Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:35 PM,
#66
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
निशा की उंगली ने चूत मे प्रवेश कर लिया और साथ ही गान्ड के छेद से वो सोनल की जान को अपने अंदर क़ैद कर रही थी ..चूत का मूँह एक बार की चुदाई से सिर्फ़ इतना खुला कि जिसमे उंगली घुमा कर निशा उसके अंदर छेड छेड़ सके

" हमम्म्ममम......... "

उंगली के अंदर बाहर होने से सोनल अपना सर पागलो की तरह बेड पर पटक देती और गांड हवा मे लहराते हुए काँप जाती ..निशा ने जया को इशारे से उसे छोड़ने को कहा और अगले पल जया टेबल से नीचे उतर गयी

" स्वीटी अब लास्ट राउंड है ..तू टेन्षन ना ले ..सब चंगा होगा "

निशा ने बेड पर चढ़ते हुए सोनल के घुटने मोड़ दिए जिससे उसका निचला यौवन खुल कर बाहर आ गया ..एक नज़र जया के चेहरे को देखा जो नीचे बैठ कर चूत पर अपनी लार गिराए जा रही थी ..दोनो मुस्कुराइ और फाइनल राउंड स्टार्ट कर दिया

चूत और आस - होल पर एक साथ झपट्टा मार दोनो लड़कियों ने सोनल को रुला दिया ..जहाँ निशा बेड पर बैठी उसके आस - होल को बेरहमी से चाट रही थी वहीं नीचे बैठी जया चूत चाट ते हुए अपनी एक उंगली तेज़ी से अंदर बाहर करने मे लगी थी

सोनल इस दोहरे मज़े से अपने बाल नोचते हुए आँसू बहाने लगी ..उसके चेहरे पर खून का उबाल था और चीखों मे इतनी ताक़त की अगर कमरे के बाहर से कोई भी गुज़रता तो रेप होना समझ कर सिहर जाता ..सोनल ने 2 - 4 मुक्के बेड पर जड़ते हुए आह ली ..टाइम था उसकी लाइफ के पहले इतने जबरदस्त ऑर्गॅज़म का जोकि उसके पापा की चुदाई में भी नही हुआ था ..शरीर की ऐंठन उसके बस से बाहर हो गयी

" दिदीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ......मै गईईईईककक........ "

सोनल ने इस बार प्रेयर की कोई रुकावट बीच मे ना आए और अपना कंट्रोल पूरी तरह से खोते हुए झड़ने लगी ..जया किसी बिल्ली की तरह चूत से चिपकी थी ..फव्वारे पर फवारे छूटे ..उसने अपने होंठो को खोलते हुए 3" की पूरी चूत अपने मूँह मे समा लिया ..निशा ने गांद के छेद को तुरंत ही छोड़ा और जया के पास फ्लोर पर बैठ गयी

" कमीनी रस को अकेले मत पी जाना ..मैं भी हूँ "

निशा ने हँसते हुए जया का सर चूत पर दबाते हुए कहा

सब कुछ भूल कर सोनल ने आनंद के सागर मे गोते लगाते हुए चूत रस की आख़िरी बूँद को भी जया मे मूँह मे छोड़ दिया

जब सोनल की साँसे थोड़ी नॉर्मल हुई तो उसने अपनी आँखें खोल कर चूत पर हाथ फेरा ..पूरी चूत रस से सराबोर थी ..एक सुखद एहसास पाने से उसका रोम - रोम पुलकित था ..उसे होश आया कि उसके साथ निशा और जया भी कमरे मे हैं तो वो उठ कर बेड पर बैठ गयी ..नज़र फ्लोर पर बैठी उन दोनो छिनालो पर डाली जो उसकी जवानी का पानी एक दूसरे को चूमने के ज़रिए गले से नीचे उतार रही थी, सोनल अनजान बनते हुए

" छ्ह्हीईईइ दीदी मेरा सूसू पी लिया "

सोनल की आवाज़ से दोनो की किस टूट गयी ..निशा ने हाथ के इशारे से सोनल को अपने पास बुलाया

" ये ले तू भी चख ले तेरी जवानी ..मेरी जान यही तो सेक्स है "

सोनल के लाख मना करने पर भी निशा ने उसे नही छोड़ा और 10 - 15 सेकण्ड तक अपनी जीभ से उसके पूरे मूँह का टेस्ट बदल दिया

" अब जल्दी करो हम काफ़ी लेट हो गये हैं और सोनल अगर तुझे सेक्स के बारे मे ज़्यादा जान ना है तो ये ले डीवीडी ..रात मे जब घर के सारे मेंबर सो जाएँ तब देखना "

जया ने सारे कपड़ो को इकट्ठा कर कहा और तीनो निशा की कार से अपने - अपने घर की तरफ चल दी।
सोनल लड़खड़ाते हुए घर पहुची, घर मे बिलकुल सन्नाटा था, वो अपने रूम में गयी और अपने कपड़े निकाल कर बेड पर लुढ़क गयी । कुछ देर उसने बैठकर अपने लैपटॉप पर जया की दी हुई डीवीडी देखी और फिर सो गई।
सुबह आरती की आंख खुलती है, वो फ्रेश होकर नीचे आती है और रामु काका को चाय के लिए बोलती है, कुछ देर में रामु काका चाय बनाकर लाते है। आरती तब तक सोनल के कमरे में जाकर देख आती है कि वो सो रही है, आरती कुछ सोचती है और दो कप में चाय डाल कर सोनल के कमरे की तरफ चल पड़ती है।
सोनल अपनी आदत अनुसार अभी गहरी नींद मे थी ..कल रात जो कुछ भी उसने किया था ..शायद उसी का सपना उसकी नींद मे चल रहा था ..रह - रह कर कुछ ना कुछ बड़बड़ाती भी जा रही थी
दो कप ले कर आरती सोनल के रूम की तरफ बढ़ रही थी ..जानती थी गेट अनलॉक है ..हलका ज़ोर लगाते ही दरवाज़ा पूरा खुल गया और आरती उसके बेड के सिराहने पहुच गयी

" मैं सोनल की वजह से इतने परेशान हू और ये यहा घोड़े बेच कर सो रही है ..इसी से पूछना पड़ेगा कि कल जब पब में गयी तो जल्दी आने की बात हुई थी तब ऐसी क्या बात हुई जो सोनल कल रात भर गायब रही और अभी भी उठी नही है "

इतना सोच कर उसने दोनो कप बेड के स्टॅंड पर रख दिए और सोनल को नींद से जगाने लगी

" उठ सोनल ..देख कितनी सुबह हो गयी है "

आरती ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेर कर कहा ..सोनल ने उसे कोई जवाब नही दिया और कुछ बड़बड़ाती हुई करवट से सीधे पीठ के बल लेट गयी

" उठ जा राक्षस ..इस लड़की ने तो नाक मे दम कर रखा है "

आरती ने उसके बड़बड़ाने पर तो कोई गौर नही किया ..लेकिन उसके रूम की हालत देख उसे बहुत गुस्सा आया ..जगह - जगह फैले कपड़े ..कपड़े भी ऐसे जिसे देख कर तो रवि कतई उसके रूम मे नही घुसते ..बेड के बगल की स्टडी टेबल पर रखा लॅपटॉप चालू हालत मे था और स्क्रीन पर फ़ेसबुक का लोगिन पेज दिखाई दे रहा था

अचानक से सोनल की बॉडी मे हलचल हुई और उसकी एक टाँग जाँघ तक चादर से बाहर निकल आई ..आरती की नज़रें उसकी नंगी टाँग पर गयी तो उसे कल की अपेक्षा आज कुछ बदलाव नज़र आया

कल जब सोनल ने क्रॉच लेस पैंटी के ज़रिए आरती को परेशान किया था तब उसकी टाँगो पर हल्के - हल्के बाल थे ..लेकिन आज पूरी जाँघ एक दम चिकनी दिख रही थी और स्वतः ही आरती का हाथ उसकी जाँघ पर घूमने लगा ..आज पहली बार वो उसकी जाँघ को इतने गौर से देख रही थी

" कितना माँस भरा हुआ है इस लड़की मे ..उमर मे मोनिका से छोटी है लेकिन इस भराव के चलते उससे बड़ी ही दिखाई देती है "

इतना कह कर आरती के हाथ उसकी सुडोल जाँघ को सहलाने लगे ..ये आरती का अपनी बेटी के लिए प्यार था या जलन ..या शायद आज कयि सालो बाद आरती को इस नज़ारे से बड़ी बेचेनी हो रही थी

" हां हां चूसो ..ऐसे ही अंदर तक चाटो ..प्लीज़ "

सपने मे अपनी जाँघ पर रेंगते हाथ महसूस कर सोनल के मूँह से काँपते हुए शब्द निकले ..आरती ने उन शब्दो को सुनते ही अपना हाथ जाँघ से हटा लिया और उसके सोते चेहरे को देखने लगी

सोनल कल रात को पूरा मेकअप कर के गयी थी ..मास्कारा से उसकी पॅल्को पर नीले रंग के शेड्स ..गालो पर लस्टर जो बड़ा ही शाइन कर रहा था और होंठो पर इतनी लालामी जिसे देख आरती की आँखें उसके चेहरे की खूबसूरती मे लगभग खो सी गयी

" उउउम्म्म्ममम ..खा जाओ इसे "

सोनल के मूँह से एक हिचकी निकली और उसने अपनी टाँगो को काफ़ी स्प्रेड कर लिया ..शायद सपने मे सहेलियों की जगह अब रवि ने ले ली थी

जब कोई ताज़ी घटना वो भी ऐसी जिसे आपने पहली बार महसूस किया हो ..श्योर है कि वो कयि दिन तक आपके जेहेन मे घूमती रहती है ..यही इस वक़्त सोनल के साथ हो रहा था ..उस दिन जो पल उसने अपने पापा के साथ बिताए थे वो पल सोनल शायद लाइफ टाइम नही भूल पाती ..एक बाप के सामने उसकी बेटी का बे परदा होना और उत्तेजना मे बाप द्वारा उसके कोमल अंतरंग अंगो को चूमना ..उनसे छेड़ छाड़ करना ..यहाँ तक की रवि ने सोनल की चूत और आस होल को अपनी जीभ से चाटा भी था ..ख़ास कर कल जो बात पार्टी के दरमिया हो रही थी इस वक़्त सोनल उसे अपने ख्वाब मे पूरा करने को मचल रही थी

आरती उसके मूँह से निकली हिचकी सुन घबरा गयी और जब तक वो कुछ और सोच पाती सोनल ने हाथ के ज़ोर से अपने शरीर पर पड़ी चादर को अलग कर दिया

आरती के नज़रिए से ये तो तय था कि चादर के नीचे उसकी बेटी ने कुछ नही पहना होगा लेकिन जिस बात ने उसके दिमाग़ मे घर किया वो थी उसकी बेटी का बुरी तरह से मचलना और ऐसे उत्तेजक शब्दो से बड़बड़ाना

सोनल की चूचियाँ इस वक़्त ब्रा मे क़ैद थी लेकिन उस ब्रा के अलावा उसने कुछ और नही पहना था ..जाने क्यों आरती की नज़र उसके चेहरे से होती हुई उसकी चूत पर आ कर ठहर गयी ..वैसे तो उसकी बेटी ने कयि बार अपनी चूत का दीदार बड़ी बेशर्मी से उसे करवाया था लेकिन आज सोनल ने नींद मे जो व्यू अपनी चूत का दिया वो देख कर आरती सकपका गयी ..कल रात हेर रिमूवर का यूज़ सोनल ने अपनी पूरी निच्छली बॉडी पर किया ..तभी आज वो नीचे से एक दम चिकनी नज़र आ रही थी

" आआईयईईईईईईईईई .मर गईईईईककक
सोनल फिर बड़बड़ाई और इस बार उसने अपने हाथ से चूत को मसल कर रख दिया ..हाथ मे आए उसके चूत रस को देख कर आरती को चक्कर आने लगे

" हे भगवान ..ये तो सपने मे ..छ्ह्हीईईई "

आरती ने तेज़ी दिखा कर उसका हाथ चूत से हटाया लेकिन सोनल ने अगले ही पल वापस उसे वहीं रख लिया इसी तरह 2 - 3 बार और हुआ तो आरती के दिमाग़ की बत्ती जली

" कहीं ये मेरे साथ नाटक तो नही कर रही "

अक्सर सोनल के नेचर से आरती को यही शक़ होता कि वो नाटक कर रही होगी और तभी उससे जल्दी पीछा छुड़ाने के लिए आरती उसकी बात को मान जाती थी।

" हाथ हटा सोनल ..नही तो एक जड़ दूँगी "

आरती ने सोचा कि उसकी बात सुन कर सोनल अपनी आँखें खोल देगी और ये नाटक भी ख़तम हो जाएगा ..लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी बेटी ने तो अपने सपने मे चुदना भी शुरू कर दिया ..वो भी अपने पापा से

" नही मानेगी तू "

जब कयि बार उसका हाथ हटाने पर भी सोनल ने वही क्रिया दोहराई तो आरती ने सख्ती से उसका एक हाथ चूत से हटा कर अपने पैर के नीचे दबा लिया लेकिन इसका ये नतीज़ा हुया कि सोनल ने अपने दूसरे हाथ से आरती का हाथ पकड़ कर अपनी रस छोड़ती गरम चूत रख दिया

" उफफफफफ्फ़........ "

दोनो मा बेटी के मूँह से एक साथ सिसकी निकल गयी ..वाकई चूत इस वक़्त लावा उगल रही थी ..आरती ने तुरंत ही अपना हाथ चूत से हाटना चाहा लेकिन अब उसका ध्यान किसी और बात पर लग चुका था

" ये सपने मे ही है ..तभी इतनी गीली हो ....... "

आरती ने पूरी बात सोच भी नही पाई कि सोनल का बदन अकड़ गया ..उसने अपने दूसरे हाथ को ब्रा के अंदर डाला और बेतहासा अपना बूब भीचने लगी ..साथ ही पूरी ताक़त से आरती के पैर के नीचे दबा हाथ खीचना शुरू कर दिया

" हाए मेरी बच्ची "

आरती जान गयी कि सोनल का ऑर्गॅज़म नज़दीक है ..पैर के नीचे दबा सोनल का हाथ आज़ादी चाहने लगा ..लेकिन आरती ने अभी भी उसे अपनी गिरफ़्त मे रखा हुआ था ..जब सोनल झड़ने के बिल्कुल नज़दीक पहुचि और मन मुताबिक अपना हाथ आरती से नही छुड़ा पाई तो सहसा उसके मूँह से एक शब्द फूटा

" mummyyyyyममम्ममममम....... "

ये जग वीदित है कि जब कोई बच्चा किसी मुसीबत मे फँसता है तो उसकी ज़ुबान पर मदद के लिए सिर्फ़ एक ही नाम आता है " मा "

यहाँ सोनल ने जिस तरह से अपनी मा को मदद की गुहार लगाई .आरती का दिल उसकी तकलीफ़ से पसीजने लगा और उसके दिल ने सच का साथ दिया

" वैसे तो ये सरासर ग़लत है ..एक मा हो कर मुझे ऐसा नही करना चाहिए ..लेकिन अगर इस वक़्त इसका झड़ना ज़बरदस्ती रोका गया तो शायद बाद मे अंजाम बहुत ही घातक हो सकता है "

अपने मन मे ऐसा विचार कर उसने तुरंत ही अपने हाथ की पकड़ चूत पर कस दी ..सोनल को तो जैसे जन्नत का नज़ारा दिखाई देने लगा ..उसने अपने चूतडो को हवा मे उछाला और अगले ही पल एक चीख के साथ उसका ऑर्गॅज़म होने लगा

" आहह......... "

सोनल के चीखने पर आरती तेज़ी से अपने हाथ को चूत के दाने पर रगड़ने लगी ..ना जाने उसका दिल इतना क्यों बैठ गया कि उसकी आँखों से आँसुओ की बरसात शुरू हो गयी

" आजा आराम से ..तेरी मम्मी है तेरे पास "

अपने आँसुओ की परवाह ना करते हुए आरती अपनी बेटी को झड्वाये जा रही थी ..एक के बाद एक ..7 - 8 बार सोनल के जिस्म ने लावा बाहर फेका ..आरती का हाथ उस लावे की गर्मी को महसूस कर जल रहा था लेकिन एक पल को भी उसने अपना हाथ चूत से हटाने की कोशिश नही की ना ही हाथ को ढीला छोड़ा

कुछ वक़्त बीतने पर सोनल का बदन शांत पड़ गया ..आरती ने अपना हाथ चूत से हटाया जो उसकी बेटी की जवानी से भरा हुआ था ..वो हैरान थी कि सोनल ने इतना हेवी फॉल क्यों किया ..जाने कब से उसकी बेटी अपने सैलाब को अपने जिस्म मे समेटे हुए थी ..चूत रस से फैली खुश्बू पूरे कमरे को महकाने लगी ..आरती ने देखा रस सोनल की चूत से बहता हुआ उसकी गांड के छेद को पार कर ..बेड शीट को भी भिगो रहा था

" सुधर जा सोनल ..वरना एक दिन तुझे खुद पर बहुत पछ्तावा होगा, मेरी नकल मत कर बेटी, मैं बर्बाद हो चुकी हूं तुम मत होना "

आरती ने उसके सोते चेहरे को देख कर एक डाँट लगाई और अपनी साड़ी के आँचल से चूत को सॉफ करने लगी ..उसकी टाँगे फैला कर आरती ने ass होल और जाँघो पर से भी सारा पानी पोंछ दिया

" जब तू उठेगी तब मैं तुझसे बात करूँगी "

इतना कह कर आरती ने उसके माथे को चूमा और बेड से नीचे उतरने लगी ..अपने कदम ज़मीन पर रखते ही उसे एक और झटका लगा ..कमरे का पूरा गेट खुला हुआ था ..वो तेज़ी से दौड़ कर बाहर आई और हॉल मे झाक कर रामु काका को देखने लगी ..लेकिन रामु काका वहाँ नही दिखाई दिया

पलट कर आरती ने सोनल के रूम का गेट बाहर से लॉक कर दिया और शंकित मन से किचन की तरफ जाने लगी

किचन के अंदर झाका तो रामु अपने सर पर हाथ रखे कुछ सोचने की मुद्रा मे नीचे फर्श पर बैठा था ..आरती की साँसे रुक गयी

" इसका मतलब इसने ...... "

मूँह से निकले आधूरे वाक्य को उसने कयि बार अपने मन मे दोहराया ..बात ही कुछ ऐसी थी ..घर की बनावट के अनुसार अगर रामु काका ड्राइंगरूम से इस तरफ देखे तो उसे कमरे में अंदर तक दिखाई देगा। आरती का पूरा बदन इस बात से दरवाज़े की ओट लिए जम गया ..अब वो क्या जवाब देगी अपने आशिक रामु काका को ..एक तो रामू पहले से ही परेशान था सोनल को लेकर और तो और एक मा को अपनी बेटी के नंगे बदन से खेलते भी देख चुका था ..जाने वो क्या सोच रहा होगा आरती के बारे मे

" ज़रूर ये सोच रहा होंगा कि मैं अपनी सेक्स की भूख अपनी बेटी के साथ मिटाती हूँ ..नही नही मैने ऐसा कुछ नही किया ..हे भगवान ये कहाँ फसा दिया मुझे ..क्या जवाब दूँगी "

आरती इसी कशमकश मे थी कि उसके दिमाग़ ने कुछ सोचा और अगले ही पल अपनी उखड़ी सांसो को संभालते हुए वो किचन मे एंटर हो गयी

"काका हॉल से किचन मे कब आए ? "

आरती ने कहा ..साथ ही तेज़ी दिखाते हुए अपनी सारी का पल्लू ज़मीन पर गिरा दिया

" अभी थोड़ी देर पहले ही आया हूँ "

बात सच थी कि जब रामु टेबल साफ करते हुए किचन की तरफ आ रहा था तब उसने सोनल के कमरे मे चल रही सारी घटना देखी और जब आरती अपने पल्लू से सोनल के चूत रस को सॉफ कर रही थी तब रामु किचन मे आ गया।

इस समय आरती और रामु काका दोनो घबराए हुए थे लेकिन वक़्त की नज़ाकत के चलते चेहरे पर कोई भाव नही आने दिया

" आज गर्मी कितनी है "

ये बोल कर आरती ने अपनी साड़ी को उतार फेका ..साड़ी उतारते वक़्त उसने जो अदायें रामु को दिखाई उससे रामु काका तुरंत समझ गया कि या तो आरती गरम हो गयी है या उसे पता चल गया है कि उसने कमरे मे चलता सारा घटना क्रम देखा था और शायद तभी वो अपनी अदाओ से इस बात पर परदा डालना चाहती है

" यहा तो सब खुला है ..फिर भी गर्मी लग रही है "

रामु ने आरती की बात का जवाब दिया और खड़ा हो गया ..उसने बरत्न वाश करने शुरू कर दिए

" हां खुला है लेकिन आप नही समझोगे "

इतना बोल कर आरती अपनी गांड मटकाती हुई रामु काका के नज़दीक आई और बेसिन पर उसके बगल मे बैठ गयी

" क्या बात है आज बड़ी खुश हो बहु ? "

रामू काका ने उसके चेहरे को देख कर कहा जिसमे उसे उस वक़्त की आरती नज़र आने लगी जब उसने अपने आप पहली बार उससे चुदवाया था ..ये तो मजबूरी थी कि वो अभी तक शांत था।

" आप कितना ख्याल रखते हो घर का लेकिन..... "

लेकिन शब्द पर बात अधूरी छोड़ आरती ने अपना पेटिकोट धीरे - धीरे ऊपर उठाना शुरू कर दिया ..जब वो घुटनो से ऊपर पहुचि तब उसने अपने चेहरे को रामु की तरफ घुमाया ..जानती थी ये रामु के लिए किसी झटके से कम नही होगा, आज पहली बार सुबह सुबह .. पूरे 3-4 दिन बाद दोनो इस तरह से आमने सामने थे

वैसे तो आरती ने चुदाई मे रामु काका का साथ हमेशा दिया ..जब भी दोनो सेक्स करने के लिए तैयार होते ..आरती हमेशा अपनी चूत खोल कर लेट जाती।
लेकिन आज सुबह सुबह इतनी खुलेआम जो आरति किचन में कर रही थी उझसे रामू उलझन में था।


" कहाँ खो गये ? "

आरती ने रामु काका को किसी सोच मे डूबा देख पूछा

" नही कुछ नही "

रामु ने उसे जवाब दिया और तभी किचन के गेट पर किसी ने नॉक किया

" मम्मी आज सुबह सुबह आग लगी है क्या, जो ऐसे एक क्या कहु अब मम्मी आपसे कहना ही बेकार है, एक बाजारू से बदतर हो गयी है, आप अब दिन में भी ऐसे नॉकर के साथ "

आवाज़ सोनल की थी जिसे सुन कर दोनो चौंकते हुए खड़े रह गये ..आरती ने तुरंत दौड़ लगाई और अपनी साड़ी को वापस पहेन ने लगी

" सोनल बात सुन मेरी बेटा "

घबराने मे आरती ना तो ठीक से साड़ी लपेट पाई ना ही अपनी चढ़ती सांसो को कंट्रोल ..उसके चेहरे पर शरम के भाव थे

गेट पर गुस्से में सोनल अपना टवल लिए बाहर खडी थी ..अपनी मा का ये रूप देख वो एक पल मे समझ गयी कि उसके आने से पहले किचन मे क्या चल रहा होगा

सोनल पलट कर वहाँ से जाने लगी ..शायद बीच मे आ कर उसने दोनो का गेम बिगाड़ दिया था और फिर आरती को भी समझते देर नही लगी कि सोनल क्यों वापस जा रही है?
" मेरी किस्मत ही खराब है कहा इससे समझने की सोच रही थी, कहा फिर से इसने मुझे पकड़ लिया और ये चाहती क्या है खुल कर बताती भी नही है "

मन मे ऐसा सोचते हुए आरती भी अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी। आज आरती का मूड फैक्टरी जाने का नही कर रहा था वो अपने रूम में जाकर बेड पर लेट कर सोचने लगी कि क्या करे।

खुद वो अपने को रोक नही पा रही थी कामाग्नि से, और उसकी बेटी बार बार उसको पकड़ कर नीचा दिखा रही थी। आरती को कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे।
सोचते सोचते आरती की आंख लग गयी, दो घण्टे बाद उसकी आंख खुलती है तो वो उठकर फ्रेश होकर नीचे जाती है, नीचे उसे कही भी रामू काका नजर नही आया। आरती किचन मे देखती है और फिर डाइनिग रूम में बैठ कर कुछ सोचने लगती है, तभी उसे सोनल के रूम से कुछ आवाज आती है,
"ये लड़की आज स्कूल नही गयी, और ये आवाजे"

आरती मन मे बड़बड़ाते हुए उठती है और सोनल के रूम की तरफ जाती, जैसे जैसे आरती रूम की तरफ जाती है आवाजे बढ़ती जाती है, आरती जैसी एक्सपीरियंस औरत के लिए ये समझ आने में मुश्किल नही हुई कि ये कैसी आवाजे है,

कमरे से सोनल के सिसकिया की आवाजें आ रही थी, आरती ने हल्के से सोनल के कमरे को नोब गुमायी तो दरवाजा धीरे से खुल गया, अंदर का नजारा देखते ही आरती की आंखे फटी रह गयी,
अंदर सोनल घोड़ी बनी हुई थी, और पीछे से एक लड़का अपना लण्ड गुसाये उसकी चुदाई कर रहा था

“आहऽऽऽ… ओह… आहऽऽऽ… फक…फक मी हार्ड बेबी… डीप… डीप और अंदर… आहऽऽऽ” हर धक्के के साथ सोनल की सिसकारियाँ बढ़ रही थी।
सोनल के मुँह से निकलती हुई कामुक सिसकारियाँ सुनकर लड़के ने अपने धक्के और तेज कर दिए, उसके हर धक्के से सोनल की चुचिया ज़ोरों से हिलने लगे। सोनल के हिलते हुए चूची को अपने हाथों में पकड़कर वह सोनल की चुत में सटासट लंड के वार करने लगा। उन दोनों की मादक आवाजें पूरे रूम में गूंज रही थी, चुत लंड की आवाजें भी उनमें घुल मिल रही थी।

पिछले दस मिनट से वह सोनल को ऐसे ही चोद रहा था,और आरती सांस रोके ये सब देख रही थी,

फिर सोनल सीधे पीठ के बल लेट गयी और लड़के को उप्पेर लेकर उसका लण्ड फिर से चुत में डलवा लिया, और लड़के ने फिर से सोनल की दमदार चुदाई शुरू कर दी।
आरती अभी भी सोक में खड़ी थी उसने सपने में भी नही सोचा था कि सोनल ये कर सकति है,

सोनल अब अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी, सोनल लड़के की पीठ को सहलाते हुए नीचे से कमर को हिलाते हुए लड़के का पूरा लंड चुत में ले रही थी। लड़के के मुख को देखते देखते अचानक सोनल की नजर दरवाजे पर पड़ी… दरवाजे पर आरती खड़ी थी।
वो कब आयी … सोनल को पता ही नहीं चला, सोनल को उस अवस्था में देख कर ग़ुस्से से आरती का चेहरा लाल हो गया था। सोनल ने आरती को देखते हुए दो तीन नीचे से जबरदस्त दकके लगाए और फ़ारिग़ हो गयी। सोनल ने लड़के को धक्का देकर अपने ऊपर से हटाया फिर चादर को अपने बदन पर लपेटकर सीधा बाथरूम में घुस गई।

सोनल जाकर कमोड पर बैठ गयी, तभी बाहर से उसको आरती की आवाज आई, आरती उस लड़के … सोनल के बोयफ़्रेंड को बहुत अपमानित कर रही थी। फिर उसके गाल पर दो चमाट मार कर उसको घर से बाहर निकाल दिया।

थोड़ी देर बाद रामु काका के बोलने की आवाज कानों में पड़ी, वो आरती को समझा रहे थे पर आरती उन पर ही चिल्ला रही थी।

थोड़ी देर बाद उनकी आवाजें बंद हो गयी तो सोनल बाथरूम में रखी ड्रेस को पहनकर बाहर आ गयी।

बाहर दोनों ही नहीं थे, शायद डाइनिंग हॉल में गए होंगे, इसलिए सोनल बेड पर बैठ गई। कुछ ही देर पहले इसी बेड पर उसका बॉयफ्रेंड उसे चोद रहा था और अब उसी बेड पर किसी रानी की तरह बैठी थी। हमेशा घर मे रंदीपना करने वाली आरती ने उसे उस अवस्था में देख लिया।

कुछ देर सोनल वैसे ही रूम में बैठी रही फिर थोड़ी देर बाद तैयार होकर बाहर जाने लगी।
आरती बाहर ही हाल में बैठी थी।

“किधर जा रही हो?” आरती ने सोनल से पूछा।

“तुमको क्या करना है?” सोनल ने आरती को आँखें दिखाते हुए कार की चाबी लेने लगी।

‘चटाक… चटाक…’ सोनल का जवाब सुनते ही आरती ने उसके दोनों गालों पर ज़ोरों से दो चांटे जड़ दिए।

“चाबी रखो नीचे और बैठो यहाँ!”


आरती की ऊंची आवाज सुनकर सोनल थोड़ा डर गई, चाबी फिर से टेबल पर रख कर सोनल अपने रूम में जाने लगी।
“तुम्हें रूम में जाने को नहीं बोला, यहां बैठो!” आरती के आवाज में गुस्सा साफ साफ झलक रहा था.

सोनल सहम कर वही बैठ गई।


“तुम कुछ बोलते क्यों नहीं सोनल? ये सब क्या था” आरती ने सोनल को बोला।

"कुछ नही मम्मी, ये छोटी छोटी बातें होती रहती है इस घर मे" सोनल बोली

“यह क्या छोटी गलती है… लड़कों को घर में बुलाकर गंदी हरकतें करती है… शर्म नहीं आई तुझे…”

“गंदी हरकत नहीं की… वी आर इन रिलेशनसशिप सिन्स सिक्स मंथ! और जो आप करती है उससे अच्छे ही है” सोनल गाल सहलाते हुए ग़ुस्से से आरती को बोली।

“कल कुछ हो गया तो कहाँ जाओगी… उसने तुम्हारी बदनामी की तो किसको मुँह दिखाओगी? कौन तुमसे शादी करेगा? ---आरती

“दैट्स नन ऑफ यूअर बिज़नेस, मैं मेरा देख लूंगी। तुम खुश रहो अपने यारो के साथ, चाहो तो मैं जाती हूँ दूसरी जगह। वैसे भी पापा ने जो फ्लैट मेरे जन्मदिन पर मेरे नाम किया था, खाली ही पड़ा है, मुझे नहीं रहना आपके साथ!” सोनल उठकर अपने रूम में जाने लगी.

तभी रामु काका ने सोनल का हाथ पकड़ लिया और उसे रोक दिया- सोनल बिटिया, अच्छी बच्ची हो ना तुम, ऐसा कोई बोलता है अपनी मम्मा को।

तभी सोनल ने झटके से अपना हाथ छुटवाते हुए " दो कौड़ी के नॉकर तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की, ये मेरा मैटर है, तुम होते कौन हो, तुम्हारे कहने से ये तुम्हारी माशूका चलती होगी इसे समझा कि मेरे बीच मे मत आये वर्ना अच्छा नही होगा"
रामु सोनल की गरजती आवाज सुनते ही सदमे में पहुच गया, आजतक इस घर मे रवि तो क्या रवि के पिताजी ने भी ऐसे बात नही की थी जैसे सोनल ने उसे उसकी ओकात दिखाई है।

सोनल अपने कमरे में चली जाती है, आरती और रामु काका दोनो एक दूसरे का मुह देखते रह जाते है,
आरती--काका क्या करूँ मैं इस लड़की का कुछ समझ नही आ रहा
रामु-- अगर इसने रवि बाबू को बता दिया या ऐसी हरकत उसके सामने कर दी तो क्या करेंगे।
आरती-- वही सोचकर परेशान हु काका, आप कुछ सोचो कुछ करो।
रामू-- क्या सोचु क्या करूँ बहु मेरे कुछ समझ मे नही।
आरती-- आप इसे काबू में नही कर सकते।
रामु-- नही बहु ये लड़की कुछ अलग मिजाज की है, जब ये मुझसे इतनी नफरत करती है तो मुझे अपने पास भी नही आने देगी। कुछ और सोचना होगा।
आरती-- ठीक है सोचो, कुछ समझ आये तो बताना,
औऱ आरती उठकर अपने कमरे में चली जाती है,
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:35 PM

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