Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:35 PM,
#64
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो भी ऋषि की तरह ही अपने होंठों से ऋषि के होंठों को धीरे-धीरे किस करती हुई उसके होंठों को चाटने भी लगी थी कोई ताकत नहीं थी बस उसके होंठों के रस्स को छूने और स्पर्श का खेल था वो ऋषि के ब्लाउज के अंदर आरती की उंगलियां उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गई थी वो अपनी उंगलियों से उसे छेड़ रही थी

ऋषि- उूउउफफ्फ़ भाभी प्लीज डोंट डू दट आई महसूस सो गुड लेट मी महसूस यू भाभी यू आर ब्रेअसर्ट प्लीज भाभी

आरती- उूउउंम्म ओह्ह… ऋषि क्या कर रहे हो प्लीज यू आर सो साफ्ट डियर यू आर सो नाइस लव यू डियर
ऋषि- ऊवू भाभी यू आर सो लव्ली भाभी यू आर सो साफ्ट आई वाना बी यू आर डार्लिंग भाभी यू विल बी माइन
आरती- प्लीज ऋषि पुल आफ माइ ब्लाउस इट’स हरटिंग डियर प्लीज माइ डियर
सांसों की जंग के साथ और एक दूसरे को छुते हुए दोनों एक दूसरे में गुम थे और अपने मन की बातों को खोलकर एक दूसरे के सामने प्रेज़ेंट भी कर रहे थे दोनों ही एक दूसरे को समझ चुके थे और एक दूसरे की तमन्ना को शांत करने की कोशिश में लगे थे

आरती के हाथ अब ऋषि के गालों को पकड़कर उसके होंठों को किस कर रहे थे और ऋषि भी अपने हथेलियो को आरती के ब्लाउज के हुक पर उलझाए हुए आरती को धीरे से किस करता जा रहा था। आरती का एक हाथ ऋषि की साड़ी को भी खींचकर उसके कंधे से उतार चुका था और उसके पेट से लेकर उसकी पीठ तक उसे सहलाते हुए उसकी कोमलता को जान रही थी ऋषि भी उतावला हो चुका था पर वहशी पन नही था उसमे था तो बस जिग्यासा और कुछ नहीं और अपनी भाभी को छूने की इच्छा

वो भाभी के ब्लाउज के हुक से आजाद कर चुका था और दोनों पाटो को खोलकर फिर से उन्हें देखने लगा था ब्रा में कसी हुई उसके चूचियां बाहर आने को तैयार थी पर ऋषि को जैसे कोई जल्दी नहीं थी बड़े ही तरीके से वो उन्हें देखता हुआ अपनी हथेली से उनके आकार और सुडोलता को अपने हथेली से छूकर और सहलाकर देख रहा था उसका चेहरा अब भी आरती के होंठों के पास था और आरती अपनी जीब से उसके गाल को चाट लेती थी उसके हाथों में कोई जल्दी या फिर कहिए कोई सखतपन नहीं था था तो बस एक जिग्यासा और कुछ नहीं उसकी ब्रा को नहीं खोलकर वो आरती की पीठ पर हाथ लेजाकर उसे उठा लिया और खुद भी बैठ गया और मुस्कुराता हुआ आरती के होंठों को एक बार चूमने के बाद उसके ब्लाउसको उसके कंधों से निकालने लगा था आरती उसे ही देख रही थी


उसकी आखों में एक चमक थी जैसे कि अपने हाथों में एक खिलोना पा गया हो उसके मन के माफिक और वो जानता था की वो उसे जैसा चाहे वैसे खेल सकता था ऋषि उसके ब्लाउसको उसके शरीर से अलग करके उसे एकटक देखता रहा और धीरे से अपनी एक हथेली को लेजाकर ऊएकी दाईं चुचि पर रखा और उसे ब्रा के ऊपर से ही सहलाता जा रहा था

ऋषि- भाभी कन आई सी यू जस्ट इन लिंगरे प्लीज कन आई पुल युवर पेटीकोट अवे
आरती के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई और वो खुद ही बैठे बैठे अपने पेटीकोट का नाड़ा को ढीलाकर दिया और ऋषि की ओए देखने लगी
ऋषि- ऊऊह्ह भाभी यू आर जस्ट ग्रेट
और अपने हाथों से वो भाभी के पेटीकोट को खींचते हुए उसे उतारता चला गया आरती लेट गई थी ताकि ऋषि को आसानी हो ऋषि उसके पेटीकोट को निकलकर अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया और आरती को लेटे हुए देखता रहा वाइट कलर की मचिंग सेट था वो कसे हुए थे उसके शरीर पर ऋषि ने भी एक झटके से अपनी साड़ी को उतार फेका और वो भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस पहने हुए आरती को पैरों से लेकर चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा

आरती के शरीरके हर हिस्से को वो बड़े ही प्यार से छूता और अपनी जीब से उसका स्वाद लेता हुआ वो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा था आरती की हालत खराब थी उसकी जाँघो के बीच में एक आग लग चुकी थी जिसे वो अब संभाल नहीं पा रही थी पर जो कुछ भी ऋषि कर रहा था वो एक आजूबा था इतने प्यार से और इतने जतन से आज तक आरती के शरीर को किसी ने भी प्यार नहीं किया था ऋषि के प्यार करने के तरीके से उसे एक बात तो पता चली थी वो यह कि
नारी का शरीर एक ऐसा खेलोना है जिसे जो चाहे जैसे चाहे खेल सकता है वो हर स्पर्श के लिए तैयार रहती है आरती से कोमल स्पर्श भी उसे शरीर में वही आग जला सकता है जोकि एक मर्दाना स्पर्श करता है वो अपने इस नये परिचय से इतना कामुक हो गई थी कि उसके मुख से पता नहीं क्या-क्या निकल रहा था

आरती- आआअह्ह ऋषि क्या कर रहा है प्लेआस्ीईईई ऋषि यह सब भी उतार दे बहुत कसते जा रहे है और इधर आ
ऋषि उसके पेट को चूम रहा था उसकी नाभि को छेड़ रहा था अपनी जीब को घुमा-घुमाकर उसके अंदर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था बड़े ही हल्के ढंग से उसने आरती की कमर को अपनी हथेली से पकड़कर अपनी जीब को घुमाकर वो आरती के पेट के हर हिस्से को चूम रहा था

आरती---आआह्ह उउउंम्म उूउउफफ्फ़ ऊऊ ऋषि प्लीज आना इधर
ऋषि नहीं आया बल्कि थोड़ा सा और ऊपर उठा और अपने होंठों से उसके रिब्स के चारो ओर किस करता रहा और फिर अपनी हथेलियो को उठाकर उसके ब्रा के ऊपर रखते हुए उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही किस करने लगा था उसे कोई जल्दी नहीं था पर आरती को थी वो अब नहीं सह पा रही थी वो जिस तरीके से उसे किस करता जा रहा था वो एक अजीब सी कहानी गढ़ रहा था आरती अपने आपको किस तरह से रोके हुए थी वो नहीं जानती थी पर हाँ… उसके प्यार करने का अंदाज निराला था
ऋषि- अच्छा लग रहा है ना भाभी
आरती- हाँ… इधर आना
ऋषि- हाँ भाभी उूउउम्म्म्ममम
ऋषि के होंठ आरती के होंठों के भेट चढ़ चुके थे और आरती का पूरा शरीर उसके शरीर से सटने की कोशिश करने लगा था वो ऋषि को खींचते हुए अपने साथ लिपट-ती जा रही थी पर ऋषि जैसे मचल गया था

ऋषि- उउउंम्म प्लीज ना भाभी रूको तो लेट मी डू इट इन माइ वे प्लीज वेट आई प्रॉमिस यू विल एंजाय जस्ट आ फेवव मोर मीं माइ लव
और ऋषि आरती की गिरफ़्त से आजाद हुआ और फिर से उसकी चुचियों को अपने होंठों से चूमता रहा ब्रा के ऊपर से
ऋषि- कॅन आई सी इट भाभी व्हाट यू हॅड इन इट हाँ…
आरती- गो अहेड माइ डियर
और वो थोड़ा सा उठी कि ऋषि उसके ब्रा के हुक को खोलेगा पर ऋषि ने उसे नहीं खोला बल्कि उसके कंधो से उसके स्ट्रॅप्स को धीरे-धीरे चूमते हुए उतरता चला गया
और जैसे ही उसके निपल्स उसके सामने थे वो धीरे से अपने होंठों को लेजाकर एक बार धीरे से उन्हें चूमकर वापस आ गया
आरती- आअह्ह उउउँ कर ना प्लीज कितना तडपा रहा है तू इधर आ
और वो ऋषि को खींचते हुए अपनी चुचियों पर उसके होंठों को रखने लगी थी

पर ऋषि तो अपने काम में ही मस्त था वो आरती की चुचियों को आजाद करके सिर्फ़ उनकी ओर ही देख रहा था और सहलाता हुआ उसकी गोलाई और कोमलता के एहसास को अपने अंदर समेट रहा था पर आरती का शरीर तो जैसे भट्टी बन चुका था वो अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि को कस कर अपने से सटा रही थी और उसे खींच रही थी कि वो कुछ करे पर ऋषि आरती के सीने पर अपना सिर रखे हुए अपने हाथों से उसे सहलाता जा रहा था और धीरे-धीरे उसकी गोल चुचियों को किस करता जा रहा था

आरती- क्या कर रहा है ऋषि प्लीज चूस ना प्लीज ऋषि चूस सस्स्स्स्शह उउउम्म्म्मममम
ऋषि- हाँ भाभी उउउम्म्म्म अच्छा लगा हमम्म्मममम
आरती-हाँ और जोर से ऋषि प्लीज और जोर से
ऋषि अपने मन से आरती की चुचियों को अपने होंठों से चूसता हुआ धीरे-धीरे उसे दबाता जा रहा था और एक हथेली को धीरे से उसके जाँघो के बीच में ले जा रहा था आरती कमोवेश की भेट चढ़ि हुई अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि के अगले स्टेप का इंतेजार कर रही थी और जैसे ही ऋषि की उंगलियां उसके चुत से टकराई वो बिल्कुल सिहर कर ऋषि को कस कर अपनी चुचियो पर कस लिया ऋषि की सांसें बंद हो गई थी

ऋषि---उउउंम्म भाभी सांसें भी नहीं ले पा रहा हूँ छोड़ो आहह

आरती- प्लीज ऋषि कुछ कर में मर जाउन्गी प्लीज वहां कुछ कर जल्दी

ऋषि- मरे आपके दुश्मन में हूँ ना आप क्यों परेशान है

एक हल्की सी आवाज आरती के मुख से निकली और वो ऋषि को अपनी जाँघो पर कस्ती जा राई थी उसकी हथेलिया ऋषि के बालों को खींचती जा रही थी पर कुछ नहीं ऋषि अपने तरीके से उसकी चूचियां चूमता हुआ उसकी चुत पर हल्के-हल्के अपनी उंगलियां चलाता रहा

आरती- प्लीज ऋषि और नहीं प्लीज़ सस्स्स्स्स्स्स्सीईईईई आआह्ह
ऋषि के हाथों को पकड़कर उसने अपनी जाँघो को फिर से कस लिया और अपनी कमर को झटके देने लगी थी

ऋषि अब थोड़ा सा उससे अलग होता हुआ फिर से अपने घुटनों पर बैठा हुआ था आरती अपनी उखड़ी हुई सांसों से उसे एकटक देख रही थी ऋषि उसकी ओर देखता हुआ धीरे से उसकी पैंटी को नीचे कर रहा था ऋषि की आखें उसकी ओर देखती हुई जैसे पूछ रही थी कि उतारू या नही


आरती ने अपनी कमर को उँचा किया ताकि ऋषि अपने काम को अंजाम दे सके और हुआ भी वही झट से पैंटी बाहर लेकिन ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी वो धीरे से आरती की टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक धीरे से किस करता हुआ उसकी जाँघो के बीचो बीच पहुँच गया था और

ऋषि- ऊह्ह भाभी युवर स्मेल सो गुड कन आई टेस्ट इट हाँ… प्लीज भाभी

आरती क्या कहती अपने हाथ को जोड़ कर ऋषि के बालों के पास ले गई और उसे अपने जाँघो के बीच में खींच लिया उसके होंठों ने जैसे ही उसकी चुत को टच किया एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और उसकी जाँघो को चौड़ा करके जहां तक हो सके ऋषि को जगह बना के देदी थी आरती ने

ऋषि तो जैसे इस चीज में मास्टर था ना कोई कोई दाँत लगा और नही कुछ और नहीं कोई जल्दी और नहीं कोई वहशीपन और नहीं जोर जबरजस्ती और नहीं कोई चुभन बस उसके होंठों की ओर उसकी जीब की अनुभूति और वो भी उसके अपर लिप्स पर और कही नहीं धीरे-धीरे वो उसके इन्नर लिप्स तक पहुँची पर आरती हार गई और
आरती- आआआह्ह ओूऊह्ह ऋषि आई कॅनट स्टॅंड मोर डियर, आई म कोँमिंग उूुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममममाआआआआआआह्ह,

ऋषि गो अहेड माइ लव गो अहेड आई म हियर युवर आखिरी ड्रॉप ईज़ माइन आई लव यू डियर

आरती का सारा शरीर आकड़ गया था और अपने पैरों को उँचा करके वो अपने शरीर को उत्तेजना के आग में जलाकर बाहर की ओर निकल रही थी वो निरंतर झटके से अपने आपको रिलीस कर रही थी और ऋषि उसकी चुत से निकलने वाले हर ड्रॉप को खींचकर अपने अंदर लेता जा रहा था वो अब भी आरती की जाँघो के बीच में ही था और आरती शांत हो गई थी और बिस्तर पर गिरी गिरी अपने हाथों को पूरे बिस्तर पर घुमा रही थी


वो बहुत थकी हुई नहीं थी पर हाँ… एक अजीब सी उत्तेजना थी जो कि अब भी उसके अंदर सोई नहीं थी झटके लेती हुई अभी तक अपने को रिलीस कर रही थी

ऋषि अब तक उसे जाँघो के बीच में ही था और हर एक बूँद को चाट-ता और अपने होंठों से छूकर उसको लगातार सूखा रहा था आरती के होंठों से अब भी हल्की हल्की सिसकारी के साथ हाँफने की आवाज आ रही थी

ऋषि के बालों को पकड़कर वो लगातार अपने ऊपर और पास खींचने की कोशिश करती जा रही थी

आरती- उउउफफ्फ़ ऋषि अब बस कर नहीं तो फिर से शुरू हो जाएगा प्लीज अब मत कर

ऋषि- क्यों भाभी अच्छा नहीं लग रहा हाँ… प्लीज ना भाभी युवर स्मेल सो गुड आई कन’त रेजिस्ट माइसेल्फ प्लीज ना

आरती- प्लीज ऋषि थोड़ा सा रुक जा सांस लेने दे इधर आ ना प्लीज

ऋषि उसकी जाँघो के बीच से अपने सिर को बाहर निकालते हुए अपने चेहरे पर गिर रहे आरती के चुत रस्स को बेड पर ही पोंच्छ लिया और अपने हाथो से आरती की जाँघो से लेकर उसके गोल गोल नितंबों को छूता हुआ अपने चहरे को आरती की चूची के ऊपर रखकर लेट गया

आरती ने भी उसे कसकर अपने सीने के आस-पास जकड़ लिया था और उसके सिर को सहलाती हुई उसे प्यार करती रही

ऋषि के हाथ अब भी उसकी कमर से लेकर उसके पीठ पर हर कही घूम रहे थे एक हल्की सी सरसराहट उसके शरीर में अब भी उठ रही थी ऋषि आरती को अपनी बाहों में भरकर उसके नंगे शरीर को बड़े ही प्यार से सहलाता जा रहा था और अपने होंठों से उसकी चुचियों के चारो ओर किस करता जा रहा था

कोई प्रेशर या जल्दिबाजी नहीं थी उसे बड़े ही आराम से और नजाकत से आरती को भी उसका इस तरह से प्यार करना अच्छा लग रहा था और उसने भी ऋषि को अपनी बाहों में भर कर अपने से सटा रखा था
आरती- ऋषि
ऋषि- जी भाभी
आरती- एक बात पूच्छू तुम बुरा तो नहीं मनोगे

ऋषि- नहीं भाभी बिल्कुल नहीं पूछिए
और उसकी हथेलिया भाभी की पीठ के साथ-साथ उसकी चुचियों पर भी आ गई थी
आरती- आह्ह स तुम अपने आप को संतुष्ट कैसे करते हो?

ऋषि- भाभी आई म नोट डेवेलप्ड तट वे आई हव प्रॉब्लम्स फिजिकली ऐज वेल ऐज मेडिकली
आरती- व्हाट डू यू मीन

ऋषि- यॅज़ भाभी प्लीज डान’त टाक अबाउट दट भाभी प्लीज लेट मी महसूस यू आंड स्मेल यू डियर प्लीज़
आरती- उउउम्म्म्म सस्शह बॅट ऋषि यू हव टू कन्सल्ट सम वन में बी डाक्टर आई मीन
ऋषि- प्लीज ना भाभी वी विल टाक अबौट इट लेटर प्लीज लेट मी प्ले वित यू यू आर सो साफ्ट आंड हेरलेस सो स्वीट टू टेस्ट आंड नाइस टू टच
आरती- हमम्म्म प्लीज ऋषि वी आर डन आलरेडी लेट मी गो तो बाथरूम फर्स्ट

ऋषि- नही प्लीज ना अभी नहीं मेरा मन नहीं भरा प्लीज ना भाभी रोज थोड़ी मौका मिलता है कितना अच्छा मौका मिला है आज हाँ…

आरती- बहुत बोल रहा है तू तो हाँ… एक लगाउन्गी छोड़ मुझे आती हूँ

और आरती उठकर बाथरूम को जाने लगी नीचे पड़े हुए पेटिकोट को उठाकर उसने अपने सीने पर बाँध लिया और ऋषि की ओर मुस्कुराती हुई देखती हुई चली गई।


बाथरूम से निकलकर उसने देखा की ऋषि अब भी वैसा ही लेटा हुआ था जैसे छोड़ कर गई थी एक हाथ अपने सिर पर रखे हुए और ब्लाउस और पेटीकोट पहने हुए उसकी पेटिकोट भी घुटनों तक थी और ब्लाउस तो सामने से ढीली ही थी
आरती मुस्कुराते हुए उसके पास पहुँची और धीरे से अपने हाथो को उसकी टांगों पर चलाने लगी

और धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाने लगी थी मचलता हुआ ऋषि बोल उठा

ऋषि- उउउंम्म भाभी मत करो ना गुदगुदी हो रही है आप इधर आओ में आपको प्यार करता हूँ

आरती- क्यों में तुझे नहीं करसकती
आरती- क्या हुआ नाराज है
ऋषि- नहीं प्लीज भाभी आप मत करो मुझे करने दो

और वो उठकर आरती के होंठों को अपने होंठों से छूते हुए एक हल्की सी पप्पी दे दिया और उसके हाथ को खींचते हुए अपने पास बुलाने लगा

आरती ने भी कोई जोर नहीं लगाया और सरक्ति हुई उसके पास चली गई वो जानती थी कि ऋषि को आज वो समझा नहीं पाएगी सो कर लेने दो उसे जो करना है वो भी मस्त हो चुकी थी ऋषि के होंठों और जीब से जो आनंद उसे मिला था वो अकल्पनीय था

आज तक जो भी सेक्स उसने किया था उसमें ताकत और वहशीपन था पर आज का सेक्स तो कुछ अलग था ना कोई जोर आजमाइश और ना दर्द और ही निचोड़ना और ना ही ताकत ना ही जितने की इच्छा और नहीं समर्पण था तो बस आनंद और आनंद और कुछ नहीं बस अपने अंदर की आग को जलाओ और फिर बुझने का इंतजार करो कोई संघर्ष नहीं और नहीं शक्ति का प्रदर्शान

वो चुपचाप ऋषि के सामने बैठ गई थी और एकटक उसके और देखती जा रही थी ऋषि उसे अपने पास खींचकर अपनी छाती से लगाया हुआ था बहुत ही आराम से कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं बस एहसास था एक दूसरे को छूने का और एक सुखद आनंद था एक दूसरे के स्पर्श का

आरती की सांसें फिर से उखड़ने लगी थी वो अपने टांगों को मोड़कर ऋषि के साथ ही बैठी रही और उसके अगले स्टेप का इंतजार कर रही थी ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी अपने पास अपनी बाहों में आरती को लिए वो आरती के चहरे को देखता हुआ अपने हाथों से उसके बालों को ठीक कर रहा था और उसके गालों पर चिपके हुए एक दो बालों को अपनी उंगलियों से पकड़ पकड़कर वापस सिर पर ठीक कर रहा था बड़ी ही नजाकत से और बड़े ही प्यार से आरती भी उसकी बाहों में बिल्कुल एक निष्क्रीय और निश्चल की तरह बैठी हुई उसकी हरकतों को देख रही थी बड़े ही प्यार से वो भी अपना उल्टा हाथों को लेजाकर ऋषि के कमर के चारो ओर से उसे पकड़ लिया और उसके पीठ पर हथेलियो को फेरने लगी थी उसे बड़ा अच्छा लग रहा था एक कोमल सी त्वचा उसकी हथेलियो से स्पर्श कर रही थी उसके ब्लाउज की खुली जगह पर उसके हाथ अपने ढंग से घूम रहे थे कभी-कभीउसके हाथो के स्पर्श से ऋषि के होंठों से भी एक सिसकारी निकलते देखकर वो खुश होती थी ब्लाउज के खुले हिस्से से
वो अपनी उंगलियों को उसके अंदर ढालने की भी कोशिश करती थी और उसके ब्रा के स्ट्रॅप को छेड़ भी देती थी और ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए देखती भी थी पर ऋषि तो अपने दी दम में था आरती के शरीर की रचना को देखने में और टटोलने में ही व्यस्त था अपनी हथेलियो से वो आरती के टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक को सहलाते हुए ऊपर की ओर उठ-ता जा रहा था साथ साथ मे उसकी पेटीकोट को भी ऊपर की ओर उठाता जा रहा था आरती अंदर से वैसी ही थी पर उसे कोई शिकायत नहीं थी ऋषि के हाथो के स्पर्श से एक ज्वार फिर से उसके अंदर उफान भर रहा था पर जाने क्या हुआ कि अचानक ही आरती ऋषि से थोड़ा सा दूर हो गई और वैसे ही अपने पेटीकोट को ना नीचे करने की कोशिश की और ना ही ठीक करने की पेटीकोट सीने से चुचियों के ऊपर की ओर बँधा हुआ था और अब तो कमर के ऊपर उठ गया था और उसकी पूरी जाँघो का शेप और रंग साफ साफ दिखाई दे रहा था आरती अपनी पीठ पर एक तकिया रखे हुए ऋषि की ओर देख रही थी
आरती- तूने बताया नहीं अपने को कैसे संतुष्ट करता है

ऋषि- मैं खुद की संतुष्ट नही करता भाभी लेकिन मुझे पीछे लेना पसंद है।
आरती-- पीछे लेना मतलब।
ऋषि- यस भाभी मैं पीछे कुछ महसूस करना चाहता हु।
आरती-- मतलब
ऋषि- भाभी मतलब कोई इसके अंदर कुछ डाले।
अपनी गांड की तरफ इशारा करते हुए ऋषि ने बताया।
आरती- छि आर यू क्रेजी
ऋषि-नही भाभी आई महसूस ग्रेट देयर आई डिड नोट नो अबाउत दट थिंग बॅट
आरती- बट बट व्हाट
ऋषि- एक बार रीना दिदी और मैने पोर्न मूवी में देखा था
आरती- तुम और रीना
ऋषि-हां भाभी उस दिन शनिवार जब रीना दीदी ने मेरी गान्ड मे उंगली की
आरती- उसके बाद
ऋषि- उसके बाद बहुत कुछ और मैने मजा भी किया लेकिन इसमें मेरा कोई दोष नही।

आरती आश्चर्य से ऋषि की ओर देखती रही पर कहाँ कुछ नहीं पर हाँ… उसे भीमा और लाखा की हरकत पर गोर करना पड़ा एक बार या दो बार उन्होंने भी अपनी उंगली उसके वहां पर डाला था तकलीफ नहीं हुई थी पर कुछ ऐसा एहसास भी नहीं हुआ था
पर अगर ऋषि कह रहा है तो हो सकता है
आरती- क्या तुमारी दीदी ने भी ऐसे मजजे लिए थे।
ऋषि- एक बार फिर शादी हो गयी अब वो अकेलि महसूस कर रही है।
आरती-क्यो उसके पति अच्छे नही है ।
ऋषि-- हाँ भाभी है तो वो अच्छे पर सेक्स के मामले में थोड़ा सा भी एडवेंचर नहीं है
आरती- तुम्हें रीना दीदी ने बताया
ऋषि-हां वो मुझे बहुत मिस करती है
ऋषि के हाथ अब भी आरती की जांघो पर ही घूम रहे थे और बीच बीच में वो उसकी जाँघो को और कभी उसकी नाभि को किस करता जा रहा था

आरती लेटी हुई ऋषि को देखती रही बड़ा ही आजीब सा करेक्टर था पर एक बात तो क्लियर थी कि उसको बर्बाद करने में उसकी बहन रीना का बहुत बड़ा हाथ था पर बर्बाद क्या वो तो था ही ऐसा रीना नहीं करती तो शायद कोई और वो अपने ख्यालो में घूम थी कि उसे ऋषि की आवाज सुनाई दी

ऋषि- भाभी एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मनोगी ना
आरती- कहो
ऋषि जो कि अब भी आरती के शरीर के हर उतार चढ़ाव को अपने हाथ से सहलाता हुआ उसके करीब ही लेटा हुआ था
ऋषि- वो भोला है ना वो कैसा आदमी है
आरती एक बार तो चौंक उठी उसकी बातों से ऋषि भोला के बारे में क्यों पूछ रहा है
आरती- क्यों नौकर है और क्या
ऋषि--नहीं भाभी बड़ा मन्ली है वो और
ऋषि ने बात बीच में छोड़ दिया था और आरती की चूचियां चूमने लगा था आरती के मुख से एक अया निकली और कही गुम हो गई थी पर उसका पूरा ध्यान ऋषि के बातों में था ना कि वो जो कर रहा था
आरती- और क्या
ऋषि- नहीं वो ऐसे ही पूछा था बस यू ही
आरती एक झटके से उठी और खड़ी हो गई
आरती- सुन अब जा अपने कमरे में बहुत देर हो गई है

ऋषि को अच्छा नहीं लगा आरती का इस तरह से हटना पर एक निगाह आरती पर डालते हुए वो भी धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया पर जाने का मन उसे नहीं था वो आरती देखकर ही समझ सकती थी
पर अचानक भोला का नाम आते ही उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी और पूरे शरीर में फेल गई थी जो कि ऋषि के बूते के बाहर था उसे शांत करना उसे इंतजार था अपने पति का रवि का

ऋषि थोड़ी देर बाद बाथरूम से निकला और अपने कपड़े पहनकर वापस अपने कमरे में चला गया जाते समय एक किस करता गया था आरती को और ना जाने की इच्छा भी जाहिर किया था पर आरती ने जबरदस्ती उसे भेज दिया कि रवि और उसके पापा कभी भी आ सकते है

ऋषि अनमने ढंग से चला तो गया पर एक सवाल आरती के लिए छोड़ गया था वो था उसने क्यों पूछा था भोला के बारे में। आखिर क्यों? ऋषि को तो भोला बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है उस दिन तो बड़ा नाराज सा हो रहा था भोले के ऊपर पर आज कहता है कि बड़ा मन्ली है ।

क्या बात है भोला के बारे में सोचते ही आरती एक बार फिर से उसकी हरकतों के बारे में सोचने लगी थी कैसे उसने उसे पहली बार छत पर देखा था किसी लड़की या फिर औरत के साथ और फिर हास्पिटल में और फिर उसकी खोली में उूउउफफ्फ़

धत्त रवि क्यों नहीं आ रहा है आज क्या कर रहा है

रवि थका हुआ सा लग रहा था आते ही बाथरूम में घुस गया था हाँ या ना में ही जबाब दे रहा था। आरती भी उससे बहुत से सवाल पूछ रही थी पर ज्यादा बात ना करते हुए बस एक बात मालूम चली की धरमपाल जी ने वही एक फ्लैट ले लिया है

आने जाने में काम आएगा और उनके दोस्त के साथ भी एक कांट्रॅक्ट साइन किया था गारमेंट्स के लिए फ्लैट उन्हीं का था खाली था इसलिए उनको यूज़ करने को दिया था अब यह फैसला हुआ था कि अब जब भी आएँगे होटेल में ना रुक कर फ्लैट में ही रुकेंगे।

खेर आरती भी रवि की हालत देखकर अपने को भूल गई थी और खाना खाने के बाद तो रवि लेटते ही नींद के आगोश में ऐसा गया कि जैसे सदियो से सोया नहीं था आरती भी बिना किसी नोकझोक के अपनी तरफ होकर सो गई

सुबह जब वो लोग उठे तो जल्दी में बैंक का अधूरा काम समाप्त करके फ्लाइट से वापस अपने शहर आ गये थे अगले हफ्ते फिर से आना था बैंक के ही काम से और कुछ और भी काम बाकी था हाँ आरती को एक बात की संतुष्टि थी की अब वो भी फ्लाइट से अपने पति के साथ आना जाना करसकती है घर पहुँचकर सुबह को फिर वही जल्दी-जल्दी अपने काम पर जाने की जल्दी रवि अपनी गाड़ी से, सोनल अपने स्कूल और आरती ऋषि के साथ फैक्टरी।

फैक्टरी गये तीन दिन हो गये थे पर काम अपनी रफ़्तार से ही चाल रहा था लगभग पूरा होने को था शायद कुछ और एक दो महीने में ही होजायगा और काम ने तेजी भी पकड़ लिया था ऋषि के साथ आरती जैसे ही फैक्टरी पहुँची एक बार फिर से वहां खलबली मच गई थी

शायद उसे देखने की कोशिश थी या फिर मेमसाहब के आने का डर जो भी हो एक शांति और खलबली तो मची थी गेट के अंदर गाड़ी जाते हुए उनको भोला अब भी वही खड़ा मिला जो कि अब ठीक हो गया था काले चश्मे के अंदर से एक नजर आरती की उस पर पड़ी और गाड़ी आगे बढ़ गई थी आरती की नजर ऋषि की ओर भी गई थी

पर वो शांत था अपने केबिन में पहुँचते ही आरती अपने काम में लग गई थी बहुत से बिल्स और वाउचर्स थे साइन करने को और कुछ और भी पेपर्स थे कुछ स्टेट्मेंट्स थे और भी बहुत कुछ ऋषि को समझाते हुए आरती अपने काम में लगी थी ऋषि भी उसके साथ-साथ उन पेपर्स को देख भी रहा था और समझ भी रह था

बहुत इंटेलिजेंट था वो एक बार में ही सबकुछ साफ होता था उसे काम से फुर्सत मिलते ही आरती ने एक बार घड़ी की ओर देखा बाप रे 2 30 बज गये इतनी जल्दी

आरती- ऋषि कितनी जल्दी टाइम निकल गया ना,

ऋषि- कहाँ कितनी देर हो गई आप तो बस काम में लगी थी

आरती- अगर तुम मेरी हेल्प करते तो जल्दी नहीं हो जाता

ऋषि- हाँ… अब से में करूँगा भाभी पर मेरा मन नहीं करता

आरती- तो तेरा मन क्या करता है

ऋषि- बस वैसा ही करने को ही ही ही

आरती- एक जोर दार लगाउन्गी ना गलती से भी फिर कभी नहीं कहना

ऋषि- क्यों आप तो हमारी दोस्त थी ना फिर ऐसा क्यों

आरती- सुन ऋषि मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता

ऋषि मायूष सा हो गया उसके चहरे को देखकर लगता था कि उसका मन टूट गया था जिस चीज की आशा उसने की थी शायद वो अब उसे कभी नहीं मिलेगी भाभी उससे नाराज हो गई थी वो अपनी आखें ना उठाकर वैसे ही बैठा रहा
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:35 PM

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