Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:28 PM,
#36
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
फिर उसका चहरा घुमा एक हाथों ने घुमाया और फिर से दूसरी तरफ से एक होंठों ने उसके होंठों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया और बहुत देर तक उनको अपने होंठों के बीच में लेकर चूमता रहा उसके शरीर में एक साथ बहुत से हाथ और होंठ घूमने लगे थे जहां भी वो महसूस कर पाती वहां एक हथेलियाँ जरूर होती थी

- बहू आज लाखा मेरा भाई भी आया है ये भी अब शहर काम करने आया है और आज से यही इस घर में रहेगा हुहम्म्म्मममममममममम
और एक बार फिर से वो दूसरे सख्स ने उसके होंठों को अपने कब्ज़े में ले लिया अच्छा तो वो लाखा काका थे जो कि रामु काका के बिस्तर पर सोए हुए थे अब तो आरती के शरीर में फिर से एक अजीब सी स्फूर्ति आ गई थी आज का पल वो खोना नहीं चाहती थी उसकी चुत में फिर से हलचल होनी शुरू हो गई थी और रामू काका तो उसे किस कर रहे थे पर लाखा काका तो फिर से अपनी उंगली उसकी चुत में डाले उसे फिर से उत्तेजित करने में लगे थे रामु काका उसे किस करते हुए उसकी चूचियां निचोड़ रहे थे जो कि उसे आज बहुत ही अच्छा लग रहा था और नीचे लाख काका भी उसकी चुत के अंदर अपनी उंगलियों को बहुत ही तेजी से अंदर बाहर कर रहे थे अचानक ही लाखा काका ने उसकी जाँघो को अलग किया और अपने लण्ड को एक ही झटके में उसके अंदर तक उतार दिया। आरती बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इस तरह के बरताब के लिए और एक लंबी सी चीख उसके मुख से निकली जो कि झट से रामू काका ने अपने मुख के अंदर लेके कही गुम करदी अब लाखा काका नीचे से उसकी चुत के अंदर-बाहर हो रहे थे और बहुत ही तेजी के साथ हो रहे थे जिससे कि उसका पूरा शरीर ही बिस्तर पर ऊपर-नीचे की ओर हो रहा था पर रामू काका की पकड़ इतनी मजबूत थी कि जैसे वो उसे उनके हाथों से छोड़ना ही नहीं चाहते हो वो कस कर आरती को छाती से जकड़े हुए अपने होंठों से आरती के होंठों को पी रहे थे और बहुत ही बेदर्दी से उसकी चूचियां को दबा भी रहे थे आरती के मुख से निरंतर चीख निकल रही थी और उसकी चुत में एक बार फिर से तूफान आने लगा था पर वो सांसें भी नहीं ले पा रही थी रामू काका और लाखा काका ने उसे इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो हिल भी नहीं पा रही थी बस उनकी मर्ज़ी की हिसाब से उनके हाथों का खिलोना बनी हुई थी लाखा काका तो जैसे जंगलियो की तरह से उसे भोग रहे थे वही रामू काका भी बहुत ही उत्तेजित से दिख रहे थे वो अब आरति के होंठों को काटने भी लगे थे और उसकी जीब को खींचकर अपने होंठों के अंदर तक ले जाते थे आरती की जान निकल गई थी। उसके शरीर का रोम रोम उसके हाथों के सुपुर्द था और जैसा वो दोनों चाहते थे कर रहे थे कोई डर नहीं था उनके मन में ना कोई चिंता बस अपने हाथों में आई इस हसीना को चीर कर रख देना चाहते थे

लाखा काका की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी जैसे कि वो अपने मुकाम पर पहुँचने ही वाले थे पर जाने क्या हुआ कि रामू काका की पकड़ अचानक ही उसके सीने पर से थोड़ी ढीली हुई और

रामू- लाखा हट अब मुझे करने दे

लाखा- अरे रुक जा बस थोड़ी देर

रामू- अरे हट ना साले तू ही करेगा क्या मुझे भी मौका दे साले

लाखा- रुक यार साली दोनों को खुश किए बिना कहाँ जाएगी बस हो गया तू मुँह में डाल दे जबरदस्त चूसती होगी । डाल साली के मुँह में

आरती नीचे पड़ी हर धक्के में कोई ना कोई आवाज सुन जरूर रही थी पर धक्के इतने जबरदस्त होते थे कि पूरी बातें उसे सुनाई नहीं दी थी पर हाँ इतना जरूर था कि दोनों एक दूसरे को हटाकर उसे चोदना चाहते थे पर अचानक ही उसके मुख से चीख निकलती, वही रामू काका ने जबरदस्ती उसके बालों को खींचकर अपने लण्ड पर उसका मुख रगड़ने लगे थे उसकी सांसों को एकदम से बंद कर दिया था रामू काका के उतावले पन ने पर उनके जोर के आगे वो कहाँ एक ही झटके में उसके मुख में रामु काका का लंबा और सख़्त सा लण्ड समा गया था वो गूओगू करती हुई अपने को संभालती तब तक तो रामू काका के हाथों के जोर से वो खुद आगे पीछे होने लगी थी आरती का शरीर अब अपने शिखर पर पहुँचने ही वाला था और इस तरह से छीना झपटी और बेदर्दी उसने पहली बार सहा था जिससे की वो कुछ ज्यादा ही जल्दी झड़ने लगी थी वो अपने चेहरे को रामू काका के लण्ड से अलग करने की कोशिस करने लगी थी और कमर के हर एक झटके के साथ ही वो दूसरी बार झड़ने लगी थी लाखा काका भी झड़ गये थे पर अभी भी लगातार झटके लगा रहे थे इतने में

रामू- साले हट हो तो गया
और उसने लाखा को एक धक्का दिया और उसे पीछे की ओर धकेल दिया और जल्दी से अपने लण्ड को निकाल कर आरती की जाँघो के बीच में बैठ गया और किसी ओपचारिकता के बिना ही एक ही झटके में अपना लण्ड उसके अंदर तक उतार दिया आरती जो कि झड चुकी थी और अपनी सांसों को नियंत्रण करने में लगी थी इस अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं थी पर अब क्या हो सकता था रामू काका तो जानवरो की तरह से उसे चोद रहे थे उन्होंने कसकर आरती को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों पर टूट पड़े थे और जम्म कर अपने पिस्टन को अंदर-बाहर कर रहे थे इतने में लाखा भी रामु को उससे अलग करने लगा था तो रामु की पकड़ थोड़ी सी ढीली हुई पर एक और मुसीबत उसके सामने थी लाखा काका ने अपने लण्ड को उसके मुख में घुसा दिया उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि उसे कैसा लगेगा वो दोनों अपने हिसाब से उसे मिल बाँट कर खा रहे थे और वो भी बिना किसी ना नुकर के सब झेल भी रही थी उसके मुख में जैसे ही लाखा काका ने अपना लण्ड डाला उसे उबकाई सी आने लगी थी पर लाखा काका ने जोर से उसका माथा पकड़ रखा था और अपने लण्ड को आगे पीछे कर रहे थे उधर रामु काका भी अपने पूरे जोर से आरती को चोद रहे थे या कहिए अपना गुस्सा निकाल रहे थे जो भी हिस्सा उनके हाथों में आता उसे मसलकर रख देते थे या फिर जो भी हिस्सा उसके होंठों में आता वहां एक काला दाग बना देते थे आरती तो जैसे मर ही गई थी उनकी हरकतों के आगे वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी बस हर धक्के में आगे या फिर पीछे हो जाती थी और लाखा काका के लण्ड को अपने गले तक उतरते हुए महसूस करती थी वो कब झड़ गई उसे पता नहीं चला पर हाँ… थोड़ी देर बाद दोनों शांत होकर उसके शरीर के हर हिस्से सटे हुए थे वो अब भी खाँसते हुए सांस ले रही थी पर वो दोनों तो जैसे मर ही गये थे उसके शरीर को किसी गद्दे की तरह समझ कर वही सो गये थे वो भी बिल्कुल हिल नहीं पा रही थी और उसके जेहन में कोई भी बात आने से पहले ही वो भी वही सो गई
वो सो क्या गई बल्कि कहिए निढाल हो चुकी थी उसका शरीर और दिमाग़ बिल कुल सुन्न हो गया था जिस तरह से रामू और लाखा काका ने उसे यूज़ किया था वो एक खतर नाक मोड़ पर थी वो अपने आपको किस तरह से संभाले वो नहीं जानती थी

उसके शरीर के ऊपर दोनों किसी मुर्दे की तरह लेटे हुए थे और अपने मुख से निकलने वाली लार से उसे भिगो रहे थे और अपने हाथों से उसे जाने नहीं देना चाहते थे वो सोई हुई अपनी परिस्थिति को समझने की और अपने आपको इस तरह की परिस्थिति से अलग करने के बारे में कही अपने जेहन में सोच रही थी पर उसके हाथों और पैरों में इतनी ताकत
ही नहीं बची थी कि वो अपने को हिला भी सके और ऊपर से यह दो राक्षस उसके ऊपर उसे अभी तक कस के पड़े हुए थे उनकी सांसें अब भी उसके शरीर पर पड़ रही थी आरती बिल्कुल नंगी थी उसके शरीर में जहां तहाँ लाल काले धब्बे उभर आए थे पर उसे कोई होश नहीं था वो तो बेसूध सी पड़ी हुई थी थोड़ी देर बाद उसे अपने नीचे की ओर कोई हरकत होते सुनाई दी रामू काका थे या लाखा काका थे पता नहीं पर जो भी था वो आगे की ओर जो सख्स था उसे हिलाकर उठा रहा था
- ओये लाखा उठ बहू को उसके कमरे में छोड़ देते है।
लाखा- हाँ… अरे रुक यार थोड़ी देर रुक जा देखने दे

और दोनों झुक कर आरती को छूकर देख रहे थे शायद जानना चाहते थे कि जिंदा है कि मर गई आरती भी थोड़ा सा कसमसाई उनके हाथों के आगे

रामू- बहू उठो और अपने कमरे में जाओ बहुत देर हो गई है

आरती- हाँ… उूउउम्म्म्म और एक बड़ी सी अंगड़ाई लेकर फिर से सिकुड़ कर सो गई

लाखा- अभी मन नहीं भरा यार और देख इसे भी कोई फरक नहीं पड़ता थोड़ी देर रुक जा ना फिर आपण दोनों छोड़ आएँगे
और झुक कर आरती के चहरे को अपनी हथेलियो के बीच में लेकर उसके होंठों को चूसने लगा था बड़े ही प्यार से उसके मुख के अंदर तक अपनी जीब को ले जाकर लाखा आरति को बहुत देर तक किस करता रहा उसे इस तरह से देखकर रामु भी अपने हाथ आरती की जाँघो के चारो ओर घुमाने लगा था उसके हाथों में आई इस सुंदरी का वो हिस्सा लगता था वो किसी के साथ शेयर करने के मूड में नहीं था वो अपने होंठों को भी जोड़ कर आरती की जाँघो और टांगों को फिर से किस करने लगा था और ऊपर से लेकर पैरों के तले तक किस करते हुए जा रहा था आरती जो कि अब भी अपनी दुनियां से दूर अपने ऊपर हो रहे इस नये आक्रमण को धीरे-धीरे बढ़ते हुए सहन कर रही थी पर इस बार दोनों के हाथों और होंठों में जानवर पना नहीं था प्यार था और बहुत ही नर्मी से पेश आ रहे थे वो अपने आपको कभी सीधा तो कभी उनके किसके साथ अपने शरीर को इधर उधर करती जा रही थी उनके हाथों और उंगलियों के इशारे वो भी समझ रही थी पर जान तो बिल्कुल बची ही नहीं थी वो चाह कर भी उन दोनों को रोक नहीं पा रही थी वो इतना थक चुकी थी कि अपने हाथ पैरों को भी सीधा करने के लिए उसे बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी पर ना जाने क्यों उसे दोनों के इस तरह से अपने जिस्म से खेलते हुए देखकर अच्छा लग रहा था वो अपने शरीर पर होने वाली हर हरकत को सहने को तैयार हो रही थी उसके अंतर्मन में एक आग फिर से भड़क ने लगी थी उसने अपने हाथों को फिर से आगे करके लाखा काका को छूने की एक कोशिश की लाखा जो की उसके होंठों को चूमने में लगा था

अचानक ही आरती के शरीर में हुई हरकत से थोड़ा सा ठिठका पर जैसे ही आरती की हथेलिया उसके सिर के चारो ओर गई वो अस्वस्त हो गया कि आरति को कोई आपत्ति नहीं है वो फिर से अपने काम में जुट गया आरती की टांगों में भी धीरे-धीरे जान फुक रहा था रामू और अपने होंठों से उसके हर कोने को चूमने की कोशिश कर रहा था और आरति भी अब धीरे से अपनी टांगों को मोड़कर या फिर थोड़ा उँचा करके उसे अपने यौवन कर रस पिला रही थी रामू को भी पता चल गया था कि आरती को कोई आपत्ति नहीं है सो वो भी आरती के शरीर पर फिर से टूट पड़ा था अब तो दोनों फिर से आरती के शरीर को रौंदने लगे थे अपनी हथेलियो से और होंठों से जहां मन करता वहां किस करते और जहां मन करता वहाँ जोर से दबाते या फिर सहलाते लाखा काका तो ऊपर से आरती को किस करते हुए उसकी चुचियों पर आके रुक गये थे पर रामु काका उसकी टांगों से लेकर उसकी कमर तक आ चुके थे वो अपनी जीब को निकाल कर अब आरती की नाभि में झुका हुआ था और अपनी जीब को जहां तक हो सके वो उसके अंदर तक घुसा देना चाहता था वो अब भी आरती को अपनी गोद में लिए हुए था उसकी कमर से वो आरती को अपने लण्ड के ऊपर रखे हुए धीरे-धीरे अपने काम को अंजाम दे रह था और ऊपर लाखा भी आरती को अपनी दोनों बाहों में कसे हुए उसकी एक चूची को अपने होंठों के अंदर लिए हुए जम कर चूस रहा था वो अपने हाथों से दूसरी चुचि को धीरे धीरे दबा के उन्हें भी खुश करने की कोशिश कर रहा था

रामू भी अब तक उसकी नाभि को छोड़ कर आरती के शरीर के ऊपरी हिस्से की ओर चल दिया था होंठों को उसके शरीर से बिना अलग किए वो अब भी आरती को बेतहाशा किस करते जा रहा था और आरती जो कि बस किसी तरह से अपने ऊपर हो रहे इस दोहरे आक्रमण को झेल रही थी अब फिर से काम अग्नि के भेट चढ़ने वाली थी उसके शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर बहुत ही गति से फेलने लगी थी वो अपनी सांसों को फिर से अपनी नाक और मुख से जोर से छोड़ने लगी थी और रामू काका और लाखा काका की हर हरकत पर फिर से अपने शरीर को मरोड़ कर उनकी हरकतों का आनंद लेने लगी थी वो जानती थी कि अब की बार वो दोनों को अपने जहन में उतारने में उसे कोई दिक्कत नहीं होगी और वो अपने को उस एनकाउंटर के लिए बिल्कुल तैयार कर रही थी वो अब अपने मुख से निकलने वाली सिसकारी को भी सुन सकती थी जो कि कमरे में बहुत ही तेजी से फेल रही थी


रामु अपने आपको आरती की चुचियों तक ले जाने में कोई देरी नहीं करना चाहता था और वो पहुँच भी गया लाखा को थोड़ा सा हटाकर उसने भी एक चुचि पर अपना कब्जा जमा लिया अब तो दोनों लाखा और रामू ने जैसे आरती को आपस में बाँट लिया हो दोनों अपने-अपने हिस्से को चूमकर और चाट कर आरति के हर अंग का स्वाद लेने में लगे हुए थे
आरती को भी जैसे जन्नत का मजा आने लगा था दोनों जिस तरह से उसकी चूचियां चुस्स रहे थे वो उसके लिए एक नया और और बिल कुल अनौखा अनुभव था दो होंठ उसकी एक-एक चुचि को अपने मुख में लिए हुए उसका रस चूस रहे थे और दोनों ही बिल्कुल अलग अलग अंदाज में दोनों के हाथों का दबाब भी अलग था और सहलाने का तरीका भी आआआआअह्ह
एक लंबी सी सिसकारी आरती के मुख से निकलकर पूरे कमरे में फेल गई उसकी सिसकियो में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना थी वो अब लाखा काका और रामू काका की गिरफ़्त में भी मचल रही थी जैसे ही दोनों के चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी थी रामू और लाखा आरती को सहारा देकर अब उठा चुके थे और दोनों ओर से उसे घेरे हुए उसकी चुचियों को ऊपर उठाकर चूस रहे थे वो एक-एक निपल्स को मुख में डाले हुए जोर-जोर से चूसते जा रहे थे और बीच बीच में पूरा का पूरा चुचि को अपने मुख के अंदर घुसाकर जोर से काट भी लेते थे और अपने हाथों से बाहर निकाल कर जोर से दबा भी देते थे आरती का सिर ऊपर हवा में लटका हुआ था पर साँसे अभी भी बहुत तेजी चल रही थी दोनों अपने हिस्से का काम बहुत ही सही अंदाज से अंजाम दे रहे थे रामू और लाखा ने आरती को अपनी एक-एक जाँघ के सहारे बैठा रखा था और अपने एक-एक हाथों को भी उसकी पीठ पर फेर रहे थे दूसरे हाथ से दोनों आरति को चुचियों से लेकर जाँघो तक और फिर टांगों के तले तक सहलाने में व्यस्त थे

आरती के शरीर में उठने वाली वासना की तरंगे अब उसके बस से बाहर थी वो अपने शरीर को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी और अपने मुख से जोर से सांसें लेते हुए अपनी सिसकारी और अह्ह्ह को रोकने की जी भर के कोशिश करती जा रही थी पर वो उसके मुख से फिसलते हुए पूरे कमरे को भरती जा रही थी उसकी सिसकारी जब तेज होने लगी तो अचानक ही एक जोड़ी होंठों ने उसे अपने होंठों के अंदर लेके बंद कर दिया अब आरती फ्री थी कितना भी जोर से सिसकारी लेने को वो कौन था इससे उसे फरक नहीं पड़ता पर जो भी था उसे किस करना आता था और बहुत ही अच्छे ढंग से किस करना आता था अब तो वो बिल्कुल उत्तेजित थी होंठों के बीच में जब भी वो अपनी जीब से उसके मुख के अंदर चुभलाने लगता तो वो मस्त हो करके अपने सीने को और आगे बढ़ा देती वो जो सख्स उसकी चूचियां अपने मुख लिए हुए था वो भी कस कर उसकी चूचियां अपने एक हाथ से थामे दूसरे से उसे चूसते जा रहा था अब तो दोनों की उंगलियां धीरे धीरे उसकी चुत के अंदर-बाहर भी होने लगी थी पर दोनों बारी बारी से उसकी चुत के अंदर-बाहर कर रहे थे उसकी चुत रस से भरी हुई थी और अब अपने अंदर की चाह को मिटाने के लिए उत्तेजित भी थी और लाखा तो जैसे अब अपनी पर ही उतर आया था
वो आरती को अपने सीने से लगाए हुए जोर से भीचे हुए उसकी चुचियों को और निपल्स को अपने दाँतों से काट-ता जा रहा था और जोर से अपनी उंगली को उसकी चुत में घुसाता जा रहा था लगता था कि जैसे उसकी अंतिम सीमा तक पहुँचना चाहता था उधर रामू भी अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पा रहा था और आरती को बाहों में भरे हुए उसके होंठों पर लगा हुआ था एक हाथ में उसके कभी-कभी लाखा के छोड़ने से एक चुचि आ जाती थी तो उसे वो बहुत जोर से निचोड़ता था उसे कोई डर नहीं था क्योंकी उसने आरती का मुख बंद कर रखा था वो कोई भी अब धीरे नहीं कर रहा था वो भी जानवर हो चुका था और बहशी के समान आरती को निचोड़ने में कोई नहीं रहा था वो भी अपनी उंगली को आरती की जाँघो के बीच में घुसाता था पर जब वहां लाखा की उंगलियां होती थी तो आरती की जाँघो को सहलाकर वापस अपने लिए जगह बनाता था दोनों के हिस्से में आए आरती का शरीर को दोनों अपने तरीके से सहला रहे थे और जोर से उसे इश्तेमाल करते जा रहे थे पर अचानक ही लाखा एकदम से आरती की जाँघो के बीच में पहुँच गया और बिना किसी पूर्व चेतावनी के ही एक ही धक्के के उसके अंदर तक समा गया वो अचानक ही आरती के पूरे शरीर को अपने गिरफ़्त में लेने को हुआ और रामू के हाथों से छुड़ा कर उसने आरती को अपनी बाहों में भर कर अपनी गोद में बिठा लिया था और आरती की गर्दन और गालों को चूमे जा रहा था पर आरती का पूरा शरीर जैसे लटका हुआ था वो जब तक कुछ करती तब तक तो लाखा ने उसपर पूरा नियंत्रण कर लिया था और उसके होंठों को भी ढूँढ़ कर अपने होंठों से दबा लिया था लाखा घुटनों के बल बैठा हुआ कामया को गोद में लिए हुए झटके लगाता जा रहा था और हर धक्के में आरती उसकी गोद में उच्छल कर उसके कंधे से ऊपर चली जाती थी रामू जो कि वही पास बैठे हुए लाखा को अपनी हरकत करते हुए देख रहा था और अचानक अपने हाथों से आरती के निकल जाने के बाद सोच ही रहा था कि कहाँ से अपना कब्जा शुरू करे तभी आरती पीछे की ओर धनुष जैसे हुई तो रामू ने लपक कर आरती को अपने हाथों से सहारा दिया और कसकर फिर से आरती के होंठों पर झुक गया वो भी अपने को किसी तरह से रोके हुए था पर आरती को इस तरह से उछलते हुए देखकर वो भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और वो भी एक बहशी बन गया था वो जोर-जोर से आरती को चूमे जा रहा था और अपनी दोनों बाहों को आरती के शरीर के चारो ओर घेर कर अपने सीने से कस के लगाए हुए था लाखा भी अपने पूरे जोर से आरती की कमर को जकड़े हुए नीचे से धक्के लगाते जा रहा था और लाखा आरती को चूमते हुए देखता जा रहा था शायद वो अपने चरम सीमा की ओर पहुँचने ही वाला था क्योंकी उसके धक्के अब बहुत ही गतिवान हो गये थे और वो आरती को थोड़ा सा ऊपर करके लगातार धक्के लगा रहा था
और उधर रामू भी अपने आपको और ज्यादा नहीं रोक पाया तो वो आरती के पीछे की ओर हो गया और पीछे से अपने लण्ड को आरती के चुतरो को छू रगड़ने लगा था और लाखा की ओर देखते हुए

रामू- लाखा, अब छोड़ मुझे भी करना है

लाखा आआह्ह रुक जा यार बस हो गया

रामू को कहाँ शांति थी उसने एक बार अपने हाथों को आरती और लाखा के बीच में डाल ही दिया और आरती की कमर को पकड़कर एक ही झटके में आरती को अपने पास खींच लिया आरती जो कि एक लाश के समान थी एक ही झटके में रामू की गोद में पहुँच गई और लाखा काका के हाथों से छूट गई अब वो पीछे से रामू काका की गोद में पहुँच गई थी और एक फ्रॉग की तरह से नीचे गिर पड़ी पर गिर पड़ी क्या लाखा कहाँ छोड़ने वाला था उसने आरती को झट से खींच कर अपने हाथों से संभाला और उसके चहरे को अपने लण्ड के आस-पास घिसने लगा और रामू ने देर नहीं की और झट से आरती के पीछे से उसकी चुत में झट से घुस गया और क्या अपने जोर से उसे लगा जैसे कि अपनी हवस को अंजाम देने की कोशिश कर रहा हो वो बहुत उत्तेजित था उसकी हरकतों को देखकर ही कहा जा सकता था उसे कोई चिंता नहीं थी ना तो आरती की और नहीं लाखा की वो तो बस आरती के अंगो को पीछे से निचोड़ता हुआ अपने लण्ड को आरती की चुत में बिना किसी रोक टोक के लगातार अंदर और बहुत अंदर तक जा रहा था आरती जो की अब दोनों ओर में अटकी हुई थी अब उसके मुख में लाखा काका के लण्ड से एक लंबी सी पिचकारी निकलकर उसके गले तक उतरगई थी और नीचे रामू काका के लण्ड से निकली पिचकारी उसके अंदर बहुत अंदर तक कही जाकर समा गई थी एक गरम सी बौछार दोनों और से उसके शरीर के अंदर तक उतरगई थी आरती ने अपने जीवन का पहला और बहुत ही दर्दनाक सेक्स आज की रात किया था पर एक बात जरूर थी उसने एक बार भी किसी को मना नहीं किया था जाने क्यों उसे इस तरह से अपने शरीर को रौंदने वाले रामु और लाखा पर कही से भी गुस्सा नहीं था वो बिल्कुल निश्चल सी नीचे पड़ी हुई थी जैसे कोई मर गया हो और उसके मुख की ओर लाखा काका बैठे हुए थे और नीचे की ओर रामु काका लंबी सांसें लेते हुए अपने आपको कंट्रोल कर रहे थे सभी बहुत थके हुए थे और किसी के शरीर में इतनी जान नहीं बची थी कि जल्दी से हरकत में आए
कुछ 20 25 मिनट बाद अचानक ही लाखा और रामू जैसे नींद से जागे हो अपनी जाँघो के पास आरती को इस तरह से नंगे पड़े हुए देखकर दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा

लाखा- क्यों इसे कमरे में कैसे ले जाए

रामू- रुक बहू उूुउऊबहुउऊउ
और आरती को थोड़ा सा हिला के देखा आरती के शरीर में जान कहाँ थी इस तरह से हिलाने से क्या होना था अगर झींझोड़ कर उठाया नहीं गया तो शायद वो वही ऐसे ही पड़ी रहती सुबह तक पर लाखा और रामू को उससे ज्यादा फिकर थी वो आरती के शरीर को अपने हाथों से एक बार अच्छे से सहलाते हुए अपने मुख को आरती के कानों के पास तक ले गये और धीरे-धीरे उसको आवाज लगाते हुए उसे उठाने लगे किसी तरहसे उठाकर बैठा लिया दोनों ने

लाखा--- वो रहा गाउन तेरे पीछे दे

रामू ने अपने पीछे से गाउन उठाकर लाखा की ओर किया और आरती को सीधा करके उसके माथे के ऊपर से दोनों मिलकर उसे गाउन पहनाने में लगे थे बीच बीच में अपने हाथों से उसकी गोल गोल चूची को भी अपने हाथों से छू लेते थे और उसके पेट से लेकर नीचे तक उसे देखते हुए उसे सहला भी देते थे
लाखा- अब तो छोड़
रामू- तू भी चल ध्यान देने थोड़ा सा चल
और दोनों आरती को अपने हाथों से उठाने को उतावले हो उठे पर यह सौभाग्य रामू ने उठाया और आधी नंगी आरती को बिना, पैंटी के ही वैसे गाउन मे लेके बाहर आ गये लाखा धीरे-धीरे घर का जायजा लेने लगा था और रामू अपनी बाँहों में भरे हुए आरती को उसके बेडरूम तक ले जाने लगा था लाखा आगे जाकर देख रहा था और पीछे रामु उसे लिए हुए दबे कदम आरती के कमरे तक पहुँच गये

कमरे के बाहर रामु और लाखा दोनों रुक गये और फिर लाखा ने आरती को एक बार फिर से होश में लाना चाहा

लाखा- बहू उठो बहू

पर आरती तो जाने कहाँ थी वो अब भी मुर्दे की भाँति रामू काका की बाहों में पड़ी हुई थी
लाखा- अब हाँ…

रामू- रुक दरवाजा खोल

लाखा- नहीं मरवाएगा क्या भैया है अंदर

रामू- नहीं बहू नहीं पहुँची ना तो तू भी और में भी और यह भी कोई नही बचेगा। अपनी गोद में लिए आरती की ओर इशारा करते हुए रामू ने जताया।
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