Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:36 PM,
#68
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती को वही बैठाकर वो अंदर चला गया बूढ़ा सा था कमर झुकी हुई पर एकदम सॉफ सुथरा था एक और नौकर उसके लिए पानी का ग्लास ले आया और वही टेबल पर रखता हुआ चला गया
नौकर- जी मेमसाहब आपको ऊपर बुलाया है
आरती उठी और ड्राइंग रूम से निकलकर सीढ़िया चढ़ती हुई उसके कमरे की ओर बढ़ी
ऋषि कॉरिडोर में ही खड़ा था
ऋषि- आइए भाभी बस मुझे आपको मेरा कमरा दिखाना था आइए ना
और बड़े ही नजाकत से आरती के हाथ को पकड़कर उसे अपने कमरे की ओर ले चला था जाते जाते उसने उसके हाथ को एक बार चूमा था आरती ने झटके से पीछे मुड़कर देखा

ऋषि- नहीं भाभी यहां नौकरो को ऊपर आना मना है जब तक बुलाया नहीं जाता यहां का मैं राजा हूँ अब पहले रीना दीदी और मैं थे अब सिर्फ़ मैं।

और उसे अपने कमरे में ले आया कमरा बहुत ही सजा हुआ था बहुत सी चीजे थी कुछ कलेक्ट किए हुए थे और कुछ खरीदे हुए भी फूल और गमले भी था बहुत सी पैंटिंग भी पर एक बात जो अजीब थी वो था रंग रेड पिंक और येल्लो कलर की चीजे ज्यादा थी

आरती- धरमपाल जी कहाँ है दिखे नहीं

ऋषि- अरे पापा तो भैया के साथ हैदराबाद गये है ना पर्ल्स की खेती देखने भैया ने नहीं बताया

आरती- हाँ… याद आया भूल गई थी चलो चलते है

ऋषि- बैठिए ना भाभी जल्दी क्या है
बड़े ही नाटकीय ढंग से उसने कहा था

ऋषि- वो गुंडा भी आया है


आरती- हाँ… बुलाऊ उसे तेरी बड़ी तारीफ़ कर रहा था

ऋषि- नहीं बाबा तारीफ मेरी क्या कह रहा था बताइए ना प्लीज।
आरती ने देखा कि अचानक ही उसमें एक बड़ा बदलाव आ गया था जो अभी थोड़ी देर पहले उसके लिए गुंडा था उसने क्या कहा था ऋषि के बारे में जानने की कितनी तीव्र इच्छा थी उसमें यह तो लड़कियों में ही देखा था
आरती- कह रहा था कि ऋषि बाबू मुझे बहुत अच्छे लगते है
आरती ने झूठ कहा

ऋषि- हाई राम देखो कैसा है ना वो भाभी कोई ऐसा कहता है क्या छि

आरती- क्यों क्या हुआ अच्छा लगता है तो इसमें कोई बुरी बात है क्या

ऋषि- छी भाभी कितना बदमाश है ना वो कहाँ है

आरती- नीचे है बुलाऊ

ऋषि- नहीं बाबा मुझे तो डर लगता है उससे क्या करेंगे बुला के
झट से पलट गया था ऋषि। आरती के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई थी भोला ठीक ही कह रहा था ठीक नहीं है ऋषि और पता नही क्या-क्या पता है भोला को

ऋषि- बताओ ना भाभी क्या करेंगे बुलाकर
मचलता हुआ सा ऋषि बेड पर बैठा हुआ था आरती वही पर सोफे पर बैठी थी

आरती- बुला कर पूछेंगे कि बता क्यों अच्छा लगता है ऋषि है ना

ऋषि- छी भाभी क्या करेंगे बताइए ना

आरती को नहीं मालूम कब और कैसे वो लोग बैठे बैठे भोला के बारे में बातें करने लगे और उसे कमरे में भी बुलाने की बातें होने लगी आरती को भी मजा आने लगा था ऋषि के मचलने और इस तरह से बातें करने से वो भी अब भोला से ऋषि को उलझाने के बारे में ही सोच रही थी देखूँ तो क्या करता है ऋषि एक बार भोला अगर इस कमरे में आ जाता है तो

ऋषि- बुलाएँ भाभी

आरती- हाँ बुला पर देखना बाद में पलट मत जाना ठीक से धमकाना उसे ठीक है

ऋषि- जी और झट से इंटरकम उठाकर नीचे कोई नंबर डायल किया और उसे भोला को ऊपर आने को कहा

दोनों बैठे हुए भोला के आने की राह देख रहे थे ऋषि को देखते ही लगता था कि कितना उत्तेजित था वो बार-बार इधर उधर चलते हुए वो कभी आरती की ओर देख रह था और कभी डोर की ओर एक हल्की सी आहट ने दोनों का ध्यान डोर की ओर भींचा

ऋषि- हाँ अंदर आ आओ प्लीज

भोला अंदर आ गया वैसे ही सख्त सी आखें लिए और बिना कोई घबराहट के अंदर आते ही उसने पैरों से डोर को बंद कर दिया और सिर नीचे किए खड़ा हो गया

आरती के तो हाथ पाँव फूल गये थे भोला को कमरे में देखते ही पर उसका अपना ध्यान पूरे टाइम ऋषि की ओर ही था वो देख रही थी कि ऋषि क्या करता है

ऋषि- कहिए क्या बोल रहे थे आप भाभी को हाँ…

लड़कियों जैसी आखें मटकाकर और हाथ नचा कर वो एक बड़े ही नाटकीय ढंग से बड़ी ही मीठी सी आवाज में बोला जैसे डाट नहीं रहा हो बल्कि थपकी देकर पूछ रहा हो

आरती के चहरे में एक हल्की सी मुश्कान दौड़ गई थी

भोला- कुछ नहीं भैया वो तो बस में मजाक कर रहा था क्यों आपको बुरा लगा

ऋषि एक बार आरती की ओर देखता हुआ फिर से भोला की ओर देखता रहा कमरे में एक अजीब सी गंध भर गई थी शायद वो भोला से आ रही थी पसीने की या फिर पता नहीं पर थी जरूर

ऋषि- हमें यह सब अच्छा नहीं लगता अब से आप ऐसा नहीं करेंगे ठीक है

भोला- जी भैया पर आप है ही इतने अच्छे कि तारीफ करने का मन करता है इसलिए किया और मेमसाहब तो अपनी है इसलिए कोई डर नही था इसलिए कह दिया माफ़ कर दीजिए

कहते हुए भोला अपने घुटनों पर बैठ गया। आरती अजीब सी निगाहे गढ़ाए भोला को देख रही थी वो गुंडा जिसने कल उसे अनजान दो आदमी के साथ चुदने पर मजबूर किया था आज अभी यहां आते ही पलट गया और वो भी इस ऋषि के सामने इस तरह से घुटनों के बाल गिर के माफी माँग रहा है उसे तो एक बार बहुत गुस्सा आया पर अपनी ओर देखती हुई भोला की आखों में उसे कुछ और ही दिखाई दिया

ऋषि- ठीक है आगे से ध्यान रखिएगा ठीक है
और वो चलता हुआ भोला के पास चला गया जैसे उसे हाथ लगाकर उठाने की कोशिश कर रहा था

पर भोला वैसे ही बैठा रहा और ऋषि को अपने कंधे पर अपनी हथेलियो को फेरने दिया वो और झुका और, ऋषि के पैरों पर गिर पड़ा और माफी माँगने लगा था

ऋषि उसके पास बैठा गया और उसे ढाँढस बढ़ाने लगा था वो उसके बालों को और कंधों को सहलाते हुए उसे प्यार से सहला रहा था भोला भी वही बैठा हुआ उसकी हरकतों को देख रहा था

आरती बैठी बैठी उन दोनों को देख रही थी, जैसे कि कोई प्रेम मिलाप हो रहा हो पर देखते-देखते सबकुछ कैसे चेंज हो गया वो समझ ही नहीं पाई थी वो देख रही थी कि भोला की हथेलिया ऋषि की पीठ पर घूम रही थी और वो धीरे धीरे उसे सहला रहा था और ऋषि उसके बालों को दोनों बहुत नजदीक थे जैसे उन्हें यह ध्यान ही नहीं था कि आरती भी इस कमरे में है

भोला बहुत चालाक है वो यह बात जानता था कि ऋषि एक गे है पर कभी हिम्मत नहीं की थी अटेंप्ट की पर आज आरती की वजह से उसे यह मौका भी मिल गया था वो आज इस मौके को हाथ
से नहीं जाने देने चाहता था और इसके साथ एक फायेदा और भी था वो आरती के शरीर में एक आग ऐसी भी भर देगा जिससे कि वो कभी भी उसे किसी भी बात से मना नहीं कर पाएगी यही सोचता हुआ वो धीरे बहुत ही धीरे आगे बढ़ रहा था वो जो नाटक कर रहा था वो जानता था कि वो उसे किस तरफ ले जाएगी वैसा ही हुआ ऋषि उसके पास आ गया और फिर शुरू हो गया वो खेल जो वो खेलना चाहता था एक ऐसा खेल जिसे वो जिंदगी भर खेलना चाहता था अपनी मेमसाहब के साथ


आरती की आखों के सामने ऋषि भी अपनेआपको नहीं रोक पा रहा था पर अपने हाथो को भी वापस नहीं खींच पा रहा था वो अब भी भोला के कंधों पर अपनी हथेलियो को घुमाकर उसके बालिस्ट शरीर और उसके बालों को सहलाकर उसकी कठोरता का एहसास कर रहा था वो जानता था कि आरती की नजर उसपर है पर वो मजबूर था अपने आपको रोकने की कोशिश भी नहीं की शायद वो जानता था कि भाभी उसे कुछ नहीं कहेगी

वो भी शायद इस मौके का इंतजार कर रहा था और आज से अच्छा मौका उसे कहाँ मिलेगा आज भाभी के साथ भोला भी उसके कमरे में था और भोला की सख्त हथेलियाँ उसकी पीठ पर घूम रही थी ऋषि आज बेकाबू होने लगा था

उसने एक बार भाभी की ओर नजर उठाकर देखा शायद पूछ रहा था कि क्या आगे बढ़ुँ पर आरती की आखों में एक हैरत भरी और जिग्याशा होने के कारण वो वापस भोला की ओर मुड़ गया और अपने हाथो को फिर से उसके कंधो पर घुमाने लगा था

ऋषि- ठीक है अब उठिए अब से ऐसा नहीं कहिएगा जो कुछ कहना है हम से डाइरेक्ट कहिएगा ठीक है
और वो खड़ा होने लगा था कि भोला एकदम से उसके पैरों पर गिर पड़ा और उसके गोरे गोरे पैरों को जिसमें की नेल पोलिश भी लगाया हुआ था अपनी जीब से चाट-ते हुए फिर से माफी माँगने लगा था

ऋषि को एक झटका सा लगा था वो फिर से बैठ गया और अपने दोनों हाथों से भोला के कंधों को पकड़कर ऊपर उठाने लगता पर ऋषि का जोर इतना था कि वो भोला जैसे सांड़ को उठा या हिला भी पाए सो भोला खुद ही उठा और अचानक ही आरती दंग रह गई जो कुछ उसके सामने घट गया वो चकित रह गई और एक मूक दर्शाक के समान बैठी हुई भोला को और ऋषि को एकटक देखती रह गई थी

भोला का एक हाथ ऋषि के गले के पीछे से कस कर जकड़ रखा था और एक हाथ उसकी ठोडी पर था और उसके होंठ उसके होंठों पर थे और खूब जोर से भोला ऋषि को किस कर रहा था जोर से मतलब इतनी जोर से कि ऋषि एक बार तो तड़प कर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगा था पर धीरे-धीरे शांत हो गया था और भोला की बाहों में झूल गया था भोला ने एक ही झटके में ऋषि को उठाया और उसके बेड की ओर चल दिया उसके होंठ अब भी उसके होंठों को सिले हुए थे

और बेड पर बिठाते ही उसने अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद कर दिया ऋषि की सांसें फिर से चलने लगी थी एक लंबी सी और उखड़ी हुई सांसों से कमरा भर गया था ऋषि को बिठाने के बाद भोला ने आरती की ओर पीठ कर लिया था ऋषि का चहरा भी उसे नहीं दिख रहा था आरती किसी बुत की तरह सोफे में बैठी हुई भोला और ऋषि की हरकतों को देख रही थी
ऋषि और भोला को जैसे चिंता ही नहीं थी कि आरती भी वहां बैठी है या कोई शरम हया नहीं बिल्कुल बिंदास दोनों अपने खेल में लगे हुए थे सबसे आश्चर्य की बात थी ऋषि की, उसने भी कोई आना कानी नहीं की और नहीं कोई इनकार या अपने आपको छुड़ाने की कोशिस लगता था कि जैसे वो इंतजार में ही था कि कब भोला उसके साथ यह हरकत करे और वो इस खेल का मजा ले
आरती के देखते-देखते ही ऋषि का टी-शर्ट हवा में उछल गया और वो सिर्फ़ जीन्स पहने बैठा था बेड पर और भोला उसके सामने उसके खाली शरीर को अपने सख्त और कठोर हाथो से सहला रहा था ऋषि की सांसों से पूरा कमरा भरा हुआ था बहुत तेज सांसें चल रही थी उसकी

उसके हाथ भी भोला के शरीर पर घूमने लगे थे जो की आरती देख रही थी पतली पतली उंगलियों से वो भोला को कस्स कर पकड़ने की कोशिश कर रहा था उसकी कमर के चारो ओर से और अपने हाथो को भोला की टी-शर्ट के अंदर भी घुसना चाहता था भोला ने भी देर नहीं की और एक बार में ही अपना टी-शर्ट उतार कर वही बेड पर रख दिया और फिर से ऋषि के सामने खड़ा हो गया था ऋषि के दोनों हाथ उसके पेट से लेकर उसके सीने तक घूम रहे थे और उसके होंठों जो की आरती को नहीं दिख रहे थे शायद उसकी नाभि और पेट और सीने के पसीने का स्वाद ले रहे थे आरती अपने सामने होते इस खेल को देख कर एकदम सन्न रह गई थी सुबह सुबह उसके शरीर में जो आग लगी थी वो अब भड़क कर ज्वाला बन गई थी अपने जीवन काल में उसने इस तरह का खेल कभी नहीं देखा था वो अपने सोफे में बैठी हुई एकटक दोनों की ओर देखती जा रही थी और बार-बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको काबू में रखने को कोशिश कर रही थी आरती की नजर एक बार भी नहीं हटी थी उनपर से हर एक हरकत जो भी उसके सामने हो रही थी वो हर पल की गवाह थी उसकी आँखो के सामने ही धीरे से भोला की जीन्स भी नीचे हो गई थी और जो उसने जीवन में नहीं देखा और सोचा था वो उसके सामने हो रहा था

ऋषि के हाथों में भोला का लण्ड था और भोला उसकी ठोडी को शायद पकड़कर सहला रहा था आरती ने थोड़ा सा जिग्याशा बस थोड़ा सा झुक कर देखने की कासिश की पर नहीं दिखा भोला की जीन्स के नीचे होने से उसकी मैली सी अंडरवेअर जो की बहुत जगह से फटी हुई थी और ढेर सारे छेद थे उभर कर उसके सामने थी पर भोला को कोई फरक नहीं पड़ता था वो अपने खेल में मग्न था और ऋषि के गालों को सहलाते हुए अपने लण्ड को उसके हाथो में खेलने को दे दिया था ऋषि भी शायद उसके लण्ड से खेल रहा था या क्या उसे नहीं दिख रहा था

पर इतने में भोला ने घूमकर एक बार आरती की ओर देखा और आखों से उसे अपने पास बुलाया आरती जैसे खीची चली गई थी कैसे उठी और कैसे वो भोला और ऋषि के करीब पहुँच गई उसे नहीं पता पर हाँ… उसके सामने अब सबकुछ साफ था उसे सबकुछ दिख रहा था ऋषि के लाल लाल होंठों के बीच में भोला का काला और तगड़ा सा लण्ड फँसा हुआ था दोनों हाथो से वो अपनी आखें बंद किए भोला के लण्ड का पूरा स्वाद लेने में लगा हुआ था आरती की ओर उसका ध्यान ही नहीं था पर आरती के नजदीक पहुँचने के साथ ही भोला ने आरती की कमर में अपनी बाँहे डालकर एक झटके में अपने पास खींच लिया और एकदम सटा कर खड़ा करलिया भोला की सांसें उखड़ रही थी और वो आरती के गालों को अपनी नाक और होंठों से छूते हुए
भोला- देखा मेमसाहब कहा था ना

आरती की नजर एक बार भोला की ओर गई और फिर नीचे ऋषि की ओर वो कितने प्यार से भोला के लण्ड को चूस रहा था अपनी जीब को बाहर निकाल कर और अपने होंठों के अंदर लेजाकर, बहुत ही धीरे धीरे बहुत ही प्यार से

आरती का हाथ अपने आप उठा और भोला के बाकी बचे हुए लिंग के ऊपर चला गया उसकी पतली पतली उंगलियां ने एक बार उसके उस पत्थर जैसे लण्ड को छुआ और भोला की ओर देखने लगी

जैसे पूछ रही ओ, छू लूँ में भी

भोला की आखों में एक चमक थी जो कि आरती सॉफ देख सकती थी वो अब भोला के सुपुर्द थी भोला वो भोला जो हमेशा से ही उसका दीवाना था और आज तो उसके सामने ही ऋषि के साथ वो खेल खेल रहा था जिसके बारे मे आरती ने जिंदगी में नहीं सोचा था

भोला की गिरफ़्त आरती की कमर में कस रही थी वो आरती को और नजदीक खींच रहा था जैसे की उसकी कमर को तोड़ डालेगा आरती एकदम से टेढ़ी सी होकर उसके साथ सटी हुई थी कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा था कही कोई आवाज नहीं बस थी तो सांसों की आवाज और कुछ नहीं भोला का लण्ड अब ऋषि के होंठों से लेकर उसके गले तक जाने लगा था आरती एक टक नीचे की ओर देखती जा रही थी भोला की पकड़ में रहते हुए और अपने एक हाथों से उसके कंधो का सहारा लिए भोला का उल्टा हाथ ऋषि के सिर पर था जो कि उसे अपने लण्ड पर डाइरेक्ट कर रहा था और ऋषि के सिर को आगे पीछे कर कर रहा था आरती खड़ी-खड़ी अपने हाथों से भोला के पेट को सहलाने लगी थी और एकटक देखती हुई नीचे उसके लण्ड की और बढ़ने लगी थी वो नहीं जानती थी कि क्या और कब और कैसे पर हाँ… उसके हाथ अब उसके लण्ड के चारो ओर थे ऋषि के दोनों हाथ अब भोला की जाँघो पर थे और भोला अपने उल्टे हाथ से उसके सिर को पकड़कर लगातार जोर-जोर से झटके दे रहा था शायद वो अपनी सीमा को लाँघने वाला था उसकी पकड़ आरती की कमर पर भी बढ़ गई थी और कमर को छोड़ कर अब धीरे धीरे उसकी पीठ से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुँच चुकी थी आरती के नरम हाथ भी भोला के लण्ड को उसके गन्तव्य तक पहुँचने में मदद कर रही थी और फिर एक साथ बहुत सी घटनाए हो गई

आरती के होंठ भोला के होंठों से जुड़ गये और एक जबरदस्त चुभन से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि अपने चहरे को भोला के लण्ड से हटाने की कोशिश करने लगा और भोला के हाथ का जोर उसके सिर पर एकदम से सख्त हो गई थी और एक बहुत बड़ी सी सिसकारी और साथ में एक लंबी सी आअह्ह, और उुउऊह्ह, से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि बेड पर गिर गया था पर, अपने सामने भोला और आरती को जोड़े हुए एक दूसरे का लंबा सा चुंबन करते हुए देखता रहा ऋषि के मुख के चारो ओर भोला का वीर्य लगा हुआ था और उसका चहरा लाल था पर अपने सामने का दृश्य देखकर तो वो और भी बिचलित सा हो गया था

आरती को भोला कस कर अपनी बाहों में भर कर उनके होंठों को चूसे जा रहा था और उसके हाथ उसकी पूरी पीठ और बालों को छू रहे थे भोला के कसाव से ऐसा लगता था कि आखिरी बूँद शायद आरती के सहारे ही छोड़ना चाहता था आरती की सांसें रुक सी गई थी और अपने आपको उस खिचाव से बचाने के लिए वो जितना हो सके भोला के बालिश्ट शरीर से चिपक गई थी
पर साथ में ऋषि जो कि बिस्तर पर अढ़लेटा सा पड़ा हुआ उन्हें ही देख रहा था एक अजीब सी चमक के साथ एक आश्चर्य भरा हुआ चहरा था उसका आरती की नजर उसपर नहीं थी पर वो जानती थी कि ऋषि के लिए यह एक अजूबा था वो सोच भी नहीं सकता था कि भाभी भी उसका इस खेल में साथ देगी या फिर उसके सामने ही भोला उसे किस भी करेगा

आरती ने किसी तरह से अपने होंठों को चुराया और हान्फते हुए अपने सांसों को कंट्रोल करती हुई
आरती- यहां नहीं प्लीज़ भोला छोड़ो मुझे प्लीज

भोला- जी मेमसाहब पर आप साड़ी में ज्यादा सुंदर लगती हो आआआह्ह उूुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममम

और शायद भोला की हिम्मत जबाब दे चुकी थी

भीमा खड़ा-खड़ा एक बार फिर से आरती के होंठों को सॉफ करता हुआ अपने आपको बेड के किनारे बिठा लिया

आरती अपने को अचानक ही आजाद पाकर जैसे चैन की सांसें ली हो पर वो ही जानती थी कि वो अपने को कैसे कंट्रोल किया था उसका शरीर जल रहा था पर मजबूर थी वो शायद ऋषि नहीं होता तो झट से तैयार भी हो जाती पर भोला को रोकने का मतलब उसका कही से नहीं था की वो रुक जाए पर भोला तो जैसे नमक हलाल आदमी था आरती के कहने भर से एक झटके में उसे छोड़ कर बैठ गया आरती किसी तरह लड़खड़ाते हुए पीछे की ओर हुई और खाँसते हुए और अपनी सांसों
को कंट्रोल करते हुए जल्दी से चेहरा घुमाकर वापस सोफे की ओर रवाना हो गई अभी-अभी जो उसने देखा था वो एक अजूबा था वो इस तरह की कोई एपिसोड के बारे में आज तक सोच नहीं पाई थी और ऋषि जैसे लड़के के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं पर जो देखा था वो सच था कहीं से कहीं तक झूठ नहीं था उसकी नजर जब वापस भोला और ऋषि पर पड़ी तो वो दोनों ही उठकर अपने कपड़े ठीक कर रहे थे और वो एक मूक दर्शक के समान उनको देख रही थी

भोला झट से बिना कुछ कहे बाथरूम की ओर चला गया और थोड़ी देर में वापस आके कमरे में कुछ ढूँडने लगा फिर ऋषि की ओर देखता हुआ
भोला- इस डब्बे में क्या है
ऋषि कुछ बुक्स है क्यों
भोला- नीचे ले जा रहा हूँ और तुम्हारा बैग कहाँ है
ऋषि- जी वहाँ
भोला बिना किसी इजाज़त के ही बैग और वो बाक्स उठाकर कमरे से बाहर की ओर जाने लगा
भोला- देर हो गई है जल्दी करो
आरती और ऋषि के चहरे पर एक चिंता की लकीर खिंच गई थी हाँ… 12 00 बज गये थे बाप रे इतना टाइम हो गया
आरती भी अपने कपड़े ठीक करते हुए और ऋषि भी अपने कपड़े ठीक करता हुआ जल्दी से नीचे की ओर चल दिया और गाड़ी फैक्टरी की ओर दौड़ पड़ी ऋषि आरती और भोला सब चुप थे पर बहुत कुछ कहना और सुनना बाकी था शायद एक अजीब सी चुप्पी थी थोड़ी देर में ही फैक्टरी आ गयी और गाड़ी आफिस के सामने रुक गई जब तक भोला उतर कर आता तब तक दोनों जल्दी से उतर कर आफिस में घुस गये थे। और झट से अपने आफिस की ओर चल दी थी
आफिस में घुसते ही वो जल्दी से टाय्लेट की ओर भागी और रिलीस करके जब बाहर निकली तो ऋषि वही बैठा हुआ वाउचर्स को देख रहा था
ऋषि- आई म सारी भाभी
आरती- क्यों क्या हुआ
ऋषि- जी वो मेरे कारण आज भोला ने आपके साथ प्लीज भाभी माफ करदो
आरती- ठीक है अब काम कर और जल्दी
आरती उसे काम देकर अपने काम में उलझ गई थी पर हर बार उसकी आखों के सामने एक ही दृश्य घूम रहा था और बार-बार अपनी जाँघो को खोलकर टेबल के नीचे ही वापस चिपका रही थी जाँघो के बीच में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी उसे कोई ना कोई चाहिए भोला रवि रामु या फिर लाखा कोई भी पर चाहिए अभी
पर अभी कैसे आफिस में और यह ऋषि भी तो यही बैठा है मरता क्यों नहीं यह आज आरती को बहुत गुस्सा आरहा था ऋषि पर देखने में तो कोई हीरो जैसा था पर है हिजड़ा पर क्या करे। आरती आज तो वो बिल्कुल पागल हो जा रही थी जैसे कि वो खुद ही अपने सारे कपड़े खोलकर ऋषि को बोले की चाट कर मुझे रिलीस कर पर परिस्थिति उसके अनुरूप नहीं थी अभी वो आफिस में थी और यहां यह पासिबल नहीं था

पर ऋषि पर से उसका ध्यान नहीं हट रहा था बार-बार उसकी और अपना ध्यान ना ले जाने के लिए वो अपने आपको पेपर्स में उलझा रही थी पर जाने क्यों गुस्सा बढ़ता जा रहा था और फिर पेन को टेबल पर पटक-ते हुए
आरती- ऋषि जा थोड़ा घूमकर आ
थोड़ी उची आवाज थी उसकी
ऋषि- कहाँ जाऊ
बड़े ही भोलेपन और आश्चर्य से आरती की ओर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से देखता हुआ वो बोला
आरती- कही भी पर मेरे सामने से हट और हाँ… कल से तेरे लिए में दूसरा केबिन खुलवा देती हूँ तू उसमें ही बैठना ठीक है
ऋषि- क्यों भाभी
आरती- बस ऐसे ही
ऋषि एकदम से रुआसा सा हो गया था कुछ नहीं समझ में आया पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि भाभी उससे नाराज है और गुस्से में भी पर क्यों उसे नहीं पता टुकूर टुकूर आरती की और देखता रहा पर कोई नतीजे पर नहीं पहुँचा।
फिर आरती पूरा दिन फैक्टरी और शोरूम के काम मे बिजी रही।
आरती किसी तरह से अपना काम खतम करते हुए जल्दी से घर जाना चाहती थी ऋषि को घर छोड़ कर आरती को भी अपने घर ड्रॉप करके भोला चला गया पर आरती के शरीर में जो आग वो लगा गया था उसने आरती को जलाकर रख दिया था घर पहुँचते ही उसकी नजर फिर से रामु की ओर चली गई थी पर सोनल के होते यह बात कम से कम अभी तो पासिबल नहीं थी।

घर पहुँचकर भी आरती अपनी आग में जलती रही पर सोनल को उसने इतना एंगेज कर लिया था अपने साथ की वो थोड़ा सा अपने आपको भूल गई थी पर खाना खाने के बाद तो जैसे उससे रुका नहीं गया था।
तभी सोनल बोली कि मम्मी अब करे बात।


आरती-- मैं कुछ देर बाद मे तुमारे रूम में आउन्गि फिर बताना कि तुम क्या चाहती हो .

आरती के जाने के बाद सोनल सोचने लगी कि मम्मी से क्या कहू कि वो क्या करें मेरे लिए लेकिन कुछ भी समझ नही आ रहा था। फिर सोनल अपने रूम में जाकर आराम से लेट गयी कि जब मम्मी आएगी तब देखा जाएगा .

10 बजे के करीब आरती आ गई और सोनल उठ के बैठ गयी।

आरती भी सोनल के पास आ के बैठ गई। सोनल को कुछ भी समझ नही आ रहा था कि वो मम्मी से क्या बात करे।

फिर मम्मी ने कहा कि सोनल बताओ तुम क्या चाहती हो लेकिन सोनल चुप रही।

आरती ने फिर पूछा तो सोनल ने कहा कि मम्मी आप ये सब क्यो करती हो तो आरती ने कहा कि सोनल तुम इन बातों को छोड़ो और ये बताओ कि तुम क्या चाहती हो।

सोनल ने कहा कि मैं ये ही चाहती हूँ कि आप ये सब छोड़े दो

आरती ने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया और चुप चाप बैठी रहीं

सोनल ने कहा कि मम्मी क्या हुआ तो आरती ने कहा कि सोनल तुम इस नशे को नही जानते ये बहुत बुरा नशा है

सोनल ने कहा कि मम्मी आप कोशिस तो करो मैं आप का साथ दूँगी.

सोनल की बात पे आरती कुछ देर उसे देखती रही और फिर बोली क्या तुम छोड़ दोगी सोनल ये सब।

तो सोनल ने अपना सर झुका लिया लेकिन कहा कुछ नही फिर बोली-- हां मम्मी साथ हु आपके ।

आरती ने कहा कि ठीक है मैं चलती हूँ और आरती चली गई

आरती के जाने के बाद सोनल के दिल मे आया कि अगर मम्मी बाहर जा के ये सब करना नही छोड़ेंगी तो लोगों को जैसे जैसे पता चलेगा वैसे ही हमारी बदनामी होगी . ये सब सोचते हुए सोनल लेट गयी और सोचते सोचते गहरी नींद में चली गयी।
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:36 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,417,598 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 535,068 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,198,233 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 905,692 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,606,841 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,040,750 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,884,687 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,834,894 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,948,218 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 277,207 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)