Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:35 PM,
#67
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
पूरा दिन आरती अपने कमरे में रहती है, शाम को आरती नीचे आकर रामु से डिनर के बारे में पूछती है,
फिर इशारे से सोनल के बारे में पूछती है, रामु उसे हल्की आवाज में बताता है कि कमरे में होगी। आरती वापिश डाइनिग हाल में आती है और सोफे पर बैठ जाती है, कुछ सोच कर सोनल के कमरे की तरफ बढ़ती है,

जैसे जैसे आरती देखने के लिए सोनल के रूम की तरफ जा ही रही थी कि उसे सोनल के रूम से कुछ सिसकियाँ और आहें बाहर आती सुनाई दी ..एक एक्सपीरियेन्स्ड औरत को समझते देर नही लगी की उसकी बेटी के बंद कमरे मे आख़िर चल क्या रहा है ..आरती को लगा कि सोनल ने वापिश उस लड़के को बुला लिया है।
उसने ना चाहते हुए भी डोर के की होल से अंदर झाँका तो उसकी आंखें चोंदिया गयी, अबकी बार

दो लड़कियाँ आपस मे चिपकी एक दूसरे को बुरी तरह से चूम रही थी ..बेड के पास रखे लॅपटॉप पर एक लेज़्बीयन मूवी के चलते सीन को दोनो हक़ीक़त का रूप देने मे व्यस्त थी

इस बात से पूरी तरह अंजान कि कमरे के बाहर खड़ी आरती बड़े आश्चर्य से उनकी करतूत पर नीगाह डाले हुए है ..

आरती ने देखा कि कुछ देर बाद दोनो ने अपने कपड़ो को उतार कर दूर फेक दिया ..दूसरी लड़की का चेहरा देखते ही आरती को झटका लगता है, दूसरी लड़की मोनिका थी रामु काका की लड़की।
अब सोनल मोनिका की गोद मे नंगी बैठी थी और मोनिका उसके बूब्स बड़ी बेरहमी से चूस रही थी

कुछ देर बाद नज़ारा तेज़ी से बदला मोनिका ने सोनल की चूत चाट कर उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया एक हाथ से वो खुद की चूत भी मसल रही थी

दोनो लड़कियों ने जी भर कर एक दूसरे की छेड़ - छाड़ का आनंद लिया और ये देख कर आरती बड़े भारी मन से वापिश डाइनिग हाल मे एंटर हुई लेकिन दिमाग मे उथलपुथल मची हुई थी ..आरती की हरकतों का इतना गहरा असर सोनल पर पड़ेगा। आरती ने इसकी कल्पना तक नही थी ..उसने तुरंत अपने पति को इस घटना से रूबरू करवाना चाहा लेकिन रवि का परेशान होना और उल्टा अगर सोनल का उसका राज का पर्दाफाश होने का ध्यान मे आते ही उसने खुद ही सोनल को इस तरह के अप्रकृतिक और बाहरी सेक्स संबंधो से बाहर लाने का विचार किया ..लेकिन कैसे बस वो इसी सोच मे डूबी थी।

तभी कुछ देर में मोनिका सोनल के रूम से बाहर आती है, जैसे ही आरती को हाल में बैठे देखते ही ठिठक जाती है, फिर नजर चुराते हुए आरती को बोलती है,
नमस्ते मालकिन,
आरती उसे घुर कर खा जाने वाली नजरो से देखती है,
तभी
रामू--- अरे मोनिका यहाँ क्या कर रही है।
मोनिका--- बापू वो सोनल बेबी के सर में दर्द था तो उन्होंने सर मालिश के लिए बुलाया था।
रामु-- अच्छा कब आयी मुझे तो मालूम ही नही चला।
तभी सोनल की आवाज आती है,
" क्या अब मोनिका मेरे बुलाने पर नही आ सकती?
रामु सोनल को देखते ही सहम सा जाता है,
नही बिटिया वो बात नही है।

" मम्मी आज खाना नही मिलेगा क्या ? "

तभी टेबल को पीट-ते हुए सोनल चिल्लायी


" क्यों नही मिलेगा ..तूम बैठो बिटिया "

रामू ने जवाब मे कहा और किचन से आकर सीधे ड्रेसिंग-टेबल के सामने आ कर खड़ा हो गया।

रात का खाना रामु काका ने फटाफट टेबल पर लगाया गया ..आरती भी वही आ गयी, बात का बतंगड़ ना बने इसके चलते उसने जल्दी - जल्दी 2 - 3 रोटियाँ अपनी गले से नीचे उतारी और अपने कमरे मे उठ कर जाने लगी ..ना तो एक नज़र उसने सोनल को देखा था ना रामु काका को

" मम्मी आपने तो कुछ खाया ही नही "

ये आवाज़ निकली सोनल के गले से ..जो सिर्फ़ आरती की जल्दबाज़ी पर गौर फर्मा रही थी
" मैने खा लिया है, कुछ फैक्टरी के पेपर्स रेडी करूँगी "
आरती ने जवाब दिया।

आरती हाल से बाहर जा पाती इससे पहले सोनल फिर से बोल पड़ी

" कल आपको मेरे साथ स्कूल चलना है, पैरेंटस मीटिंग है "

आरती बिना जवाब दिए ऊपर चली गयी अपने कमरे में,
सोनल भी खाना निपटा कर सोने के लिए रूम में चली गयी।

आरती के कमरे मे :-

रात के 3 बज गये, पर आरती सिर्फ़ करवटें बदलती रही ..नींद क्या, इस वक़्त तो उसकी आँखें अंगारों सी लाल थी ..रह - रह कर उसके जहेन मे वही नज़ारा घूम रहा था, जब उसकी ' बदचलन ' बेटी अपने से बड़ी एक नोकर की बेटी की चूत चाटने मे व्यस्त थी ..हलाकी अब भी वो सोनल के लिए अपनी ज़ुबान पर इस तरह का घिनोना शब्द प्रयोग मे नही ला पाती ..लेकिन उसकी सोच तो बार - बार यही कह रही थी .. ' उसकी बेटी लेज़्बीयन बन गयी है '

बरसो बीत गये, सोनल कभी घर से अकेली बाहर नही गयी, जाती भी थी तो अपने पापा या उसको साथ ले कर, यहाँ तक कि हर बार बाहर जाने से पहले उसका तर्क होता ' मुझे भीड़ - भाड़ पसंद नही आप लोग चले जाओ ' ..फिर उस पर ' बदचलन ' होने का आरोप लगाना तो स्वयं ब्रम्‍हा के लिए असंभव था ..आरती की क्या औक़ात

" सोनल पहले ऐसी नही थी ..फिर अब क्यों ? "

बस इसी सवाल पर आ कर उसका दिमाग़ काम करना बंद कर देता ..बचपन से ले कर आज तक उसे सोनल से कोई शिक़ायत नही रही थी ..लेकिन आज वो चाहति थी, अभी और इसी वक़्त अपनी बेटी के कमरे मे जाए ..और जी भर के उससे लड़े ..अपने सवाल का जवाब पूच्छे .. ' आख़िर क्यों ? "

" रवि की ग़लती भी कम नही ..पैसे कमाने के चक्कर मे उन्होने अपनी बीवी और बच्चो पर कभी ध्यान नही दिया ..मुझे तो लगता है सोनल के इस अन-नॅचुरल बिहेवियर के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार मैं खुद हु और रवि भी "

अकेली सोनल पर उंगली उठाना आरती से नही हो पाया

लेटे लेटे उसे प्यास लगने लगी ..रात के खाने के बाद से उसने एक घूट पानी भी, गले से नीचे नही उतारा था

" आज तो बॉटल भी साथ नही रख पायी "

वो बेड से उठी ..ज़मीन पर पग धरते ही उसके सर मे तीव्र गति से दर्द महसूस होने लगा ..हलाकी दर्द सर मे नही उसके दिल मे है ..बस गेहन चिंतन मे डूबने से उसकी टीस, दिमाग़ की नसो पर वार कर रही थी

जैसे - तैसे वो अपने कमरे से बाहर आयी और नीचे जाकर किचन मे रखे फ्रिड्ज से बॉटल निकाल कर एक बार ही मे अपने प्यासे गले को तर करने लगी ..पानी से पेट भरना कितना मुश्क़िल होता है जब आप के सामने अन्न का अथाह भंडार रखा हो ..लेकिन सुबह सोनल के बदलाव और शाम में फिर सोनल की शर्मनाक हरक़त को देख कर उसने ठीक से खाना तक नही खा पायी थी

वापसी मे उसके मन मे लालसा उठी .. ' क्यों ना रामु काका से बात की जाए, दिन मे वो भी सोनल के कटाक्ष से चोटिल हुये थे ..लेकिन हादसे के बाद से आरती ने अब तक रामु काका से कोई बात नही की थी '

" कम से कम मैने खाने पर तो उससे पूछा होता ? ' "

उसके कदम रामु काका के कमरे की तरफ बढ़ गये ..ऊपर जाकर हल्के ज़ोर से उसने कमरे का दरवाज़ा खोला, जो अक्सर उसे खुला ही मिलता था ..
अंदर का नजारा देखकर उसकी सांसे थम गई '

कमरे की लाइट जलाने के बाद उसने रामु काका के बिस्तर की तरफ अपनी नज़रें घुमाई

" मोनिका !!!! "

उसके मूँह से ये शब्द बाहर आते - आते बचा ..रामु काका को अपनी बाहों मे समेटे न्नगी हालात में मोनिका उसे, रामु काका के साथ बिस्तर पर लेटी दिखाई दी

क्षन्मात्र मे आरति ने लाइट ऑफ कर दी ..और तेज़ी से दरवाज़ अटका कर अपने कमरे मे लौट आयी

उसके दिल मे लगे घाव को इस सीन ने और भी ज़्यादा ज़ख़्मी कर दिया ..वो तो भला हो उसके शांत स्वाभाव और सैयम का जो वो चीखी नही ..नही तो अभी हाल मोनिका को अपने प्यारे रामु काका के बिस्तर से अलग करवा देती

" लेकिन किस हक़ से ..वो बेटी है उसकी "

एक पल को आरती पॉज़िट्व सोचती और दूसरे पल उसकी थिंकिंग नेगेटिव मे बदल जाती

" वो अब बेटी नही रही उसकी ( मोनिका ) ..प्रेमिका बन गयी है। "

सहसा उसकी आँखों की किनोर छल्छला उठी ..इज़्ज़त बनाने मे ता-उमर बीत जाती है, लेकिन गवाने मे पल भर शेष नही लगता ..एक अच्छी ग्रहणी की सारी छवि धूमिल हो कर, मोनिका उसे अपनी सबसे बड़ी दुश्मन दिखाई देने लगी ..जिसकी वजह से उसका जीवन किसी अंधे कुँए मे दफ़न हो कर रह जाता

" भाड़ मे जाए शादी, बेटी .. ..मैं कतयि अपने रामु को दूसरे का होते नही देख सकती "

इसी के साथ ही उसने अपनी आँखों को ज़ोर से भींच लिया और झूट - मूट सोने का नाटक करने लगी ..सोनल से डरने की मेन वजह थी .. ' उसका कॅरक्टर, उसके उसूल, और सबसे बड़ा उसका दिल '

अब खुद सोनल ने ही ये सब शुरू कर दिया तो काहे का डर। अब सोनल को काबू में करना ही होगा।

खुद का साहस बढ़ा कर उसने सोने की कोशिश की और थोड़ी देर बाद इसमे कामयाब भी हो गयी।

सुबह आरती उठती है और फ्रेश होकर डाइनिग टेबल पर जाती है, रामु काका चाय लेकर आते है लेकिन आरती उसे तवज्जो नही देती। कुछ देर में सोनल भी वही आ जाती है, और चाय मंगाती है, दोनो अपनी अपनी सोच में डूबी हुई थी,
सोनल-- मम्मी चल रही हो न स्कूल?
आरती--क्या क्या कहा तुमने।
सोनल-- पूछ रही हु क़ि आज मेरे साथ स्कूल चलोगी क्या?
आरती-- चलना जरूरी है क्या,
सोनल-- जरूरी था इसलिए बोल रही थी, वर्ना---
आरती-- हम्म ठीक है मैं तैयार होकर आती हु,
कुछ देर में आरती तैयार होकर आ जाती है, सोनल भी रेडी थी, दोनो बाहर आती है तो लाखा कार से पास खड़ा होता है, दोनो को देख कर गाड़ी का गेट खोलता है और दोनो को बैठाकर कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता और दोनो कार से स्कूल चली जाती है,

स्कूल में आरती सोनल की टीचर से मिलती है और उनसे बातचीत करके आ जाती है, सोनल वही कंपाउंड में मिलती है, आरती सोनल को चलने का पूछती है तो वो बाद में आने का कहती है, आरती लाखा के साथ निकल आती है वहा से,
दो घण्टे बाद सोनल अपनी दोस्त के साथ उसकी स्कूटी से स्कूल से वापिस आ रहा थी कि उसने रास्ते मे अपनी मम्मी को एक गली मे पैदल जाते हुए देखा वो बड़ी हेरान हुई कि मम्मी यहाँ किस को मिलने आई हैं

सोनल ने अपनी दोस्त से कहा कि यार तू चल मैं बाद मे आती हू।
उस ने कहा कि क्या बात है सब ठीक तो है यहा क्या करेगी तू
सोनल ने कहा कि हां यार मैने किसी से मिलना है तू चली जा।

उस ने कहा ठीक है फिर मैं चलती हू और निकल गयी। उस के जाते ही सोनल तेज़ी से उस गली की तरफ भागी और देखा कि आरती किसी से बात कर रही हैं और तभी वो आदमी जिस से आरती बात कर रही थीं, उसका चेहरा दिखता है, उसका चेहरा देखकर सोनल चौक जाती है, वो भोला था, सोनल सोचती है कि मम्मी यहा इस भोला के साथ क्या कर रही है, तभी उसके दिमाग की घंटी बजती है, उसको सब समझ आ जाता है, तभी भोला ने अपनी पॉकेट मे से कुछ निकाल के दिया। सोनल क्यो कि दूर थी इस लिए देख नही सकी कि उस ने आरती को क्या दिया था और फिर आरती एक तरफ चल पड़ी और सोनल उन के पीछे। आरती ने थोड़ी दूर ही एक मकान का ताला खोला और अंदर चली गईं


सोनल समझ गयी कि भोला ने आरती को घर की चाबी ही दी होगी लेकिन समझ नही आ रहा था कि मम्मी और भोला का क्या चक्कर है और भोला आरती को चाबी दे के गया कहाँ है
सोनल ये सब ही सोच रही थी कि भोला किसी और आदमी को अपने साथ ले के आ गया और सीधा अंदर चला गया और डोर बंद कर दिया। सोनल ने सोचा कि देखना चाहिए कि अंदर क्या हो रहा है. सोनल तेज़ी से मकान की तरफ गयी लेकिन वहाँ कोई ऐसी जगह नही थी कि सोनल अंदर देख सके क्योकि वो जगह आबादी मे ही थी इसलिए सोनल वहाँ से हट के खड़ी हो गयी।
कोई 2 घंटे के बाद वो दोनो निकले और वहाँ से चल पड़े पता नही सोनल के दिल मे क्या आई कि वो भी उन के पीछे चल पड़ी वो बाते करते जा रहे थे .

बाद में आने वाला कह रहा था कि साले पता नही तेरे पास कोन सी बूटी है कि औरते तेरे पास भागी आती हैं
भोला ने कहा कि छोड़ इस बात को ये बता कि मज़ा आया कि नही दूसरे ने कहा कि क्या बताऊ यार क्या लंड चूसति है मज़ा आ गया.


सोनल तो उन की बाते सुन के हक्कीबक्की रह गयी कि मम्मी ये सब बाहर भी करती हैं और तभी पहले वाले ने कहा कि यार कब तक है ये यहाँ भोला ने कहा कि अभी कालू को लेने जा रहा हू कालू इस को चोद ले फिर चली जाएगी .
पता नही सोनल के दिल मे क्या आया कि वो वापिस उसी घर की तरफ चल पड़ी। सोनल को ये सब सुन के बहुत गुस्सा आ रहा था
सोनल जैसे ही उस घर के दरवाजे पे पहुची तो एक बार सोची कि क्या मुझे अंदर जाना चाहिए और फिर सोनल ने डोर को एक धक्का दिया और अंदर घुस गयी.


आरती वहाँ नही थीं। आरती ने वॉशरूम मे से कहा कि भोला रुक मैं आ रही हू। सोनल वहीं खड़ी हो गयी और तभी वॉशरूम का डोर खुला और आरती पूरी की पूरी नंगी बाहर आ गई. जैसे ही आरती बाहर आई। आरती की सोनल पे नज़र पड़ी। आरती को चक्कर सा आ गया। आरती के मुँह से बस इतना ही निकल सका कि तूमम्म्मममम।

सोनल आरती को इस तरह नंगा अपने सामने देख के भूल ही गयी कि वो कहाँ है और क्यो आयी है?

आरती ने जब देखा कि सोनल सिर्फ़ उन को घुरे ही जा रही है तो उसको एहसास हुआ कि वो अपनी बेटी के सामने नंगी खड़ी हैं और वो फॉरन वॉशरूम की तरफ भागी।

आरती के वॉशरूम मे जाते ही सोनल भी वहाँ से वापिस निकल कर घर को चल दी, सोनल के दिमाग़ मे आँधी चल रही थी

और सोनल ये सोचती हुई चली जा रही थी कि "मैने ये जो भी देखा है क्या वो सच था? क्या मेरी मम्मी इस हद तक भी गिर सकती है"
लेकिन कोई भी जबाब नही था उसके पास। उसके समझ नही आ रही थी कि अब वो क्या करे .

यही सोचते हुए सोनल घर के नज़दीक बने एक पार्क मे बैठ गयी . उसका घर जाने को दिल नही कर रहा था शाम तक वहाँ ही बैठी रही।

फिर शाम को सोनल उठी और हिम्मत कर के घर चली गयी।
घर जाते ही सामने आरति बैठी थी। उसने कहा कि कहाँ थी तुम। दिन से मैं कितनी परेशान थी
और सोनल को आरती ने सीने से लगा लिया .
आरती ने पहली बार आज ऐसे सिचुएशन के बाद सोनल से बात की थी और सीने से लगाया था।
आरती के सीने के लगकर सोनल को एक अजीब सा मज़ा आने लगा दिल कर रहा था कि सोनल आरती को यों ही अपने साथ लिपटाये रखे कि तभी वहाँ रामु आ गया।
रामु को देखते ही सोनल आगे बढ़ी बिना कोई जबाब दिये और आरती को घूरते हुए रूम मे चली गयी।
सोनल ने रात का खाना भी नही खाया और लेटी रही।
सोनल सोच रही थी कि अभी तक उसकी मम्मी घर मे ही ये सब काम कर रही थी, और उसने भी मम्मी को सुधारने के लिए की उसको देख देख कर वो भी बिगड़ गयी है,उसके सामने खुद को बिगड़ने के सबूत के तौर पे सेक्स किया, लेकिन इसके अस्सर होने के उलट मम्मी बाहर जाकर भी चुदने लगी।

सोनल सोचते सोचते सो गयी, रात को 10 बजे के करीब सोनल की आँख खुली तो आरती उसे उठा रही थी . सोनल के उठते ही आरती ने कहा बेटा मुझे माफ़ कर दो .

सोनल ने कहा कि मम्मी किस बात के लिए माफ़ करू मैं आपको

आरती ने कहा प्लज़्ज़्ज़ बेटा माफ़ कर दो

सोनल ने कहा कि अगर माफी माँगनी ही है तो पापा से माँगो जिन को आप धोखा दे रही हो।

आरती की आँखों से आँसू निकलने लगे और कहने लगी बेटा तुम तो माफ़ कर दो प्लज़्ज़्ज़्ज़

सोनल ने कहा सॉरी मम्मी सुबह पापा को सब बता के फिर बात होगी

आरती सोनल के पावं मे बैठ गईं और कहने लगी कि अगर तुम ने अपने पापा को कुछ भी बताया तो मैं कहीं की नही रहूंगी। पल्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझे माफ़ कर दो मैं दोबारा ऐसी कोई ग़लती नही करूँगी.

आरती को पैर पकड़े देख के सोनल को अच्छा नही लगा तो सोनल ने कहा कि मम्मी आप अभी जाओ मैं सोचती हू कि क्या करू ।

आरती ने कहा कि बेटा अगर तुम मुझे माफ़ कर दो और अपने पापा को कुछ नही बताओ तो मैं तुम्हारी हर बात माना करूँगी. तुम भी अपनी लाइफ जैसे चाहो गुजार लो, मैं कभी ऐतराज नही करुँगी।

सोनल ने कहा ओके अभी आप जाओ बाद मे बाते करेंगे और आरती अपने आँसू साफ करती हुई चली गईं

आरती के जाने के बाद सोनल काफ़ी देर सोचती रही कि क्या करू क्योकि अगर वो अपने पापा को बता देती है तो शायद उसके पापा उसकी मम्मी को तलाक़ दे देते और उनकी हर जगह बदनामी ही होती इसी लिए सोनल ने अभी पापा को ना बताने का फ़ैसला किया और सो गयी।

सुबह सोनल उठी और उठ के नहाने चली गयी। जब नहा के वापिस लौटी तो तैयार होकर डाइनिग टेबल पर चली गयी

सोनल जब टेबल पर गयी तो वहाँ आरती भी थीं। सोनल बैठ के नाश्ता करने लगी तो आरती ने कहा कि क्या सोची।

सोनल के मुँह से अचानक निकल गया कि आप मेरे लिए क्या कर सकती हो तो आरती का बुझा हुआ चेहरा एक दम खिल गया

आरती ने कहा कि तुम जो कहोगी मैं करूँगी बस किसी को बताना नही प्लज़्ज़्ज़्ज़

सोनल ने कहा कि ठीक है मैं स्कूल से वापिश आऊँगी तब बात करेंगे. और सोनल नाश्ता कर के उठ गयी।
और रूम में जाकर रेडी होने लगी स्कूल के लिए। और कुछ देर बाद स्कूल के लिए निकल गयी।
आरती भी फैक्टरी के लिए निकलने लगी। आरती जब दरवाजे से बाहर निकली तो भोला गाड़ी के पास एकदम तैयार खड़ा था (आज लाखा ने तबियत खराब का बोला था तो भोला को बुलाया था)ब्लैक कलर की टी-शर्ट और एक पुरानी जीन्स पहने पर लग रहा था एकदम गुंडा टी-शर्ट से बाहर निकली हुई उसकी बाँहे एकदम कसी हुई थी पेट सपाट था और सीना बाहर को निकला हुआ था एक बार देखकर लगता था कि किसी गली का कोई गुंडा हो पर आरती को देखते ही दौड़ता हुआ पीछे के दरवाजे को खोलकर खड़ा हो गया। आरती भी जल्दी से बैठने के लिए लपकी पर जाने क्यों उसकी सांसें एक बार फिर से तेज हो गई थी शायद कल की बातें याद आ गयी और सुबह सुबह भोला को देखते ही एक कसक सी उसके तन में जाग गई थी पर अपने आपको संभालते हुए वो अपनी हील चटकाते हुए पिछली सीट की ओर भागी जैसे ही वो सीट पर बैठने को हुई एक सख्त हथेली ने हल्के से उसके पिछले भाग को छू लिया


आरति के शरीर में एक लहर सी दौड़ गई थी और अचानक हुए इस हमले से वो एक बार घबरा गई थी उसके घर में और वो भी पोर्च में एक ड्राइवर ने इतनी आजादी से उसे छू लिया था और वो कुछ भी नहीं कह पाई थी पर तब तक डोर बंद हो गया था और भोला दौड़ता हुआ सामने ड्राइविंग सीट पर आ गया था

आरती का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर होंठ जैसे सिल गये थे उसे होंठों से बातों के सिवा सिर्फ़ सांसें ही निकल रही थी वो पिछली सीट पर किसी बुत के जैसे बैठी हुई थी और सांसों को कंट्रोल कर रही थी भोला ड्राइविंग करता हुआ गेट से बाहर गाड़ी निकाल कर रोड पर ले आया और
भोला- जी मेमसाहब ऋषि भैया को लेने जाना है ना
आरती- हाँ…
आवाज उसके गले में रुक गई थी वो क्यों नहीं इस गुंडे से बोल पाई कुछ उसकी इतनी हिम्मत कि उसकी कमर और नितंबों पर घर में ही हाथ फेर दे और उसके बाद इतना सीधा होकर गाड़ी चला रहा है वो अपने ख्यालो में ही गुम थी कि फिर से भोला की आवाज आई
भोला- मेमसाहब नाराज है हम से

आरती ने सिर्फ़ ना में अपना सिर हिला दिया या बाहर देखने के लिए सिर घुमाया पता नहीं

भोला- क्या करू मेमसाहब आपको देखता हूँ तो एक नशा सा छा जाता है मेरे ऊपर भाग्य देखिए मेरा कहाँ से कहाँ आ गया कहा वो रेत टीलों के बीच में पड़ा था और अब देखिए आपका ड्राइवर बन गया भाग्य ही तो है क्या कहती है आप
आरती ने कोई जबाब नहीं दिया क्या जबाब देती इस सांड़ को

भोला- नाराज मत होना मेमसाहब मजबूर हूँ नहीं तो कभी ऐसी गुस्ताखी नहीं करता

आरती ने सिर्फ़ एक बार उसे पीछे से देखा पर कहा कुछ नहीं सिर्फ़ बाहर देखती हुई अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिस करती रही

भोला- एक काम था मेमसाहब आपसे थोड़ा सा मदद करती तो

आरती की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी भोला गाड़ी चलाते हुए उसे बॅक मिरर में देख रहा था
भोला- कहूँ मेमसाहब बुरा तो नहीं मानोगी

आरती ने फिर से सिर हिला दिया

भोला-पता था मेमसाहब आप बुरा नहीं मानेन्गी

आरती फिर बाहर देखने लगी थी पर पूरा ध्यान उसी की तरफ था अब उसका डर थोड़ा काम हो गया था

भोला- वो मेमसाहब इस ऋषि को अपनी जिंदगी से दूर कीजिए ठीक नहीं है वो

आरती की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी ऋषि के बारे में जो यह कह रहा था वो ठीक था पर इसे कैसे मालूम

भोला- आपको लग रहा होगा कि मुझे कैसे मालूम मुझे क्या नहीं मालूम मेमसाहब भैया जो मुझ पर विस्वास करते है वो क्या ऐसे ही मुझे सबकुछ मालूम है मेमसाहब

आरती एक बार फिर से सिहर उठी उसे तो मेरे बारे में भी मालूम था मनोज अंकल के ऑफिस गई थी वो तक इसने देखा था और कल इसने इसी बात का फायदा उठाया और मुझे दो आदमी के साथ सोना पड़ा पर ऋषि के बारे में इसे कैसे मालूम

भोला- मुझे तो मेमसाहब उसकी रीना दीदी और ऋषि के बहुत से किससे पता है आप अगार देखना चाहती है तो एक काम करना जब आप उसके घर जाओ तो मुझे उसके कमरे से कोई समान लेने भेजना फिर देखना

आरती का पूरा शरीर सनसना रहा था क्या कह रहा है यह और क्या करेगा वहाँ पर इतने विस्वास से कह रहा है तो हो सकता है कोई बात हो पर क्या

भोला- आपको कुछ नहीं मालूम मेमसाहब में आपको वो खेल दिखा सकता हूँ जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकती।

आरती की नजर एक बार फिर से उसके पीठ पर थी पर इस बार हिम्मत करके बॅक मिरर की ओर भी देख ही लिया भोला के चेहरे पर एक सख़्त पन था और उसकी आखें पत्थर जैसी थी आरती ब्लैक ग्लासस पहने हुई थी फिर भी उसने नजर हटा लिया ऋषि का घर आ गया था आज पहली बार वो इस घर में आई थी पोर्च में गाड़ी खड़ी होते ही वहां का नौकर दौड़ता हुआ आया और पीछे का दरवाजा खोलकर खड़ा हो गया

नौकर- जी भैया अपने कमरे में है मेमसाहब

आरती घर के अंदर घुस आई किसी रहीस का घर देखने में ही लग रहा था कीमती सामानो से भरा हुआ था नौकर दौड़ता हुआ उसके सामने से वहां पड़े बड़े से सोफे की ओर इशारा करते हुए बोला
नौकर- जी बैठिए मेमसाहब में बुलाता हूँ
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