Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:29 PM,
#38
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती के जेहन में अब तक लाखा और रामू की छवि छाइ हुई थी किसी तरह से उन दोनों ने मिलकर उसे निचोड़ कर रख दिया था उसका बुरा हाल हो रहा था और उसकी चूचियां और शरीर का हर हिस्सा दर्द में बदल चुका था वो लेटी हुई अपने बारे में सोच रही थी और पास में लेटे हुए अपने पति के बारे में भी वो क्या से क्या हो गई थी आज तो जैसे वो अपनी नजर से बहुत गिर चुकी थी उसने जो आज किया था वो क्या कोई घर की बहू करती है
क्या उसने जो भी किया उसके लिए ठीक था जाने क्यों वो इस बात के निर्णय पर नहीं पहुँच पाई और शून्य की ओर देखती हुई कब सो गई पता ही नहीं चला


सुबह जब आखें खुली तो रवि उसकी बगल में नहीं था शायद नीचे चाय पीने गया था वो जल्दी से उठी और झट से बाथरूम में घुस गई नहाते समय उसे अपने शरीर में काले नीले धब्बे दिखाई दिए और मिरर में देखकर वो चकित रह गई थी यह धब्बे कल रात का परिणाम था उसके शरीर के साथ हुए कर्म की निशानी थे पर एक सी मुस्कान उसके होंठों में दौड़ गई थी क्या वो इतनी गिरी हुई है कि लाखा और रामू उसके शरीर में इस तरह के निशान छोड़ गये।
क्या वो इतनी कामुक है कि उसे कल पता भी नहीं चला कि क्या हो गया पर हाँ… उसे दर्द या फिर कुछ भी अजीब सा नहीं लगा था तब अच्छा ही लगा होगा नहीं तो वो संघर्ष तो करती या फिर कुछ तो आशा करती जो उसे अच्छा नहीं लगने का संकेत होता पर उसने तो बल्कि उन दोनों का साथ ही दिया और उन्हें वो सब करने दिया जो कि वो चाहते थे हाँ… उसे मजा ही आया था और बहुत मजा आया था उसने कभी जिंदगी में मजा कभी नहीं लिया था वो भी सेक्स का वो इतना कभी नहीं झड़ी थी जितना कि कल रात को वो कभी सेक्स में इतना नहीं थकि थी जितना कि कल रात को उसके शरीर का इस्तेमाल भी कभी किसी ने इस तरह से नहीं किया था कि जितना कि कल हाँ… यह सच था और उसी का
ही परिणाम था यह जो की उसके शरीर में जहां तहाँ उभर आए थे वो अपने शरीर को घुमाकर हर हिस्से को एक बार देखना चाहती थी उसकी जाँघो में नितंबों में जाँघो के पीछे के हिस्से में कमर में नाभि के आस-पास और चूचियां में और निपल्स में गले में हर कही उसे दिख रहे थे वो मिरर में एक बार अपने को देखकर और फिर अपने शरीर को मिरर में देखने लगी थी कितनी सुंदर है वो क्या शरीर पाया है उसने मस्त चूचियां जो की निपल्स के साथ किसी की चोटी की तरह से सामने की ओर देख रहे थे उसके नीचे पतली सी कमर उसके बीच में गहरी नाभि जो कि उसके शरीर को और भी ज्यादा सुंदर बना देती थी नीचे नितंबों का सिलसिला होते हुए जाँघो से नीचे तक टाँगें जो कि उसके शरीर को किसी बोतल के शेप में चेंज कर देती थी

कंधों के ऊपर से सुराहीदार गर्दन और फिर उसका प्यारा सा चहरा लाल होंठ उसके ऊपर नोक दार नाक पतली सी और फिर उसकी कातिल निगाहे जो कि बहुत कुछ ना कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती थी

वो खड़ी-खड़ी अपने को बहुत देर तक इसी तरह से देख रही थी कि डोर पर नॉक होने से वो वापस वास्तविकता में आई और बाहर खड़े रवि को आवाज दी
आरती- जी

रवि- जल्दी निकलो मुझे जाने में देर हो जाएगी

आरती- बस दो मिनट
और वो जल्दी से अपने आपको संभाल कर बाहर आने की जल्दी करने लगी बाहर आते ही उसे रवि अपने आफिस बैग में कुछ करता दिखा

रवि- कल क्या हुआ था तुम्हें

आरती---- क्यों

रवि उसके पास आया और, माथे को और फिर होंठों को चूमते हुए उसकी आखों में आँखे डालकर कहा
रवि- बिना पैंटी के ही सो गई थी

आरती- छि छि तुमने देखा

रवि- ही ही हाँ… नशा ज्यादा हो गया था क्या

आरती- जंगली हो तुम

रवि- यार यह तो मैंने नहीं किया
वो आरती की गर्दन और गाल के नीचे तक लाल और काले निशानो की ओर इशारे करता हुआ बोला

आरती- हाँ…और कहाँ से आए है, किसने किया

रवि- यार नशे में था पर सच बताऊ तो मुझे कुछ याद नहीं

तब तक आरती पलटकर अपने ड्रेसिंग टेबल तक पहुँच चुकी थी वो रवि से नजर नहीं मिला पा रही थी
पर रवि उसके पीछे-पीछे मिरर तक आ गया और उसे पीछे से पकड़कर कंधों से बाल को हटा कर उसकी पीठ पर आया और गर्दन पर निशानो को देखकर छूता जा रहा था

रवि- सच में डियर मुझे कुछ भी याद नहीं सॉरी यार

आरती- धात जाइए यहां से और अपने को झटके से रवि से अलग करती हुई वो अपने बालों पर कंघी फेरने लगी थी रवि भी थोड़ी देर खड़ा हुआ कुछ सोचता रहा और फिर घूमकर बाथरूम की ओर चल दिया
रवि- आज आओगी ना

आरती- नहीं मन नहीं कर रहा

रवि- घर में क्या करोगी आ जाना सोनल के साथ उसकी भी छुटिया है।

आरती- देखती हूँ मन किया तो
और रवि बाथरूम की ओर चला गया था। आरती अपने आपको संवारती हुई अपने पति के बारे में सोचने लगी क्या वो जो कर रही है वो ठीक है उसका पति उसे कितना प्यार करता है और वो उसे धोका दे रही है

हां धोखा ही तो है वो सोच रहा है कि वो दाग उसने दिया पर हकीकत तो कुछ और ही है वो मिरर के सामने अपने से अपनी नजर नहीं मिला पा रही थी और वापस अपने बिस्तर पर आके बैठ गई और कंघी करने लगी उसके दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थी पर उसे अपने पति को धोखा देना अच्छा नहीं लगा उसका मन एकदम से निराश सा हो गया वो शायद रो भी देती पर रवि को क्या बताती कि वो क्यों रो रही है इसलिए चुपचाप बैठी हुई बाल ठीक करके उसके आने का इंतेजार करने लगी

रवि जब तक बाहर आया तब तक वो थोड़ा सा नार्मल हो चुकी थी पर जेहन में वो बातें चाल तो रही थी रवि के तैयार होने के बाद जब वो नीचे गया तो वो भी उसके साथ ही नीचे गई डाइनिंग टेबल पर सजे हुए डिश और खाने को देखकर वो भी थोड़ा सा नार्मल होती चली गई और खाना परोश कर रवि को खिलाने लगी थी
फिर कल की तरह ही पूरी शाम तक वो अपने पति और सोनल के साथ ही रही
उसके मन में एक बार भी कही कोई त्रुटि नहीं आई या फिर कहिए सेक्स के बारे में कोई भी सोच नहीं आई वो इसी तरह से अपने शाम तक का टाइम निकाल कर जब अपने पति के साथ घर पहुँची तो बहुत थक गई थी घर पहुँचकर भी उसने ना तो रामू काका से नजर ही मिलाई और नहीं लाखा काका के सामने कोई उत्तेजना ही

इसी तरह रात को भी आरती अपने कमरे में ही रही रात को रवि के साथ सेक्स का मजा भी लिया और बहुत ही प्यार भरी बातें भी की रवि उसे बहुत छेड़ रहा था उसे बार-बार अपने काम के बारे में पूछकर उसे एमडी एमडी कहकर, छेड़ता जा रहा था उसे भी अपने पति की छेड़ छाड़ अच्छी लग रही थी वो अगर इतना ध्यान उसे दे तो क्या जरूरत है उसे किसी के पास जाने की अगर वो उसे समय दे तो क्या जरूरत है उसे किसी से समय माँगने की वो बहुत खुश थी और अपने बिस्तर पर पड़े हुए वो एक चरम सुख का आनद ले रही थी उसे आज साफ्ट सेक्स में मजा आ रहा था कितना प्यार करते है रवि उसे कितने हल्के हाथों से और कितने जतन से कही उसे चोट ना लग जाए या फिर निशान ना पड़ जाए कितने प्यार से उन्होंने उसकी चुचियों को छुआ था और कितने प्यार से उन्हें मुख में डालकर चूसा भी था वो एक परम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी जब रवि ने उसकी चुत के अंदर प्रवेश किया तो आआआआआह्ह एक सिसकारी उसके मुख से आनयास ही निकल गई थी और वो रवि के होंठों को अपने होंठों में लेकर चुबलने लगी थी कितना आनंद और सुख है रवि के साथ कोई चिंता नहीं कैसे भी और किसी भी वक़्त वो अपने पति के साथ आनंद ले सकती थी रवि की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी और वो अब पूरी गति से आरती पर छाया हुआ था और आरती भी अपने पति का पूरा साथ दे रही थी और आज तो कुछ ज्यादा ही

वो हर धक्के पर उच्छल जाती और अपनी बाहों के घेरे को और भी रवि के चारो ओर कस्ति जा रही थी हर धक्के को वो भी रवि के धक्के के साथ मिलाना चाहती थी और हर धक्के के साथ ही वो रवि को किस भी करती जा रही थी और उसके होंठों के बाद अब तो वो उसकी जीब को भी अपने होंठों में दबा कर अपने मुख के अंदर तक ले जाने लगी थी आरती की सेक्स करने की कला से रवि भी हैरान था और वो जानता था, कि आरती बहुत ही गरम है और वो अब ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाएगा जिस तरह से आरती अपनी कमर को उछाल कर उसका साथ दे रही थी उसे अंदाजा हो गया था कि आरती भी कभी भी उसका साथ छोड़ सकती है आरती के होंठों से निकलने वाली हर आवाज अब उसे साफ-साफ सुनाई दे रही थी जो कि उसके कान के बिल्कुल करीब थी और भी उसे उसके करीब खींचने की कोशिश कर रही थी

रवि ने भी अपने पूरे जोर लगाकर आरती को अपनी बाहों के घेरे में कस रखा था और लगातार अपनी स्पीड को बढ़ा रहा था हर धक्के में वो आरती के जेहन तक उतर जाना चाहता था और उसे रास्ता भी मिल रहा था आज आरती उसे पागल कर दे रही थी वो जिस तरह से अपनी दोनों जाँघो को उसकी कमर के चारो ओर घेर रखा था उससे वो बहुत ज्यादा ऊपर भी नहीं हो पा रहा था उसकी जकड़ इतनी मजबूत थी कि वो छुड़ाने की कोशिस भी नहीं कर पा रहा था
आरती- जोर से रवि और जोर से

रवि- हूँ हूँ आअह्ह हाँ…

आरती- और कस कर पकडो प्लीज और कस कर मारो प्लीज
रवि अपनी पूरी ताकत लगाके आरती को जकड़े हुए था पर आरती उसे और भी पास और भी नजदीक लाने की कोशिस कर रही थी वो उत्तेजना में जाने क्या-क्या कह रही थी वो अपने पूरे जोर से आरती के अंदर-बाहर हो रहा था पर आरती के मुख से निकल रहे शब्दों को सुनकर, सच में पागल हुए जा रहा था वो अपनी पूरी शक्ति लगाकर आरती को चोदने में लगा था पर आरती को उपने शिखर में पहुँचने में अभी थोड़ी देर थी वो रवि को जितना हो सके उसने जोर से कस कर भिच रखा था और लगातार अपनी कमर को हिलाकर रवि के लण्ड को जितना हो सके अंदर तक ले जाने की कोशिश करती जा रही थी वो एक साधारण औरत जैसा बिहेव नहीं कर रही थी वो एक सेक्स मेनिक जैसी हो गई थी और अपने ऊपर अपने पति को ही निचोड़ने में लगी हुई थी वो अपनी चुत को भी सिकोर्ड कर उसके रस को अपने अंदर तक समा लेने चाहती थी


और उधर रवि जितना रुक सकता था रुका और धम्म से आरती के ऊपर ढेर हो गया वो अपनी पूरी शक्ति लगा चुका था और आरती को चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ा था पर पता नहीं आरती को क्या हो गया था कि आज वो उसका साथ नहीं दे पाया वो अब भी नीचे से धक्के लगा रही थी और रवि के सिकुडे हुए लिंग को अपने से बाहर निकलने नहीं दे रही थी अचानक ही आरती जैसे पागल हो गई थी एक झटके से अपनी जाँघो को खोलकर वापस आपास में जोड़ लिया और रवि को नीचे की ओर पलट दिया और खुद उसके ऊपर आके उसके ऊपर सवार हो गई अब आरती रवि को चोद रही थी ना कि रवि आरती को। रवि शिथिल होता जा रहा था उसके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वो आरती को सहारा दे और उसे
थामे। पर आरती को जैसे किसी तरह की मदद की जरूरत ही ना हो वो रवि के ऊपर सवार होकर अपनी कमर को तेजी चलाकर अपनी हवस को शांत करती जा रही थी पर शायद रवि के सिकुड़ जाने के बाद उसे इतना मजा नहीं आया था वो एकदम से रवि के सीने में गिर गई और उसे चूमते हुए
आरती- प्लीज रवि थोड़ी देर और प्लीज करो ना आआआआआआअ
आरती की कमर अब भी अपने अंदर रवि के लण्ड को निचोड़ जा रही थी पर रवि में अब ताकत नहीं बची थी सो वो अपने हाथों को उसकी कमर के चारो और लेजाकर कस के उसे पकड़ लिया और नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा था ताकि आरती को शांत कर सके पर आरती ने तो जैसे आशा ही छोड़ दी थी वो रवि के सीने से चिपकी हुई अपने कमर को आगे पीछे करती जा रही थी और रवि के सीने पर किस करते-करते अपनी उंगलियों से उसके बालों को खींचने लगी थी

रवि- आहह क्या करती हो

आरती- धात थोड़ी देर और नहीं कर सके

रवि- अरे आज क्या हुआ है तुम्हें पहले तो ऐसा नहीं देखा

आरती- एक तो इतने दिन बाद हाथ लगाते हो और फिर अधूरा ही छोड़ देते हो
और रवि के ऊपर से अपनी साइड में उतरगई रवि को भी दुख हुआ और आरती को अपनी बाहों में भर कर उसके गालों को चूमते हुए कहा

रवि- अरे यार पता नहीं क्या हुआ आज पर पहले तो ऐसा नहीं हुआ

आरती- बुड्ढे हो गये हो और क्या सिर्फ़ दुकान और, पैसा ने तुम्हें बूढ़ा बना दिया है और कुछ नहीं
और गुस्से में पलटकर सोने की कोशिश करने लगी पर नींद कहाँ वो अपनी अधूरी छोड़ी हुई वासना को कैसे पूरी करे सोचने लगी।
वो अचानक ही रवि की ओर मूडी और फिर से रवि को अपनी बाहों में भर कर उसे किस करने लगी
रवि को भी लगा कि शायद गुस्से के कारण उसने जो कहा उसके लिए शर्मिंदा है सो उसने भी आरती को अपनी बाहों में भर लिया और वो भी आरती को किस्स करने लगा था पर आरती के दिमाग में कुछ और ही था वो रवि को किस करते हुए अपना एक हाथ नीचे उसके लण्ड तक पहुँचा चुकी थी रवि एक दम भौचक्का रह गया वो आखें खोलकर आरती की ओर ध्यान से देखने लगा आरती के चहरे पर एक कातिल सी मुश्कान थी जैसे वो कह रही हो कहाँ जाओगे बचकर वो रवि के लण्ड को अपने हाथों में लेकर उसे अपने लिए तैयार करने चेष्टा में थी उसकी आखों में एक अजीब सी चमक थी जो कि रवि ने आज से पहले कभी नहीं देखी थी वो एक अलग सी आरती को देख रहा था पर हाँ… उसे अपनी पत्नी का यह अंदाज अलग और अच्छा लगा वो भी फिर से अपनी में आने लगा था आरती की हथेलियो में उसके लण्ड को एक नई उर्जा मिल रही थी और उसके किस में भी एक अलग ही बात थी जो कि आज तक उसने कभी महसूस नहीं किया था


आरती रवि के लण्ड को धीरे-धीरे अपने हाथों से सहलाती हुई रवि के होंठों को किस करती जा रही थी और एकटक रवि की ओर देखती जा रही थी फिर धीरे से रवि के होंठों को छोड़ कर वो रवि के सीने के बालों में अपने होंठों को एक दो बार घुमाकर उसके पेट और नाभि तक पहुँच गई थी उसका एक हाथ अब भी उसके लण्ड पर ही था जो कि अपने अस्तित्व में आने लगा था और थोड़ा बहुत झटके लेकर अपने आपको जगा हुआ परवर्तित करवाने की चेष्टा में था आरती के होंठों से रवि के शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी और वो झुक कर अपनी पत्नी को उसे इस तरह से प्यार करते हुए नीचे की ओर जाते हुए देख रहा था वो आरती के सिर को सहलाते हुए अपने तकिये में चुपचाप लेटा हुआ था आरती के होंठों ने जब उसकी नाभि और पेट को छोड़ कर अचानक ही उसके लण्ड को किस किया तो वो लगभग चौक गया और नीचे की और देखते हुए अपनी पत्नी के सिर पर अपने हाथों के दबाब को बढ़ते हुए पाया था शायद हर मर्द की चाहत ही होती है कि कोई औरत उसके लण्ड को चूसे बिस्तर पर एक वेश्या जैसे वर्ताव करे पर जब यह सब होने लगता है तो एक बार आश्चर्य होना वाजीब है और रवि को भी हो रहा था पर आरती जिस तरह से उसके लण्ड को अपने मुख के अंदर लेकर खेल रही थी या फिर उसके लण्ड को अपने लिए तैयार कर रही थी वो अपना आपा खो चुका था अपने लण्ड को आरती के मुख में डालने की शायद वो चाहत रवि के अंदर भी थी पर शायद कह नही पाया था पर आज तो जैसे वो आरती को अपने लण्ड का स्वाद लेने के लिए दबाब भी बनाने लगता जैसे ही आरती की जीब ने उसके लण्ड को छुआ वो अपने शरीर में झटके को नहीं रोक पाया।
रवि-----------आआआआह्ह आरतीआआआआआअ

आरती- हाँ… क्या

रवि- प्लीज एक बार चूस लो प्लीज बहुत इच्छा थी प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
आरती- हाँ… एक बार क्यों
और चप से उसके लण्ड को अपने मुख के अंदर ले गई और प्यार क्या होता है यह अब समझ में आया रवि को जैसे ही आरती ने अपने होंठों के बीच में उसके लण्ड को दबा के आगे पीछे अपने होंठों को किया वो तो जैसे पागल ही हो गया अपनी कमर को उठाकर आरती के मुख में अपने लण्ड को घुसाने की कोशिश करने लगा था और आरती जो कि रवि की स्थिति से भली भाँति वाकिफ थी अपने हाथों को जोड़ कर और अपने होंठों को जोड़ कर उसने अपने खेल को अंजाम देना शुरू कर दिया जीब का साथ भी लेती जा रही थी रवि अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था और अब वो फिर से आरती को चोदने को तैयार था वो अपने हाथों को बढ़ा कर आरती के शरीर को छूने का मजा ले रहा था रवि अब धीरे-धीरे उठकर बैठ गया था और आरती उसके सामने घुटनों के बल बैठी हुई प्रणाम करने की मुद्रा में बैठी हुई रवि के लण्ड को चूसती जा रही थी रवि अपनी पत्नी को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी कमर को भी एक बार-बार झटके दे चुका था आरती को अपने मुँह में रवि के लण्ड का सख्त होना अच्छा लग रहा था वो भूल चुकी थी कि वो अपने पति के साथ है और किसी के साथ नहीं पर वो मजबूर थी जो आग उसके शरीर में लगी थी अगर वो उसे नहीं बुझाएगी तो वो पागल हो जाएगी या फिर से उसके कदम बहक जाएँगे इसलिए वो अपने पूरे जोर से रवि को अपने लिए तैयार करने में जुटी थी उधर रवि भी पूरी तरह से तैयार था उसके मुख से अचानक ही एक आवाज आरती के कानों में टकराई
रवि- आरती निकल जाएगा

आरती ने झट से रवि के लण्ड को छोड़ दिया और एकदम से घुटनों के बल खड़ी हो कर रवि के होंठों को चूमते हुए
आरती- नहीं अभी मत निकालना प्लीज अंदर करो
और खुद ही रवि के दोनों ओर अपनी जाँघो को खोलकर बैठ गई और अपने ही हाथों के सहारे से रवि के लिंग को अपनी उत्तेजित चुत के अंदर डालने की कोशिश करने लगी रवि भी कहाँ पीछे रहने वाला था एक ही झटके में आरती के अंदर तक समा गया





आरती जो कि अब तक बस किसी तरह से अपने को रोके हुए थी पर जैसे ही कामेश उसके अंदर तक पहुँचा वो तो जैसे पागल ही हो गई अपने हाथों से जैसे इस बार उसे नहीं जाने देना चाहती थी वो खुद ही अपने अंदर तक उसके लण्ड को समाने की कोशिश में लगी थी वो अपने को उपर नीचे करते हुए रवि को अपनी दोनों बाहों के घेरे में लिए उसकी गोद में उछल कर अपने को शांत करने की कोशिश करने लगी थी

रवि जो कि अब पूरी तरह से तैयार था और आरती के उतावलेपन से थोड़ा सा परेशान जरूर था पर एक बात तो थी कामया के इस तरह से उसका साथ देने से वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित था हर एक धक्के में वो आरती के जेहन तक समा जाता था और फिर अपने को थोड़ा सा सिकोड़ कर फिर से वो आरती के अंदर तक चला जाता था आरती जो कि उसके ऊपर बैठी हुई थी अपनी दोनों जाँघो से रवि की कमर को कस कर जकड़े हुई थी हर धक्के पर आरती के मुख से
कामया- ऊऊऊऊओह्ह… रवि प्लीज थोड़ा जोर से उउउम्म्म्मममम
और रवि के होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसती और अपनी बाहों के घेरे को और भी उसके गले के चारो और और कसते जाती जाँघो का कसाव भी बढ़ता जाता
रवि- और जोर से और जोर से
रवि भी क्या करता आरती को झट से नीचे गिरा कर उसके ऊपर सवार हो गया और जोर से अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा पर आरती तो जैसे भूखी शेरनी थी रवि के बालों को पकड़कर उसने अपने होंठों से जोड़ रखा था और लगातार उससे रिक्वेस्ट करती जा रही थी
और जोर से और जोर से
रवि का दूसरी बार था पर वो अपने जोर में कोई कमी नहीं ला रहा था उसकी हथेली आरती के बालों का कस कर जकड़कर अपने होंठों से लगाए हुए था और बाहों के घेरे को कसकर आरती के सीने के चारो ओर कस रखा था अपने शरीर के जोर से उसे बेड पर निचोड़ रहा था और कमर के जोर से उसे भेदता जा रहा था और टांगों के ज़ोर से अपनी गिरफ़्त को बेड पर और मजबूती से पकड़े हुए था पर आरती लगातार उसे
और जोर से कहती हुई उससे किसी बेल-की भाँति लिपटी हुई थी और लगातार हर चोट पर रवि की चोट का साथ देती जा रही थी रवि अपने आखिरी पड़ाव की ओर आग्रसर था पर आरती का कही कोई पता नहीं था वो लगातार अपनी कमर को उछाल कर अपनी उत्तेजना को दिखा रही थी पर रवि और कहाँ तक साथ देता वो झर झर करता हुआ झड़ने लगा था दो चार धक्कों के बाद ही वो अपने शिखर की ओर चल दिया आरती ने जैसे ही देखा कि रवि उसका साथ छोड़ने को है वो एकदम से भयानक सी हो गई और रवि को पलटकर झट से उसके ऊपर सावर हो गई ताकि बचाकुचा जो भी है उससे ही अपना काम बना ले वो नहीं चाहती थी कि वो अपने आपको तड़पता हुआ सा पूरीजागे या फिर अपनी आग को बुझाने को नौकरों के पास जाए

वो जैसे ही रवि पर सवार हुई रवि तो ठंडा हो गया पर आरती उसके ऊपर सवार होकर जैसे तैसे अपने को शांत कर सकी नहाई नहीं थी ना तो सुख के सागार में गोता ही लगाया था पर हाँ… नदी के किनारे खड़े होने से थोड़े बहुत पानी से भीग जरूर गई थी जैसे नहाई हुई हो और रवि के ऊपर गिर कर उसे और जोर से किस किया और अपनी जगह पर पलट गई

रवि- क्या हो गया है तुम्हें

आरती- क्या कुछ नहीं बस ऐसे ही

रवि- पर आज तो कमाल कर दिया

आरती- अच्छा नहीं लगा तो कल से नहीं करूँगी

रवि- अरे यार तुम भी ना
और आरती को कस कर अपनी बाहों में भरकर सो गया
पर आरती की आखों में नींद नहीं थी वो जागी हुई थी और अपने अतीत और भविष्य के बारे में सोच रही थी



आरती की आखें जरूर खुली थी पर वो सोई हुई थी उसके पति की हथेलिया अब भी उसकी चुचियो पर थी और वो उन्हें धीरे-धीरे मसल रहा था रवि शायद नींद के आगोश में समा गया था क्योंकी उसके मसलने की प्रक्रिया धीरे-धीरे मध्यम पड़ती जा रही थी पर आरती जागी हुई थी और सोच रही थी आखिर क्यों रवि उसका साथ नहीं दे पाया आखिर क्यों
क्या वो ही इतनी कामुक हो गई है कि अब रवि उसके लिए पर्याप्त नहीं है या फिर रवि पहले से ही ऐसा है पर पहले तो वो कई बार रवि से अपने को छुड़ाने के लिए संघर्ष कर चुकी है पहले तो रवि उसे निचोड़ कर रख देता था तो अब क्या हुआ ठीक है कोई बात नहीं कल देखेंगे सोचते हुए आरती सो गई। सुबह भी वो रवि से पहले ही उठ गई थी। रवि
अब भी सो रहा था ।

बाथरूम से फ्रेश होकर जब वो बाहर आई तो उसने ही को उठाया रवि हड़बड़ा कर उठता हुआ अपने काम में लग गया फिर दोनों नीचे जाकर सोनल के साथ चाय पिए और फिर अपने कमरे में आकर जाने की तैयारी में जुट गये रवि आरती से कुछ कम बाते कर रहा था
आरती- क्या हुआ

रवि- क्यों

आरती- रोज तो बहुत बातें करते हो आज क्या हुआ

रवि- अरे नहीं यार बस कुछ सोच रहा था

आरती।- क्या
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:29 PM

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