साँसे संभालने लगती हैं.

सोनल की जब साँसे संभलती हैं तो वो अपनी मम्मी के चुचियो को चूसने लगती है. आरती भी अपनी पोज़िशन बदलती है और सोनल के चूचो को चूसने लग जाती है. सारी रात दोनो एक दूसरे के साथ मस्ती करती रहती हैं.
इधर सोनल और आरती जब सुबह उठते हैं तो दोनो का ही जिस्म टूट रहा था पर चेहरों पर रॉनक थी. सोनल तैयार हो कर नाश्ता करती है और फिर अपने स्कूल चली जाती है. आरती भी तैयार होकर फैक्टरी निकल जाती है, रामु काका भी सोच में था कि अब बहु उसके पास नही आ रही है,

दोपहर में सोनल स्कूल से जल्दी वापस आ जाती है, जैसे ही डाइनिग हाल में एंट्री करती है तो उसे किचन में रामु काका मोनिका की चुदाई करते हुए मिलते है, मोनिका किचन में स्लैब के सहारे झुकी हुई थी, और पीछे से रामू काका अपनी बेटी की साड़ी और पेटीकोट उठा कर अपना लण्ड उसकी गांड में गुकाये हुये चोद रहा था, सोनल कुछ देर उनकी चुदाई का लुफ्त उठाती है और फिर अचानक ऊची आवाज में बोलती है,
"अब इस घर को रण्डी खाना ही बनाना है क्या, "

रामु और मोनिका चोंकते हुए हड़बड़ा कर अपनी चुदाई रोक कर अपने कपड़ो को ठीक करते है, सोनल जानती थी कि इनको ज्यादा नही धमका सकती क्योंकि दोनों ही उसके मम्मी पापा से जुडे हुए थे, ज्यादा रियेक्ट करती तो पूरी फैमिली में भूचाल आ जाता,
सोनल मोनिका को पकड़ कर अपने कमरे में ले जाती है,
"क्या मोनिका तुझे इतनी ही आग लगी है तो कमसे कम अपने कमरे में तो मर जाती, यहा खुले में किचन में ही अपने बाप के साथ शुरू हो गयी।"

मोनिका-- क्या बताऊँ सोनल बेबी ये बापू को पता नही क्या सनक चढ़ी थी, मै तो उनका काम मे हाथ बाटने आयी थी कि जैसे ही बर्तन धोने को बेसिन पर झुकी मेरी गण्ड में अपना लण्ड गुसा दिया। मैं क्या करती।

सोनल-- ठीक है ठीक है, लगता है तेरे बापू की गर्मी निकालनी ही पड़ेगी वरना ये इस घर को रंडीखाना बना ही देगा।

मोनिका-- हाँ बहुत गर्मी है बापू में, मेरी गांड को सूजा दिया चोद चोड कर।

सोनल-- हाँ जानती हूं तुझे कितनी सरीफ है जा अब मुझे आराम करने दे और सीधे अपने कमरे में जाना कहि फिर बाहर शुरू हो जाओ।

मोनिका-- नही कमरे में ही जा रही हु, मैं भी समझती हूं कि खुले में ये सब कितना खतरनाक है, ये तो तुम थी कहि कोई और होता तो गए थे काम से। आगे से बापू को साफ बोल दूँगी कि ध्यान रखे ऐसी गलती दोबारा न हो।
मोनिका अपने कमरे पर चली जाती है और सोनल कपड़े बदल कर बिस्टेर पर आराम करने लग जाती है,
थोडी देर में कविता का sms आता है कि वो आ रही है उसकी ट्रैन शाम तक पहुच जाएगी।
सोनल आरती के पास फ़ोन कर देती है, तो आरती भी काम निपटाकर जल्दी आ जाती है


शाम को सोनल और आरती तैयार हो कर कविता को लेने स्टेशन चले जाते हैं.
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:37 PM

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