Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:27 PM,
#30
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल और रवि दोनो घर पहुच गए हंसी मजाक करते हुए, जैसे दो नए प्रेमी जोडा करता है।
घर मे आरती डाइनिंग रूम में ही बैठी थी, जैसे ही दोनो वहा पहुचे तो आरति ने नाराजगी जाहिर करते हुए तो बोली---- मुझे तो नही लेकर जाते सिनेमा,
रवि जवाब दे उससे पहले सोनल बोल पड़ती है,
अरे मम्मी आप दिन में रामू काका के साथ कुछ प्लान कर रही थी न ऊप्पर।
अब आरती तो काटो तो खून नही की हालत में थी।
रवि--- अरे रामू काका के साथ क्या प्लानिंग कर रही थी।
आरती--वो मैं मैंमममममम।
सोनल--- रामू काका को कह रही थी कि ये दोनों आम का आचार डालेंगे। इएलिये मैने सोचा कि मम्मी नही जाएगी।
सोनल ने बात बदल दी तो आरती की सांस में सांस आयी।
अब ऐसे ही तीनो बात करते रहे और सोनल बीच बीच मे आरती को बातो में उलझा देती और खुद ही निकाल देती। दोनो में चूहे बिल्ली का खेल चल रहा था। रात को डिनर का समय हो गया आरति का मूड ही नही था लेकिन फिर भी खाने की टेबल पर बैठ गयी।
खाना खाने के बाद कामया का मूड ही नहीं था पर रवि को कोई फरक नहीं पड़ता था वो तो खाना खाने के बाद उठा और चला गया और सोनल भी और रह गई आकेली आरती वो अब भी डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई अपने बारे में और रवि के बारे ही सोच रही थी कि उसे पदचाप की आवाज सुनाई दी उसने मुड़कर देखा रामू काका थे वो टेबल पर पड़े हुए झूठे बर्तन उठाने को आ रहे थे

वो एक बार रामू काका की ओर देखकर हल्का सा मुस्करायी और उठकर अपने हाथ धोने को सिंक पर चली गई
उसके दिमाग में अब भी बहुत कुछ चल रहा था और गुस्सा भी बहुत आ रहा था न जाने क्या सोचते हुए आरती सीढ़िया चढ़ती जा रही थी, पीछे उसे रामू काका के काम करने की आवाजें भी आ रही थी अचानक ही वो रुकी और पलटकर रामू काका की ओर देखते हुए
आरती- काका जल्दी सो जाते है आप

रामू- जी ?

आरती- जी कुछ नहीं बस आज उप्पेर सोना कमरे में ।

और अपने होंठों पर हँसी को दबाती हुई जल्दी से सीढ़िया चढ़ती हुई अपने कमरे में पहुँच गई

कमरे में रवि बिस्तर पर लेट चुका था शायद सो भी चुका था आरती बाथरूम की ओर अपने कपड़े चेंज करने को जाने लगी थी उसके हाथों में एक गाउन था जो कि रवि को बहुत पसंद था दो स्टीप से ही टंगा रहता था वो गाउन उसके कंधे पर और ए-लाइन टाइप की थी उसके ऊपर बहुत सुंदर और कसा हुआ सा लगता था
जब वो बाथरूम से बाहर आते ही सबसे पहले

आरती- क्यों सो गये क्या

रवि- हाँ… क्यों

आरती- इतनी जल्दी सो जाते हो बातें करनी है

रवि- अरे बहुत थका हुआ हूँ कल सुबह बातें करेंगे

आरती- उठिए ना प्लीज

रवि-- हाँ हाँ… करता हुआ पलटकर सो गया पर आरती तो गुस्से में थी दिन में सोनल ने बीच मे ही उनको रोक दिया था वो आज रवि को कहाँ छोड़ने वाली थी वो लपक कर बेड पर चढ़ि और रवि से सट कर लेट गई और अपने हाथों को उसकी बाहों पर चलाते हुए
आरती- प्लीज ना ,सोइए मत आपसे तो बातें ही नहीं हो पाती

रवि थोड़ा सा पलटकर आरती को अपनी बाहों में भिचता हुआ
रवि- क्या बातें करनी है
और अपने हाथों को आरती की चूचियां पर रखता हुआ उन्हें छेड़ने लगा था

रवि के हाथों में अपनी चूचियां के आते ही आरती के मुख से एक लंबी सी आह निकली और वो रवि से और भी सट गई थी रवि के छूते ही वो अपने आप पर काबू नहीं रख पाती थी यह बात उसे पता थी वो रवि के चेहरे को अपने होंठों से चूमती जा रही थी और उसे और भी उत्तेजित करने की कोशिश करती जा रही थी

रवि तो बेसूध सिर्फ़ आरती के कहने पर ही पलटा था और एक दो बार उसकी चुचियों को दबाने के बाद फिर से नींद के आगोश में चला गया था उसे आरती को अपने चेहरे को चूमते हुए देखना और भी अच्छा लग रहा था पर उसकी थकान उसपर ज्यादा हावी थी

पर आरती तो अपनी उत्तेजना कोठंडा करना चाहती थी वो रवि के लगभग ऊपर चढ़ि जा रही थी और उसे और भी उकसा रही थी पर रवि के ठंडे पन ने उसे एकदम से निराश कर दिया और वो अपने होंठों को उसके चेहरे पर से आजाद करते हुए रवी को एकटक देखती जा रही थी पर रवि तो कही का कही पहुँच गया था

आरती ने गुस्से में आके एक धक्का रवि को दिया और पलटकर सो गई

धक्के से रवि फिर से जागा और आरती की कमर को खींचकर अपने से भिच लिया और फिर से अपने दोनों हाथों को उसके गोल गोल चुचियों पर रखते हुए फिर से नींद के आगोश में चला गया

आरती को नींद कहाँ उसकी चूचियां अब भी रवि की दोनों हथेली में थी और वो आरती को अपने से चिपका कर सो गया था उसके कंधों पर रवि की सांसें पड़ रही थी जो कि लगभग बिल्कुल समान्तर थी वो सो चुके थे गहरी नींद उनके शरीर की गर्मी वो महसूस करसकती थी जो कि उस पतले से गाउनको भेदती हुई उसके शरीर के अंदर तक जा रही थी
आरती फिर सेक्स की भूख की भेट चढ़ती जा रही थी वो अपने को उस आग में जलने से नहीं बचा पा रही थी उसका शरीर अब रवि की बाहों में ही कस मसाने लगा था वो ना चाहते हुए भी रवि के सीने से सटी जा रही थी और अपनी कमर को जितना पीछे ले सके ले जा रही थी पर रवि पर कोई भी असर होते हुए वो नहीं देख रही थी

वो अब भी सो रहा था और आरती के कसमसाने के साथ ही उसकी पकड़ आरती पर से ढीली पड़ने लगी थी वो भी अब चित लेट गया था और थोड़ी देर बाद दूसरी ओर पलट गया था आरती भी चित लेटी हुई थी और सीलिंग की ओर देखती हुई सोच रही थी

आखिर क्यों रवि उसे अवाय्ड कर रहा है अगर वो उसे अवाय्ड ना करे तो और अगर पहले जैसा ही रोज प्यार करे तो कितना मजा है जीने में कितना अच्छा और कितना प्यारा है उसका पति कही से कोई कमी नहीं है रुपया पैसा हो या शानो शौकत हो या फिर दिखने में हो या फिर स्टाइल में हो सब में अच्छा है वो पर क्यों नहीं उसे समझ में आता की आरती को क्या चाहिए

क्यों नहीं रोज उसपर टूट पड़ता वो चाहे सुबह हो या शाम हो या दिन हो या रात हो वो तो कभी भी रवि को सेक्स के लिए मना नही किया था और रवि को भी तो कितना इंटेरेस्ट था लेकिन अब अचानक क्या हो गया क्यों वो रुपये पैसे के चक्कर में पड़ गया और उसे भूल सा गया क्या रुपया पैसा ही उसके जीवन का उद्देश् है और क्या आरती कुछ भी नहीं
पर कभी-कभी तो वो उसके लिए क्या नहीं करता और तो और उसके नाम से जमीन और साइन प्लेक्ष भी बनवा रहा था और उसे पता भी नहीं दूसरे कोई होते तो शायद अपनी दादी या फिर मम्मी या फिर बेटी या फिर कोई देवी देवता के नाम से पर यहां तो मामला ही उल्टा था ना उसे किसी ने बताया ना ही उसे बताने की ही जरूरत समझी और नाम करण भी हो जाता और कोई एहसान भी नहीं जताया किसी ने

क्या यार सबकुछ तो ठीक ठाक है पर रवि ऐसा क्यों हो गया वो क्यों नहीं उसे छेड़ता या फिर उसे प्यार करता वो तो रोज उसका इंतजार करती है उसे भी तो किसी चीज की जरूरत होती है बाजार में मिलने वाली चीजो से तो कोई भी अपना मन भर ले पर जो चीज घर की है वो ही उसे नजर अंदाज करती जा रही है यह तो गलत है पर क्या करे आरती क्या वो रोज रवि से झगड़ा करे या फिर उसे उकसाए या फिर सब कुछ छोड़दे

या फिर जो कर रही है वो ठीक है क्यों अपने पति को उस चीज के लिए जिसके लिए उसके पास टाइम नहीं है क्यों वो उस चीज का इंतजार करे जिस चीज का उसके पास आने का समय वो बाँध नहीं सकती या फिर क्यों वो उस गाड़ी की सवारी करे जो गाड़ी उसके इशारे पर नहीं चले

नहीं बाकी सब तो ठीक है वो जेसे चल रही है वो ही ठीक है उससे उसे भी परेशानी नहीं और नहीं रवि को और नहीं घर में किसी को किसी की भी टाइम को खोटी नहीं करना पड़ेगा और नहीं ही किसी को किसी की चिंता ही करनी पड़ेगी हाँ अब वो वही करेगी जो वो चाहती है और क्या सभी तो इस घर में वैसा ही कर रहे है कोई बंदिश नहीं और नहीं कोई चिंता

क्यों वो आख़िर कार सभी की तरफ देखती रहती है कि कोई उसकी सुने या फिर कोई उसकी इच्छा के अनुसार चले चाहे वो उसका पति हो या फिर सोनल।

वो एकदम से उठ गई बिस्तर से और घूमकर रवि की ओर देखा जो कि गहरी नींद में था और उसकी सांसों को देखकर लगता था कि बहूत थी गहरी नींद में था आरती बेड से उतरी और सेंडल पैर में पहनते हुए धीरे से मिरर के सामने खड़ी हो गई कोई आहट नहीं की उसने और नहीं कोई फिक्र नहीं कोई सोच थी उसके मन में थी तो बस एक ही इच्छा उसके शरीर की उसके अंदर जो आग लगी हुई थी उसे बुझाने की

अपने को मिरर में देखते ही आरती के शरीर में एक फूरफुरी सी दौड़ गई और एक मुश्कान उसके होंठों में वो जानती थी रामु काका उसके इस शरीर के साथ क्या करेंगे वो चाहती भी थी कि उसके इस शरीर के साथ कोई खेले और खूब खेले प्यार करे और उसके पूरे जिस्म को चाटे चूमे और अपनी मजबूत हथेलियो से रगडे और खूब प्यार करे वो खड़ी-खड़ी मिरर में अपने को देखती रही और धीरे से मुस्कुराती हुई अपने कंधे पर से एक स्ट्रॅप को थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और मुस्कुराती हुई मूडी और धीरे-धीरे कमरे के बाहर जाने लगी

आरती जब, अपने कमरे से बाहर निकली तो पूरा घर बिल्कुल शांत था और कही भी कोई आवाज नहीं थी वो थोड़ी देर रुकी और अंदर की ओर देखा रवि चुपचाप सोया हुआ था आरती ने धीरे से डोर बंद किया और सीढ़ियो पर से ऊपर चढ़ने लगी वो एक बार फिर से रामु काका के कमरे में जा रही थी। अब खुद से जा रही थी, दिन में तो काका उसे उठा ले गये थे पर अब वो खुद ही जा रही थी उसके पैर काप रहे थे पर अंदर की इच्छा को वो रोक नहीं पा रही थी वो धीरे-धीरे चलते हुए पूरे घर को देखते हुए और हर पद चाप के साथ अपने को संभालती हुई वो रामू काका के कमरे के सामने पहुँच गई थी इस बात से अनजान की दो जोड़ी कदम और उसके पिछे वहा तक पहुच गए है,

अंदर बिल्कुल शांत था शायद काका भी सो गये थे पर अंदर एक डिम लाइट जल रही थी और उसकी रोशनी बाहर डोर के गप से आ रही थी

आरती ने डरते हुए धीरे से डोर को धकेला जो कि खुला हुआ था शायद रामू को कोई दिक्कत नहीं थी तो डोर बंद क्यों करे इसलिए वो खुला रखकर ही सोता था सो डोर को धकेलने से वो थोड़ा सा खुला अंदर रामू काका नीचे बिस्तर पर सोए हुए थे और एक हाथ उनके अपने माथे के ऊपर था पूरा शरीर नंगा था और कमर से नीचे तक एक चदडार से ढँका हुआ था आरती ने दरवाजे को थोड़ा सा और खोला तो डोर धीरे से खुल गया अंदर की डिम लाइट बाहर कारिडोर में फेल गई आरती ने अपने कदम आगे बढ़ाया और अंदर काका के कमरे में घुस गई

कमरे में घुसते ही उसने रामू काका के शरीर में एक हल्की सी हलचल देखी वो वही रुक गई और डिम लाइट में काका की ओर देखने लगी
रामू- दरवाजा बंद कर्दे बहू
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस. - by sexstories - 08-27-2019, 01:27 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,303,339 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,597 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,152,385 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,781 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,819 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,988,225 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,799,276 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,525,015 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,828,643 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,473 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)