Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:37 PM,
#73
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
पर रवि की ओर से कोई हरकत ना देखकर वो चुपचाप लेटी रही अपनी कमर को उसके लण्ड के पास तक पहुँचा कर उसे उकसाने की कोशिश भी की पर सब बेकार कोई फरक नहीं दिखा था आरती को रात भर वो कोशिश करती रही पर नतीजा सिफर सुबह उठ-ते ही रवि जल्दी में दिखा था कही जाना था उसे। आरती को भी जल्दी से उठा दिया था उसने और बहुत सी बातें बताकर जल्दी से नीचे की ओर भगा था नीचे जब तक आरती पहुँची थी तब तक तो रवि नाश्ते के टेबल पर अकेला ही नाश्ता कर रहा था
रवि शोरूम के लिए जल्दी निकल जाता है
आरती रवि के जाने के बाद एक बार सोनल के रूम में जाति है, सोनल अभी तक सोई हुई थी, सोनल को सोता देख कर आरती किचन की तरफ वापिश आ जाती है,
किचन में रामू काका उसे नास्ता बनाते दिखता है, रामु काका की नजर जब उस पर पड़ी थी तो कयामत सी आ गई थी उसके शरीर में। एक अजीब सी जुनझुनी और सिहरन ने उसके शरीर में जन्म लिया।
और आरती की हालत खराब थी। आरती वापिश मुड़ने लगी। लेकिन पीछे जैसे ही रामु ने आकर जकड़ लिया था वो कुछ बोल भी नहीं पाई थी जैसे उसकी आवाज उसके गले में ही अटक गई थी और उसने अपनी साड़ी की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया वो कब धलक गयी थी उसे पता ही नहीं चला था यह तो जैसे रामु काका को न्योता देने वाली बात हो गई थी पर उसने कभी नहीं सोचा था कि रामु काका सोनल के घर मे रहते ही किचन में ही अटेक कर लेगा उसने तो अभी इस बात का ध्यान नहीं किया था

लेकिन अब क्या रामु काका तो उसको के
जकड़े हुआ था एकटक उसकी ओर ही देख रहा था और वो बिना कुछ कहे बिल्कुल सिमटी हुई सी खड़ी हुई थी जैसे मालिक वो नहीं रामु काका हो। पर रामु काका के शरीर से उठ रही वो स्मेल अब धीरे धीरे उसके नथुनो को भेद कर उसके अंतर मन में उतरती जा रही थी उसने अपनी सांसें रोके और आखें बाहर की ओर करके चुपचाप खड़ी हुई अगले पल का इंतजार कर रही थी जैसे उसके हाथों से सबकुछ निकल गया है

इतने में रामु की हल्की सी आवाज उसे सुनाई दी

रामु-- क्या हुआ बहु।

आरती की नजर एक बार रामु की ओर उठी थी पर उस नजर में एक जादू सा था बड़ी ही खतरनाक सी दिखती थी उसकी आखें भूखी और सख़्त सी थी और एक जानवर सा दिख रहा था वो सांसें भी उसकी फूल रही थी पर कर कुछ नहीं रहा था
आरती का शरीर अब धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ रहा था पर वो बड़े ही , तरीके से खड़ी हुई रामु को नजर अंदाज करने की कोशिश कर रही थी पर हल्के से एक उंगली ने उसके हाथ के उल्टे साइड को टच किया था चौंक कर उसने अपने हाथ को खींच लिया था वो एक नजर रामु की ओर ना देखती हुई दरवाजे की ओर देखा था वहाँ उसकी हथेलिया थी मोटी-मोटी उंगलियां और गंदा सा हाथ था उसका मेल और काला पन लिए हुए वो फिर दरवाजे की ओर देखने लगी थी उसे सोनल का डर था।


आरती की नजर बाहर जरूर थी पर ध्यान पूरा अंदर था और रामु काका जो उसके पास खड़ा था क्या करेगा आगे सोच रही थी तभी उसकी कमर के साइड में उसे रामु काका के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ था वो सिहर उठी थी और अपने आपको हटाना चाहती थी उसके छूने से पर कहाँ वो बस थोड़ा सा हिल कर ही शांत हो जाना पड़ा था उसे क्योंकी रामु काका की उंगलियां उसके पेटीकोट के नाडे पर कस्स गई थी थोड़ी सी जगह पर से उसने अपनी उंगली को अंदर डालकर उसे फँसा लिया था वो कुछ ना कर सकी बल्कि सामने की ओर एक बार दरवाजे की ओर देखा और फिर रामु काका की ओर

पर रामु काका की पत्थर जैसी आखों में वो ज्यादा देर देख ना सकी कंधे पर सिर टिकाए हुए वो आरती की ओर एक कामुक नजर से देख रहा था वही नजर थी वो जो उसने पहली बार और जाने कितनी बार देखा था उस नजर के आगे वो कुछ नहीं कर सकती थी चाहे वो कही भी हो वो क्या कर सकती है अब यह जानवर तो उससे किचन में ही सबकुछ कर लेना चाह रहा था वो तो एक अबला सी नारी है वो कैसे इस जानवर से लड़ सकती है कैसे इस वहशी को बाँध सकती है पर उसकी हालत भी खराब थी उसके टच ने ही उसे इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो अपने गीले पन को रोक नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी वो अपनी जाँघो को खींचकर आपस में जोड़ रखा था पर रामु काका को मना नहीं कर पाई थी और नहीं शायद वो मना करना चाहती थी उसे भी वो सब चाहिए था और वो अभी तो सिर्फ़ रामु काका ही दे सकता था और उसने भी अभी उसने हाथों को बढ़ाकर एक आखिरी ट्राइ करने की कोशिश की और उसके उंगलियों को अपने पेटीकोट के नाडे पर से निकालने की कोशिश की पर यह तो उल्टा पड़ गया था रामु काका ने उसकी हाथों को कस्स कर पकड़ लिया था और उसे अपनी ओर खींच लिया था एक ही झटके में वो रामु काका के ऊपर गिर सी पड़ी थी



और रामु काका ने अपने मजबूत हाथों के सहारे आरती को उठाया था और दूसरे हाथों से उसकी कमर को पकड़कर अपने पास खींच लिया था बहुत ही पास लगभग अपनी गोद में और अपनी हाथों का कसाव को निरंतर बढ़ते हुए उसे और पास खींचते जा रहा था आरती जितना हो सके अपने आपको रोकती जा रही थी अपने कोहनी से वो रामु को अपने से दूर रखना चाहती थी पर रामु काका की ताकत उससे ज्यादा थी।
आरती- प्लीज नहीं सोनल है अभी घर पर।

रामु कुछ ना कहते हुए उसे एक झटके से अपने ऊपर अपनी जाँघो पर सीने के बल फर्श पर लिटा लेता है आरती भी कुछ नहीं कर सकी उसकी जाँघो के सहारे लेट गई हे भगवान उसने अपने लण्ड को कब निकाला था अपने पैंट से आआह्ह अपने सीने पर उसके लण्ड का गरम-गरम स्पर्श पाते ही आरती हार गई थी वो और भी उसके लण्ड से लिपट जाना चाहती थी पर उसकी जरूरत नहीं थी रामु का लण्ड इतना सख़्त था कि वो खुद ही उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को आराम से छू सकता था और वो कर भी यही रहा था रामु काका के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे और उसके अंदर के हर तार को छेड़ते हुए उसके हर अंग में एक उत्तेजना की लहर भर रहा था वो अपने आपको उसके सुपुर्द करने को तैयार थी वो भूल गई थी कि वो कीचन में है और सामने कमरे में सोनल सो रही है

वो अब अपने आप में नहीं थी एक सोई हुई शेरनी को रामु काका ने जगा दिया था और वो अब रुकना नहीं चाहती थी रामु काका उसकी पीठ के हर हिस्से को जो की खुला हुआ था अपने सख़्त हाथों से सहलाते हुए उसकी कमर तक जाता था और फिर उसके पीठ पर आ जाता था उसके हाथों का जोर इतना नहीं था कि वो उठ नहीं सकती थी पर वो उठी नहीं और रामु काका के लण्ड का एहसास अपनी चुचियों के चारो ओर करती रही वो गरम-गरम और अजीब सा एहसास उसे और भी मदमस्त करता जा रहा था वो उठती क्या बल्कि उसकी हथेली धीरे-धीरे रामु काका के लण्ड की ओर बढ़ने लगी थी एक भूख जो कि उसने दबाकर रखा था वो फिर जाग गया था और वो अब आगे ही बढ़ना चाहती थी उसका हाथ धीरे से रामु काका की जाँघो से होता हुआ उसके लण्ड तक पहुँच चुका था और धीरे से अपनी गिरफ़्त में लेने को बेकरार था और उस गरम-गरम और सख़्त चीज को उसने अपने नरम और कोमल हाथों के सुपुर्द कर दिया

रामु काका - आआआआह्ह ऐसे ही बहु।
आरती चुपचाप अपने काम में लग गई थी धीरे उसके लण्ड को अपनी गिरफ़्त में सख्ती से पकड़कर मसलने लगी थी और खुद ही अपने सीने पर घिसने लगी थी और अब भी वैसी ही उसके जाँघ पर लेटी हुई थी और रामु काका को पूरी आजादी दे रखी थी जो चाहे करे और रामु काका भी कोई चूक नहीं कर रहा था अपने हाथों को पूरी आजादी के साथ आरती के शरीर पर फेर रहा था उसके नितंबों तक अपने हाथों को ले जाता था अब तो वो और धीरे से दबा भी देता था उसके लण्ड को पूरा समर्थन आरती की ओर से मिल रहा था सो वो तो जन्नत की सैर कर रहा था पर आरती की भूख थी जो सिर्फ़ इससे ही मिटने वाली नहीं थी वो खुद थोड़ा सा आगे हो जाती थी ताकि रामु का हाथ उसके नितंबों के आगे भी बढ़ सके रामु एक खेला खाया खिलाड़ी था


वो जानता था कि आरति को अब क्या चाहिए पर वो तो इस खेल को आराम से खेलता था और फिर बाद में जोर लगाता था पर अभी वो समय नहीं था उसे जल्दी करना था सो उसने अपने हाथों से आरती की साड़ी को
पीछे से ऊपर की ओर खींचना शुरू किया आरती ने भी कोई विरोध नहीं किया बल्कि अपने नितंबो को उठाकर उसे और भी आसान कर दिया था उसके हाथों पर आए हुए लण्ड को वो बुरी तरह से निचोड़े जा रही थी और जब, कुछ आगे का नहीं सूझा तो उसे अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी थी रामु क अंदर ही अंदर खुश हो रहा था और बहु की पैंटी को थोड़ा सा नीचे की ओर खिसका कर अपनी उंगली को उसके चुत तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा था आरती ने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए उसे आसान कर दिया था

और धीरे से वो उंगली उसकी चुत में समा गई थी ् गीली और तड़पती हुई वो जगह जहां रामु कई बार आचुका था फिर भी एक नया पन लिए हुए थी आरती के होंठों का स्पर्श इतना अग्रेसिव था कि रामु को लगा कि वो कही उसके मुख में ही ना झड जाए वो भी जल्दी में था सो उसने आरती को खींचकर बिठा लिया था और एक ही झटके में उसकी पैंटी को उसकी कमर से निकालने के लिए नीचे की ओर झुका था आरती बैठी हुई रामु को झुके हुए देख रही थी कि उसकी नजर सामने दरवाजे की ओर उठी दरवाजे पर खड़ी सोनल उसे हिरकत भरी नजर में देख रही थी, वो अपनी नजर झुकाती इससे पहले ही बंद हो गई थी, आरती चाह कर भी नही रुक सकी, उसने सोनल को इग्नोर कर दिया।

रामु उसकी जाँघो को किस करता हुआ उसकी चूचियां दबाने लगा था उसकी ब्लाउसको उसने कंधे से गिरा लिया था ब्लाउस इतना खुला हुआ था कि उसे हुक खोलने की जरूरत ही नहीं थी वो कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी और कमर के चारो ओर उसकी साड़ी और पेटीकोट लपेटी हुई थी जांघे खाली थी और उसपर रामु की किस और जीब का आक्रमण था

आरती की आखें बंद थी और सांसो की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी आरती के शरीर का हर हिस्सा जीवित था और बस एक ही इच्छा थी कि रामु का लण्ड उसे चीर दे और रामु के उठते ही वो आसान दिखने लगा था पर रामु उठकर वापस बैठ गया था आरती का एक हाथ उसके कंधे पर था वो उसे किस करता हुआ एकटक आरती की ओर देखता हुआ उसे सामने की ओर झुका कर उसे अपनी गोद में लेने की कोशिश करने लगा था आरती जानती थी कि वो क्या चाहता है उसने भी थोड़ा सा उठ कर उसे आसान बनाया था और वो खुद उसकी गोद में बैठ गई थी रामु का लण्ड किसी बटर को छेदते हुए छुरी की तरह उसकी चुत में उतर गया था आरती के होंठों से एक मदमस्त सी आह निकली थी जो की सोनल के बहुत ही पास उसके कानों तक गई थी आरती अपने दोनों हाथों को रामु के घुटनो पर टिकाए हुए और दोनों टांगों के बीच में बैठी हुई अपने आपको सहारा देने की कोशिश करती जा रही थी रामु काका के धक्के धीरे नहीं थे पर उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी सोनल को जरूर बैचेंन कर रही थी वो दरवाजे पर खड़ी अपनी मम्मी का रंदीपना देख रही थी।

आरती ने आखें खोल कर उसे देखा था और फिर उन झटको का मजा लेने लगी थी रामु काका का हर झटका उसे टांगो से ऊँचा उठा देता था और फिर वापस उसके लण्ड के ऊपर वही बिठा देता था उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी किचन के अंदर के वातावरण को और भी गरमा रही थी पर आरती को इस बात की कोई चिंता नहीं थी वो आराम से अपनी काम अग्नि को शांत करने की कोशिश में लगी थी रामु जो की अब शायद ज्यादा रुक नहीं पाएगा उसकी पकड़ आरती की कमर के चारो ओर कस्ती जा रही थी और उसके होंठों ने उसकी पीठ पर कब्जा जमा लिया था उसके हाथों ने उसकी चुचियों को पीछे से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था और आरती जो कि अब तक दोनों घुटनों का सहारा लिए हुए थी धीरे से पीछे की ओर गिर पड़ी थी और पूरी तरह से रामू के सहारे थी वो अपने हाथों को इधर-उधर करती हुई सहारे की तलाश में थी कि रामु के सिर को किसी तरह से पकड़ पाई थी पर ज्यादा देर नहीं

आरती- रुकना नहीं और चोदो प्लीज

रामु काका- बस बहु थोड़ी देर और मजा आ गया आज तो बहु
आरती- करते रहो जोर-जोर से रामु एयाया आआआआआआआआअह्ह
और एकदम निढाल होकर उसके ऊपर गिर गई थी आरती
रामु काका- बस बहु थोड़ा सा और साथ दे दो आगे हो जाओ

आरती ने उसकी बात मान ली थी और आगे की ओर होती हुई फिर से दोनों घुटनो को कस्स कर पकड़ लिया था और हर एक सांस उसकी सोनल के कानों में पड़ रही थी। रामु काका भी अपने मुकाम पर जल्दी ही पहुँच गया था

रामु- वाह बहु वाह मजा आआआआआआआआआअ हमम्म्मममममममममममममममममममम
और आरती की पीठ पर झुक गया था वो आरती भी थक कर टांगो पर झुकी हुई थी पर वो थकान एक सुख दायी थकान थी हर अंग पुलकित सा था और हर वक़्त एक नया एहसास को जगा रहा था आरती की चुत अब भी सिकुड कर रामु के लण्ड को अपने अंदर तक समेट कर रखना चाहती थी रामु की आखिरी बूँद भी नीचूड़ गयी थी और
वो सांसों को कंट्रोल करते हुए वास्तविकता में लौट आया था और आरती की कमर और जाँघो को एक बार अपने खुरदुरे और सख़्त हाथों से सहलाते हुए धीरे-धीरे अपने आपको शांत करने में लगा हुआ था आरती भी थोड़ा बहुत शांत हो गई थी और धीरे-धीरे सामान्य होने लगी थी। रामु काका अपने आपसे ही धीरे से आरती को उठाकर अपने अलग किया था और
सामने सोनल को खड़ी देखकर अपनी औकात में आ गया। आरती और रामु काका ने अपना चेहरा झुका लिया था
सोनल--कितने बेशर्म है दोनो, कोई चिंता ही नहीं कोई देख ले तो क्या सोचे।
सोनल गुस्से में मुड़कर अपने कमरे में चली जाती है,

सोनल कमरे में जाकर सोचती है ये रामु ऐसे नही मानेगा। ये मम्मी को बहकाता रहेगा इसका कुछ न कुछ करना ही होगा,
सोनल कुछ सोचक्र कविता के पास फ़ोन करती है, और उसको मिलने को कहती है,
सोनल कुछ देर बाद कविता से मिलने को निकल जाती है, दोनो एक रेस्टोरेंट में मिलती है,
सोनल कविता को विस्वास में लेकर अपनी मम्मी की रामू के साथ कि सभी गतिविधिया बता देती है,
कविता चोंकते हुए की उसकी बुआ एक नॉकर से चुदती है,
कविता-- क्या सोनल सच मे आरती बुआ तुमारे बुड्ढे नॉकर से चुदतीहै?
सोनल-- हम्म।
कविता-- फिर अब क्या चाहती है,
सोनल-- मैं चाहती हु कि इस रामु को सबक सिखाया जाए कैसे भी करके बस।
कविता--- क्या सोच रही है इसके लिए।
सोनल कविता को अपना प्लान समझाती है।
कविता भी उससे सहमत होती है, दोनो प्लान करके घर वापिश आ जाती है, शाम को ही कविता अपने घर पर ये बोल देती है कि अभी उसका यहा मन नही लग रहा इसलिए वो सोनल के पास रहेगी कुछ दिन और सोनल के पास आ जाती है, सोनल और कविता अपना प्लान स्टार्ट कर देती है, प्लान के अनुसार कविता को रामु काका को उस्काना था

कविता एकदम सेक्सी गोरी चिट्टी है। जिसके इतने गोरे बूब्स है कि दूध का रंग भी कविता के बूब्स के आगे फीका लगने लगे। कविता ने ब्रा डालना छोड़ दिया और डिल्ली टीशर्ट डालकर हमेशा रामु के सामने रहने लगी। रामु भी नजर बचाकर कविता के बूब्स को देखा करता था और सोचता रहता था कि काश में भी इन बूब्स को चूसकर अपनी प्यास बुझाऊँ। कविता की गांड तो गोल गोल तरबूज जैसी हो गयी थी.. जब भी कविता किसी बहाने से झुकती तो रामू काका कविता के बूब्स देखने के लिए तैयार रहता और कविता ने उसके बूब्स को देखते हुए रामु काका देख लिया था.. इसलिए वो जानबूझ कर अपने बूब्स दिखाने की कोशिश करती।
अब रामु की लगने लगा कि शायद ये लड़की उससे चुदना चाह रही है, जैसे आरती कर रही थी।

फिर कविता जब भी नहाती थी तो रामु उसके नहाने के बाद उसके बाथरूम में घुस जाता था किसी बहाने से और उनकी ब्रा जो की 36 नंबर की थी और वो उनकी पेंटी को जमकर चूसता था और उसकी पेंटी में रामु को तो ना जाने उसकी चूत के रस की ऐसी क्या सुगंध थी कि कई कई बार तो पेंटी को अपने मुहं में पूरा डाल लेता था। कविता की बाजुओ के नीचे के हिस्से में से जो सुगंध थी वो रामु उसके कपड़ो में से सूंघता था। कविता के जिस्म की मदहोश कर देने वाली खुश्बू रामु उसके कपड़ो में सूंघता था और रामु एक दो बार कविता को कपड़े बदलते हुए भी देख चुका था। फिर इतनी गोरी और सेक्सी लड़की को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था। एक दिन कविता अपने कपड़े बदल रही थी तो रामु खिड़की में से कविता के बूब्स और उनकी गोरी और मोटी गांड को देख रहा था और कविता की गोरी गांड को देखते ही उसके मुहं में पानी आ गया और रामु उसकी गांड देखकर मदहोश सा हो गया था।
कविता के गोरे चूतड़ो ने रामु काका को दीवाना बना दिया था और रामु कविता के चूतड़ो को चाटने के ख्याल मन ही मन सोचने लगा और रामु इन ख्यालो में खो गया और रामु ख्यालो से तब बाहर आया जब सोनल ने अपने कमरे से बाहर आकर रामु को एक जोरदार चांटा उसके मुहं पर मारा तो रामू के तो होश ही उड़ गए इतना ज़ोर से चांटा मारने के बाद सोनल का मुहं पूरा गुस्से से लाल था और वो रामु को बालों से घसीटते हुए अपने कमरे में ले गयी और सोनल ने रामु को खींचकर एक और चांटा मारा और बोली कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कि अब मेरी बहन को खिड़की से कपड़े चेंज करते हुए देख रहे थे.. यह तो अच्छा हुआ कि मुझे दिख गया।

तो रामू काका बोले कि सोनल बिटिया सॉरी मुझे माफ़ कर दो.. में आपसे हाथ जोड़कर माफी माँगता हूँ.. प्लीज मुझे माफ़ कर दो।

तो सोनल ने उसके दोनों गालो पर थप्पड़ो की बरसात कर दी और कहने लगी कि आज तक मैने जो देखा इसलिए चुप रही थी कि मेरी मम्मी खुद शामिल थी लेकिन आज तुम ने तो इस घर की मेहमान को नंगा देखने की हिम्मत की.. तुम्हारा तो में आज वो हाल करूँगी कि पूरी जिंदगी में कभी भी तुम किसी लड़की को आँख उठाकर भी नहीं देखोगे और रामु काका को फिर एक कसकर उसके मुहं पर चांटा मारा। फिर रामु के मुहं पर चांटो से जलन होने लगी थी।

रामु सोनल के आगे हाथ जोड़ने लगा प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. लेकिन सोनल ने तो उसका मुहं लाल करने की कसम खा रखी थी। चार और झनझनाते थप्पड़ उसके मुहं पर बरसे और रामु ने अपने मुहं पर हाथ रखा तो सोनल ने एक जोरदार लात उसके लंड पर मारी और बोली कि जब तक मैं ना कहूँ तुम्हारा हाथ चहरे पर नहीं आना चाहिए।
तो रामु काका ने कहा कि जी और रामु ने अपना हाथ नीचे कर लिया। उसके बाद तो सोनल ने एक हाथ से सीधे रामु काका के कान को पकड़ा और उल्टे गाल पर कम से कम जमकर 40 ज़ोर से चांटे मारे.. फिर उल्टे गाल का भी यही हाल किया। फिर रामु तो सोनल के चांटो से बहुत परेशान हुआ पड़ा था और जब उसके गाल पूरे लाल हो गये तो सोनल बोली कि शीशे में देखो। फिर रामु काका शीशे में देखते ही डर गया और उसका मुहं सोनल के चांटो से लाल हुआ पड़ा था। तो सोनल बोली कि अभी तो कुछ भी नहीं हुआ अभी तो तुम्हारा वो हाल करूँगी कि पूरी जिंदगी याद रखोगे। फिर सोनल बोली कि चलो मेरे पैरो पर अपनी नाक रगड़ो।
तो रामु बोला कि बिटिया नहीं मैं यह सब नहीं करूँगा।

फिर सोनल बोली कि तो ठीक है आने दो पापा को मैं उन्हें यह सब बता दूँगी कि तुम कविता को नंगा देख रहे थे और तुम्हारी माशूका आरती को भी। मैने इसलिए तुमारी फ़ोटो खिंच ली थी झांकते की।

तो यह बात सुनते ही रामु काका तो सोनल के पैरो में गिर पड़ा और उसके पैर पकड़ कर बोला कि नहीं बिटिया प्लीज आप यह सब किसी को मत बताना।

तो सोनल बोली कि जैसा में कहूँ चुपचाप वैसा करते जाओ।
तो रामु बोला कि ठीक है बिटिया।

तो सोनल बोली कि चलो मेरे पैरो पर नाक रगड़ो फिर रामु सोनल के पैरो पर नाक रगड़ने लगा।

तो सोनल बोली कि एक नहीं दोनों पैरो पर और फिर रामु उसके दोनों पैरो पर नाक रगड़ने लगा।
कभी सीधे तो कभी उल्टे पैर पर और सोनल ने यह देखते ही उसके बालों को ज़ोर से खींचा और ताबड़तोड़ उसके मुहं पर थप्पड़ो की बरसात कर दी। रामु काका चहरे पर सोनल के थप्पड़ो का पहले से ही इतना दर्द हो रहा था और सोनल ने तो थप्पड़ो की ऐसी बरसात कर दी कि रामु काका तो बस रो ही पड़े।
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